समाजशास्‍त्र / Sociology

एक-विमा या एक विस्तार वाले चित्र | एक विमा या एक विस्तार वाले चित्रों के प्रकार

एक-विमा या एक विस्तार वाले चित्र
एक-विमा या एक विस्तार वाले चित्र

एक-विमा या एक विस्तार वाले चित्र से आप क्या समझते हैं ?

एक-विमा या एक विस्तार वाले चित्र (One Dimensional Diagrams in Hindi)– इन चित्रों की रचना उस समय की जाती है जब केवल एक गुण की तुलना करनी होती है और पदमाला विछिन्न होती है। इस प्रकार के चित्रों में केवल चित्रों की लम्बाई में ही पदों के मूल्य को | प्रदर्शित किया जाता है। सामान्यतः मोटाई एक ही तरह की होती है तथा पदों के मूल्य से उसका कोई विशेष सम्बन्ध नहीं होता है।

इसी भी पढ़ें…

एक विमा या एक विस्तार वाले चित्रों के प्रकार (Kinds of One Dimensional Diagrams)

ये निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं-

(1) रेखाचित्र (Line Diagrams)

इन रेखाओं की रचना विभिन्न पदों के मूल्यों के – अनुसार की जाती है। रेखाचित्रों की रचना उस समय की जाती है जब सम्बन्धित पद मूल्यों की संख्या अधिकतम एवं न्यूनतम व अधिकतम मूल्यों का अनुपात कम हो। इन रेखाओं में पदों का तुलनात्मक अध्ययन केवल लम्बाई द्वारा किया जाता है क्योंकि इनमें मोटाई नहीं होती है। इनमें दो रेखाओं के बीच समान अन्तर होना चाहिए। इस चित्र के पास पैमाना दिया जाना आवश्यक है क्योंकि ये रेखाएँ उदग्र या क्षैतिज किसी प्रकार की हो सकती हैं।

इस प्रकार के रेखाचित्रों का सबसे बड़ा दोष यह है कि मोटाई न होने के कारण रेखाएँ आकर्षक नहीं लगती हैं।

(2) दण्ड-चित्र (Bar Diagrams)

दण्ड चित्र की रचना उस समय की जाती है जब अविछिन्न श्रेणी में व्यवस्थित आँकडों के केवल एक ही गुण का तुलनात्मक अध्ययन करना होता है। इनमें पद मूल्यों के साथ लम्बाई में दण्ड बनाये जाते हैं, जिनकी मोटाई समान होती है। मोटाई तथा दण्डों के मध्य सुविधानुसार स्थान लिये जाते हैं। ये चित्र व्यक्तिगत मूल्यों, काल श्रेणी एवं भौगोलिक श्रेणी आदि से सम्बन्धित आंकड़ों को प्रस्तुत करते हैं। इनका पद-मूल्यों से कोई विशेष सम्बन्ध नहीं होता है। ये विभिन्न प्रकार के होते हैं-

(i) सरल दण्ड चित्र (Simple Bar Diagrams)

 ये निम्नलिखित दो प्रकार के होते है-

(a) उदग्र दण्ड (Vertical Bars)- सीधे व खड़े बनाये गये दण्ड उदग्र दण्ड कहलाते हैं। इन दण्डों को बनाते समय इस बात का पूर्ण प्रयत्न किया जाना चाहिए कि सबसे ऊँचा दण्ड बाएं और ऊँचाई के क्रम में अन्य दण्ड बनाते हुए सबसे छोटा दण्ड दायें बनाना चाहिए। जब समंक समय या किसी अन्य महत्वपूर्ण क्रम में दिये हों तब छोटे या बड़े का विचार किये बिना दण्ड उसी क्रम में बनाए रखने चाहिए। इस स्थिति में इनका क्रम विपरीत भी हो सकता है। इसे बनाते समय पैमाने का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

(b) क्षैतिज दण्ड (Horizontal Bars) – सीधे अर्थात् लेटी हुई दशा में बनाए गये दण्ड क्षैतिज दण्ड कहलाते हैं। इन दण्डों को बनाते समय भी सबसे ऊपर बड़ा दण्ड और उससे छोटा दण्ड उसके नीचे और दण्डों को इसी क्रम में बनाते हुए सबसे छोटा दण्ड सबसे नीचे बनाया जाना चाहिए। लेकिन समंक समय या किसी अन्य महत्वपूर्ण क्रम में दिये होने की स्थिति में दण्ड उसी क्रम में बनाने चाहिए।

(ii) द्विदिशा दण्ड चित्र (Dialateral or Dua-directional Bar Diagrams)

 इस चित्र को उस समय बनाया जाता है, जब दो विपरीत गुण वाले तथ्यों का प्रदर्शन किया जाता है। ये दण्ड आधार रेखा के दायें व बाएं बनाये जाते हैं। ये प्रत्येक स्थिति में शून्य रेखा को बीच में मानते हैं। इस प्रकार इन दण्डों को आधार रेखा के दोनों ओर दिखाया जाता है।

ये दण्ड चित्र दो विरोधी गुणों वाले तथ्यों को प्रदर्शित करने व उनकी तुलना करने में सहायक होते हैं। इस प्रकार ये दण्ड सुविधाजनक होते हैं।

