अनुक्रम (Contents)
बुद्धि का अर्थ और परिभाषा, बुद्धि परीक्षण, बुद्धि के सिद्धांत
बुद्धि का अर्थ और परिभाषा – इस पोस्ट में आप जानेंगे बुद्धि का अर्थ और परिभाषा, बुद्धि परीक्षण,बुद्धि के सिद्धांत (Theory of Intelligence Notes in Hindi) जिसके अंतर्गत गार्डनर का बहुबुद्धि सिद्धांत, रॉबर्ट जे स्टर्नवर्ग बुद्धि का त्रितंत्र सिद्धांत, अल्फ्रेड बिने का एक कारक सिद्धांत,स्पीयरमैंन का त्रि-कारक सिद्धांत (Three- factor theory), थार्नडाइक का बहु- कारक सिद्धांत तथा साथ ही बुद्धि की परिभाषा जो कि विभिन्न विद्वानों द्वारा दी गई है ,एवं बुद्धि की विशेषताएं ,बुद्धि को प्रभावित करने वाले कारक जैसी सभी महत्वपूर्ण जानकारी विस्तारपूर्वक बताई गई है । बुद्धि के सिद्धांत से संबंधित प्रश्न उत्तर UPTET,CTET & All TET Exams में विशेष रूप से पूछे जाते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए यह पोस्ट बनाई गई है आशा है यह आपके लिए उपयोगी साबित होगी।
बुद्धि का अर्थ और परिभाषा
बुद्धि की परिभाषा :- सोचने समझने की योग्यता ही बुद्धि है
टर्मन के अनुसार:-बुद्धि अमूर्त विचारों के बारे में सोचने की योग्यता है ।”
बकिनधम के अनुसार :- “सीखने की योग्यता ही बुद्धि हैं।”
वुडवर्थ के अनुसार :- “बुद्धि कार्य करने की एक विधि हैं।”
मन के अनुसार:- “नवीन परिस्थितियों को झेलने की मस्तिष्क की नमनीयता ही बुद्धि है।”
डियर बर्ड/बोर्ड :- “अनुभव के अनुसार लाभ उठाने की योग्यता ही बुद्धि हैं।”
बर्ट के अनुसार:- “उचित प्रकार से समझने विचार करने व तर्क करने की योग्यता बुद्धि है।”
बुद्धि की विशेषताएँ
1. बुद्धि जन्मजात शक्ति व योग्यता है।
2. बुद्धि एक विकासशील एंव परिवर्तन योग्यता है।
3. बुद्धि पर वशांनुक्रम व वातावरण दोनों का प्रभाव पड़ता है।
4. बुद्धि पर लिंगभेद का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
5. बुद्धि आयु व परिस्थितियों के अनुसार बदलती रहती हैं।
6. बुद्धि में 10 बिन्दुओं तक परिवर्तन होता है।
7. बुद्धि एक इकाई ना होकर इकाइयों का समूह हैं।
8. उचित प्रकार से उत्तर देना तर्क वितर्क करना चितंन करना कल्पना करना आदि योग्यता ही बुद्धि है।
9. सीखने की योग्यता ही बुद्धि हैं।
10. प्रत्येक वातावरण में समायोजन स्थापित करने की योग्यता ही बुद्धि है।
11. अनुभव से लाभ उठाने की योग्यता ही बुद्धि है।
12. अमूर्त विचारों के बारे में चितंन करने की योग्यता ही बुद्धि है।
बुद्धि के प्रकार :-
थार्नडाइक व गेरेट के अनुसार 3 प्रकार की बुद्धि होती है।
1. मूर्त बुद्धि
2. अमूर्त बुद्धि
3. सामाजिक बुद्धि
1. मूर्त बुद्धि :- इसे गायक या यांत्रिक बुद्धि भी कहते है इस बुद्धि का सम्बध यंत्रों व मशीनों से होता है।
2. अमूर्त बुद्धि :- इस बुद्धि का सम्बन्ध पुस्तकीय ज्ञान से होता है।
3. सामाजिक बुद्धि :- इस बुद्धि का सम्बन्ध सामाजिक अनुकूलनशीलता से होता हैं।
बुद्धि के सिद्धांत:-
1. एकतत्व सिद्धांत:- अल्फ्रेड बिने ने 1911 में दिया इसमें एकतत्व होता है सामान्य तत्व
