राजनीति विज्ञान (Political Science)

तुलनात्मक राजनीतिक की परिभाषा | तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन का महत्व

तुलनात्मक राजनीतिक की परिभाषा
तुलनात्मक राजनीतिक की परिभाषा

तुलनात्मक राजनीतिक की परिभाषा

(1) एम0 कर्टिस ” राजनीतिक संस्थाओं और राजनीतिक व्यवहार की कार्य प्रणाली में महत्वपूर्ण नियमितताओं, समानताओं और असमानताओं से तुलनात्मक राजनीति का सम्बन्ध है।”

(2) सिडनी वर्बा – ” तुलनात्मक राजनीति के अन्तर्गत राजकीय संस्थाओं के अतिरिक्त गैर राजकीय संस्थाओं का भी अध्ययन आता है, जिसका प्रत्यक्ष सम्बन्ध राजनीति संस्थाओं से होता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि राजनीतिक संस्थाओं और राजनीतिक व्यवहारों की कार्यप्रणाली में महत्वपूर्ण नियमितताओं समानताओं और असमानताओं से तुलनात्मक राजनीतिक का घनिष्ठ सम्बन्ध है। “

(3) जी०के० राबर्ट्स – ” तुलनात्मक सरकार राज्यों, उनकी संस्थाओं और सरकार के कार्यों का अध्ययन है जिसमें शायद राज्य क्रिया से अत्यधिक निकट का सम्बन्ध रखने वाले समूहों, राजनीतिक दल तथा दबाव समूहों का भी अध्ययन सम्मिलित है।” पूरक

(4) बेबण्टी– “तुलनात्मक राजनीति, सामाजिक व्यवस्था में उन तत्वों की पहचान तथा व्याख्या है, जो कार्यो तथा उनके संस्थागत प्रकाशन को प्रभावित करते है।”

(5) फ्रीमैन- “तुलनात्मक राजनीति सामाजिक संस्थाओं एवं सरकारों के विविध प्रकारों का एक तुलनात्मक विवेचन एवं विश्लेषण है।”

तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन का महत्व

जीन ब्लोण्डल के अनुसार, तुलनात्मक राजनीति का अध्ययन प्राचीनतम, अत्यन्त कठिन एवं महत्वपूर्ण है तथा प्रारम्भ से ही मानव ध्यान को आकर्षित करता रहा है।” नवीन विकासों के सन्दर्भ में तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन का निम्नलिखित महत्व है-

( 1 ) राजनीति को वैज्ञानिक अध्ययन बनाना- तुलनात्मक राजनीति को ‘एक वैज्ञानिक अध्ययन’ बना देता हैं। तुलनात्मक राजनीतिक अध्ययन राजनीति की दुनिया में निरन्तरताओं एवं सामान्यीकरणों को खो जाता है तथा सुनिश्चित का अत्यधिक सम्भावित व्यवहारों को संकेत देने में सहायता देता है। व्यवहारवाद के विकास के तुलनात्मक राजनीति को बहुत महत्वपूर्ण बना दिया हैं। यह विज्ञान के रूप में राजनीति शास्त्र के व्यापक विकास का अग्रदूत बन गया है।

(2) राजनीतिक संस्थाओं की समस्याओं का अध्ययन व समाधान- तुलनात्मक राजनीति अध्ययन से देश की संस्थाओं को भली-भाँति समझा जा सकता है और समय-समय पर उत्पन्न होने वाली समस्याओं का निराकरण किया जा सकता है। विभिन्न राज्यों की शासन पद्धतियों एवं उनकी राजनीति का तुलनात्मक अध्ययन करके यह ज्ञात किया जा सकता है कि संसदीय शासन पद्धति को सफल बनाने के लिए क्या दशायें आवश्यक है और तब अपने देश में उन दशाओं को लाने एवं प्रतिष्ठित करने का प्रयत्न किया जा सकता है।

( 3 ) राजनीतिक व्यवहार का अध्ययन- तुलनात्मक राजनीति का अध्ययन राजनीति व्यवहार को समझने में सहायता करता है। इसके द्वारा राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय राजनीतिक व्यवहार को अच्छी प्रकार ज्ञात किया जा सकता है। तुलनात्मक अध्ययन के द्वारा निम्न बातों का स्पष्टीकरण किया जा सकता है,

(i) विभिन्न समाजों के लोगों को राजनीति व्यवहार में अन्तर में कारण समझें जा सकते है।

(ii) विभिन्न समाजों के मूल्य क्या हैं और किन विधियों को वे एक दूसरे को तथा बाह्य विश्व को समझने में प्रयोग करते है।

(iii) ये लगभग समान राजनैतिक समस्याओं के निदान के लिए किन विभिन्न साधनों को अपनाते है।

