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प्रशासनिक प्रतिमान का अर्थ- विशेषताएँ, सोपान, लाभ या गुण, अवगुण या दोष

प्रशासनिक प्रतिमान- विशेषताएँ, सोपान, लाभ या गुण, अवगुण या दोष
प्रशासनिक प्रतिमान- विशेषताएँ, सोपान, लाभ या गुण, अवगुण या दोष

प्रशासनिक प्रतिमान का अर्थ (Administrative Model)

प्रशासनिक प्रतिमान का अर्थ-  किसी भी विद्यालय में पाठ्यचर्या का निर्माण करने एवं उसका विकास करने में प्रशासनिक प्रतिमान का बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। इस प्रतिमान के द्वारा ही पाठ्यचर्या का उचित प्रबन्धन किया जा सकता है, क्योंकि पाठ्यचर्या के विकास में प्रशासनिक प्रतिमान को एक तकनीक रूप में प्रयोग किया जाता है। इस प्रतिमान को अनेक नामों से जाना जाता है। प्रत्येक शिक्षक द्वारा छात्रों को शिक्षित करने के लिए शिक्षक की रूपरेखा तैयार की जाती है। प्रशासनिक प्रतिमान की विस्तृत रूपरेखा को पूर्ण करने में शिक्षण रूपरेखा की मुख्य भूमिका होती है। प्रशासनिक प्रतिमान का प्रयोग अधिकतर उच्च स्तर के प्रबन्धकों द्वारा किया जाता है तथा उचित व्यवस्था की जिम्मेदारी प्रशासन की होती है। हमारे देश में अनेक उच्च शैक्षणिक संस्थाओं द्वारा प्रशासनिक प्रतिमान का उपयोग किया जाता है।

प्रशासनिक प्रतिमान की विशेषताएँ (Features of Administrative Model)

प्रशासनिक प्रतिमान की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

(1) निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायक (Helpful to Obtain Definite Objectives)- प्रशासनिक प्रतिमान के सहयोग से संस्था द्वारा निश्चित उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सकता है। प्रशासनिक प्रतिमान में पाठ्यचर्या निर्माण, विकास व उचित प्रबन्धन शामिल किया जाता है। इसके अतिरिक्त इस प्रतिमान द्वारा पाठ्यचर्या के निर्धारित उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सकता है। इन लक्ष्यों की प्राप्ति से न केवल विद्यालय व छात्र की आवश्यकता पूरी होती है बल्कि दोनों पक्षों के आमने-सामने वाली कई समस्याओं का समाधान भी किया जा सकता है।

(2) प्रसिद्ध प्रतिमान (Famous Model)- प्रशासनिक प्रतिमान सबसे अधिक प्रसिद्ध प्रतिमान माना जाता है। इस प्रतिमान का उपयोग आमतौर पर उच्च शैक्षणिक संगठनों के द्वारा किया जाता है। इससे शिक्षा के स्तर को उच्च बनाया जा सकता है। प्रशासनिक प्रतिमान से कई शैक्षणिक कठिनाइयों को भी सुलझाया जा सकता है। इस प्रकार की उच्च शैक्षणिक संस्थाएँ प्रशासनिक प्रतिमान के द्वारा न केवल पाठ्यचर्या का निर्माण व विकास कर सकती हैं बल्कि यह पाठ्यचर्या के उचित प्रबन्धन में भी सहायक होती हैं

(3) भारत में अधिकतर उपयोग किया जाना (More Used in India)- प्रशासनिक प्रतिमान का उपयोग अधिकतर भारत के प्रशिक्षण संस्थानों में किया जाता है। भारत में शिक्षा के स्तर को उच्च बनाने के लिए पाठ्यचर्या का निर्माण व विकास करने के लिए, शिक्षा के उचित प्रबन्ध के लिए अनेक शैक्षणिक संस्थाएँ काम कर रही हैं। इन संस्थाओं में एन. सी. आर. टी. व एस. सी. ई. आर. टी. आदि संस्थाओं को सम्मिलित किया जाता है।

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प्रशासनिक प्रतिमान के सोपान (Steps of Administrative Model)

