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प्रगामी और अप्रगामी तरंगों में अंतर || Difference Between Progressive and Stationary Waves in Hindi

प्रगामी और अप्रगामी तरंगों में अंतर || Difference Between Progressive and Stationary Waves in Hindi :- आज Currentshub.Com आपके भौतिक विज्ञान के अंतर्गत आने वाले वाला एक महत्वपूर्ण टॉपिक ‘प्रगामी तरंगे क्या है,अप्रगामी तरंगे क्या है,प्रगामी तरंग किसे कहते हैं,अप्रगामी तरंग किसे कहते हैं,what is progressive waves,what is stationary waves,pragami tarang kise kahte hai,apragami tarang kya hai,pragami aur apragami tarang me antar,तरंगों के प्रकार,माध्यम के आधार पर तरंगों के प्रकार,माध्यम के कणों के कंपन के आधार पर तरंगों के प्रकार,ऊर्जा के गमन के आधार पर तरंगों के प्रकार, लेकर आए हुए हैं। यहाँ हम जानेंगे की प्रगामी और अप्रगामी तरंगों के बारे में विस्तार से|

तरंग किसे कहते हैं

परिभाषा : किसी तालाब के शान्त पानी में एक पत्थर गिराया जाता है तो उसके पानी पर टकराने के स्थान से संपीडन वलय प्रकट होने लगते हैं और पानी की सतह पर फैल जाते हैं। इन वलयों में पानी एकान्तर रुप से ऊँचा व नीचा होता होता रहता है। पानी की सतह पर एक पत्थर का टुकड़ा डाल दें तो वह अपने स्थान पर ही ऊपर नीचे होता रहता है यहां  पानी के  कण अपने अपने स्थान पर ऊपर नीचे गति करते हैं और कुछ जो आगे बढ़ता जाता है उसे तरंग कहते है।

तरंग एक विक्षोभ या disturbance है जिसमे माध्यम के कण तो वास्तविकता में गति नहीं करते है लेकिन ऊर्जा का स्थानान्तरण एक स्थान से दूसरे स्थान तक हो जाता है।
जब तरंग किसी माध्यम में गति करती है तो उनमें माध्यम में कुछ दोलन उत्पन्न हो जाते है और इन्ही दोलनों या कम्पन्न के कारण ऊर्जा का स्थानान्तरण होता है लेकिन वास्तविकता में माध्यम के कण गति नहीं करते है।
उदाहरण : रेडियो तरंग , यान्त्रिक तरंगे , ध्वनि तरंग आदि।

तरंगों के प्रकार || types of waves

(1) माध्यम के आधार पर तरंगों के प्रकार

(A) यांत्रिक तरंगे

(B) विद्युत चुम्बकीय तरंगे

(2) माध्यम के कणों के कंपन के आधार पर तरंगों के प्रकार

(A) अनुप्रस्थ तरंगे

(B) अनुदैर्ध्य तरंगे

(3) ऊर्जा के गमन के आधार पर तरंगों के प्रकार

(A) प्रगामी तरंगे

(B) अप्रगामी तरंगे

1. अनुप्रस्थ तरंगें।

2. अनुदैर्ध्य तरंगें।

1. अनुप्रस्थ तरंगेंः जब किसी माध्यम में तरंग गति की दिशा माध्यम के कणो के कम्पन करने की दिशा के लम्बवत होती है, तो इस प्रकार की तरंगों को अनुप्रस्थ तरंगें कहते है। अनुप्रस्थ तरंगें केवल ठोस माध्यम में एवं द्रव के ऊपरी सतह पर उत्पन्न की जा सकती है। द्रवो के भीतर एवं गैसों में अनुप्रस्थ तरंगें उत्पन्न नहीं की जा सकती हैं। अनुप्रस्थ तरंगें शीर्ष एवं गर्त के रूप में संचरित होती है।

2. अनदैर्ध्य तरंगें– जब किसी माध्यम में तरंग गति की दिशा माध्यम के कणों की कम्पन करने की दिशा के अनुदिश या समान्तर होती है, तो ऐसी तरंगों को अनुदैर्ध्य तरंगें कहते हैं। अनुदैर्ध्य तरंगें सभी माध्यम में उत्पन्न की जा सकती है। ये तरंगें संपीडन और विरलन के रूप में संचरित होती है। संपीडन वाले स्थान पर माध्यम का दाब एवं घनत्व अधिक होता है, जबकि विरलन वाले स्थान पर माध्यम का दाब एवं घनत्व कम होता है। वायु में उत्पन्न तरंगें, भूकम्प तरंगें, स्प्रिंग में उत्पन्न तरंगें आदि सभी अनुदैर्ध्य तरंगें होती है।