( 4 ) सिद्धान्तों की प्रमाणिकता का परीक्षण- तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन की सहायता से प्रचलित राजनीति सिद्धान्तों का पुनः परीक्षण करके उनकी प्रमाणिकता की जाँच की जा सकती है। इस प्रकार राजनीतिशास्त्र को वैज्ञानिकता प्रदान करने, आनुभविक अध्ययन के आधार पर सिद्धान्तों का निर्माण करने और प्रचलित राजनीति सिद्धान्तों की पुनः प्रमाणिकता को परखने आदि की दृष्टि से तुलनात्मक राजनीति का अध्ययन बहुत ही महत्वपूर्ण है।

( 5 ) सिद्धान्त निर्माण- तुलनात्मक राजनीति का महत्व ‘राजनीति में सिद्धान्त निर्माण’ की दृष्टि से भी है। तुलनात्मक अध्ययन द्वारा ही किसी भी शास्त्र में सिद्धान्तों का निर्माण एवं नियमों का निरूपण किया जा सकता है। राजनीतिक सिद्धान्त दो श्रेणियों में विभाजित किये जाते हैं, यथा (1) आदर्श सिद्धान्त (2) अनुभाविक सिद्धान्त।

(i) आदर्श सिद्धान्त- आदर्श सिद्धान्तों में हम सिद्धान्त व्यवस्थाओं के सम्बन्ध में कोई – कल्पना कर लेते है और तब उस कल्पना को रचनात्मक रूप प्रदान करते है। आदर्श सिद्धान्तों का ठोस तथ्यों से प्रायः सम्बन्ध नहीं होता। तुलनात्मक राजनीति इस प्रकार के सिद्धान्तों में कोई योग नहीं दे सकती।

(ii) अनुभाविक सिद्धान्त- अनुभाविक सिद्धान्त में हम राजनीतिक व्यवहार के – वास्तविक तथ्यों को समझकर सिद्धान्तों के निर्माण का प्रयास करते हैं और तुलनात्मक राजनीति अध्ययन का महत्व राजनीतिक व्यवहार के सम्बन्ध में सिद्धान्त निर्माण में ही सर्वाधिक है।

तुलनात्मक पद्धति की उपयोगिता या महत्व

तुलनात्मक पद्धति का समाजशास्त्रीय तथा मानवशास्त्रीय अध्ययनों में प्रयोग निरन्तर बढ़ता जा रहा है। इस पद्धति की उपयोगिता इसके निम्नलिखित गुणों द्वारा स्पष्ट की जा सकती है-

( 1 ) नवीन उपकल्पनाओं का निमार्ण – तुलनात्मक विधि द्वारा दो घटनाओ समाजों या परिस्थितियों की तुलना की जाती है। अनुसंधानकर्ता तुलनात्मक परिस्थितियोका समान रखकर
अनेक नवीन उपकल्पनाओं का निर्माण करता है। इसे एक उदाहरण द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है। यदि समूहों में व्यक्तियों की आर्थिक या शैक्षणिक स्थिति में भिन्नता के साथ ही साथ दोनों समूह में अपराध की दर में भी अन्तर है तो अनुसंधानकर्ता यह नवीन उपकल्पनायें बना सकता है, जैसे कि निम्न आर्थिक स्थिति अपराधी प्रवृत्ति को प्रोत्साहन देती है, आदि।

( 2 ) उपकल्पनाओं का परीक्षण- तुलनात्मक विधि पुरानी उपकल्पनाओं की परीक्षा करने में भी सहायक होती है। रैडक्लिक के अनुसार तुलनात्मक विधि उपकल्पनाओं का परीक्षण करने का सबसे सरल तरीका है।

( 3 ) विश्लेषणात्मक अध्ययन- तुलनात्मक विधि में दो घटनाओं के कार्य करण – सम्बन्धों की स्थापना करने पर बल दिया जाता है। अतः यह घटनाओं का वर्णन करने के साथ साथ घटनाओं के विश्लेषण में भी सहायक है। तुलनात्मक विधि यह स्पष्ट करती है कि अमुक घटना समाज में क्यों और कैस घटित हुई जिससे घटनाओं की व्याख्या के साथ-साथ समाजशास्त्रीय सिद्धान्तों और विषयों के निर्णाण में भी सहायता मिलती है।

( 4 ) सामान्यीकरण- तुलनात्मक विधि दो घटनाओं के कार्य कारण सम्बन्धों की स्थापना पर बल देकर सामान्यीकरण में भी सहायक होती है। यह विधि सामान्यीकरण की पुष्टि करने में भी अत्यन्त उपयोगी विधि है।

( 5 ) पूर्वानुमान में सहायक तुलनात्मक विधि द्वारा घटनाओं में केवल कार्य करण सम्बन्धों का पता चलने के साथ उन घटनाओं का पता चल जाता है जिनकी पुनरावृत्ति होती रहती हैं। इससे हमें घटनाओं के बारे में पूर्वानुमान लगाने में सहायता मिलती है।

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shubham yadav

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