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भारत एक धनी देश है, किन्तु यहाँ के निवासी निर्धन है।
किसी भी देश का धनवान होना इस बात पर निर्भर करता है कि उसके पास प्राकृतिक साधन कितनी मात्रा में उपलब्ध हैं। यदि कोई देश प्राकृतिक साधनों से तो सम्पन्न है किन्तु यदि उनका समुचित विदोहन नहीं किया जाता तो वहाँ के निवासी अवश्य ही निर्धन होंगे। प्रसिद्ध अर्थशास्त्री डॉ० वीरा एन्सटे ने ठीक ही लिखा है “कि भारत एक धनी देश है जिसमें निर्धन लोग निवास करते हैं।” इस कथन का आशय यह है कि भारत एक सम्पन्न देश है अर्थात् भारत में प्राकृतिक साधन तो प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है किन्तु यहाँ के निवासी निर्धन हैं अर्थात् उन साधनों का हम समुचित विदोहन नहीं कर सके हैं। स्पष्टतः इस कथन के दो भाग हैं प्रथम भारत एक धनी देश है और द्वितीय यहाँ के निवासी निर्धन हैं। सर्वप्रथम यह स्पष्ट करेंगे कि भारत एक धनी देश है तत्पश्चात् यह सिद्ध करेंगे कि यहाँ के निवासी निर्धन हैं।
(A) भारत एक धनी देश है
साधनों की प्रचुरता के कारण भारत को धनी देश माना जाता है। भारत को सम्पन्न सिद्ध करने वाले तथ्य निम्नलिखित हैं-
1. विस्तृत भू-क्षेत्र- भारत एक विशाल देश है जिसका क्षेत्रफल 32.88 लाख वर्ग किलोमीटर है। उत्तर से दक्षिण तक इसकी लम्बाई 3.214 किलोमीटर और पूर्व से पश्चिम तक चौड़ाई 2.933 किलोमीटर है। यह विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा देश है। क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का आकार श्रीलंका से 45 गुना, ब्रिटेन से 14 गुना, जापान से 9 गुना व वर्मा से 5 गुना बड़ा है। अतः देश में प्राकृतिक साधनों की प्रचुर मात्रा में उपलब्धता स्वाभाविक है।
2.विभिन्न जलवायु– भारत में भिन्न-भिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न जलवायु पाई जाती है। इसीलिए मार्सडन ने लिखा है कि विश्व की समस्त जलवायु भारत में मिल जाती है। भारत के मध्य से कर्क रेखा गुजरती है अतः दक्षिण भारत उष्ण कटिबन्ध व उत्तर भारत समशीतोष्ण कटिबन्ध में है। भारत में बहुत गर्म व बहुत ठण्डी जलवायु वाले प्रदेश व अत्यधिक वर्षा व अत्यधिक शुष्क प्रदेश भी हैं। जलवायु की अनुकूलता के कारण ही भारत में परिवहन साधनों का सम्पूर्ण वर्ष प्रयोग, कृषि फसलों की विधिवता, पर्याप्त वर्षा व अनुकूल ताप सम्भव हो पाया है।
3. पर्याप्त जल स्रोत- भारत में सतत् बहने वाली नदियाँ वर्ष भर जल उपलब्ध कराने हेतु झीलें व तालाब पर्याप्त मात्रा में सुलभ हैं तो दूसरी ओर भूमिगत जल का भी अभाव नहीं है। वर्षा का अधिकांश जल समुद्र में बहकर चला जाता है इसको रोककर विद्युत उत्पादन व सिंचाई की जा सकती है।
4. उपजाऊ मैदान- भारत में कृषि की विशाल दृष्टि से विशाल उपजाऊ मैदान है जो नदियों द्वारा बनाये गये हैं। गंगा सतलज का मैदान ही सम्पूर्ण भारत की आवश्यकता से अधिक खाद्यान्न उत्पन्न कर सकता है। इन मैदानी भागों में देश की लगभग दो-तिहाई जनसंख्या निवास करती है।
