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क्यारी विधि से सिंचाई
क्यारी विधि से निम्नलिखित फसलों में सिंचाई की जाती है। जैसे—गेहूँ, मक्का, टमाटर, प्याज, बैंगन, मिर्च, फूलगोभी आदि।
क्यारी विधि से सिंचाई के लाभ एवं हानियाँ
लाभ- (1) सिंचाई जल का उचित उपयोग होता है।
(2) फसल को उसकी आवश्यकतानुसार पानी मिलता है।
(3) सारे खेत में एक-सा पानी फैल जाता है।
(4) निकाई-गुड़ाई शीघ्र तथा सरलता से हो जाती है।
(5) कम पानी से अधिक क्षेत्रफल की सिंचाई सम्भव हो सकती है।
(6) असमतल खेतों में सिंचाई हो जाती है।
(7) कम पानी चाहने वाली फसलों के लिए अच्छा ढंग है।
हानियाँ-(1) क्यारियाँ तथा मेंड़ बनाने में अधिक श्रम तथा अधिक खर्च करना पड़ता है।
(2) अधिक मेड़ों के कारण खेत का शुद्ध बोया जाने वाला क्षेत्रफल कम हो जाता है।
(3) क्यारियों तथा मेड़ों की हर सिंचाई पर देखभाल तथा मरम्मत करनी पड़ती है।
(4) पानी लगाने में असुविधा रहती है।
(5) अधिक पानी चाहने वाली फसलों के लिए अच्छा ढंग नहीं है।
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