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जानिये राफेल विमान सौदे की विस्तृत जानकारी हिन्दी में

राफेल विमान

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आज बहुत ही बड़ा मुद्दा जो चल रहा है , वह है राफेल विमान । आज आप किसी भी न्यूज़ चेंनल पे देखोगे तो बस वह यही खबर चलते नज़र आएंगे की राफेल विमान सौदे  में आज यह खुलासा हुआ और भी कुछ। तो आज हम इस पोस्ट के द्वारा जानेंगे की यह है क्या और क्यों इसको सब अभी इतना महत्व दे रहे हैं। आज यह इतना ट्रैंड पर हैं की सभी न्यूज़ चैनल अपनी अपनी चैंनल पर बस यही राफेल विमान सौदे में आज यह खुलाशा हुआ बस यही दिखते हुए नज़र आएंगे। राफेल विमान एक बहुत ही अमूल्य चीज़ हैं हमरी वायु सेना के लिए। क्योकि इससे हमरी वायु सेना की सकती कई गुना इनक्रीस हो जाती हैं। और राफेल विमान आज हमारी वायु सेना के लिए बहुत ही जरुरी चीज हैं। इसीलिए इसमें कुछ गलत ना हो इसके लिए सभी चैनल इतना इसको बड़ा मुद्दा बना रहे हैं। जो भी चीज हमारे देश की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं वो हमारे लिए भी बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। आज विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों ही एक दूसरे पे बयान बजी कर रहे हैं। और ऐसी कारण राफेल विमान सौदा इतना ट्रेंडिंग हैं।

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?राफेल क्या हैं :- राफेल एक लड़ाकू विमान हैं, जो की भारत की वायु सेना की शक्ति या क्षमता बढ़ाने के लिए बहुत ही जरुरी हैं। वायु सेना को अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए कम से कम  42 लड़ाकू विमान की जरुरत थी , लेकिन उसकी वास्तविक क्षमता घटा कर महज 34 ही रह गयी। इसीलिए वायुसेना की मांग आने के बाद 126 लड़ाकू विमान खरीदने का सबसे पहले प्रस्ताव अटल बिहारी वाजपेयी की एनडीए सरकार ने रखा था। लेकिन इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाया कांग्रेस सर्कार ने। रक्षा खरीद परिषद्।, जिसके मुखिया रक्षा मंत्री एके एंटनी थे। ने 126 एयरक्राफ्ट की खरीद को अगस्त 2007 में मंजूरी दी थी। यह से ही बोली लगने की प्रक्रिया शुरू हुए। इसके बाद आख़िरकार 126 विमानों की खरीद का आरएफपी जारी किया गया। राफेल की सबसे बड़ी खासियत यह हैं की ये 3 हजार 800 किलोमीटर तक उड़ान भर सकता हैं। ऐसी कारण राफेल को भारतीय वायु सेना की सकती का अहम्  रूप माना जाता हैं। और ऐसी कारण सभी न्यूज़ चैनल और सभी नेता चाहे वो विपक्ष हो या सत्ता पक्ष सभी ऐसी के बारे में बाद कर रहे हैं। यह डील उस मीडियम मल्टी रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट कार्यक्रम का हिस्सा हैं, जिसे रक्षा मंत्रालय की और से भारतीय वायु सेना लाइट कबत एयरक्राफ्ट और सुखोई के बिच मौजूद अंतर को खत्म करने के मकसद से शुरू किया गया था। मिडीया खबरो के अनुसार एमएमआरसी के कॉम्पिटिशन में अमेरिका के बोईंग एफ/ए -18 ई /एफ़ सुपर होर्नेट , फ्रांस का डसाल्ट राफेल , ब्रिटेन का यूरोफाइटर , अमेरिका का लॉकहीड मार्टिन ऍफ़ – 16 फाल्कन , रूस का मिखोयान मिग – 35 और स्वीडन के साब जैसे 39 ग्रिपेन जैसे एयरक्राफ्ट शामिल थे। 6 रायफल जेटस के बीच राफेल को चयन गया और इसे इसलिए चुना गया क्योकि रफील की कीमत बाकि सभी विमानो की तुलना में सबसे काम थी। इसके साथ ही इसका रख रखो ही बहुत ही सस्ता हैं।