5. वन सम्पदा- भारत के कुल क्षेत्र के 22.7% क्षेत्र में वन फैले हुए हैं। विशाल मात्रा में उपलब्ध ये वन, उद्योग, जलवायु व कृषि के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन वनों से अनेक उद्योगों को कच्चा माल मिलता है जैसे कागज दियासलाई फर्नीचर, प्लाइवुड वारनिश, पेण्ट्स आदि ।
6. खनिज सम्पदा- खनिज सम्पदा की दृष्टि से भारत का विश्व में महत्वपूर्ण स्थान है। विश्व का लगभग 80% अभ्रक व 25% लोहा भारत में ही संचित है। भारत में कोयले के भी अटूट भण्डार हैं। इनके अतिरिक्त टंगस्टन, क्रोमाइट मैग्नेसाइट इल्मेनाइट व सोने आदि की भी खाने हैं। लोहा, मैंगनीज, अभ्रक तथा बाक्साइट का बहुत बड़ी मात्रा में उत्पादन होता है तथा विशाल मात्रा में निर्यात भी किया जाता है।
7. विशाल शक्ति के साधन- भारत में शक्ति के साधन जैसे कोयला, पदार्थ, गैस, अणुशक्ति लकड़ी आदि भी काफी मात्रा में पाये जाते हैं। जल शक्ति के पर्याप्त नित्यवादी नदियों व अनुकूल.. परिस्थितियाँ हैं। अणुशक्ति के लिए थोरियम के भण्डार हैं। खनिज तेल के हाल ही में मिले भण्डार अच्छी सम्भावनाओं के प्रतीक हैं। स्वच्छ आकाश के कारण सूर्य शक्ति का उपयोग भी सम्भव है।
8. समुद्री सम्पदा- अज्ञात खनिजों में धनी हैं –
भारत के तीनों ओर समुद्र हैं, जो मत्स्य सम्पदा, नमक, खनिज तेल व अन्य
(B) यहाँ के निवासी निर्धन हैं
प्राकृतिक साधनों की प्रचुरता होते हुए भी भारतवासियों को निम्न कारणों से निर्धन कहा जाता है।
(i) निर्धनता तथा प्रति व्यक्ति निम्न आय
(ii) कमजोर आर्थिक संगठन
(iii) पूँजी निर्माण की नीची दर
(iv) बेरोजगारी एवं अर्द्ध-बेरोजगारी
(v) आधारभूत एवं पूँजीगत उद्योगों का सीमित विकास
(vi) कुशल श्रम एवं तकनीकी ज्ञान की कमी
(vii) आर्थिक समानता
(viii) उपभोग का निम्न स्तर
(ix) असंतुलित विदेशी व्यापार
(x) आर्थिक कुचकों का जोर
(xi) मानसून पर निर्भरता
(xii) यातायात एवं संवाद वाहन के साधनों का असंतुलित विकास
(xiii) सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाओं से प्रभावित।
उपर्युक्त विवेचना से स्पष्ट है कि भारत एक धनी देश है लेकिन उसमें निर्धन व्यक्ति निवास करते हैं। सम्पन्नता के मध्य निर्धनता भारतीय अर्थव्यवस्था की महत्वपूर्ण विशेषता है इसके दो प्रमुख कारण है – (i) भारत में बचत, निवेश व पूँजी निर्माण दर कम होने से प्राकृतिक साधनों के विदोहन हेतु पर्याप्त पूँजी उपलब्ध नहीं होती है।
(ii) भारतीय जनसंख्या की किस्म विकास कार्यों में अधिक सहयोगी नहीं है।
निष्कर्ष के रूप में निम्न उदाहरण दिया जा सकता है जब हम कहते हैं कि राष्ट्र संसाधनों में धनी है, तो इस कथन का तात्पर्य समकालीन ज्ञान और तकनीकी के सन्दर्भ में होता है। इसी प्रकार एक राष्ट्र जो आज संसाधनों में निर्धन समझा जाता है, कुछ समय पश्चात् बहुत धनी समझा जा सकता है। केवल इस कारण नहीं क्योंकि अज्ञात साधन खोज लिए गये हैं बल्कि समान रूप से इसलिए भी क्योंकि, ज्ञात साधनों के नये उपयोग ढूँढ लिए गये हैं।
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