प्रशासनिक प्रतिमान के पाँच सोपान निम्नलिखित हैं-

(1) योजना बनाना (Make Planning)- प्रशासनिक प्रतिमान के अन्तर्गत सभी योजना से जुड़े कार्यों को पूरा किया जाता है और क्या, कब, कहाँ आदि के द्वारा सम्बन्धित योजनाओं के उत्तरों को तथ्यों के साथ जोड़ने की कोशिश की जाती है। इस योजना के माध्यम से छात्र निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने की कोशिश करते हैं। उन लक्ष्यों को निर्धारित करने के साथ-साथ दूसरे छात्रों व अध्यापकों के लिए पुनः निर्धारित भी किया जाता है। इन योजनाओं के माध्यम से पाठ्यचर्या से जुड़े विभिन्न कार्यक्रमों को तैयार किया जाता है और उनका नियोजन करके कक्षाओं के लिए प्रस्तुत किया जाता है।

(2) संगठन करना (Organization)- प्रशासनिक प्रतिमान के अन्तर्गत तैयार की गई योजनाओं के निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए कई व्यक्तियों को चुना जाता है। इनका सही संगठन करके निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति को क्रियात्मक ढंग से प्रस्तुत करने की कोशिश की जाती है। इन विभिन्न व्यक्तियों में मुख्याधिकारी नियोजन के कार्य करने में मुख्य रूप से भूमिका निभाता है और नियुक्त मुख्याधिकारी के द्वारा कार्यकारी समिति वे सलाहकारी समिति की नियुक्ति की जाती है।

(3) प्रशासन करना (Administration)- प्रशासनिक प्रतिमान के अन्तर्गत कई व्यक्तियों की नियुक्ति करने के पश्चात् पाठ्यचर्या को बनाने व विकास करने का कार्य किया जाता है। इस पाठ्यचर्या निर्माण व विकास का कार्य करने का उत्तरदायित्व एवं पाठ्यचर्या सम्बन्धित प्रस्ताव मुख्याधिकारी के द्वारा उप-मुख्याधिकारी को करने को कहा जाता है। इसी के साथ ही साथ संचालक समिति द्वारा कार्यकारी समिति एवं सलाहकार समिति के सहयोग से पाठ्यचर्या निर्माण एवं विकास का प्रतिरूप तैयार करने के बाद संचालक समिति को दोबारा सौंपा जाता है। इसके अतिरिक्त संचालक समिति के साथ-साथ दो दूसरी कमेटियों का भी गठन किया जाता है। इन कमेटियों में क्रियान्वयन समिति एवं सुधार समिति शामिल होती है।

(4) निर्देशन देना (Give Direction)- प्रशासनिक अधिकारी को समय-समय पर निर्देशन देना भी बहुत जरूरी माना जाता है। यह प्रशासनिक अधिकारी समय-समय पर विभिन्न अध्यापकों व कमेटियों के द्वारा पाठ्यचर्या निर्माण व विकास के सम्बन्ध में उचित दिशा-निर्देश देते हैं। इन्हीं के द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है।

(5) प्रतिपुष्टि पर नियन्त्रण रखना (Control Over Feedback)- प्रशासनिक प्रतिमान का प्रतिपुष्टि पर नियन्त्रण भी रहता है। इस सोपान के अन्तर्गत विभिन्न अध्यापकों व कमेटियों के द्वारा दी गई प्रतिपुष्टि पर उचित रूप से नियन्त्रण रखा जाता है। इससे कार्यों को उचित दिशा में करने की प्रेरणा मिलती है

प्रशासनिक प्रतिमान के लाभ या गुण (Advantages or Merits of Administrative Model)

प्रशासनिक प्रतिमान के लाभ या गुण निम्नलिखित हैं-

(1) निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायक (Helpful to Obtain Definite Objectives)- प्रशासनिक प्रतिमान के द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करना सरल होता है। विद्यालय में लागू पाठ्यचर्या का कोई-न-कोई उद्देश्य अवश्य होता है। उन उद्देश्यों को प्राप्त करने में विद्यालय प्रशासन की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। प्रशासनिक प्रतिमान के द्वारा ही न केवल विद्यालय के द्वारा निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति की जा सकती है, बल्कि विद्यालय का सही दिशा की ओर विकास भी किया जा सकता है।

