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पूर्ण एवं सापेक्ष निर्धनता (Absolute and Relative Poverty)
पूर्ण निर्धनता (Absolute Poverty)
जिस स्थिति में व्यक्ति के पास आवश्यक आवश्यकताओं जैसे- आवास, भोजन, चिकित्सा एवं जीवित रहने हेतु अन्य आवश्यक वस्तुओं का अभाव पाया जाता है, वह पूर्ण-निर्धनता की स्थिति होती है। दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि सामान्य जीवन की आवश्यकताओं को जुटाने के लिए पर्याप्त धन का अभाव ही पूर्ण निर्धनता है। अमेरिका में निर्धनता की माप पूर्णता के तरीके से की जाती थी। इसके अन्तर्गत निर्धनता का माप वार्षिक आय स्तर होता है। निर्धन उन लोगों को माना जाता है जिनकी आय इस निर्धारित वार्षिक आय से कम होती है।
पूर्ण निर्धनता को निरपेक्ष-निर्धनता भी कहा जाता है। एक व्यक्ति की पूर्ण अथवा निरपेक्ष निर्धनता से आशय यह है कि उसकी आय या उपभोग व्यय इतना कम है कि वह न्यूनतम भरण-पोषण स्तर के नीचे स्तर पर जीवन यापन कर रहा है। अन्य शब्दों में यह कहा जा सकता है कि पूर्ण निर्धनता से आशय – मानव की आधारभूत आवश्यकताओं रोटी, वस्त्र, आवास व स्वास्थ्य सुविधाएँ आदि की पूर्ति हेतु पर्याप्त वस्तुओं व सेवाओं को जुटा पाने में असमर्थता से है।
संक्षेप में, जब कोई व्यक्ति अपनी आय’ में से अपनी अनिवार्य आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पाता है, और उसके सामने पूर्ण निर्धनता की स्थिति होती है।
सापेक्ष निर्धनता (Relative Poverty)
जिन लोगों ने निर्धनता को सापेक्ष तथ्य माना है, उन लोगों ने पूर्ण निर्धनता की अवधारणा की आलोचना इस आधार पर की है कि पूर्ण निर्धनता की अवधारणा स्थिर है, जोकि आवश्यकताओं एवं सुविधाओं को बदलते मापदण्ड को शामिल नहीं करती है। जो वस्तुएँ आज सुविधा की मानी जाती हैं वहीं आने वाले समय में आवश्यकता बन सकती हैं। इस प्रकार देश के जीवन स्तर में वृद्धि के साथ निर्धनता के मानदण्ड में भी परिवर्तन होता रहता है। सापेक्ष निर्धनता का माप समाज के सबसे नीचे स्तर के व्यक्तियों के लोगों की दशा से तुलना के आधार पर किया जाता है। इस प्रकार यह स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि निर्धनता एक सापेक्ष तथ्य है।
संक्षेप में, सापेक्ष निर्धनता से आशय, आय की असमानताओं से लगाया जाता है। जब हम किन्हीं दो देशों की प्रति व्यक्ति आय की तुलना करते हैं, तो उनके बीच भारी असमानता देखने को मिलती है, जिसके आधार पर हम गरीब व अमीर देश की तुलना कर सकते हैं। यह निर्धनता सापेक्षिक होती है।
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