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भारतीय पारम्परिक कढ़ाई (कसीदाकारी) का इतिहास लिखिये।

भारतीय पारम्परिक कढ़ाई (कसीदाकारी) का इतिहास
भारतीय पारम्परिक कढ़ाई (कसीदाकारी) का इतिहास

भारतीय पारम्परिक कढ़ाई (कसीदाकारी) का इतिहास

इतिहास में भारतीय कशीदाकारी की अपनी विशिष्ट पहचान रही है। सन् 1526 में मुगलों के भारत आगमन से भारतीय कढ़ाई कला मुगल प्रभाव से अछूती न रह सकी। फलस्वरूप उसमें भी अनेक परिवर्तन आए। सम्राट अकबर (1542-1605) ने कढ़ाई कला को प्रश्रय ही नहीं दिया बल्कि स्वयं इसमें रुचि लेते हुए इस कला को प्रोत्साहित एवं विकसित किया। अकबर ने कढ़ाई के काम के लिए कारखानोंकी स्थापना की जहाँ भारतीय कारीगरों का सहयोग देने के लिए परशिया (अब ईरान) से निपुण कार्यकर्त्ता आमंत्रित किए। कारखाने के बड़े से प्रेक्षागृह में कलाकार, दर्जी, सिलाई-कढ़ाई करने वाले, सोने-चाँदी के तार बनाने वाले, स्वर्णकार तथा अन्य सहायक, एक साथ बैठकर काम करते थे। दोनों संस्कृतियों के संयोग से भारतीय कशीदाकारों को एक विशिष्ट नूतन रूप प्राप्त हुआ। ये कशीदे प्रायः एक विशेष क्रोशिए अरी (Ari) द्वारा चेन स्टिच बनाकर, सोने-चाँदी के तारों द्वारा, शीशे जड़कर या चमकीले पंख टाँककर बनाए जाते थे। बारीक कढ़ाई द्वारा बने विविध नमूने, लुभावने दृश्य, आकर्षक प्रभाव उत्पन्न करते थे।

इसी प्रकार भारत की कढ़ाई कला पर विदेशी शैली का प्रभाव अन्य प्रदेशों में भी पड़ा। चीन से सैटिन स्टिच का आगमन हुआ। यूरोप, मध्य पूर्व देशों से लाए गए लम्बी रेखाओं वाले टाँके मिलकर पंजाब में ‘फुलकारी’ अर्थात् ‘बाग’ की कढ़ाई का विकास हुआ। यूरोप की कशीदाकारी का प्रभाव लखनऊ की ‘चिकनकारी’ पर भी पड़ा। ऑस्ट्रेलिया, हंगरी, स्पेन, में जिस प्रकार भरवा टाँकों का व्यवहार किया जाता था, उसी से मिलती-जुलती कढ़ाई कर्नाटक की ‘कसूती’ में देखने को मिलती है। स्पेन की कढ़ाई कला की शैली अरब व्यापारियों द्वारा कच्छ, काठियावाड़ में आयतित की गई। प्राचीन काल में भारत में आए यात्रियों तथा व्यापारियों द्वारा लाई गई कशीदाकारी का प्रभाव भारत के उत्तर पूर्वी प्रदेशों पर पड़ा।

विभिन्न संस्कृतियों द्वारा प्रभावित होते हुए भी भारतीय कढ़ाई कला में निहित विशिष्टताओं के कारण उसका विशेष आकर्षण रहा है। भारतीय पारम्परिक कढ़ाई कला के कुछ उल्लेखनीय नाम निम्नलिखित हैं-

1. कश्मीरी कढ़ाई कला (Kashmiri Embroidery)

2. पंजाबी फुलकारी (Punjabi Phulkari)

3. काठियावाड़ एवं कच्छ की कढ़ाई (Embroidery of Kathiawar and Katch)

4. राजस्थानी कढ़ाई (Rajasthani Embroidery)

5. चम्बा रूमाल (Chamba Rumal)

6. उड़ीसा का पैचवर्क (Patch work of Orrisa)

7. बंगाल का कंथा (Kantha of Bengal)-

8.. लखनऊ की चिकनकारी (Chikankari of Lucknow)

9. मनीपुरी कढ़ाई (Manipuri Embroidery)

10. कर्नाटक की कसूती (Kasauti of Karnataka)

11. बनारसी जरी कला (Zari work of Benaras)

12. मद्रासी कढ़ाई (Madrasi Work)

13. बिहार की सुजनी (Sujani of Bihar)

14. सिंधी कढ़ाई (Sindhi Embroidery)

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shubham yadav

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