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प्राथमिक एवं द्वितीयक सूचना के स्रोतों में अंतर
प्राथमिक एवं द्वितीयक सामग्री में मुख्य अन्तर निम्नलिखित है-
1. मौलिकता- प्राथमिक सामग्री मौलिक होती है और अनुसंधान में वह प्रथम बार ही संकलित की जाती है। द्वितीयक सामग्री निर्मित माल के समान होती है, जिसमें पहले से ही संकलित की गयी सामग्री का प्रयोग किया जाता है।
2. धन, श्रम व समय- प्राथमिक सामग्री को संकलन करने में धन, श्रम, एवं समय की अधिक आवश्यकता होती है, परंतु द्वितीयक सामग्री में बिना धन, समय और श्रम के कार्य हो जाता है।
3. उद्देश्य – प्राथमिक सामग्री का संकलन निर्धारित उद्देश्य से किया जाता है और यह अनुसंधान के लिये उपयुक्त होती है। द्वितीयक सामगी में संशोधन करके उसे अनुसंधान के अनुकूल बनाया जाता है।
4. संकलन का ढंग- प्राथमिक सामग्री का संकलन निर्धारित की गयी रीतियों से किया जाता है, जबकि द्वितीयक सामग्री अनुसंधानकर्ता द्वारा पूर्व से ही संकलित रहती है।
5. स्त्रोत- प्राथमिक सामग्री का संकलन अवलोकन, साक्षात्कार, अनुसूची तथा प्रश्नावली द्वारा किया जाता है, जबकि द्वितीयक सामग्री का संकलन लिखित प्रलेखों के अन्तर्वस्तु विश्लेषण द्वारा किया जाता है।
6. सावधानी- प्राथमिक सामग्री को स्वीकार करने में सावधानी की आवश्यकता अधिक नहीं होती है। इसके विपरीत द्वितीयक सामग्री को स्वीकार करने से पूर्व उनका स्रोत, उद्देश्य और अन्य बातें देखनी पड़ती हैं।
7. पुनर्परीक्षण – प्राथमिक सामग्री के सम्बन्ध में अगर किसी प्रकार का सन्देह हो तो उसे पुनर्परीक्षण द्वारा दूर किया जा सकता है। द्वितीयक सामग्री की जाँच करना संभव नहीं है।
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