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Sectors of Indian Economy (in Hindi&English) by Vivek Sir
Definition
A division of a country’s population based upon the economic area in which that population is employed. Many economists recognize the following five economic sectors; the primary sector which includes agriculture, mining and other natural resource industries; the secondary sector covering manufacturing, engineering and construction; a tertiary sector for the service industries, the quaternary sector for intellectual activities involving education and research and the quinary sector reserved for high level decision makers in government and industry.
One classical breakdown of economic activity distinguishes three sectors
- Primary: involves the retrieval and production of raw materials, such as corn, coal, wood and iron. (A coal miner, farmer or fisherman would be workers in the primary sector.)
- Secondary: involves the transformation of raw or intermediate materials into goods e.g. manufacturing steel into cars, or textiles into clothing. (A builder and a dressmaker would be workers in the secondary sector.)
- Tertiary: involves the supplying of services to consumers and businesses, such as baby-sitting, cinema and banking. (A shopkeeper and an accountant would be workers in the tertiary sector.)
In the 20th century, economists began to suggest that traditional tertiary services could be further distinguished from “quaternary” and quinary service sectors. Economic activity in the hypothetical quaternary sector comprises information- and knowledge-based services, while quinary services include industry related to human services and hospitality
भारत की अर्थव्यवस्था : एक झलक (Indian Economy: An Overview)
Sectors of Indian Economy-भारत की अर्थव्यवस्था सकल घरेलू उत्पाद(जीडीपी) के आधार पर विश्व की सातवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है |
क्रयशक्ति समता (पीपीपी) के आधार पर विश्व में तीसरे स्थान पर है |
भारत G-20 अर्थव्यवस्थाओं और ब्रिक्स समूह देशों का सदस्य है |
जीडीपी में महाराष्ट्र की 12 प्रतिशत हिस्सेदारी है। जिसके कारण महाराष्ट्र देश का सर्वाधिक धनी राज्य है |
अंगस मैडीसन के अनुसार, भारत 17वीं सदी तक दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था।
मिश्रित अर्थव्यवस्था (Mixed Economy)
भारत की अर्थव्यवस्था में सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र दोनों हैं | भारतीय अर्थव्यवस्था को मिश्रित अर्थव्यवस्था (Mixed Economy) कहा जाता है | मिश्रित अर्थव्यवस्था पूँजीवाद और समाजवाद का मिश्रण होती है।
मिश्रित अर्थव्यवस्था होने के कारण सरकारी और गैर-सरकारी कम्पनियाँ दोनों मिलकर भारतीय अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करते हैं ।
मिश्रित अर्थव्यवस्था में आर्थिक गतिविधियों की स्वतंत्रता होती है | लेकिन समाज के हितों की रक्षा के लिए सरकार हस्तक्षेप भी करती है |
भारत में मिश्रित अर्थव्यवस्था है | लेकिन विकसित देश जैसे- इंग्लैंड और अमेरिका “मिश्रित पूँजीवाद अर्थव्यवस्था” को निरुपित करते हैं।
अर्थव्यवस्था के प्रकार (Types of Economy)-
बंद अर्थव्यवस्था (Close Economy)- देश का विश्व के अन्य देशों के साथ किसी भी प्रकार व्यापार नहीं होता है |
खुली अर्थव्यवस्था (Open Economy)- नियंत्रण मुक्त अर्थव्यवस्था, बाजार में प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहन, इस समय अधिकांश देशों में मुक्त अर्थव्यवस्था है।
विकसित अर्थव्यवस्था (Developed Economy)- यह अर्थव्यवस्था उच्च स्तर की आर्थिक गतिविधियों को दर्शाती है | जैसे उदाहरण के रूप में यूरोप जैसे देशों की उच्च प्रतिव्यक्ति आय, निम्न बेरोजगारी स्तर, उद्योगों का वर्चस्व, शिक्षा के अच्छे साधन उदहारण के लिए यू.एस.ए. जापान, फ़्रांस, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया एवं पश्चिमी यूरोप के देश ।
विकासशील अर्थव्यवस्था (Developing Economy)-
वह अर्थव्यवस्था जो विकास की गति पकडे हो, वर्त्तमान अधिकांश देश विकासशील अर्थव्यवस्था को प्रकट करते हैं । उदाहरण के लिए भारत, चीन, ब्राजील आदि
अर्थव्यवस्था के क्षेत्र-
प्राथमिक क्षेत्र / कृषि (Primary Sector)- यह क्षेत्र कृषि से सम्बंधित है और इसमें मुर्गी पालन, पशु पालन, दुग्ध उत्पादन, वानिकी आदि शामिल हैं |
भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का अतिमहत्वपूर्ण योगदान है क्योंकि भारत की 52% श्रमशक्ति कृषि में कार्यरत है
द्वितीयक क्षेत्र / विनिर्माण (Secondary Sector)-
इसे औद्योगिक क्षेत्र भी कहा जाता है। इसमें दीर्घ स्तर, लघु स्तर और सूक्ष्म स्तर तीनों शामिल हैं |
लघु और सूक्ष्म स्तर में कपड़े, मोमबत्ती, मुर्गी पालन, माचिस, हैंडलूम हैं।
यह काफी संख्या में रोजगार उत्पन्न करता है | दीर्घ स्तर के उद्योगों स्टील, भारी मशीनरीं, रसायन, फर्टिलाइजर, जहाज जैसे उद्योग शामिल हैं |
तृतीयक क्षेत्र / सेवा क्षेत्र (Secondary Sector)-
इसमें सेवा देने वाले क्षेत्र जैसे यातायात, संचार व्यवस्था, बैंकिंग, बीमा, व्यापार और वाणिज्य शामिल हैं |
इसमें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के साथ व्यवसायिक सेवायें जैसे- डाक्टर, इंजीनियर, शिक्षक, वकील भी सामिल है |
भारत एक विकासशील देश है और इसके सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में तृतीयक क्षेत्र की सबसे अधिक हिस्सेदारी है |
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