राजनीति विज्ञान (Political Science)

भारत में शिक्षा के संवैधानिक प्रावधान

भारत में शिक्षा के संवैधानिक प्रावधान
भारत में शिक्षा के संवैधानिक प्रावधान

भारत में शिक्षा के संवैधानिक प्रावधान

शिक्षा किसी भी राष्ट्र के विकास का एक महत्त्वपूर्ण संकेतक है। यह लोकतंत्र को मजबूत करने तथा व्यक्तिगत व सामाजिक जीवन की समग्र गुणवत्ता को ऊँचा उठाने का भी एक कारगर साधन है। 15 अगस्त, 1947 को जब भारत स्वतंत्र हुआ तथा 26 जनवरी, 1950 को जब भारतीय संविधान लागू किया गया तो भारतीय संविधान के निर्माताओं ने लोकतंत्रीय शासन व्यवस्था में शिक्षा के महत्त्व को स्वीकार किया तथा शिक्षा सम्बन्धी उत्तरदायित्वों को केन्द्र तथा राज्यों के मध्य विभाजित कर दिया जिससे केन्द्र तथा राज्य अपने-अपने स्तर पर शिक्षा का नियोजन करके शैक्षिक विकास को सुनिश्चित कर सकें। निःसन्देह स्वतंत्रता के उपरान्त भारत में शिक्षा के विकास के एक नये युग का सूत्रपात हुआ। यद्यपि शिक्षा के क्षेत्र में वे सभी उपलब्धियाँ प्राप्त नहीं हो सकी हैं जो स्वतंत्र भारत में अपेक्षित थीं, फिर भी शिक्षा के क्षेत्र में अनेक उल्लेखनीय कार्य किये गये।

निःसन्देह स्वतंत्र भारत के संविधान के निर्माताओं तथा केन्द्र व राज्यों की सरकारों के. इन चुनौतियों को स्वीकार कर भारतीय शिक्षा को एक नई दिशा प्रदान की । संविधान में शिक्षा से सम्बन्धित अनेक प्रावधान करके केन्द्र तथा राज्यों के उत्तरदायित्व को स्पष्ट कर दिया गया। इस सन्दर्भ में शिक्षा से सम्बन्धित कुछ संवैधानिक प्रावधान निम्नलिखित हैं –

शिक्षा से सम्बन्धित संवैधानिक प्रावधान (Constitutional Provision Related to Education)

भारतीय संविधान में ऐसी अनेक महत्त्वपूर्ण धाराएँ एवं उपबन्ध हैं, जिनका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शिक्षा से सम्बन्ध है।

(1) शिक्षा का अधिकार (Right to Education)- धारा 21 (A) “राज्य 6 वर्ष से 14 वर्ष की आयु वाले बच्चों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा देने की ऐसी रीति में, जो राज्य विधि द्वारा अवधारित करे, उपलब्ध करेगा।”

(पूर्व में यह धारा 45 थी, जिसमें सन् 2002 में संशोधन किया गया।) मूल धारा इस प्रकार है-

प्राथमिक शिक्षा में विकास तथा शिक्षा का मूल अधिकार (Provision for Free and Compulsory Education) – धारा 45 में लिखा गया था, “बालकों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का प्रबंध राज्य इस संविधान के आरम्भ से दस वर्ष की अवधि के भीतर सभी बालकों को चौदह वर्ष की आयु पूरी करने तक निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा देने के लिए उपबन्ध (Provision) का प्रयास करेगा।” सन् 2002 में इसमें परिवर्तन किया गया।

(2) छोटे बच्चों की देखभाल तथा शिक्षा (Provision for Early Childhood Care and Education)— धारा 45- राज्य प्रारम्भिक अवस्था में बच्चों की देखभाल तथा शिक्षा के लिए उपबन्ध करने का प्रयास करेगा।

