अर्थशास्त्र (Economics)

प्रत्यक्ष तथा परोक्ष कर Direct and Indirect Taxes in Hindi

प्रत्यक्ष तथा परोक्ष कर Direct and Indirect Taxes in Hindi
प्रत्यक्ष तथा परोक्ष कर Direct and Indirect Taxes in Hindi

प्रत्यक्ष तथा परोक्ष कर Direct and Indirect Taxes in Hindi

प्रत्यक्ष कर (Direct Tax)-डाल्टन (Dalton) के शब्दों में, “प्रत्यक्ष कर वह है जिसका भुगतान वास्तव में उसी व्यक्ति द्वारा किया जाता है जिस पर वह कानून रूप से लगाया जाता है।”

प्रो. जे. के. मेहता (Pref. J.K. Mehta) के अनुसार- “प्रत्यक्ष कर वह कर है जिसका भुगतान पूर्णत: उसी व्यक्ति द्वारा किया जाता है जिस पर वह लगाया जाता है अर्थात् उसका तात्कालिक मौद्रिक भार सम्पूर्ण रूप से उस व्यक्ति पर होता है जो प्रथम बार में कर का भुगतान कर अधिकारियों को करता है।”

परोक्ष कर अथवा अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax}

कुछ कर इस प्रकार की प्रकृति के होते हैं कि उनके सन्दर्भ में तात्कालिक करदाता और अन्तिम कर दाता भिन्न-भिन्न होते हैं। इसे इस प्रकार भी कह सकते हैं कि कुछ कर इस प्रकार के होते हैं जिनका सरकार को भुगतान जो व्यक्ति करता है वह इसके भार (burden) को अन्य व्यक्तियों पर स्थानान्तरित कर देता है। इन करों के सम्बन्ध में अन्तिम करदाता और सरकार को तात्कालिक भुगतान करने वाला नहीं होता है। इस प्रकार के करों को अप्रत्यक्ष या परोक्ष कर कहा जाता है।

डाल्टन के शब्दों में, अप्रत्यक्ष कर वह कर है जो एक व्यक्ति पर लगता है जबकि उसका आंशिक या सम्पूर्ण भुगतान किसी अन्य व्यक्ति द्वारा, उनके मध्य किसी अनुबन्ध या सौदे की शर्त में कुछ परिवर्तन के कारण किया जाता है।”

प्रो.जे.के.मेहता के अनुसार-“एक अप्रत्यक्ष कर वह कर होता है जो उस कर का भुगतान करने वाले व्यक्ति द्वारा पूर्णत: अथवा आंशिक रूप में किसी अन्य व्यक्ति या स्थानान्तरित कर दिया जाता है।”

प्रत्यक्ष तथा परोक्ष कर में अन्तर (Difference between Direct and Indirect Taxes)-

प्रत्यक्ष तथा परोक्ष कर, जैसा कि इनकी ऊपर दी हई परिभाषाओं से स्पष्ट है, एक  दूसरे से भिन्न प्रकृति के होते हैं। इसके कारण इन करों में अनेक अन्तर हो जाते हैं। प्रत्यक्ष तथा परोक्ष करों में पाये जाने वाले प्रमुख अन्तर निम्नलिखित हैं-

(i) प्रत्यक्ष कर काकराधात (Impact) और करापात (Incidence) एक ही व्यक्ति पर होता है अर्थात् प्रत्यक्ष करों के सम्बन्ध में करों का प्रथम भुगतान करने वाला व्यक्ति हो करों का अन्तिम भुगतान करने वाला व्यक्ति भी होता है। इसके विपरीत अप्रत्यक्ष करों के सम्बन्ध में ऐसा सत्य नहीं होता है और कर का प्रथम भुगतान करने वाला व्यक्ति और अन्तिम भुगतान करने वाला व्यक्ति अलग-अलग होता है अर्थात् अप्रत्यक्ष कर का कराघात एक व्यक्ति पर होता है जबकि करापात किसी अन्य व्यक्ति पर होता है। इस प्रकार अप्रत्यक्ष करों का कराधात और करापात भिन्न-भिन्न व्यक्तियों पर होता है।

(ii) प्रत्यक्ष करों का विवर्तन (Shifting) नहीं किया जा सकता है। इसके विपरीत अप्रत्यक्ष करों का विवर्तन करना संभव होता है।

(iii) प्रत्यक्ष कर करदेय क्षमता (Taxable Capacity) के आधार पर लगाये जाते हैं। इसके विपरीत अप्रत्यक्ष कर कर देय क्षमता पर आधारित नहीं होते हैं।

(iv) प्रत्यक्ष कर न्याय संगत होते हैं क्योंकि जो व्यक्ति आर्थिक रूप से जितना सम्पन होता है उससे उतना ही अधिक कर वसूला जाता है। इसके विपरीत अप्रत्यक्ष कर समानता के सिद्धान्त का उल्लंघन करते हैं क्योंकि इन करों का धनी और निर्धन सभी को समान मात्रा में भुगतान करना होता है।

(v) प्रत्यक्ष कर प्रगतिशील कर (Progressive Tax) की श्रेणी में आते हैं।

(vi) प्रत्यक्ष कर निश्चित होते हैं और प्रत्यक्ष करों को कब, कहां और कितनी मात्रा में जमा करना है आदि की जानकारी करदाताओं को रहती है। इसके विपरीत अप्रत्यक्ष कर अनिश्चित होते हैं और करदाताओं को इन करों के सम्बन्ध में पर्याप्त जानकारी नहीं होती है।

(vii) प्रत्यक्ष करों में कर वंचन (Tax Evasion) संभावनायें अधिक रहती हैं जबकि अप्रत्यक्ष करों के सम्बन्ध में कर वंचन की संभावनायें अत्यन्त क्षीण होती हैं।

(viii) प्रत्यक्ष करों का भुगतान असुविधाजनक होता है। इसके विपरीत अप्रत्यक्ष कर वस्तुओं के में सम्मिलित होते हैं। इसके कारण खरीददार (या करदाता) को यह आभास भी नहीं होता है कि वे कर का भुगतान कर रहे हैं।

(ix) प्रत्यक्ष करों का क्षेत्र सीमित (limited scope) होता है। इन करों को केवल उन व्यक्तियों पर लगाया जाता है जिनकी आर्थिक स्थिति अपेक्षाकृत अच्छी होती है। इसके विपरीत अप्रत्यक्ष कर का भुगतान समाज का प्रत्येक निवासी थोड़ी बहुत मात्रा में अवश्य करता है। इस दृष्टि से अप्रत्यक्ष करों का क्षेत्र अत्यन्त विस्तृत होता है।

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