B.Ed./M.Ed.

राष्ट्रीय विकलांग जन नीति 2012 के प्रमुख बिन्दुओं को बताइए।

राष्ट्रीय विकलांग जन नीति 2012 के प्रमुख बिन्दु
राष्ट्रीय विकलांग जन नीति 2012 के प्रमुख बिन्दु

राष्ट्रीय विकलांग जन नीति 2012 के प्रमुख बिन्दु

राष्ट्रीय विकलांग जन नीति 2012 के प्रमुख बिन्दु- भारत का संविधान सभी व्यक्तियों को समता, स्वतन्त्रता, न्याय और सम्मान सुनिश्चित करता है तथा विकलांग व्यक्तियों सहित सभी के लिए समावेशी समाज का अधिदेश देता है। हाल के वर्षों में, विकलांग व्यक्तियों के प्रति समाज के दृष्टिकोण में व्यापक और सकारात्मक परिवर्तन आया है। ऐसा महसूस किया गया है कि अधिकांश विकलांग व्यक्ति बेहतर जीवन व्यतीत कर सकते हैं यदि उन्हें समान अवसर मिले तथा उनकी पुनर्वास उपायों तक पहुँच हो।

जनगणना, 2001 के अनुसार, भारत में 2.19 करोड़ व्यक्ति विकलांग हैं जो कि कुल जनसंख्या का 2.13% है। इसमें दृष्टि, श्रवण, वाणी, चलन सम्बन्धी और मानसिक विकलांगताएँ शामिल हैं 75% विकलांग व्यक्ति ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं। विकलांग व्यक्तियों की 49% आबादी साक्षर है और केवल 34% नियोजित है। चिकित्सीय पुनर्वास सम्बन्धी पूर्व के महत्त्व का स्थान अब सामाजिक पुनर्वास ने ले लिया है। विकलांग व्यक्तियों में लाने पर बल दिया गया है। भारत सरकार ने विकलांग व्यक्तियों के लिए तीन विधान को क्षमता की अधिक स्वीकृति और उनकी क्षमताओं के आधार पर सामज में उन्हें मुख्यधारा अधिनियमित किए हैं अर्थात्-

(i) निःशक्त व्यक्ति (समान अवसर, अधिकार संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 में शिक्षा, रोजगार, बाधा-मुक्त वातावरण, सामाजिक सुरक्षा, इत्यादि का प्रावधान है;

(ii) ऑटिज्म, प्रमस्तिष्क अंगघात, मानसिक मन्दता और बहु-विकलांगता ग्रस्त व्यक्तियों के कल्याणार्थ राष्ट्रीय न्यास अधिनियम, 1999 में चार श्रेणियों के लिए कानूनी संरक्षण और यथासम्भव स्वतन्त्र जीवन के लिए उपयुक्त वातावरण सृजित करने का प्रावधान है; और

(iii) भारतीय पुनर्वास परिषद् अधिनियम, 1992 पुनर्वास सेवाओं को प्रदान करने के लिए जनशक्ति विकास से सम्बन्धित है।

कानूनी ढांचे के अलावा, व्यापक आधारभूत संरचना को बनाया गया है। विभिन्न क्षेत्रों में व्यावसायिक जनशक्ति का विकास करने के लिए, सात राष्ट्रीय संस्थान कार्य कर रहे हैं अर्थात्-

  • पंडित दीन दयाल उपाध्याय विकलांग जन संस्थान, नई दिल्ली।
  • राष्ट्रीय दृष्टि बाधितार्थ संस्थान, देहरादून।
  • राष्ट्रीय अस्थि विकलांग संस्थान, कोलकाता।
  • राष्ट्रीय मानसिक विकलांग संस्थान, सिकन्दराबाद
  • अली यावर जंग राष्ट्रीय श्रवण विकलांग संस्थान, मुम्बई
  • स्वामी विवेकानन्द राष्ट्रीय पुनर्वास प्रशिक्षण और अनुसंधान संस्थान, कटक।
  • राष्ट्रीय बहु विकलांग व्यक्ति सशक्तिकरण संस्थान, चेन्नई।

