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केन्द्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी संस्थान | शिक्षक शिक्षा हेतु CIET (दिल्ली) का योगदान

केन्द्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी संस्थान
केन्द्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी संस्थान

केन्द्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी संस्थान (Central Institute of Educational Technology – CIET)

भारत में ही नहीं, अपितु सम्पूर्ण संसार में शिक्षण को एक उदात्त व्यवसाय माना गया है। मानव इतिहास की श्रेष्ठतम विभूतियों ने इस व्यवसाय को अपनाया है। कोई भी युग हो, समस्त धार्मिक नेताओं और समाज सुधारकों ने इस व्यवस्था को अंगीकार करके इसके गौरव में अभिवृद्धि की है। इन लोगों ने शिक्षा के कार्य में विलीन होकर, स्वयं अपने व्यक्तित्व की गहराइयों में लोकोत्तर शक्तियाँ खोज निकाल

सभी शिक्षक जन्मजात नहीं होते हैं। अतः शिक्षण कला में दक्षता हेतु व्यावसायिक शिक्षा आवश्यक है। शिक्षा आयोग (1964) ने लिखा है- “अन्य प्रभावों की अनुपस्थिति में शिक्षक उसी प्रकार पढ़ाने का प्रयास करता है, जिस प्रकार उसे उससे प्रिय शिक्षकों द्वारा पढ़ाया गया था। इस प्रकार वह शिक्षण की परम्परागत विधियों को जारी रखता है। आधुनिक परिस्थिति में जबकि शिक्षण की नवीन एवं प्रगतिशील विधियों की आवश्यकता है, शिक्षक का ऐसा दृष्टिकोण शिक्षा की प्रगति के लिए बाधा उपस्थित करता है। इसे केवल प्रभावपूर्ण व्यावसायिक शिक्षा द्वारा संशोधित किया जा सकता है, जो शिक्षकों को शिक्षण में वांछित क्रांति से अवगत करायेगी और उनकी भावी व्यावसायिक उन्नति का शिलान्यास करेगी। इस प्रकार उत्तम शिक्षक प्रशिक्षण संस्थायें शिक्षा के विकास में महत्त्वपूर्ण योग दे सकती हैं।”

शिक्षकों की व्यावसायिक शिक्षा का एक सुदृढ़ कार्यक्रम शिक्षा के गुणात्मक सुधार के लिए आवश्यक है। शिक्षक-शिक्षा में लगाया गया धन बहुत अधिक लाभांश दे सकता है, क्योंकि उसके परिणामस्वरूप लाखों छात्रों की शिक्षा में जितना सुधार होगा उसकी तुलना में आर्थिक व्यय बहुत कम है। शिक्षकों की व्यावसायिक शिक्षा के अभाव में कोई भी शैक्षिक कार्यक्रम सफल नहीं हो सकेगा। अतः शैक्षिक सुधार कार्यक्रमों में शैक्षिक शिक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

शिक्षक शिक्षा हेतु CIET (दिल्ली) का योगदान [Contribution of CIET (Delhi) for Teacher Education]

समग्र शिक्षा ‘सम्पूर्ण मनुष्य के लिए शिक्षा’ है। इसमें सीखना अनुभव से शुरू होता है जो बाद में काफी विस्तृत प्रक्रिया के रूप में विकसित होकर प्रत्येक शिक्षार्थी की क्षमता में विकास को आधार देता है। संज्ञानात्मक प्रभाव क्षेत्रों के गुणों और क्षमताओं का अधिकतम विकास और व्यक्ति के अन्तःकरण और आत्मा की गहरी और सूक्ष्मतर स्व-खोज भी शिक्षक-शिक्षा द्वारा होती है। ऐसा स्वयं की जानकारी बढ़ाने की प्रक्रिया के द्वारा सम्भव हो पाता है। इसके अनुसार शिक्षा को निर्माण की प्रक्रिया के रूप में देखा जाता है और इसमें सीखने वालों की विलक्षणता का आदर किया जाता है तथा व्यक्ति के बाह्य व अन्तरतम विकास हेतु उसे स्वयं का प्रगतिशील सन्तुलन बनाये रखने हेतु भी प्रेरित किया जाता है।

CIET जिसका पूरा नाम सेण्ट्रल इन्स्टीट्यूट ऑफ एजूकेशनल टेक्नोलॉजी (Central Institute of Educational Technology) है, की स्थापना NCERT के अधीन सन् 1984 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा की गई थी। यह संस्थान नई दिल्ली NCERT में NIE के कैम्पस में संचालित है।

