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चैक की परिभाषा
बैंक में जो भी रुपया जमा किया जाता है, उसमें से रुपया निकालने का साधन चैक होता है। चैक को हिन्दी में ‘धनादेश’ कहते हैं। बैंक द्वारा जमाकर्त्ताओं को चैक बुक दे दी जाती है जिसमें 10, 25, 100 अथवा इससे अधिक चैक हो सकते हैं। चैक पर एक लिखित आदेश होता है, जिसे उसी बैंक पर लिखा जाता है जिसमें ग्राहक का रुपया जमा है।
साधारण शब्दों में- “चैक लेखक के हस्ताक्षरयुक्त एक शर्त रहित लिखित, आज्ञा-पत्र है जिसमें बैंक विशेष को यह आज्ञा दी जाती है कि उसमें लिखित व्यक्ति को या उसके आदेशानुसार किसी अन्य व्यक्ति को या धारक को माँगने पर एक निश्चित धनराशि का भुगतान करे।”
चैक के लक्षण
चैक के निम्नलिखित लक्षण होते हैं-
(1) यह शर्त रहित होता है। (2) यह लिखित होता है। (3) यह आज्ञा पत्र होता है। (4) यह आज्ञा किसी विशेष बैंक पर लिखी जाती है।. (5) इस पर लेखक के हस्ताक्षर होते हैं। (6) इसका भुगतान माँगने पर होता है। (7) भुगतान पाने वाले के नाम का होता है। (8) इसमें निश्चित धनराशि का उल्लेख होता है।
चैक के पक्ष
चैक के निम्नलिखित मुख्य तीन पक्ष होते हैं-
(अ) लिखने वाला (Drawer) – यह वह व्यक्ति होता है जिसका रुपया बैंक में जमा होता है।
(ब) बैक (Drawee)- जिस पर चैक लिखा जाता है।
(स) आदाता (Payee)- जिस व्यक्ति को चैक का भुगतान प्राप्त होता है।
चैक के प्रकार
चैक मुख्यतः निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं-
(1) वाहक चैक (Bearer Cheque) – यह वह चैक है जिसका भुगतान उसमें लिखित व्यक्ति या वाहक अर्थात् बैंक की खिड़की पर प्रस्तुत करने वाले व्यक्ति को कर दिया जाता है। ऐसे चैक का हस्तान्तरण केवल सुपुर्दगी मात्र से ही हो जाता है, चैक का पृष्ठांकन (Endorsement) करने की आवश्यकता नहीं होती। यदि कोई गलत व्यक्ति ऐसे चैका का भुगतान प्राप्त कर लेता है तो इसके लिये बैंक की कोई जिम्मेदारी नहीं होती। ऐसे चैक का, प्राप्त करने वाला व्यक्ति कानूनन अधिकारी बन जाता है।
(2) आदेशित चैक (Orded Cheque) — इस प्रकार के चैक का भुगतान उसमें उल्लिखित व्यक्ति को या उसके आदेशानुसार अन्य किसी व्यक्ति को कर दिया जाता है। ऐसे चैक पर व्यक्ति के नाम के आगे ‘or Order’ शब्द लिखा रहता है। ऐसे चैक के हस्तान्तरण के लिये चैक की सुपुर्दगी के साथ-साथ उसका पृष्ठांकन करना भी आवश्यक होता है। व्यवहार में प्रायः इसी प्रकार के चैकों का प्रयोग होता है। भुगतान प्राप्त करने के उद्देश्य से चैक के निम्नलिखित दो प्रकार होते हैं।
(क) खुला चैक (Open Cheque ) – यह वह चैक होता है, जिसका भुगतान चैक को बैंक की खिड़की पर प्रस्तुत करने पर तुरन्त ही प्राप्त हो जाता है
(ख) रेखांकित चैक (Crossed Cheque) चैक को सुरक्षित बनाने के उद्देश्य से जब इसके मुखपृष्ठ पर बाईं ओर ऊपर कोने में दो तिरछी समानान्तर रेखाएँ खींच दी जाती हैं तो ऐसे चैक को रेखांकित चैक’ कहते हैं तथा इस क्रिया को ‘चैक का रेखांकन’ करना कहते हैं। इन रेखाओं में कुछ शब्द भी लिखे जा सकते हैं, जैसे-‘एण्ड कं०’, ‘केवल खाते में जमा कीजिए’, ‘ ……रु० के अन्तर्गत’ आदि। बैंक ऐसे चैक का रुपया पाने वाले को खिड़की पर न देकर उसके खाते में जमा कर देता है। यदि उसका खाता बैंक में नहीं है तो ऐसे चैक का रुपया किसी अन्य व्यक्ति के माध्यम से ही प्राप्त हो सकता है। इसका आशय यह है कि बैंक ऐसे चैक का भुगतान उसके धारक (Holder) को न करके किसी दूसरे बैंक को करता है। इससे चैक अधिक सुरक्षित हो जाता है।