उपर्युक्त राष्ट्रीय संस्थानों के अलावा, पाँच संयुक्त पुनर्वास केन्द्र, चार क्षेत्रीय पुनर्वास केन्द्र और 120 जिला विकलांग जन पुनर्वास केन्द्र भी हैं जो विकलांग जनों को विभिन्न प्रकार की पुनर्वास सेवाएँ प्रदान कर रहे हैं। विकलांग व्यक्तियों के पुनर्वास के क्षेत्र में कार्यरत स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मन्त्रालय के अन्तर्गत भी अनेक संस्थान जैसे राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और तन्त्रिका विज्ञान संस्थान, बंगलुरु; ऑल इण्डिया इन्स्टीट्यूट ऑफ फिजिकल मेडिसिन एण्ड रिहैबिलीटेशन, मुम्बई; अखिल भारतीय वाक् और श्रवण संस्थान, मैसूर; केन्द्रीय मनोचिकित्सा संस्थान, राँची, आदि हैं। इसके अतिरिक्त, राज्य सरकारों के अन्तर्गत संस्थान हैं जो पुनर्वास सेवाएँ प्रदान कर हैं। इसके अलावा, 250 निजी संस्थाएँ पुनर्वास व्यावसायिकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करती हैं।

राष्ट्रीय विकलांग वित्त और विकास निगम राज्य चैनेलाइजिंग एजेन्सियों के माध्यम से विकलांग व्यक्तियों को स्व-रोजगार उद्यम शुरू करने के लिए आसान शर्तों पर ऋण प्रदान कर रहा है।

पंचायती राज संस्थानों को ग्राम स्तर, माध्यमिक स्तर तथा जिला स्तर पर विकलांग व्यक्तियों के कल्याण का कार्य सौंपा गया है।

भारत एशिया प्रशान्त क्षेत्र में विकलांग व्यक्तियों की पूर्ण भागीदारी और समानता सम्बन्धी घोषणा का हस्ताक्षरकर्ता है। भारत विकलांग व्यक्तियों हेतु समावेशी, बाधामुक्त और अधिकार आधारित समाज के प्रति कार्यवाही हेतु बीवाको सहस्राब्दि ढाँचे का हस्ताक्षरकर्ता भी है भारत, इस समय, विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों के संरक्षण और प्रोत्साहन और इनकी गरिमा के प्रति संयुक्त राष्ट्र अभिसमय की वार्ताओं में भी भाग ले रहा है।

राष्ट्रीय नीतिगत दस्तावेज

इस नीति में यह मान्यता है कि विकलांग व्यक्ति देश के महत्त्वपूर्ण संसाधन हैं और इसमें एक ऐसा वातावरण सृजित करने के लिए अनुरोध किया गया है जो उन्हें समान अवसर, उनके अधिकारों का संरक्षण और समाज में पूर्ण भागीदारी को सुनिश्चित करे। यह नीति मुख्यतः निम्नलिखित पर केन्द्रित होगी-

I. विकलांगता निवारण- चूँकि अनेक मामलों में विकलांगता का निवारण किया जा अतः विकलांगताओं के निवारण पर अधिक बल होगा। ऐसी बीमारियों, जिनसे सकता विकलांगता होती है, के निवारण कार्यक्रम तथा गर्भावस्था के दौरान और उसके बाद विकलांगता निवारण के लिए किए जाने वाले उपायों के सम्बन्ध में जनसाधारण के बीच जागरूकता को त्वरित किया जाएगा और उनका कवरेज बढ़ाया जाएगा।

II. पुनर्वास उपाय- पुनर्वास उपायों को तीन पृथक समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है- (i) विकलांग-जन पुनर्वास, जिसमें शीघ्र पता लगाना और उपचार, परामर्श व विभिन्न चिकित्सा उपचार तथा सहायक यन्त्र और उपकरण शामिल हैं, इसमें पुनर्वास व्यावसायिकों का विकास भी शामिल है; (ii) शैक्षिक पुनर्वास जिसमें व्यावसायिक शिक्षा देना शामिल है; और (iii) समाज में गरिमामय जीवन यापन के लिए आर्थिक पुनर्वास।

II. (a) भौतिक पुनर्वास कार्य नीति :

(a) शीघ्र पता लगाना और उपचार- विकलांगता का शीघ्र पता लगाने और औषधियों से अथवा बिना औषधियों से विकलांगता का उपचार करने से विकलांगता के प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है। इसलिए शीघ्र पता लगाने तथा शीघ्र उपचार पर बल दिया जाएगा और इस ओर से जरूरी सुविधाएँ सृजित की जाएँगी। सरकार, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, ऐसी सुविधाओं की उपलब्धता की जानकारी ज्यादा-से-ज्यादा लोगों को देने के उपाय करेगी।