(3) अभिभावकों के कर्त्तव्य (Duties of Parents) — धारा 51 (A)- अभिभावक तथा संरक्षक का कर्त्तव्य होगा कि वह 6 वर्ष से 14 वर्ष के बीच आयु वाले बच्चों को शिक्षा के अवसर प्रदान करेगा। (यह धारा 2002 में संशोधित करके जोड़ी गयी।)

(4) धारा 28 (2) — यदि संस्था किसी ऐसे ट्रस्ट द्वारा संचालित हो, जिसके प्रावधानों अनुसार धार्मिक शिक्षा देने की बाध्यता हो और वह राज्य द्वारा संचालित की जाती हो के तो ऐसी संस्था को धारा 28 (1) के प्रावधानों की अनिवार्यता से मुक्त रखा जायेगा।

(5) धारा 28 (3) — व्यक्ति की स्वीकृति के बिना जबर्दस्ती धार्मिक शिक्षा देने पर पाबन्दी लगाती है।

(6) धारा 29 (1)- “भारत के राज्य क्षेत्र अथवा उसके किसी भाग के निवासियों के किसी विभाग को अपनी विशेष भाषा, लिपि या संस्कृति बनाये रखने का अधिकार होगा ।”

धारा 29 (2) — ” राज्य द्वारा पोषित या राज्य निधि से सहायता प्राप्त करने वाली किसी संस्था में किसी नागरिक को धर्म, प्रजाति, जाति, भाषा या उनमें से किसी एक पर प्रवेश देने से नहीं रोका जायेगा।’ के आधार

(7) धारा 30- ” धर्म या भाषा पर आधारित सभी अल्पसंख्यक वर्गों को अपनी रुचि की शिक्षा संस्थाओं की स्थापना तथा प्रशासन का अधिकार होगा ।”

कमजोर वर्गों की शिक्षा (Education of Weaker Sections)

(8) धारा 46―” राज्य जनता के निर्बल विभागों, विशेषतया अनुसूचित जातियों की शिक्षा तथा अर्थ सम्बन्धी हितों की विशेष सावधानी से उन्नति करेगा और सामाजिक अन्याय तथा सभी प्रकार के शोषण से उनका संरक्षण करेगा।”

(9) धारा 239- संघ क्षेत्रों का प्रशासन (Administration of Union Territories)—”यदि संसद द्वारा अथवा कानून द्वारा कोई और प्रबंध न किया गया हो तो प्रत्येक संघ क्षेत्र पर राष्ट्रपति का शासन उस सीमा तक जहाँ तक वह उचित समझे, एक शासक द्वारा जिसे वह नियुक्त करेगा, चलाया जायेगा।” स्पष्ट है कि संघ क्षेत्र में शिक्षा केन्द्र के अधिकार क्षेत्र में है।

अल्पसंख्यकों के बच्चों की मातृ भाषा में शिक्षा (Education of the Children of Minorities)

(10) धारा 350 – प्रत्येक राज्य और राज्य के भीतर, प्रत्येक स्थानीय अधिकारी. भाषायी अल्पसंख्यक वर्गों के बालकों को शिक्षा के प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा की पर्याप्त सुविधाओं की व्यवस्था करने का प्रयास करेगा। राष्ट्रपति किसी राष्ट्र को ऐसे निर्देश दे सकता है जो वह ऐसी सुविधाओं का उपबन्ध सुनिश्चित कराने के लिए आवश्यक या उचित समझता है

धारा 350 (A) – मातृभाषा को प्राथमिक शिक्षा सुविधाएँ उपलब्ध कराने का दायित्व राज्य व स्थानीय प्रशासन का है।

(11) धारा 351–‘हिन्दी भाषा में वृद्धि करना, उसका विकास करना तथा उसकी समृद्धि सुनिश्चित करना संघ का कर्त्तव्य होगा, जिससे वह भारत की मिश्रित संस्कृति के विभिन्न अंगों की अभिव्यक्ति का माध्यम बन सके।”