?राफेल समझौता का इतिहास :- भारतीय वायु सेना ने कई विमानों के लिए तकनिकी प्रशिक्षण और मूल्याङ्कन के लिए और साल 2011 में यह घोषणा की की राफेल और यूरोफाइटर टाइफून उसके मानदंड पर खरे उतरे हैं। साल 2012 में राफेल को एल -1 बीडर घोषित किया गया और इसके मनुफैकचरर डसॉल्ट एविएशन के साथ कॉन्ट्रैक्ट पर बातचीत शुरू हुई। लेकिन आरएफपी अनुपालन और लागत सम्भंदि कई मसलो की वजह से साल 2014 तक यह बातचीत अधूरी रह गयी। यूपीए सरकार के दौरान इस पर समझौता नहीं नहीं हो पाया। क्योकि खासकर टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के मामले में दोनों पक्षो में गतिरोद बन गया था। दसॉल्ट एविएशन भारत में बनने वाले 108 विमानों की गुणवत्ता की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं थी। दसॉल्ट का कहना था की भारत में विमानों के उत्पादन के लिए 3 करोड़ मानव घंटो की जरुरत होगी। लेकिन एचएएल ने इसके 3 गुना ज्यादा मानव घंटो की जरुरत बतायी। जिसके कारण लगत कई गुना ज्यादा बाद जाना था। साल 2014 में जब श्री नरेंद्र मोदी सरकार बानी तो उसने इस दिशा में फिर से प्रयास शुरू किये। प्रधानमंत्री की फ्रांस यात्रा के दौरान साल 2015 में भारत और फ्रांस के बिच इस विमान की खरीद के लिए समझौता हुआ। इस समझौते में भारत ने जल्द से जल्द 36 राफेल विमान फ्लाई-अवे यानि उड़ान के लिए तैयार विमान हासिल करने की बात कही। समझौते के अनुसार दोनों देश विमानों की आपूर्ति की शर्तो के लिए एक अंतर सरकारी समझौता करने को तैयार हो गए। समझौते के अनुसार विमानों की आपूर्ति भारतीय वायु सेना क जरुरत के मुताबित उसके द्वारा तय सिमा के भीतर की जाएगी। और विमान के साथ जुड़े तमाम सिस्टम और हथियार की आपूर्ति भी वायुसेना द्वारा तय मानकों के अनुरूप होनी हैं। इसमें कहा गया की लम्बे समय तक विमान के रखरखाव की जिम्मेदारी फ्रांस की होगी। सुरक्षा मामलो की कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद दोनों देशो के बिच 2016 में आईजीए हुआ। समझौते पर दस्तख़त होने के करीब 18 महीने के भीतर विमानों की आपूर्ति शुरू करने की बात कही गयी। यानि 18 महीने के बाद भारत में फ्रांस की तरफ से पहला राफेल लड़ाकू विमान दिया जाएगा।

?राफेल की कीमत :-  राफेल की कीमत संबंधी दोनों ही सरकार के द्वारा कई दावे और प्रतिदावे किये गए हैं। एनडीए सरकार ने दावा किया हैं की यह सौदा उसने यूपीए से ज्यादा बेहतर कीमत में किया हैं। और करीब 12600 करोड़ रुपये बचाये हैं। लेकिन 36 विमानों के लिए हुए सौदे की लागत का पूरा विवरण सार्वजानिक नहीं किया गया हैं। सरकार का दावा हैं की पहले भी टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की कोई बात नहीं थी। सिर्फ मैनुफेक्चरिंग टेक्नोलॉजी का लाइसेंस देने की बात थी। लेकिन मौजूद समझौते में ” मेक इन इंडिया ” पहल किया गया हैं। फ्रांसीसी कंपनी भारत में मेक इन इंडिया को बढ़ावा देगी। लेकिन मीडिया में आयी तमाम खबरों में यह दावा किया गया हैं की यह पूरा सौदा 7.8 अरब यानि 58000 करोड़ रुपये का हुआ हैं और इसकी 15 फीसदी लागत एडवांस में दी जा रही हैं। भारत को इसके साथ स्पेयर पार्ट्स हुए मोर्टार मिसाइल जैसे हथियार भी मिलेंगे। जिन्हे की काफी उन्नत माना जाता हैं। बताया जाता हैं की यह मिसाइल 100 किलोमीटर दूर स्थित दुश्मन के विमान को भी मार गिरा सकती हैं। अभी चीन या पाकिस्तान किसी के भी पास उन्नत विमान सिस्टम नहीं हैं। विपक्ष सवाल उठा रहा हैं की अगर सरकार ने हजारो करोड़ रुपये बचा किये हैं तो उन आकड़ो को सार्वजनिक करने में क्या दिक्क़त हैं। कांग्रेस के नेताओ का कहना हैं की यूपीए सरकार ने 126 विमानों के लिए 54000 करोड़ रुपये दे रही थी। जबकि एनडीए सरकार सिर्फ 36 विमानों के लिए 58000 करोड़ दे रही हैं। कांग्रेस का आरोप हैं की एक विमान की कीमत 1555 करोड़ रुपये हैं , जबकि कांग्रेस 428 करोड़ में खरीद रही थी। कांग्रेस का कहना हैं की एनडीए सरकार के सौदे में मेक इन इंडिया का कोई प्रावधान नहीं हैं। और विरोधियो का कहना हैं की सौदे में इतनी हड़बड़ी क्यों की गयी। विरोधियो का कहना हैं की यूपीए सरकार 18 बिलकुल तैयार विमान खरीदने वाली थी और बाकि 108 विमानों का भारत में असेम्बलिंग की जानी थी। इसके अलावा इस सौदे में ट्रांसफर ऑफ़ टेक्नोलॉजी की बात कही गयी थी। तो इस सौदे को करने की एनडीए सरकार को इतनी हड़बड़ी क्यों थी।