(b) परामर्श और चिकित्सा उपचार- राज्य सरकारों, स्थानीय स्तरीय संस्थाओं और विकलांग व्यक्तियों के माता-पिता के संघों सहित गैर-सरकारी संगठनों की सक्रिय भागीदारी से, देश के सभी जिलों को शामिल करने के लिए विकलांगजन पुनर्वास उपायों का विस्तार किया जाएगा। इन उपायों में परामर्श, विकलांग व्यक्तियों तथा उनके परिवारों की क्षमता के सुदृढ़ीकरण, फिजियोथैरेपी, व्यावसायिक चिकित्सा, मनोचिकित्सा, शल्य क्रिया से सुधार और उपचार, दृष्टि मूल्यांकन, दृष्टि संवर्धन, वाणी चिकित्सा, श्रवणीय पुनर्वास तथा विशेष शिक्षा हैं।

वर्तमान में, पुनर्वास सेवाएँ मुख्यतः शहरी क्षेत्रों और इनके आस-पास ही हैं। चूँकि 75% विकलांग व्यक्ति ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं, अतः शामिल न किए गए और सेवा – रहित क्षेत्रों में सेवाएँ उपलब्ध कराई जाएँगी न्यूनतम मानक, जिन्हें निर्धारित किया जाएगा, बनाए रखने के लिए, निजी स्वामित्व वाले पुनर्वास सेवा केन्द्रों को विनियमित किया जाएगा।

ग्रामीण और सेवारहित क्षेत्रों में कवरेज बढ़ाने के लिए, राज्य सरकार की सहायता से नए जिला विकलांगजन पुनर्वास केन्द्र स्थापित किए जाएँगे।

राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन एकरेडिटेड सोशल हेल्थ एक्टिविष्ट (आशा) के माध्यम से ग्रामीण जनसंख्या विशेष रूप से समाज के दुर्बल वर्गों की स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा करता है। आशा, कार्यक्रम की अन्य बातों के साथ-साथ, सबसे निचले स्तर पर विकलांग व्यक्तियों के लिए सेवाओं की देखभाल भी करेगा।

(c) सहायक यन्त्र- भारत सरकार, टिकाऊ और वैज्ञानिक विधि से तैयार किए गए आधुनिक मानकों वाले सहायक यन्त्रों और उपकरणों की अधिप्राप्ति में विकलांग व्यक्तियों की सहायता करती रही है। ये विकलांगता के प्रभाव को कम करके उनके शारीरिक, सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक पुनर्वास को प्रोत्साहित कर सकते हैं।

विकलांग व्यक्तियों को प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय संस्थानों, राज्य सरकारों, जिला विकलांगता पुनर्वास केन्द्रों और गैर-सरकारी संगठनों के माध्यम से प्रोस्थेसिस एवं आर्थोसिस, ट्राईसाइकिल, व्हील चेयर, सर्जिकल फुट वियर जैसे चल सहायक यन्त्र और दैनिक जीवन के कार्यकलापों के लिए सहायक यन्त्र, सीखने वाले उपकरण (ब्रेल राइटिंग उपकरण, डिक्टाफोन, सीडी प्लेयर/टेप रिकॉर्डर) कम दृष्टि के सहायक यन्त्र, अनेक प्रकार विशेष चल सहायक यन्त्र, के श्रव्य सहायक यन्त्र, शैक्षिक किट, संचार सहायक यन्त्र एवं सहायक और चेतावनी देने वाले यन्त्र तथा मानसिक रूप से विकलांग व्यक्तियों के लिए उपयुक्त यन्त्रों जैसे सहायक यन्त्र प्रदान किए जाते हैं। इन सहायक यन्त्रों की उपलब्धता का विस्तार अब तक शामिल न किए गए क्षेत्रों और अल्प सुविधा वाले क्षेत्रों में भी किया जाएगा। 

विकलांग व्यक्तियों के लिए हाई-टेक सहायक यन्त्रों का निर्माण करने वाले निजी, सार्वजनिक एवं संयुक्त क्षेत्र के उपक्रमों को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।

(d) पुनर्वास व्यावसायिकों का विकास- विकलांग व्यक्तियों के पुनर्वास के लिए मानव संसाधनों की आवश्यकता का जाएजा लिया जाएगा और ऐसी विकास योजना बनाई जाएगी जिससे कि पुनर्वास कार्य-नीतियाँ व्यावसायिक जनशक्ति की कमी के कारण प्रभावित नहीं।

II. (b) विकलांग व्यक्तियों के लिए शिक्षा- शिक्षा सामाजिक व आर्थिक विकास का सबसे कारगर माध्यम है। संविधान के अनुच्छेद 21 के जिसमें शिक्षा के मूलभूत अधिकार की गारण्टी है, और निःशक्त व्यक्ति अधिनियम, 1995 की धारा 26 को ध्यान में रखते हुए, कम-से-कम 18 वर्ष की आयु के सभी विकलांग बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराई जाती है। जनगणना 2001 के मुताबिक, 55% विकलांग व्यक्ति अनपढ़ हैं। यह बहुत बड़ा प्रतिशत है। विकलांग व्यक्तियों को समावेशी शिक्षा के माध्यम से सामान्य शिक्षा पद्धति की मुख्य धारा में लाए जाने की आवश्यकता है।

सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान शुरू किया है जिसका उद्देश्य 6 से 14 वर्ष की आयु वर्ग के सभी बच्चों के लिए 2010 तक 8 वर्ष की प्राथमिक स्कूली शिक्षा देना है। इन बच्चों में विकलांग बच्चे भी आते हैं। 15-18 वर्ष की आयु वर्ग के विकलांग बच्चों को भी विकलांग बच्चों की एकीकृत शिक्षा योजना (आई.ई.डी.सी.) के अन्तर्गत निःशुल्क शिक्षा प्रदान की जाती हैं।

“नि:शक्त बच्चों को, सर्व शिक्षा अभियान के अन्तर्गत, कई शिक्षा विकल्प, शिक्षण साधन और उपकरण, आवागमन सहायता, अन्य सहायक सेवाएँ, इत्यादि भी उपलब्ध कराई जा रही हैं। इसमें मुक्त शिक्षा पद्धति और ओपेन स्कूल, वैकल्पिक स्कूली शिक्षा, दूरवर्ती शिक्षा, विशेष स्कूल, जहाँ आवश्यक है वहाँ गृह आधारित शिक्षा, परिभ्रामी अध्यापक मॉडल, उपचारी शिक्षा, अंशकालिक कक्षाएँ, समुदाय आधारित पुनर्वास और व्यावसायिक शिक्षा शामिल हैं।

राज्य सरकारों, स्वायत्त निकायों और स्वैच्छिक संगठनों द्वारा कार्यान्वित की जाने वाली आई.ई.डी.सी. स्कीम के अन्तर्गत विशेष शिक्षकों, पुस्तकों और स्टेशनरी, वर्दी, परिवहन, दृष्टि विकलांगों के लिए रीडर भत्ता, होस्टल भत्ता, उपस्कर लागत, वास्तु शिल्पीय बाधाओं का हटाना/परिवर्तन, अनुदेशन सामग्री की खरीद/उत्पादन, सामान्य शिक्षकों का प्रशिक्षण और संसाधन कमरों के लिए उपस्कर जैसी विभिन्न सुविधाओं हेतु शत-प्रतिशत वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।

नियमित सर्वेक्षण द्वारा विकलांग बच्चों की पहचान, उपयुक्त स्कूलों में इनका दाखिला और इन्हें अपनी शिक्षा को सफलतापूर्वक पूरी करने तक शिक्षा जारी रखने के लिए सरकार की ओर से संयुक्त प्रयास किए जाएँगे।

सरकार विकलांग बच्चों के लिए उपयुक्त तरीके की शिक्षण सामग्री और पुस्तकों, प्रशिक्षित एवं सुग्राहित शिक्षकों और ऐसे स्कूल भवनों जो सुगम्य और विकलांग के अनुकूल हों, की उपलब्धता सुनिश्चित करने का प्रयास करेगी।

भारत सरकार विकलांग छात्रों को स्कूल स्तर के बाद अध्ययन हेतु छात्रवृत्तियाँ प्रदान कर रही है। सरकार छात्रवृत्तियों को जारी रखेगी और इनको व्यापक बनाएगी।

सुविधारहित/अल्प सुविधा वाले क्षेत्रों में विद्यमान संस्थानों को अनुकूल बनाकर या संस्थानों की शीघ्र स्थापना करके विभिन्न प्रकार के उत्पादकारी क्रियाकलापों के अनुरूप विकलांग व्यक्तियों में कौशल विकास बढ़ाने के लिए तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा की सुविधाओं को प्रोत्साहित किया जाएगा। व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए गैर-सरकारी संगठनों को भी प्रोत्साहित किया जाएगा।

विकलांग व्यक्तियों को उच्च और व्यावसायिक शिक्षा हेतु विश्वविद्यालयों, तकनीकी संस्थानों और उच्च शिक्षा की अन्य संस्थाओं में पहुँच प्रदान की जाएगी।

II. (c) विकलांग व्यक्तियों का आर्थिक पुनर्वास- विकलांग व्यक्तियों के आर्थिक पुनर्वास में संगठित सेक्टर में मजदूरी भुगतान, रोजगार और स्व-रोजगार दोनों शामिल हैं। व्यावसायिक पुनर्वास केन्द्रों एवं व्यावसायिक प्रशिक्षण केन्द्रों के माध्यम से सेवाओं का समर्थनकारी ढाँचा तैयार किया जाएगा ताकि यह सुनिश्चित हो कि विकलांग व्यक्तियों को शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में उत्पादनकारी और लाभप्रद्र रोजगार के अवसर बढ़ें। विकलांग व्यक्तियों के आर्थिक विकास की कार्य नीतियाँ इस प्रकार होंगी-