(12) धारा 343 – “देवनागरी लिपि में हिन्दी संघ की राजभाषा होगी।”

स्त्री शिक्षा (Women’s Education)

(13) धारा 15 (1)— राज्य नागरिकों में लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं करेगा।

धारा 15 (3) — स्त्रियों व बच्चों के लिए विशेष व्यवस्था करने में धारा (50) के प्रावधान आड़े नहीं आयेंगे।

(14) उच्च शिक्षा और शोध — जिन्हें केन्द्र सरकार स्वतंत्र रूप अपने अधीन रख सकती है। ये संघ सूची में 63, 64, 65, 66 उपबन्ध में वर्णित हैं ।

उपबन्ध 63— इस संविधान के प्रारम्भ पर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और दिल्ली विश्वविद्यालय के नाम से जानने वाले संस्थान ।

अनुच्छेद 371 ङ के अनुसरण में स्थापित विश्वविद्यालय, संसद द्वारा, विधि द्वारा राष्ट्रीय महत्त्व की घोषित कोई अन्य संस्था ।

उपबन्ध 64— भारत सरकार द्वारा पूर्णत: या अंशत: पोषित वैज्ञानिक या प्राविधिक शिक्षा की संस्थाएँ और संसद द्वारा घोषित राष्ट्रीय महत्त्व की संस्थाएँ ।

उपबन्ध 65 – संघ के अभिकरण और संस्थाएँ जो (क) वृत्तिक, व्यावसायिक या तकनीकी प्रशिक्षण के लिए है, जिसके अन्तर्गत पुलिस अधिकारियों का प्रशिक्षण है या (ख) विशेष अध्ययन या अनुसंधान की अभिवृद्धि के लिए है या (ग) अपराध के अन्वेषण या पता चलाने में वैज्ञानिक या तकनीकी सहायता के लिए है।

उपबन्ध 66- उच्च शिक्षा, शोध, वैज्ञानिक व तकनीकी शिक्षा के स्तरों का निर्धारण व शिक्षा सुविधाओं में समन्वय।

समवर्ती सूची (Concurrent List)

संविधान में इस सूची के अन्तर्गत निम्नलिखित विषयों का समावेश किया गया है-

1. आर्थिक एवं सामाजिक नियोजन (Economic and Social Planning)

2. व्यावसायिक एवं प्राविधिक प्रशिक्षण (Professional and Technological Training)

3. वैज्ञानिक अनुसंधान (Scientific Research)

4. प्राविधिक शिक्षा (Technological Education)

5. हिन्दी भाषा का विकास एवं समुन्नयन (Development and Propagation of Hindi)

6. राष्ट्रीय कला एवं संस्कृति का संरक्षण (Preservation of National Art and Culture)

7. संस्कृत साहित्य का संरक्षण (Preservation of Sanskrit Literature)

8. विकलांग शिक्षा का विकास (Education for Disabled Persons)

9. शैक्षिक अनुसंधानों का विकास (Development of Educational Research)

10. अल्पसंख्यकों के सांस्कृतिक हितों की रक्षा (Protection of the Cultural Interests of the Minorities)

11. अनुसूचित जातियों, क्षेत्रों एवं वर्गों हेतु शिक्षा का विकास (Educational Development of the Scheduled Castes, Regions and Classes)

12. राष्ट्रीय एवं संवेगात्मक एकता (National and Emotional Integration)

13. प्रगतिशील छात्रों हेतु छात्रवृत्ति व्यवस्था (Provision of Scholarships for Brilliant Students)

14. सतत् व्यावसायिक शिक्षा (Continuous Professional Training)

15. केन्द्रीय संस्थान एवं अभिकरणों की स्थापना (Establishment of Central Institution and Agencies)

16. 14 वर्ष तक के बालकों के लिए निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा (Free and Compulsory Education for the Children up to the Age of 14 Years)

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shubham yadav

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