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असहयोग आंदोलन के कारण, असहयोग आंदोलन का कार्यक्रम या कार्यविधि


असहयोग आंदोलन के कारण ,असहयोग आंदोलन का कार्यक्रम या कार्यविधि

Hello friends आज आप सभी को हम प्रतियोगी परीक्षाओं में हमेसा पूछे जाने वाले प्रश्न आप सभी के लिए शेयर कर रहे हैं| दोस्तों महात्मा गाँधी से सम्बंधित परीक्षाओं में अक्सर प्रश्न पूछे जाते हैं| आज हम इन्हीं से सम्बंधित कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न आप लोगो  के लिए शेयर कर रहे हैं दोस्तों आज जिस topic पर हमने आप सभी के लिए यह पोस्ट तैयार किया है वह “महात्मा गाँधी एवं उनके प्रारंभिक आन्दोलन” से सम्बंधित है| जो छात्र Competitive exams की तैयारी कर रहे हैं उन सभी के लिए हमारा यह पोस्ट बहुत ही Helpful होगा |http://currentshub.com

असहयोग आंदोलन के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे-


प्रथम विश्व युद्ध 


प्रथम विश्व युद्ध के समय भारतीयों का सहयोग प्राप्त करने के लिए ब्रिटिश सरकार ने घोषणा की थी कि इस विश्व युद्ध का उद्देश्य विश्व को प्रजातंत्र के लिए सुरक्षित बनाना तथा प्रत्येक देश को आत्म निर्णय लेने का अधिकार दिलाना है | भारत के विषय में भी यह घोषणा की गई थी | अतः भारतीय नेताओं ने इंग्लैंड की सहायता करने का निर्णय लिया था किन्तु युद्ध की समाप्ति के पश्चात अपने वादे पूरे करने से मुकर गई | युद्ध के कारण भारत की जनता की स्थिति बहुत खराब हो गई थी | अधिक कर वसूलने के कारण कीमते बहुत बढ़ गई थी तथा भारतीय किसानों की आर्थिक स्थिति खराब होती जा रही थी |अतः भारतीय नेताओं एवं जनता में असंतोष उत्पन्न हुआ |


1917 की रूसी क्रांति


1917 की रूसी क्रांति ने भी भारतीयों को स्वतंत्रता प्राप्त करने की प्रेरणा दी| अब यह बात समझ में आ गई थी कि आम जनता शक्ति एवं साहस के आधार पर अपने अधिकार को प्राप्त कर सकती है |


रोलेट एक्ट (31 मार्च 1919)


भारत में क्रांतिकारी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए ब्रिटिश सरकार ने रोलेट एक्ट पास किया और 21 मार्च 1919 को इसे लागू कर दिया गया | इस अधिनियम के अनुसार किसी भी व्यक्ति को संदेह मात्र होने पर उसे गिरफ्तार किया जा सकता था अथवा गुप्त मुकदमा चला कर अपराधी को दंडित किया जा सकता था | इस अधिनियम को भारतीयों ने “काला कानून” की संज्ञा दी | संपूर्ण भारत में इसके विरुद्ध प्रदर्शन हुआ |


खिलाफत आंदोलन (1919- 1922ईस्वी )


  • असहयोग आंदोलन का एक अन्य प्रमुख कारण खिलाफत आंदोलन भी था|
  • प्रथम विश्व युद्ध के बाद तुर्की के साथ भी एक अपमानजनक संधि की गई|
  • और जर्मनी के सहयोगी तुर्की में खलीफा को कमजोर किया गया|
  • और अपमानित भी किया गया |
  • भारतीय मुसलमानों को इस घटना से ठेस पहुंची |
  • और उन्होंने असंतुष्ट होकर खलीफा के सम्मान में एक आंदोलन आरंभ किया जिसे खिलाफत आंदोलन कहते हैं | इस आंदोलन के प्रमुख नेताओं में अली बंधुओं मोहम्मद (मो.अली और शौकत अली) ने सारे देश में इसे लोकप्रिय बनाने का काम जोर-शोर से शुरू कर दिया | गांधीजी ने हिंदू मुस्लिम एकता स्थापित करने के लिए इस आंदोलन का समर्थन किया | 24 नवंबर 1919 को ‘अखिल भारतीय खिलाफत सम्मेलन‘ हुआ जिसे गांधी जी को अध्यक्ष चुना गया | गांधी जी के निर्देशानुसार असहयोग एवं बहिष्कार नीति के आधार पर आंदोलन चलाया गया |

जलियांवाला बाग हत्याकांड (13 अप्रैल 1919)


गांधी जी के प्रयत्नों से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 30 मार्च 1919 को संपूर्ण देश में रोलेक्ट एक्ट के विरुद्ध हड़ताल करने का निर्णय लिया | लोगों से आग्रह किया गया कि यह हड़ताल एवं प्रदर्शन पूर्णतया शांतिपूर्ण होगा | 6 अप्रैल को संपूर्ण भारत में हड़ताल पूर्णतया सफर रही | हड़ताल की सफलता से ब्रिटिश सरकार बौखला गई | पंजाब में सरकार विरोधी गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई | 9 अप्रैल को हिंदू और मुसलमानों का एक सम्मिलित जुलूस डॉक्टर सत्यपाल एवं सैफुद्दीन किचलू के नेतृत्व में अमृतसर में निकला | 10 अप्रैल को इन दोनों नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया | उनकी गिरफ्तारी के विरोध में 13 अप्रैल 1919 को बैशाखी के दिन दोपहर में जलियांवाला बाग में एक सभा का आयोजन किया गया जिसमें लगभग 20000 से 25000 लोगों ने भाग लिया | जिस समय सभा चल रही थी तब जनरल ओ डायर ने बिना किसी प्रकार की चेतावनी दिये सैनिकों को गोली चलाने का आदेश दिया | इसमें हजारों लोग मारे गए इस घटना की सर्वत्र घोर आलोचना की गई|


असहयोग आंदोलन का कार्यक्रम या कार्यविधि


30 दिसंबर 1920 को प्रारंभ हुए असहयोग आंदोलन के उद्देश्य के दो स्वरुप थे-रचनात्मक एवं नकारात्मक, पहले के अंतर्गत स्वदेशी वस्तुओं को प्रोत्साहन, 20 लाख चरखो का वितरण ,स्वयंसेवक की संख्या बढ़ाना, “तिलककोश” के अंतर्गत एक करोड़ रुपए की राशि एकत्रित करना, हिंदू मुस्लिम एकता को बढ़ावा, छुआछूत दूर करने का प्रयास करना, राष्ट्रीय शिक्षण संस्थाएं खोलना, विवादों को हल करने के लिए अपनी पंचायतों की अदालतों की स्थापना करना इत्यादि कार्य थे |
नकारात्मक स्वरूप के अंतर्गत अनेक वस्तुओं का बहिष्कार करना था जिनमें प्रमुख थी-

1- सरकार से प्राप्त उपाधियों एवं अवैध दैनिक पदों का त्याग|
2- सरकारी समारोह में सम्मिलित नहीं होना |
3- सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों का त्याग|
4- अंग्रेजी न्यायालयों का वकीलों द्वारा बहिष्कार|
5- विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार|
6- मध निषेध या शराबबंदी|
7- सरकार द्वारा आयोजित चुनाव में भाग न लेना|

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shubham yadav

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