(i) सरकारी प्रतिष्ठानों में रोजगार – निःशक्त व्यक्ति अधिनियम, 1995 में अभिज्ञात पदों पर भारत सरकार के प्रतिष्ठानों और पब्लिक सेक्टर उपक्रमों में नियोजन में आरक्षण दिए जाने का प्रावधान है। सरकार के विभिन्न मन्त्रालयों/विभागों में समूह ‘क’, ‘ख’, ‘ग’ और ‘घ’ में अभिज्ञात पदों पर आरक्षण स्थिति क्रमश: 3.07, 4.41, 3.76 और 3.18% है। पबिलक सेक्टर उपक्रमों में, समूह ‘क’, ‘ख’, ‘ग’ और ‘घ’ में आरक्षण की स्थिति क्रमश: 2.78%, 8.54%, 5.04% और 6.75% है सरकार, विकलांग व्यक्ति अधिनियम, 1995 के उपलब्धों के अनुसार, पब्लिक सेक्टर उपक्रमों सहित सरकारी क्षेत्र में अभिज्ञात पदों पर आरक्षण सुनिश्चित करेगी । अभिज्ञात पदों की सूची को 2001 में अधिसूचित किया गया था । इस सूची की समीक्षा की जाएगी तथा उसे अद्यतन बनाया जाएगा।

(ii) निजी क्षेत्र में मजदूरी रोजगार- विकलांग व्यक्तियों को, उनका उपयुक्त कौशल विकास करके, निजी क्षेत्र में रोजगार के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा विकलांग व्यक्तियों की क्षमता और योग्यता को ध्यान में रखते हुए, उनका उपयुक्त कौशल विकास करने में लगे हुए व्यावसायिक पुनर्वास और प्रशिक्षण केन्द्रों को बढ़ावा दिया जाएगा सेवा क्षेत्र में तेजी से बढ़ रहे रोजगार के अवसरों को ध्यान में रखते हुए, विकलांग व्यक्तियों को बाजार की आवश्यकता के अनुकूल कौशल प्रशिक्षण लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा । निजी क्षेत्र में विकलांग व्यक्तियों के रोजगार को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन पुरस्कार, कर रियायतें, आदि जैसे सकारात्मक उपाय किए जाएँगे।

(iii) स्वरोगजार- संगठित सेक्टर में रोजगार के अवसरों में वृद्धि की कमी को ध्यान में रखते हुए, विकलांग व्यक्तियों के स्व-रोजगार को प्रोत्साहित किया जाएगा । इसे व्यावसायिक शिक्षा और प्रबन्धन प्रशिक्षण के द्वारा किया जाएगा। इसके एन. एच. एफ. डी. सी. से आसान शर्तों पर ऋण प्रदान करने की विद्यमान प्रणाली में सुधार किया जाएगा ताकि पारदर्शी और दक्ष प्रक्रिया से ऋण आसानी से उपलब्ध हो। सरकार प्रोत्साहन, कर रियायतें, शुल्क कर छूट, विकलांग व्यक्तियों के उद्यमों से सरकार द्वारा माल और सेवाओं को प्राथमिकता के आधार पर लेने जैसे उपायों से भी स्व-रोजगार को प्रोत्साहित करेगी। विकलांग व्यक्तियों द्वारा गठित स्वयंसहायता समूहों को वित्तीय सहायता देने में प्राथमिकता दी जाएगी।

III. विकलांग महिलाएँ- जनगणना 2001 के अनुसार, 93.01 लाख विकलांग महिलाएँ हैं, जो कुल विकलांग आबादी का 42.46% है। विकलांग महिलाओं को शोषण और उत्पीड़न के विरुद्ध सुरक्षा की जरूरत होती है। विकलांग महिलाओं की विशेष जरूरतों का ध्यान रखते हुए, उनके लिए शिक्षा, रोजगार तथा अन्य पुनर्वास सेवाएँ प्रदान करने हेतु विशेष कार्यक्रम बनाए जाएँगे। विकलांग महिलाओं के लिए विशेष शैक्षिक एवं व्यावसायिक प्रशिक्षण सुविधाओं की व्यवस्था की जाएगी। परित्यक्त विकलांग महिलाओं/लड़कियों को, परिवारों द्वारा अपनाने के लिए प्रोत्साहन देकर, उनको घर चलाने के लिए सहायक और लाभकारी रोजगार कौशल के लिए प्रशिक्षण प्रदान करके उनके पुनर्वास के कार्यक्रम शुरू किए जाएँगे। सरकार ऐसी परियोजनाओं को प्रोत्साहन देगी जहाँ विकलांग महिलाओं का प्रतिनिधित्व, कुल लाभार्थियों का कम से कम 25% सुनिश्चित किया गया हो।