(2) सहयोग व समन्वय में सहायक होना (Helpful in Co-operation and Co ordination)- प्रशासनिक प्रतिमान द्वारा विद्यालय के कर्मचारियों व छात्रों में मेलजोल की व समन्वय की भावना विकसित होती है और इसी भावना से विद्यालय एवं छात्रों की आवश्यकताएँ पूरी होती हैं। इसी के साथ-ही-साथ समाज की भी जरूरतें पूरी होती हैं।

(3) क्रमबद्ध होना (Be Systematic)- प्रशासनिक प्रतिमान का कार्यक्रम के अनुसार होता है। इस प्रतिमान के अन्तर्गत विद्यालय में पाठ्यचर्या को बनाने व विकास करने सम्बन्धी योजनाएँ बनाई जाती हैं। इन योजनाओं का कार्य क्रमबद्ध तरीके से होता है तथा अध्ययन भी किया जाता है। इससे प्रशासनिक प्रतिमान की सफलता का मूल्यांकन भी होता है।

(4) उपयोगी होना (Full of Utility)- प्रशासनिक प्रतिमान भारत की सभी शैक्षणिक संस्थाओं के लिए अत्यधिक उपयोगी माना जाता है। इसी के द्वारा शैक्षिक स्तर व उसकी गुणवत्ता को बढ़ाया जा सकता है। इसमें समय-समय पर सुधार करके निश्चित उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सकता है।

(5) बाल-केन्द्रित होना (Be Child Centred)- प्रशासनिक प्रतिमान बाल-केन्द्रित प्रक्रिया पर अधिक बल देता है। इस प्रतिमान का उद्देश्य छात्रों की आवश्यकताओं को पूरा करना है। प्रशासनिक प्रतिमान का मुख्य केन्द्रबिन्दु बालक ही होता है। यह प्रतिमान सम्पूर्ण रूप से बालक के आगे-पीछे घूमता है और उसकी सभी प्रकार की समस्याओं को दूर करने में उसकी सहायता करता है।

(6) शैक्षिक प्रक्रिया में सहायता करना (To do Help in Education Process)- प्रशासनिक प्रतिमान शैक्षिक प्रक्रिया को चलाने में सहायक होता है। विद्यालय का प्रशासन सही न होने के कारण विद्यालय की शैक्षिक प्रक्रिया में कई बार कठिनाई पहुँचती है। इसका असर विद्यालय के परिणामों पर पड़ता है। इस कारण प्रशासनिक प्रतिमान को एक आदर्श मानकर शैक्षिक प्रक्रिया को प्रत्येक परिस्थिति में चलाया जा सकता है और इसमें आने वाली कठिनाइयों का समाधान किया जा सकता है।

(7) विशेषज्ञों का शामिल होना (Include Expertises)- प्रशासनिक प्रतिमान विद्यालय में प्रशासन को चलाने के लिए विशेषज्ञों को सम्मिलित करने की भी सिफारिश करता है। कई विशेषज्ञों को मिलाकर विद्यालय की प्रबन्ध समिति तैयार की जाती है। इन विशेषज्ञों के सहयोग से ही प्रशासनिक प्रतिमान को व्यवस्थित, क्रमबद्ध एवं उपयोगी तरीके से संस्था में लागू किया जा सकता है। विद्यालय को उच्च स्तर पर ले जाने में प्रशासनिक प्रतिमान की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।

(8) अच्छे परिणाम देना (Provide Reliable Results )- प्रशासन प्रतिमान को विद्यालय में लागू करने से विद्यालय को अच्छे परिणाम मिलते हैं। इस परिणाम द्वारा न केवल पाठ्यचर्या का निर्माण व विकास होता है बल्कि इससे निर्धारित उद्देश्यों की प्राप्ति भी होती है। इस प्रतिमान द्वारा निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति से बेहतर परिणाम भी प्राप्त किये जा सकते हैं।

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प्रशासनिक प्रतिमान के अवगुण या दोष (Disadvantages or Demerits of Administrative Model)