नोट :- इस निरंकुशवादी सिद्धांत भी कहते है।
सहयोगी- टर्मन व र्स्टन
2. द्वितत्व सिद्धांत:- प्रवर्तक स्पीयर मेन 1904 द्वारा ब्रिटेन (लंदन) के ।
इन्होंने बुद्धि के दो तत्व बताए –
1. सामान्यतत्व जन्मजात
2. विशिष्ट तत्व अर्जित
बाद में स्पीयर मेन एक ओर तत्व समूह तत्व जोड़ दिया और सिद्धांत कहलाया- त्रितत्व सिद्धांत
3. बहुतत्व सिद्धांत :- प्रतिपादक-थार्नडाइक (U.S.A)
थार्नडाइक के अनुसार व्यक्ति जितनी भी मानसिक क्रियाये करता है। उतने तत्व बुद्धि के अन्तर्गत पाये जाते
है।
» थार्नडाइक ने अपने सिद्धांत की तुलना बालू के ढेर से करते हुये ऊँचाई ,चौडाई , क्षेत्र व गति की चर्चा की है।
इस आधार पर यह सिद्धांत कहलाया-
बालूका सिद्धांत (मात्रा सिद्धांत) परमाणुवादी सिद्धांत कहलाया।
4. समूह तत्व सिद्धांत
प्रवर्तक- र्थस्टन (U.S.A)
सन् – 1938
पुस्तक- Primary Mantal Aleality (प्राथमिक मानसिक योग्यताए)
इन्होने कुल 13 तत्व बताए । ओर इनमें से 7 तत्वों का प्रमुख तत्व बताया ।
उपनाम :- प्राथमिक मानसिक योग्यता सिद्धांत
1. प्रेक्षण तत्व योग्यता :-
Special Ability = S
2. अंक योग्यता :-
Number Ability = N
3. शाब्दिक योग्यता Verbal Ability =V
4. वाक् योग्यता :-
Ward Ability =w
5. स्मरण शक्ति :-
Memory Ability =M
6. तार्किक योग्यता :-
Reasoning Ability =R
7. प्रर्यवेक्षण योग्यता :-
Peraptual Ability = P
S+N+V+W+M+R+P = Intelligence
(5) प्रतिदर्श का सिद्धांत :- सन् 1955
प्रवर्तक – थॉमसन
निवासी – (U.S.A)
उपनाम :- नमूना सिद्धांत
थॉमसन के अनुसार व्यक्ति में सभी मानसिक योग्यताओं का थोड़ा – थोड़ा सैम्पल पाया जाता।
(6) त्रि आयाम सिद्धांत :-
प्रतिपादक – गिलफर्ड
निवासी – रूस
पद –3 पद बताए
सन् – 1967
इन्होने तीन पद बताए:-
1. संक्रिय/प्रक्रिया
2. विषय वस्तु / अर्न्तवस्तु
3. उत्पादन / परिणाम
1. संक्रिया या प्रक्रिया :- समस्या समाधान के लिए व्यक्ति जी मानसिक प्रक्रिया से गुजरता है उसे संक्रिया /प्रक्रिया कहते है।
2. विषय वस्तु/अर्तवस्तु :- समस्या समाधान के लिए जिस सामग्री की आवश्यकता होती हें उसे विषय वस्तु / अतवस्तु कहते है।
3. उत्पादन/परिणाम:- समस्या समाधान के लिए जिस रूप में सूचनाएँ प्राप्त होती है उसे उत्पादन परिणाम कहते है।
गिलफर्ड ने सन् 1967 में डिब्बे के आकार का एक मॉडल प्रस्तुत किया। जिसे बुद्धि सरचना मॉडल कहते है
इस मॉडल के अन्तर्गत 5X4X6 = 120
सन् 1977 में कोषों की संख्या – 5x5X6 =150
सन् 1980 में कोषों की संख्या – 6x5X6=180
अन्य सिद्धांत :-
1. त्रि चापित सिद्धांत
प्रतिपादक – स्टर्न बर्ग
2. तरल ठोस बुद्धि सिद्धांत
प्रतिपादक – कैटल
3. विकासात्मक सिद्धांत :-
प्रतिपादक – जीन पियाजे
4. बुद्धि का (क) व (ख) सिद्धांत :-
प्रतिपादक – हैव
5. लेवल 1 व लेवल 2 सिद्धांत :-
प्रतिपादक :- जॉनसन
6. पदानुक्रमिक सिद्धांत
प्रतिपादक – बर्ट व नर्मन
बुद्धि मापन के सोपान:-
1. वास्तविक आयु Chronological Age = C.A.