(iii) अन्तर्विभक्त दण्ड चित्र (Sub-divided Bar Diagrams)

 इन दण्ड चित्रों का प्रयोग उस समय किया जाता है, जब एक ही राशि अनेक भागों में विभाजित [कानपुर 2008 ]] हो तो कुल राशि तथा उनके विभिन्न भागों को इन दण्डों द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है। ये दण्ड अंश कुल परिणाम के साथ अपना अनुपात प्रकट करते हैं और एक दूसरे के साथ तुलनीय होते है। इन दण्डों के द्वारा राशियों की तुलना तो होती ही है साथ ही साथ उनके विभिन्न अंगों की तुलना भी हो जाती है। इनके विभिन्न अंगों को विभिन्न चिन्हों या विभिन्न रंगों द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। इन्हें बनाते समय पैमाने का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

(iv) प्रतिशत अन्तर्विभक्त दण्ड-चित्र (Percentage Sub-divided Bar Diagrams)

 इन दण्डों में पूर्ण मूल्य को 100 मानकर उसके विभिन्न भागों को प्रतिशत में प्रकट किया जाता है। इसमें सभी दण्ड 100 के बराबर होते हैं, जिनके कारण प्रत्येक दण्ड की लम्बाई व चौड़ाई बराबर होती है। केवल इसके अन्तर्विभाजन में प्रतिशत की भिन्नता के अनुसार अन्तर होता है। सामान्यतः ये चित्र आधार के एक ओर ही बनाये जाते हैं। लेकिन विपरीत सूचनाएँ दी हुई होने की स्थिति में इन्हें आधार के दोनों ओर भी बनाया जा सकता है। इन्हें पैमाने के आधार पर ही बनाया जाना चाहिए। ये दण्ड-चित्र अंशों की तुलना में सहायक होते है।

(v) मिश्रित दण्ड-चित्र (Compound or Multiple Bar Diagrams)

जब समंकों के विभिन्न गुणों का तुलनात्मक चित्रण करना होता है तो इन दण्डों को पैमाने के आधार पर एक-दूसरे के साथ सटाकर बनाया जाता है। इन्हें समानता के अनुसार विभिन्न चिन्हों या रंगों द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है।

ये दण्ड चित्र निम्नलिखित कई प्रकार के हो सकते हैं –

(a) युगल दण्ड-चित्र (Double Bar Diagrams ) (b) त्रिदण्ड चित्र (Treble Bar Diagrams) (c) बहु-दण्ड चित्र (Multiple Bar Diagrams)

(vi) स्तूप-चित्र (Pyramid Diagram)

 इस चित्र की आकृति स्तूप जैसी होने के कारण इसे स्तूप चित्र कहते हैं। इस चित्र का प्रयोग अधिकांशतः विभिन्न आयु के वर्गों के स्त्री पुरुषों की संख्या को प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है। इसमें आधार रेखा को बीच में उदग्र रूप में मानते हैं और उसके दोनों ओर क्षैतिज दण्ड की रचना एक-दूसरे से सटाकर की जाती है। इस चित्र के माध्यम से एक संख्या व शिक्षा सम्बन्धी आँकड़ों को आसानी से दिखाया जा सकता है। ये देखने में आकर्षक होते हैं। इनमें पैमाने को आधार मानना आवश्यक होता है।

(vii) विचलन दण्ड-चित्र (Deviation Bar Diagrams)

इन दण्ड चित्रों की रचना उस समय की जाती है, जब रचना, स्थान या समय के कारण समंकों में होने वाले परिवर्तन को प्रदर्शित करना होता है। इन चित्रों में मुख्य राशियों के शुद्ध विचलन को प्रदर्शित किया जाता है। इस चित्र के माध्यम से यह प्रदर्शित किया जाता है कि विचलन किस दिशा में व कितना है अर्थात् विचलन व उसकी दिशाओं का ज्ञान होता है। इन चित्रों को बनाते समय भी पैमाने को विशेष ध्यान में रखना चाहिए।

(viii) सरकन दण्ड चित्र ( Sliding Bar Diagrams )

ये दण्ड चित्र द्विदिशा दण्ड चित्र से मिलते-जुलते हुए होते हैं। इन्हें भी द्विदिशा दण्ड चित्रों की भाँति ही बनाया जा सकता है, अन्तर केवल इतना है कि द्विदिशा दण्ड-चित्रों की लम्बाई मूल्यों को प्रदर्शित करती है और इसीलिए सभी दण्डों की लम्बाइयाँ भिन्न-भिन्न होती हैं। इन दण्ड मूल्यों को 100 मानकर बनाया जाता है। जिसके कारण उनकी लम्बाई तो समान होती है किन्तु उनके विभागों की लम्बाई में भिन्नता पायी जाती है। इस प्रकार के दण्ड चित्रों को वहीं पर बनाया जाता है जहाँ पर मूल्य दो भागों में दिये हों और दोनों को प्रदर्शित किया जाना हो ।

इसी भी पढ़ें…

About the author

shubham yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

Leave a Comment