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बेरोजगारी का अर्थ (Meaning of Unemployment)
जब कोई व्यक्ति किसी भी कार्य को करने की पूर्ण क्षमता व योग्यता रखता हो तथा कार्य करने का इच्छुक भी हो, किन्तु उसे कोई कार्य न मिले तो यह बेरोजगारी कहलाती है।
भारतीय अर्थव्यस्था में बेरोजगारी की भीषण समस्या व्याप्त है क्योंकि भारत की जनसंख्या जिस अनुपात में बढ़ रही है, उस अनुपात में भारतीय उद्योगों में वृद्धि नहीं हो रही है अतः रोजगार की समस्या उत्पन्न हो जाना स्वाभाविक है। ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी की समस्या और भी अधिक गम्भीर है क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में श्रम-शक्ति तो निरन्तर बढ़ रही है किन्तु कृषि जोतों में कोई वृद्धि नहीं होती है और, रोजगार के अवसरों में वृद्धि भी न के बराबर होती है। अतः देश की कुल बेरोजगारी का 80% भाग ग्रामीण बेरोजगारी है|
बेरोजगारी की परिभाषा
कार्ल प्रिब्रम के अनुसार – “बेकारी श्रम बाजार की वह दशा है जो श्रम शक्ति की पूर्ति करने के लिये स्थानों की संख्या से कही अधिक होती है।”
फेयर चाइल्ड के शब्दों में “बेकारी सामान्य क्रिया वर्ग का एक सामान्य अवधि में सामान्य मजदूरी की दर से तथा सामान्य दशाओं में किसी आर्थिक क्रिया से अनिश्चित रूप से वंचित रह जाना है।”
पीगू के मतानुसार एक व्यक्ति को तभी बेकार कहा जा सकता है जब उसके पास कोई काम नहीं होता है और वह काम नहीं करना चाहता है।”
बेरोजगारी के प्रकार (Kinds of Unemployment)
बेरोजगारी निम्नलिखित दो प्रकार की होती है-
(a) ग्रामीण बेरोजगारी (Rural Unemployment)
भारत में ग्रामीण के -निम्नलिखित तीन रूप दिखाई पड़ते हैं –
(i) मौसमी बेरोजगारी (Seasonal Unemployment) – जब व्यक्ति को वर्ष में कुछ दिन काम मिले और शेष दिन पूर्ण बेरोजगार रहना पड़े तो ऐसी बेरोजगारी मौसमी बेरोजगारी कहलाती है।
(ii) अदृश्य बेरोजगारी (Disguised Unemployment)- जब किसी कार्य में आवश्यकता से अधिक व्यक्ति लगे हुए है कि उन्हें कार्य से हटाने पर कार्य या उत्पादन पर कोई प्रभाव न पड़े, तो ऐसी स्थिति में अदृश्य बेरोजगारी कहलाती है।
(iii) अल्प रोजगार ( Under Employment)- ग्रामीण क्षेत्रों में एक अन्य प्रकार की बेरोजगारी पायी जाती है जिसे अल्प रोजगार कहते हैं। इसके अन्तर्गत उन श्रमिकों को शामिल किया जाता है जिन्हें अपनी क्षमता व योग्यता के अनुसार काम नहीं मिलता है।
(b) शहरी बेरोजगारी (Urban Unemployment)
शहरी बेरोजगारी निम्नलिखित दो प्रकार की होती है-
(i) शिक्षित बेरोजगारी (Educated Unemployment)- इस बेरोजगारी में वे व्यक्ति शामिल किये जाते हैं जिन्हें विशेष संसाधनों के माध्यम से प्रशिक्षित किया जाता है तथा जिनकी कार्य करने की क्षमता अन्य श्रमिकों से अधिक होती है।
(ii) औद्योगिक बेरोजगारी (Industrial Unemployment) – यह बेरोजगारी भी शहरी क्षेत्रों में पायी जाती है। भारत में कार्यशील जनसंख्या तथा शहरीकरण में वृद्धि हो रही है।
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