?राफेल विमान की खासियत :- राफेल विमान ही भारतीय वायु सेना ने क्यों चुना इसके पीछे भी बहुत ही खास बात हैं। राफेल की ऐसी बहुत साडी खासियत हैं जिसके कारण इसे चुना गया। राफेल की कुछ खास बाटे निम्नानुसार हैं –

  • राफेल एक मिनट में 60 हजार फुट की ऊंचाई तक जा सकता हैं।
  • अधिकतम भार उठा कर इसके उड़ने की क्षमता 24500 किलोग्राम हैं।
  • विमान में फ्यूल क्षमता 17000 किलोग्राम हैं।
  • यह दो इंजन वाला लड़ाकू विमान हैं ,जो भारतीय सेना की पहली पसंद हैं।
  • 24500 किलो उठाकर यह अतिरिक्त 60 घंटे उड़ान कर सकता हैं।
  • 150 किलोमीटर की बियोंड विजुअल रेंज मिसाइल ,हवा से जमींन पर मार वाली स्कैल्प मिसाइल।
  • स्कैल्प मिसाइल की रेंज 300 किलोमीटर , हथियारों के स्टोरेज के लिए 6 महीने की गारंटी।
  • राफेल की अधिकतम स्पीड 2130 किलोमीटर / घंटा और 3700 किलोमीटर क्षमता।
  • 1 मिनट में 60000 फुट की ऊंचाई और 4.5 जेनेरशन के ट्विन इंजन से लैस।

   राफेल की इन्ही सब खासियत के कारण यह भारतीय वायु सेना की पहली पसंद हैं। और यह देश की सुरक्षा में अहम् वैल्यू रखता है। इसी कारण राफेल विमान का मुद्दा इतना तूल पकड़ रहा है। क्योकि इस विमान के सौदे से भारत की सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान रहेगा।

हिंदुस्तान एयरक्राफ्टिंग लिमिटेड का मामला :- राफेल विमान सौदे एक और नाम सामने आता हैं ,वह हैं हिंदुस्तान एयरक्राफ्टिंग लिमिटेड कंपनी का। सौदे के आलोचकों का कहना हैं की यूपीए के सौदे में विमानों के भारत में एसेम्ब्लिंग में सार्वजनिक कंपनी हिंदुस्तान एयरक्राफ्टिंग लिमिटेड को शामिल किया गया था। भारत में यही एक कंपनी हैं , जो सैन्य विमान बनती हैं। लेकिन एनडीए में एचएएल को बहार कर इस काम को एक निजी कंपनी को सोपने की बात कही गयी हैं। कांग्रेस का आरोप हैं की सौदे से एचएएल को 25000 करोड़ रूपये का घटा हुआ हैं। पर इसका अभी तक कोई भी आधिकारिक पुस्टि नहीं हुए हैं। अब ये मामल तभी सामने आयेगा की कोन सही हैं कौन गलत है जब कोई आधिकारिक पोस्ट जारी की जाए। हिंदुस्तान एयरक्राफ्टिंग लिमिटेड कंपनी को आगे इस सौदे में साथ लेना चाहिए। क्योकि हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट लिमिटेड भारत का एक सार्वजनिक प्रतिष्ठान हैं। जो हवाई संयंत्र निर्माण करता है। हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट लिमिटेड अपनी गुनवत्ता के कारण ही तो ज्यादा जनि जाती हैं। ऐसे में देश की सुरक्षा की दृस्टि से सबसे ट्रस्टेड कंपनी इसके अलावा कोई भी नहीं हो सकती हैं।

तो दोस्तों यह पूरी जानकारी हैं राफेल विमान सौदे की। अब और जैसे जैसे इसके बारे में कुछ जानकारी अपडेट होगी वैसे वैसे में आपको भी पोस्ट के माध्यम से अपडेट करता रहूँगा। इसके बारे में आप और अधिक जानकारी चाहते हैं तो आप हमसे जुड़े रहिये।

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shubham yadav

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