“विकलांग महिलाओं के लिए अल्पावधिक निवास गृह, कामकाजी विकलांग महिलाओं के लिए होस्टल और वृद्ध विकलांग महिलाओं के लिए वृद्ध आश्रम उपलब्ध कराने हेतु प्रयास किए जाएँगे।

यह देखा गया है कि विकलांग महिलाओं को अपने बच्चों की देखभाल करने में भारी आती हैं। सरकार विकलांग महिलाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए कार्यक्रम शुरू करेगी ताकि वे अपने बच्चों की देखभाल करने के लिए सेवाओं को किराए पर ले सकें। ऐसी सहायता दो बच्चों तक सीमित होगी और यह दो वर्षों से अधिक नहीं होगी।

IV. विकलांग बच्चे- विकलांग बच्चे सबसे अधिक संवदेनशील वर्ग है और इस पर विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। सरकार निम्न के लिए प्रयास करेगी-

(क) विकलांग बच्चों की देखभाल, संरक्षण और सुरक्षा के अधिकार को सुनिश्चित करना;

(ख) समर्थित वातावरण को सृजित करते हुए गरिमा और समानता के विकास के अधिकार को सुनिश्चित करना जहाँ बच्चे विभिन्न कानूनों के अनुसार अपने अधिकार, समान सुविधाएँ और पूर्ण भागीदारी का प्रयोग कर सकें;

(ग) विकलांग बालकों को विशेष पुनर्वास सेवाओं के साथ शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यावसायिक प्रशिक्षण के प्रति प्रभावी पहुँच और इसका समावेश सुनिश्चित करना; और

(घ) गम्भीर विकलांगताग्रस्त बच्चों के विकास का अधिकार और उनकी विशेष आवश्यकताओं को देखरेख और संरक्षण की मान्यता सुनिश्चित करना।

V. बाधामुक्त वातावरण- बाधामुक्त वातावरण एक ऐसा वातावरण होता है जो विकलांग व्यक्तियों को भवनों, कार्यशाला, आदि के भीतर सुरक्षित और आराम से और सुविधाओं के प्रयोग करने में समर्थ बनाता है । बाधामुक्त वातावरण का उद्देश्य विकलांग व्यक्तियों के लिए ऐसा वातावरण प्रदान करना है जो व्यक्तियों के स्वतन्त्र कार्यों में सहायता करता है ताकि वे प्रत्येक दिन के कार्यकलापों में बिना किसी की सहायता के भाग ले सकें। इसलिए, सार्वजनिक प्रयोग के लिए बिल्डिंग/स्थान/ परिवहन प्रणाली को अधिकतम सम्भव सीमा तक बाधामुक्त बनाया जाएगा।

VI. विकलांगता प्रमाण- पत्र भारत सरकार ने विकलांगता निर्धारण एवं प्रमाणीकरण प्रक्रिया के लिए दिशा-निर्देश अधिसूचित किए हैं। सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि आसान, पारदर्शी और सेवार्थी (क्लाइण्ट) सहायक प्रक्रियाएँ अपनाकर विकलांग व्यक्ति को कम-से-कम समय में बिना किसी कठिनाई के, विकलांगता प्रमाण-पत्र उपलब्ध कराया जा सके।

VII. सामाजिक सुरक्षा- विकलांग व्यक्ति, उनके परिवार और देखभाल करने वाले व्यक्ति विकलांगों के दैनिक जीवन, चिकित्सा देखभाल, परिवहन, सहायक यन्त्रों के रख-रखाव, इत्यादि के लिए अतिरिक्त खर्च करते हैं। अतः इन्हें विभिन्न साधनों द्वारा सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने की आवश्यकता है। केन्द्रीय सरकार विकलांग व्यक्तियों और इनके अभिभावकों को करों में छूट दे रही है। राज्य सरकारें/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन भी बेरोजगारी भत्ता या विकलांगता पेंशन प्रदान कर रहे हैं। राज्य सरकारों को विकलांग व्यक्तियों के लिए व्यापक सामाजिक सुरक्षा नीति बनाने हेतु प्रोत्साहित किया जाएगा।