प्रशासनिक प्रतिमान में अनेक अवगुण या दोष हैं, जिनका वर्णन निम्न प्रकार है-

(1) कार्य पर देरी होना (Takes Time to Work)- प्रशासनिक प्रतिमान प्रत्येक विद्यालय के प्रशासन के अन्तर्गत किये जाने वाले शिक्षा सम्बन्धी कार्यों को करने में समय लगाता है। प्रत्येक विद्यालय की प्रक्रिया में उतनी सरलता नहीं होती है जितनी मानी जाती है। हर समस्या का समाधान करने में समय लगता है। विद्यालय में प्रशासन को सुधारात्मक सम्बन्धी कार्यों को करने के लिए अधिक समय की आवश्यकता होती है। इससे किये जा रहे कार्यों में देरी के कारण प्रशासनिक प्रतिमान सफल नहीं हो पाता है।

(2) अध्यापक पर अत्यधिक कार्यभार होना (More Strength on Teacher) – इसके माध्यम से अध्यापक पर अधिक कार्यभार पड़ता है। छात्र की अधिकतर कठिनाइयों का सम्बन्ध शिक्षण अधिगम के साथ होता है। इसलिए शिक्षण एवं अधिगम प्रक्रिया को सही ढंग से चलाने के लिए प्रशासनिक प्रतिमान की आवश्यकता होती है लेकिन विद्यालय प्रतिमान में प्रशासनिक समस्याओं के आने की दशा में कार्यभार अध्यापक पर पड़ जाता है।

(3) लम्बी प्रक्रिया होना (Long Process)- प्रशासनिक प्रतिक्रिया एक लम्बी प्रक्रिया पर आधारित प्रतिमान / मॉडल है। इसी के साथ-साथ जब विद्यालय में प्रशासन सम्बन्धी कोई समस्या आती है तो उस समस्या का समाधान करने में अधिक समय लगता है। इससे अच्छे व सुलभ परिणामों की प्राप्ति नहीं होती है। प्रशासनिक परिणाम की प्रक्रिया का वास्तविक क्रियान्वयन एक लम्बी प्रक्रिया पर आधारित है।

(4) प्रजातान्त्रिक दृष्टिकोण न होना (Lack of Democracy Outlook)- प्रशासनिक प्रतिमान के अन्तर्गत विद्यालय के छात्र का दृष्टिकोण प्रजातान्त्रिक नहीं बन पाता है। प्रत्येक विद्यालय की प्रशासनिक स्थिति अलग-अलग होती है और अलग-अलग स्थिति होने के कारण यह प्रतिमान सभी विद्यालयों में समान रूप से लागू करना सम्भव नहीं हो पाता है।

(5) उचित सहयोग का अभाव (Lack of Proper Co-operation)— प्रशासनिक प्रतिमान को किसी भी विद्यालय में लागू करने के लिए आपसी मेलजोल की कमी हमेशा रहती है। विद्यालय में प्रशासन को सुचारू रूप से चलाने के लिए समय, धन व ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यह सब आपसी सहयोग के माध्यम से ही सम्भव है जबकि ऐसी स्थिति बहुत कम होती है। प्रशासनिक प्रतिमान की प्रक्रिया को पूर्णरूप से लागू करने में उचित सहयोग का अभाव होता है। इसी उचित सहयोग की कमी के कारण यह प्रतिमान पूरी तरह से सफल नहीं हो पाता

किसी भी विद्यालय में शैक्षणिक प्रक्रिया को सही ढंग से चलाने के लिए विद्यालय प्रशासन मुख्य भूमिका होती है। प्रत्येक विद्यालय की प्रशासनिक प्रक्रिया को व्यवस्थित व क्रमबद्ध करने की के लिए या विद्यालय में प्रशासनिक प्रतिमान को लागू किया जाए तो इससे पाठ्यचर्या का निर्माण व विकास होता है। इससे निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायता मिलेगी। किसी विद्यालय की शैक्षणिक सफलता की विफलता प्रशासनिक व्यवस्था से बचाने में प्रशासनिक प्रतिमान का बहुत महत्त्वपूर्ण योगदान होता है।

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shubham yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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