इस संस्थान की उत्पत्ति NCERT के दो विभागों के सम्मिलित प्रयासों से हुई थी- शैक्षिक तकनीकी विभाग (Centre for Educational Technology) तथा शिक्षण संसाधन विभाग (Department of Teaching Aids), जिसका उद्देश्य विद्यालय स्तर पर नये युग की तकनीकियों को सभी तक पहुँचाना था। इस संस्थान की गतिविधियाँ मीडिया की इन शाखाओं तक केन्द्रित रहती हैं; जैसे- रेडियो, दूरदर्शन, मूवी, सैटेलाइट सम्प्रेषण और साइबर मीडिया। CIET कई प्रकार की गतिविधियों, जैसे- वैकल्पिक अधिगम प्रणाली के विकास व प्रसार, शैक्षिक तकनीकी में व्यक्तियों के प्रशिक्षण तथा इसके उप-विभागों द्वारा गतिविधियों के समन्वय में लिप्त रहता है जिसके लिए शैक्षिक तकनीकी के राज्य संस्थान (SIETs) भी इसकी मदद करते हैं तथा NCERT के अन्य विभागों से परामर्श व सहायता लेते रहते हैं।

केन्द्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी संस्थान (CIET) के उद्देश्य (Aims of Central Institute of Educational Technology)

केन्द्रीय शैक्षिक प्रशिक्षण संस्थान (दिल्ली) के निम्नलिखित उद्देश्य हैं-

(1) शिक्षा के उच्चतर अध्ययन संस्थानों / कॉलेजों (IASE) में शिक्षक-शिक्षा कार्यक्रमों हेतु शिक्षा तकनीकी के प्रयोग का प्रशिक्षण देना ।

(2) शिक्षा में सूचना व सम्प्रेषण तकनीकी के प्रयोग हेतु योजनाएँ बनाना।

(3) मीडिया सॉफ्टवेयर सामग्री, जैसे- टेलीविजन व रेडियो द्वारा प्रसारण को डिजाइन करना व साथ-ही-साथ अप्रसारित (Non-broad casting) सामग्री, जैसे- फिल्म, ग्राफिक्स व अन्य पाठ्यचर्या व सह-पाठ्यचर्या सम्बन्धी गतिविधियों को विद्यालय स्तर हेतु तैयार करना ।

(4) उपर्युक्त सॉफ्टवेयर सामग्री के प्रयोग व विकास में दक्षतायें (Competencies) प्राप्त करना, जिसके लिए निम्न बातों हेतु प्रशिक्षित किया जाता है, जैसे- स्क्रिप्ट का विकास, मीडिया उत्पादन, मीडिया सम्प्रेषण, मीडिया अनुसंधान, तकनीकी अभियोग्यताएँ, स्टूडियो लगाना व उपकरणों की मरम्मत व संरक्षण करना आदि ।

(5) शिक्षण अधिगम सामग्री में सुधार व उनकी प्रभाविता को बनाने हेतु अनुसंधान, मूल्यांकन व तन्त्रों की मॉनीटरिंग करना आदि।

शिक्षक शिक्षा हेतु CIET द्वारा शिक्षक व प्रशिक्षु शिक्षकों हेतु नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं जिन्हें प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष माध्यम, जैसे- एजूसेट के माध्यम से भी प्रसारित किया जाता है। कुछ विषयों, जैसे- मीडया स्क्रिप्ट की डिजाइन, टी. वी., रेडियो और मल्टीमीडिया कार्यक्रमों के उत्पादन, एडीटिंग (Editing) व सम्प्रेषण हेतु प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार किये जाते हैं।

प्रशिक्षण के दूसरे क्षेत्र के अन्तर्गत कम्प्यूटर ग्राफिक्स का डिजाइन तैयार करना, कठपुतलियाँ व ऐसे ही कम लागत वाले शिक्षण अधिगम सामग्री का निर्माण करना आदि आते है। इसके अतिरिक्त वेब 2.0 (Web 2.0) उपकरण, विकी शिक्षक (Wiki Educator) व दूसरे वेब एप्लीकेशन्स भी उपलब्ध रहते हैं।

इसका MRDD (Media Resources Dissimination Division) विभाग प्रचार-प्रसार मेले में सहभागिता व प्रदर्शनियों तथा सभाओं व सम्मेलनों के आयोजन कराता है ताकि पूरे पर ध्यान देता है और CIET में निर्मित ऑडियो व वीडियो शिक्षण सामग्री की बिक्री, पुस्तक,राष्ट्र में सूचना का प्रसार हो सके तथा तकनीकी सुविधाओं को अद्यतन (Updated) बनाया जा सके।

इसके लिए CIET में एजूसेट नेटवर्क (Edusat Network) की भी सुविधा है जिसके माध्यम से पहले शैक्षिक भारतीय सैटेलाइट का प्रक्षेपण किया गया जिसके द्वारा आज लगभग 100 टर्मिनलों के माध्यम से भारत की विभिन्न जगहों पर रेडियो, दूरदर्शन प्रसारण, इण्टरैक्टिव रेडियो व दूरदर्शन के माध्यम से आँकड़ों का आदान-प्रदान होता है तथा ऑडियो व वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा दी जाती है।

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shubham yadav

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