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भराव सिंचाई या तोड़ सिंचाई के लाभ व हानि
लाभ-(1) सिंचाई करना सरल होता है।
(2) कम मजदूरों की आवश्यकता होती है।
(3) यह बहुत ही कम खर्चीली विधि है।
(4) फसलों को पानी पर्याप्त मात्रा में मिल जाता है, विशेषकर ग्रीष्म ऋतु में अधिक उपयुक्त रहती है।
(5) अधिक पानी चाहने वाली फसलों के लिए अच्छा ढंग
(6) खेत में मेड या नालियाँ अथवा बरहे बनाने के व्यय तथा क्षेत्रफल में बचत होती है।
(7) पानी लगाने में सुविधा रहती है।
हानियाँ-(1) पानी की अधिक मात्रा की आवश्यकता होती है।
(2) सिंचाई जल का केवल 20% भाग ही फसलों के द्वारा प्रयोग किया जाता है तथा शेष 80% भाग बहकर, अपसरण तथा वाष्प बनकर नष्ट जाता है।
(3) खेत में अधिक दिनों तक नमी रहने के कारण निकाई-गुड़ाई आदि क्रियाओं में बाधा तथा देरी होती है।
(4) सिंचाई का अवैज्ञानिक तथा त्रुटिपूर्ण ढंग है।
(5) कम पानी चाहने वाली फसलों के लिए उपयुक्त विधि नहीं है।
(6) असमतल खेतों में इस ढंग से सिंचाई नहीं हो पाती।
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