चैक के अनादरण से आशय
चैक की परिभाषा तथा इसके प्रकार का उल्लेख पूर्व प्रश्न के उत्तर में किया गया है। जब किसी कारणवश बैंक चैक का भुगतान करने से इन्कार कर देता है, तो उसे ‘चैक का अनादरण’ या ‘Dishonur of Cheque’ कहते हैं। साधारणतयः यदि बैंक के खाते में पर्याप्त रुपया जमा है, तो बैंक को चैक का अनादरण नहीं करना चाहिये, परन्तु फिर भी बैंक निम्नलिखित कारणों से चैक का रुपया भुगतान करने से इन्कार कर सकता है-
(1) यदि चैक पर तारीख नहीं पड़ी है, तो ऐसे चैक को बैंक “दिनांक नहीं” (Without Date) लिखकर वापिस कर देता है।
(2) कालतिरोहित होने पर (चैक पर 6 महीने पूर्व की तारीख पड़ी हो तो) बैंक उसे ‘Stale Cheque’ लिखकर वापिस कर देता है।
(3) यदि चैक पर कोई भविष्य की तिथि पड़ी है, तो बैंक ‘आगामी तिथि का चैक’ (Post-dated Cheque) लिखकर वापिस कर देता है।
(4) यदि चैक कटा-फटा हो या उसका रूप बिगड़ गया हो तो ऐसे चैक को बैंक ‘विकृत चैक’ (Mutiated Cheque) शब्द लिखकर वापिस कर देता है।
(5) यदि शब्दों व अंकों में लिखी धनराशियों में अन्तर होता है, तो बैंक ऐसे चैक को शब्दों व अंकों की रकम में अन्तर लिखकर वापिस कर देता है।
(6) यदि लेखक के हस्ताक्षर नमूने के हस्ताक्षर से नहीं मिलते तो बैंक ‘हस्ताक्षर भिन्न हैं’ शब्द लिखकर चैक को वापिस कर देता है।
(7) यदि चैक में कोई संशोधन किया गया हो और उस पर पूरे हस्ताक्षर नहीं किये गये हों तो बैंक उस चैक पर हस्ताक्षर नहीं’ लिखकर वापिस कर देता है।
(8) यदि लेखक के खाते में पर्याप्त धन नहीं है, तो बैंक चैक को ‘अपर्याप्त धन’ लिखकर वापिस कर देता है।
(9) यदि धारक द्वारा चैक को बैंक में प्रस्तुत करने से पूर्व लेखक द्वारा बन्द कर दिया गया हो, तो बैंक चैक पर “खाता बन्द” (Account Closed) लिखकर वापिस कर देगा।
(10) यदि लेखक ने चैक का भुगतान न करने की लिखित सूचना बैंक को दे दी हो, तब बैंक उस चैक पर ‘भुगतान रोका गया’ (Payment stopped by Drawer) शब्द लिखकर वापिस कर देगा।
(11) यदि चैक अपूर्ण है, तो बैंक ‘अपूर्ण’ (Incomplete) शब्द लिखकर वापिस कर देगा।
(12) यदि लेखक की मृत्यु हो गई हो और बैंक को इसका पता हो तो बैंक चैक पर ‘लेखक की मृत्यु’ (Drawer Died) लिखकर वापिस कर देगा।
(13) यदि न्यायालय द्वारा बैंक को चैक का भुगतान न करने का आदेश दे दिया गया है, तो बैंक ऐसे चैक पर (Stop Payment by Order of Court) शब्द- लिखकर चैक वापिस कर देता है।
(14) यदि लेखक का खाता बैंक में नहीं है, तो बैंक चैक का भुगतान नहीं करेगा। ऐसे चैक पर बैंक’No Account’ लिखकर चैक, वापिस कर देता है।
(15) यदि बैंक को चैक प्रस्तुतकर्ता के स्वामित्व में सन्देह हो जाता है, तो वह चैक का भुगतान करने से इनकार कर देता है।
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