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पुनर्जागरण काल प्रश्नोत्तरी-परीक्षोपयोगी महत्वपूर्ण तथ्य

पुनर्जागरण काल प्रश्नोत्तरी-परीक्षोपयोगी महत्वपूर्ण तथ्य

पुनर्जागरण काल प्रश्नोत्तरी-परीक्षोपयोगी महत्वपूर्ण तथ्य-Hello Students, currentshub.com पर आपका स्वागत है जैसे की आप सभी जानते हैं की हम यहाँ पर आपके लिए रोजाना कुछ अच्छा Study Material लेकर आते हैं। उसी तरह आज हम पुनर्जागरण काल प्रश्नोत्तरी तथ्य लेकर आए जो ज्यादा तर SSC, BANK, IAS, PCS, RLY, और बहुत सी एकदिवसीय परीक्षाओ मे पूछे गए है महत्वपूर्ण प्रश्नो को यहॉ आपके  साथ share कर रहे हैं।

पुनर्जागरण काल प्रश्नोत्तरी-परीक्षोपयोगी महत्वपूर्ण तथ्य

  • यूरोपीय इतिहास के संदर्भ में मोटे तौर पर 14वीं से 16वीं शताब्दी के 1350 ई. से 1550 ई. के बीच के काल को पुनर्जागरण काल का नाम दिया जाता है |
  • पुनर्जागरण काल में वेनिस, मिलान तथा फ्लोरेंस आदि अन्तराष्ट्रीय शहरो का जन्म हुआ |
  • यूरोप के पुनर्जागरण काल के प्रमुख चित्रकार फ्लोरेंस निवासी जिपोटो, लियोनार्दो-द-विंची व माइकेल एंजेलो थे |
  • मूर्तिकला के क्षेत्र में जियोवर्टी, माइकेल एंजेलो, सेलिनी तथा डोनातेल्लो आदि ने इस काल में ख्याति प्राप्त की |
  • टॉमस (Thomas) ब्रासी एक ब्रिटिश सिविल इंजिनियर था | 19वीं शताब्दी में विश्वभर में होने वाले अधिकांश रेलवे निर्माण में इनका योगदान था | इन्होने ब्रिटेन के लगभग एक तिहाई (1/3) रेलवे का निर्माण कार्य कराया |
  • वाद्य संगीत पुनर्जागरण में लोकप्रिय हुआ तथा नए वाद्य-यंत्रों का आविष्कार हुआ | आधुनिक ‘ओपेरा’ का जन्म इस काल का माना जाता है |
  • पुनर्जागरण काल में सर्वप्रथम आयल पेंटिंग का निर्माण हुआ जो काफी समय तक स्थायी रह सकती थी | इसके विपरीत मध्यकाल में केवल पानी में रंगों को घोलकर ही चित्र बनाया जाता था | ये चित्र थोड़ी नमी से नष्ट हो जाते थे |
  • इस काल में (1492 ई.) कोलंबस ने नयी दुनिया अमेरिका की खोज की |
  • 17-18वीं शताब्दी में यूरोप में कुछ क्रांतिकारी परिवर्तन हुए जिस कारण इस काल को प्रबोधन (ज्ञानोदय अथवा विवेक) का युग कहा जाता है |
  • प्रबोधन के प्रमुख चिंतको में लॉक, कांट, वाल्टेयर, रूसो तथा मांटेस्क्यू का नाम अग्रणी है |
  • रूसो ने सोशल-कॉन्ट्रैक्ट (सामाजिक-संविदा) नामक पुस्तक में अपने सामाजिक संविदा सम्बन्धी विचार प्रस्तुत किये |

चार्ली-लुई द मांटेस्क्यू ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘स्पिरिट ऑफ लॉ’ में शक्ति पृथक्करण के सिद्धांत की रूपरेखा प्रस्तुत की |

पुनर्जागरण का अर्थ और पुनर्जागरण के कारण

 

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shubham yadav

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