2. मानसिक आयु Mental Age = M.A.
3. बुद्धिलब्धि Intelligence Quotient = I. Q.
बुद्धि का इतिहास
1. सर्वप्रथम इग्लैंण्ड के फ्रांसिस गााल्टन ने 1885 में जनता का ध्यान बुद्धि की तरफ खींचा या आकर्षित किया।
2. सर्वप्रथम कैटल ने पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय में 1890 में “Mental test & measurement’ नामक पुस्तक प्रकाशित की ।
3. मानसिक परीक्षण शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग कैटल ने किया ।
मानसिक आयु शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग अल्फ्रेडबिने ने 1908 में किया ।
बुद्धिलब्धि शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम टर्मन ने किया ।
सर्वप्रथम र्स्टन व कुहलमान ने बुद्धिलब्धि का सुझाव देते हुए सन 1912 में सूत्र दिया।
IQ = M.A./C.A
संशोधित सूत्र टर्मन के द्वारा 1916 में दिया
बद्धि परीक्षण का इतिहास
1. सबसे पहले बुद्धि परीक्षण फ्रांस के निवासी अल्फ्रेड बिने ने साइमन की सहायता से सन 1905 में तैयार किया जिसका नाम था । बिने साइमन बुद्धि परीक्षण और यहाँ प्रश्नों की संख्या 30 थी ।
इस परीक्षण में पहला सशोधन सन 1908 में व दूसरा संशोधन 1911 में किया गया व प्रश्नों की संख्या
थी ।
सन 1961 मे अमेरिका के स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय में टर्मन की अध्यक्षता में बिने साइमन बुद्धि परीक्षण का संशोधन किया गया।
तथा संशोधित परीक्षण कहलाया स्टेन फोर्ड बिने परीक्षण या टर्मन बुद्धि परीक्षण व प्रश्नो की संक्ष्या – 90
> भारत में पहला बुद्धि परीक्षण 1922 एफ जी कालेज व लाहोर के प्रिंसिपल डॉ C.H. Rice के द्वारा बनाया गया।
डॉ C.H. Rice ने बिने साइमन बुद्धि परीक्षण का भारतीय अनुकूलन किया। तथा परीक्षण कहलाया- हिन्दुस्तानी बिने परफोमेन्स पॉन्इट स्केल।
यहाँ कथनों की संख्या 35 व उपकथन 7 रखे गए।
भारत में C.H. Rice के अलवा पण्डित लज्जा शंकर झां, डॉ सोहन लाल भाटिया, जलोटा आदि के द्वारा भी अनेक बुद्धि परीक्षणों का निर्माण किया गया।
बुद्धि परीक्षण
1.व्यक्तिगत
a.शाब्दिक
b.अशाब्दिक
2.सामुहिक
a.शाब्दिक
b.अशाब्दिक
> शाब्दिक परीक्षण :- शाब्दिक परीक्षण के होते हैं। जिनमें शब्दों का प्रयोग होता है बोलकर या लिखकर।
> अशाब्दिक परीक्षण :- अशाब्दिक परीक्षण वे होते है जिनमें शब्दों का प्रयोग नही होता हैं।
जैसे भूल-भूलैया परीक्षण – (पोर्टियस ने दिया)
वस्तु संयोजन परीक्षण – (वेसलर)
चित्रपूर्ती परीक्षण – (पेपर पेन्सिल)
ब्लाक बिल्डिंग परीक्षण –
मनुष्य कृष्णा परीक्षण –
विभिन्न भाषी, विकलाग (गूंगे, बहरे, अन्धे) अनपढ़ तथा सैनिको की छंटनी के लिए अशाब्दिक परीक्षण सहयोगी हैं।
वर्तमान समय में प्रचलित हैं।- सामुहिक शाब्दिक परीक्षण
बुद्धि मापन के लिए सर्वोच्च परीक्षण व्यक्तिगत शाब्दिक परीक्षण हैं।