तरंग गति की विशेषताएँ :

1. माध्यम के कण अपना स्थान नहीं छोड़ते बल्की अपनी साम्यावस्था के इधर उधर कम्पन्न करते है।

2. माध्यम स्वयं गति नहीं करता।

3. माध्यम में ऊर्जा और वेग का स्थानान्तरण होता है।

4. माध्यम के भिन्न भिन्न कणों की कला स्तब्ध रूप से परिवर्तित होती है।

तरंग संचरण के लिए माध्यम में आवश्यक गुण

1. माध्यम में जडत्व का गुण होना चाहिए।
2. माध्यम में प्रत्यास्थता का गुण होना चाहिए।
3. माध्यम का प्रतिरोध कम होना चाहिए।
4. माध्यम में जब कमी हलचल उत्पन्न होती है तो माध्यम के कण कम्पन्न करने प्रारंभ कर देते है।
5. माध्यम के कण अपने निकटवर्ती कणों को ऊर्जा या वेग स्थान्तरित करते है तथा स्वयं गति नहीं करते।
6. माध्यम के कणों का विस्थापन क्षण भर के लिए होता है।
7. माध्यम के कणों की गति सरल आवर्त गति होती है।

प्रगामी और अप्रगामी तरंगों में अंतर || Difference Between Progressive and Stationary Waves in Hindi

प्रगामी और अप्रगामी तरंगों में अंतर

प्रगामी और अप्रगामी तरंगों में अंतर

प्रगामी तरंग

Progressive Waves

अप्रगामी तरंग

Stationary Waves

1. माध्यम की कुछ अवस्थाएं जैसे शृंग और गर्त या संपीडन तथा विरलन, किसी निश्चित चाल से गमन करती हुई दिखाई पड़ती है। यह चाल माध्यम के घनत्व व प्रत्यास्थाता (तनाव) पर निर्भर करती है। 1. माध्यम के दो निश्चित बिंदुओं जिन को निस्पंद कहते है, के बीच के खण्ड संकुचित व विस्तृत होते हुए दिखाई पड़ते है। माध्यम का प्रत्येक कण माध्य स्थिति के दोनों ओर लोलक की तरह कम्पन करता है।
2. सभी कणों के कम्पन का आयाम समान होता है। 2. निस्पंदो पर आयाम शून्य स्पंदों पर अधिकतम होता है।
3. एक के बाद एक सभी कण अपनी मूल स्थिति से अधिकतम वेग से गुजरते है। 3. निस्पंदों पर कण-वेग शून्य व स्पदों पर अधिकतम होता है।
4. एक कण से दूसरे को निश्चित वेग से ऊर्जा का स्थानान्तरण होता रहता है। 4. किसी खण्ड में ऊर्जा का संकुचन व विस्तारण होता रहता है। किंतु किसी बिंदु से होकर ऊर्जा का प्रवाह नहीं होता।
5. प्रगामी तरंगों में एक के बाद एक, सभी कण अपनी अधिकतम चाल प्राप्त करते है। 5. अप्रगामी तरंगों में भिन्न-भिन्न बिंदुओं पर अधिकतम वेग भी भिन्न होता है। यह निस्पंदों पर शून्य, किंतु स्पंदों पर अधिकतम होता है। सभी कण अपना-अपना अधिकतम वेग एक साथ प्राप्त करते है।
6. प्रगामी तरंगो मे माध्यम के सभी क्षेत्रों पर एक समान विकृति होती है। 6. अप्रगामी तरंगों में विकृति निस्पंदों पर अधिकतम तथा प्रस्पंदों पर शून्य होती है।
7. माध्यम में ऐसा कोई भी बिंदु नही होता जहाँ पर घनत्व में परिवर्तन नहीं होता। 7. स्पंदों पर घनत्व में परिवर्तन नहीं होता, किंतु निस्पंदों,पद अधिकतम

तो दोस्तों, शायद अब आपकोप्रगामी तरंगे क्या है,अप्रगामी तरंगे क्या है,प्रगामी तरंग किसे कहते हैं,अप्रगामी तरंग किसे कहते हैं,what is progressive waves,what is stationary waves,pragami tarang kise kahte hai,apragami tarang kya hai,pragami aur apragami tarang me antar,तरंगों के प्रकार,माध्यम के आधार पर तरंगों के प्रकार,माध्यम के कणों के कंपन के आधार पर तरंगों के प्रकार,ऊर्जा के गमन के आधार पर तरंगों के प्रकार, ,” का कांसेप्ट अच्छे से समझ आ गया होगा, यदि कोई डाउट हो तो आप कमेंट या मेल के माध्यम से अपना डाउट क्लियर कर सकते हैं|


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shubham yadav

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