ऑटिज्म, प्रमस्तिष्क अंगघात, मानसिक मन्दता और बहु-विकलांगताग्रस्त अनेक विकलांग व्यक्तियों के माता-पिता, अपने बच्चों के कल्याण को लेकर असुरक्षा की भावना महसूस करते हैं कि उनकी मृत्यु के बाद उनके बच्चों का क्या होगा ? राष्ट्रीय ऑटिज्म, प्रमस्तिष्क अंगघात, मानसिक मन्दता और बहुविकलांगताग्रस्त व्यक्ति कल्याणार्थ न्यास, स्थानीय स्तर की समिति के माध्यम से कानूनी संरक्षकत्व प्रदान करता रहा है। वे उपेक्षित और परित्यक्त गम्भीर विकलांगताग्रस्त व्यक्तियों को अभिभावकता के तौर पर सहायता देकर आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए समर्थित संरक्षकता योजना को कार्यान्वित करते रहे हैं। वर्तमान में यह योजना कुछ जिलों में लागू है। इसे अन्य क्षेत्रों में चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।

VIII. गैर-सरकारी संगठनों को बढ़ावा देना- राष्ट्रीय नीति में इस बात को स्वीकार किया गया है कि गैर-सरकारी संगठन सेक्टर, सरकार के प्रयासों में अभिवृद्धि करने के लिए वहनीय सेवाएँ प्रदान करने वाला एक महत्त्वपूर्ण संस्थानिक तन्त्र है। गैर-सरकारी संगठन सेक्टर एक गतिमान एवं विकासशील क्षेत्र है। विकलांगों को सेवाएँ प्रदान करने में गैर-सरकारी संगठनों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कुछ गैर-सरकारी संगठन मानव संसाध न विकास और अनुसंधान क्रियाकलापों को भी कर रहे हैं। सरकार इन्हें नीति निर्धारित करने, योजना बनाने, कार्यान्वयन और मॉनीटरिंग में सक्रिय रूप से शामिल कर रही है और विकलांग से सम्बन्धित विभिन्न मुद्दों पर इनकी सलाह ले रही है। स्वैच्छिक प्रयासों को प्रोत्साहित एवं बढ़ावा दिया जाएगा। राज्यों और क्षेत्रों के बीच असमान विकास को ठीक करने के लिए स्वैच्छिक सेक्टर को प्रोत्साहित किया जाएगा। योजना, नीति बनाने और कार्यान्वयन से सम्बन्धित विभिन्न विकलांगता मुद्दों पर गैर-सरकारी संगठनों के साथ सम्पर्क को बढ़ाया जाएगा। उपलब्ध संसाधनों को देखते हुए, गैर-सरकारी संगठनों के बीच नेटवर्किंग, सूचनाओं के आदान-प्रदान और सम्पर्क को बढ़ावा दिया जाएगा। निम्नलिखित कार्यक्रम शुरू किए जाएँगे-

(i) विकलांगता के क्षेत्र में कार्यरत गैर-सरकारी संगठनों की एक डायरेक्टरी तैयार की जाएगी। इसमें सभी गैर-सरकारी संगठनों को उनके मध्य क्रिया-कलापों सहित भौगोलिक क्षेत्रों द्वारा समुचित रूप से दर्शाया जाएगा केन्द्रीय सरकार / राज्य सरकारों द्वारा सहायता प्राप्त गैर-सरकारी संगठनों के सम्बन्ध में, उनकी संसाधन स्थिति-वित्तीय एवं श्रम शक्ति, इत्यादि को भी दर्शाया जाएगा। विकलांग व्यक्ति संगठन, परिवार संघ और विकलांग व्यक्तियों के अभिभावकों के समर्थक समूहों को भी डायरेक्टरी में पृथक रूप में दिखाया जाएगा;

(ii) गैर-सरकारी संगठन आन्दोलन के विकास में क्षेत्रीय/प्रादेशिक असन्तुलन है । सेवाविहीन एवं अगम्य क्षेत्रों में कार्यरत गैर-सरकारी संगठनों को प्रोत्साहित करने और वरीयता प्रदान करने के लिए कदम उठाए जाएँगे। ऐसे क्षेत्रों में परियोजनाएँ शुरू करने के लिए विख्यात गैर-सरकारी संगठनों को भी प्रोत्साहित किया जाएगा;

(iii) गैर-सरकारी संगठनों को, आपस में सम्पर्क के माध्यम से न्यूनतम मानक, आचार संहिता एवं नीति बनाने तथा अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा;

(iv) गैर-सरकारी संगठनों को मानव संसाधन के अभिविन्यास एवं प्रशिक्षण को सुदृढ़ किया जाएगा। गैर-सरकारी संगठन – सरकार की सहभागिता में सुधार के लिए पारदर्शिता, जिम्मेवारी, प्रक्रियात्मक सरलीकरण, इत्यादि मार्गदर्शी कारक होंगे; और