टर्मन ने अशाब्दिक परीक्षणों की आलोचना करते हुए। शाब्दिक परीक्षणों को उचित ठहराया और कहाँ कि वो परीक्षण उचित परीक्षण नहीं होता जिसमें भाषा का प्रयोग न हुआ हो
» सबसे पहला व्यक्तिगत शाब्दिक बुद्धि परीक्षण फ्रांस में 1905 में बनाया गया। जिसका नाम था – बिनेसाइमन बुद्धि परीक्षण।
ओटियर्स ने अमेरिका में प्रथम विश्वयुद्ध के समय सन 1917 में सैनिकों की छंटनी करने के लिए दो प्रकार के सामुहिक परीक्षणों का निर्माण किया
1. आर्मी अल्फा परीक्षण:- सामुहिक शाब्दिक (अधिकारियों के लिए)
2. आर्मी बोटा परीक्षण:- सामुहिक अशाब्दिक परीक्षण (सेना में अन्य कर्मचारियों के लिए)
बुद्धि परीक्षण के माध्यम से मानसिक आयु ज्ञात की जाती है
» बेसल वर्ष :- जिस अधिकतम आयु स्तर के प्रश्नों को बालक हल कर देता है। उसे बेसल वर्ष कहते हैं और यहीं उसकी मानसिक योग्यता/आयु होती हैं।
» टर्मिनल वर्ष :- जिस आयु स्तर के प्रश्नों को बालक हल नहीं कर पाता । उसे टर्मिनल वर्ष कहते हैं।
नोट :- 16 वर्ष से अधिक आयु वाले व्यक्तियों का बुद्धि मापन करते समय सूत्र में वास्तविक आयु का मान 16 ही रखा जाता हैं।
टर्मन ने सन 1916 में स्टर्लफोर्ड बिने परीक्षण के समय बुद्धि लब्धि के वर्गीकरण की तालिका तैयार की जो निम्नलिखित है।
बुद्धि लब्धि |
बुद्धि वर्ग |
|
140 से अधिक | 2% | प्रतिभाशाली |
120-139 | 7% | प्रखर बुद्धि |
110-119 | 16% | तीव्र बुद्धि |
90-109 | 50% | सामान्य बुद्धि/औसत |
80-89 | 16% | मन्द या पिछडा बालक (मंगोलिज्म) |
70-79 | 7% | निर्बल बुद्धि |
70 से कम | 2% | मूर्ख |
70 से कम के प्रकार :-
50-69 मूर्ख
25-49 मूढ़
25 से कम जड
» संवेगात्मक बुद्धि :- ऐतिहासिक दृष्टिकोण से यदि देखा जाए तो संवेगात्मक बुद्धि शब्द का प्रयोग सन 1990 में दो अमेरिकन प्रोफेसर डॉ जॉन मेयर व पीटर सेलों के द्वारा किया गया।
लेकिन वर्तमान समय में जिस रूप में संवेगात्मक बुद्धि की सर्वत्र चर्चा की जा रही हैं। इसका प्रमुख श्रेय एक अमेरिकन मनोवैज्ञानिक डेनियल डोलमेन को जाता है।
इन्होने 1995 में प्रकाशित अपनी पुस्तक “संवेगात्मक बुद्धिः” बुद्धि लब्धि से अधिक महत्वपूर्ण क्यों ? के माध्यम से इसे चर्चा का विषय बनाया।
» संवेगात्मक बुद्धि से तात्पर्य :- अपनी तथा दुसरों की भावनाओं को जानने, समझने तथा उनका उचित
प्रबन्धन करने से हैं।
संवेगात्मक बुद्धि की उपयोगिता
1. कोई व्यक्ति जीवन में कितना सफल हो सकता हैं। इसकी भविष्य वाणी संवेगात्मक बुद्धि द्वारा की जा
सकती हैं।
2. जीवन को सुखमय व शांतिप्रिय बनाने में संवेगात्मक बुद्धि योगदान देती हैं।
3. विद्यार्थी जीवन में मिलने वाली सफलता के पीछे भी संवेगात्मक बुद्धि का योगदान होता है।
4. सम्बन्धो में प्रगाढ़ता लाने में भी संवेगात्मक बुद्धि का योगदान हैं।
5. जीवन में विभिन्न क्षेत्रों में वांछित सफलता प्राप्त करने में संवेगात्मक बुद्धि का योगदान रहता हैं।