(v) गैर-सरकारी संगठनों को सरकार से प्राप्त होने वाले सहायता अनुदान पर निर्भरता कम करने के लिए, अपने संसाधन जुटाने और विकलांगता के क्षेत्र में सेवाएँ प्रदान करने के लिए निधियों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाएगा। सहायता को योजनाबद्ध तरीके से कम करने पर भी विचार किया जाएगा जिससे कि उपलब्ध संसाधनों के अन्दर, सहायता प्रदान किए जाने वाले गैर-सरकारी संगठनों की संख्या में वृद्धि की जा सके। अन्ततः गैर-सरकारी संगठनों को संसाधन जुटाने में प्रशिक्षित किया जाएगा।

IX. विकलांग व्यक्तियों के सम्बन्ध में नियमित सूचना का संग्रहण- विकलांग व्यक्तियों की सामाजिक-आर्थिक सम्बन्धी सूचना को नियमित रूप से एकत्र, संकलित और विश्लेषित करने की आवश्यकता है। राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन 1981 से दस वर्षों में एक बार विकलांग व्यक्तियों की सामाजिक-आर्थिक दशाओं सम्बन्धी सूचना नियमित रूप से एकत्र करता रहा है। जनगणना ने भी जनगणना 2001 से विकलांग व्यक्तियों के सम्बन्ध में सूचना एकत्र करना शुरू कर दिया है। राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन कम-से-कम पाँच वर्षों में बार सूचना संग्रहित करेगा। इन दो एजेन्सियों द्वारा आँकड़े एकत्र करने में विकलांगता की स्वीकृत परिभाषाओं में अन्तरों का समाधान किया जाएगा।

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मन्त्रालय के अधीन विकलांग व्यक्तियों के लिए एक व्यापक वेब-साइट तैयार की जाएगी। सार्वजनिक एवं निजी दोनों क्षेत्रों के संगठनों को अपनी वेब-साइट बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा जिससे सक्रिय रीडिंग प्रौद्योगिकी का प्रयोग करके दृष्टि बाधित लोगों को भी इसका लाभ मिल सके।

X. अनुसंधान- विकलांग व्यक्तियों के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए, अनुसंधान कार्य में सहायता दी जाएगी। यह मदद उनके सामाजिक-आर्थिक एवं सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य, विकलांगता के कारणों, बाल शिक्षा पद्धतियों, प्रयोक्ता-अनुकूल सहायक यन्त्रों एवं उपकरणों के विकास और विकलांगता सम्बन्धी विषयों के आधार पर होगी। इससे विकलांग व्यक्तियों के जीवन स्तर में महत्त्वपूर्ण रूप से सुधार आएगा और सिविल समाज उनकी चिन्ताओं पर ध्यान दे सकेगा। जहाँ कहीं भी विकलांग व्यक्तियों की विकलांगता पर अनुसंधान किए जाते हैं, उनकी अथवा उनके परिवार के सदस्य की अथवा देखभालकर्ता की सहमति अनिवार्य है।

XI. खेल-कूद, मनोरंजन तथा सांस्कृतिक जीवन- चिकित्सीय और सामुदायिक भावना के लिए खेलों के योगदान से इन्कार नहीं किया जा सकता है। विकलांग व्यक्तियों को खेल-कूद, मनोरंजन और सांस्कृतिक सुविधाएँ प्राप्त करने का अधिकार है। सरकार उन्हें विभिन्न खेलों, मनोरंजन एवं सांस्कृतिक कार्य-कलापों में भाग लेने के अवसर प्रदान करने हेतु आवश्यक कदम उठाएगी।

XII. विकलांग व्यक्तियों से सम्बन्धित विद्यमान अधिनियमों में संशोधन- नि:शक्त व्यक्ति (समान अवसर, अधिकार संरक्षण एवं पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 को लागू हुए पच्चीस वर्ष बीत चुके हैं इस अधिनियम के कार्यान्वयन और विकलांगता के क्षेत्र में हुए विकास से प्राप्त अनुभवों के मद्देनजर इस अधिनियम में कुछ संशोधन करने आवश्यक हो गए हैं स्टेक-होल्डरों से परामर्श करके, ये संशोधन किए जाएँगे भारतीय पुनर्वास परिषद् और राष्ट्रीय न्यास अधिनियमों की भी समीक्षा की जाएगी और यदि आवश्यकता हुई, तो इनमें भी अपेक्षित संशोधन किए जाएँगे।

इसी भी पढ़ें…

About the author

shubham yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

Leave a Comment