व्यक्तित्व का अर्थ और व्यक्तित्व विकास को प्रभावित करने वाले कारक
बाल्यावस्था का अर्थ एवं परिभाषाएं,विशेषताएं,बाल्यावस्था में शिक्षा
शैशवावस्था का अर्थ एवं परिभाषाएं,विशेषताएं,शैशवावस्था में शिक्षा
बाल विकास का अर्थ, परिभाषा, आवश्यकता एवं महत्व
अधिगम का अर्थ एवं परिभाषा,अधिगम के नियम, प्रमुख सिद्धान्त एवं शैक्षिक महत्व
इसी भी पढ़ें…
(1) प्रयास एवं त्रुटी का सिद्धांत
(2) प्रयत्न एवं भूल का सिद्धांत
(3) आवृत्ति (बार-बार) का सिद्धांत
(4) उद्दीपक (Stimulus) अनुक्रिया (Respones) का सिद्धांत
(5) S-RBond का सिद्धांत
(6) सम्बन्धवाद का सिद्धांत
(7) अधिगम का बन्ध सिद्धांत
पुनर्बलन का सिद्धांत/ हल का सिद्धांत
- प्रबलन का सिद्धांत
- अर्तनोद न्यूनता का सिद्धांत
- सबलीकरण का सिद्धांत
- यथार्थ अधिगम का सिद्धांत
- सतत अधिगम का सिद्धांत
- क्रमबद्ध अधिगम का सिद्धांत
- चालक न्यूनता का सिद्धांत
बान्डुरा का सामाजिक अधिगम सिद्धांत
क्रिया-प्रसुत का अधिगम् सिद्धांत
1. R.S. का सिद्धांत
2. सक्रिय अनुबंधन का सिद्धांत
3. व्यवहारिक सिद्धांत
4. नेमेन्तिकवाद का सिद्धांत
5. कार्यात्मक प्रतिबधता का सिद्धांत
पावलव का अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धांत
1. शरीर शास्त्री का सिद्धांत
2. शास्त्रीय अनुसंधन सिद्धांत
3. क्लासिकल सिद्धांत/क्लासिकल अनुबंधन
4. अनुबंधित अनुक्रिया का सिद्धांत
5. सम्बन्ध प्रतिक्रिया का सम्बन्ध
6. अनुकूलित अनुक्रिया का सिद्धांत
7. अस्वभाविक अनुक्रिया का सिद्धांत
कोहलर का अर्न्तदृष्टि या सूझ का सिद्धांत
- गेस्टाल्ट सिद्धांत
- समग्र सिद्धांत
- कोहलर का अर्न्तदृष्टि का सिद्धांत
- कोहलर का सूझ का सिद्धांत
- अन्तर्दृष्टि या सूझ का सिद्धांत
- कोहलर का सिद्धान्त
- अन्तर्दृष्टि का सिद्धान्त
- गेस्टाल्टवादियों का सिद्धान्त
जीन पियाजे का संज्ञानवादी सिद्धांत
इसी भी पढ़ें…
- शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ, परिभाषा ,क्षेत्र ,प्रकृति तथा उपयोगिता
- वैश्वीकरण क्या हैं? | वैश्वीकरण की परिभाषाएँ
- संस्कृति का अर्थ एवं परिभाषा देते हुए मूल्य और संस्कृति में सम्बन्ध प्रदर्शित कीजिए।
- वर्तमान शिक्षा प्रणाली में कम्प्यूटर के प्रयोग | कंप्यूटर के उपयोग
- समाजमिति क्या है? समाजमिति की परिभाषा,समाजमिति विधि के उपयोग
- UGC NET PAPER 1 SYLLABUS 2020 PDF IN HINDI
- UGC NET PAPER 1 SYLLABUS 2020 PDF IN ENGLISH
दोस्तों अगर आपको किसी भी प्रकार का सवाल है या ebook की आपको आवश्यकता है तो आप निचे comment कर सकते है. आपको किसी परीक्षा की जानकारी चाहिए या किसी भी प्रकार का हेल्प चाहिए तो आप comment कर सकते है. हमारा post अगर आपको पसंद आया हो तो अपने दोस्तों के साथ share करे और उनकी सहायता करे.