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संक्षेपण में किन सावधानियों का पालन करना अपेक्षित है?
संक्षेपण में किन सावधानियों का पालन करना अपेक्षित है?- संक्षेपण के सम्बन्ध में उल्लिखित नियमों के पालन के बाद भी कुछ ऐसी बातें हैं, जिनके विषय में स्पष्ट निर्देश कर देना अपेक्षित है। वे निर्देश अधोलिखित हैं-
1. संक्षेपण में मूल अवतरण में आये हुए उदाहरण, दृष्टान्त, उद्धरण और तुलनात्मक विचारों का समावश वर्जित है।
2. संक्षेपण सामान्यतः भूतकाल और अप्रत्यक्ष (परोक्ष) कथन में लिखा जाना चाहिए।
3. इसमें अन्य पुरुष का प्रयोग करना चाहिए।
4. मूल अनुच्छेद के शब्दों और वाक्यों का प्रयोग त्याज्य है।
5. इसमें क्लिष्ट, शब्दाडम्बर और अप्रचलित शब्दों का प्रयोग नहीं होना चाहिए।
6. भाषा सहज, चुस्त होनी चाहिए, न कि मुहावरेदार और आलंकारिक ।
7. वाक्य-योजना सरल और छोटी होनी चाहिए।
8. इसमें टीका-टिप्पणी और आलोचना की छूट नहीं होती।
9. संक्षेपण में भूमिका तथा उपसंहार का प्रयोग कदापि नहीं करना चाहिए।
10. मूल तथ्य से असम्बद्ध तथा अनावश्यक बातों को छाँटकर निकाल देना चाहिए।
11. आरम्भ और अन्तिम वाक्य इतना प्रभावशाली होना चाहिए, जो मूल विषय के भावों या विचारों को स्पष्ट कर दे।
12. अपनी ओर से संक्षेपक कुछ न जोड़े।
13. संक्षेपण में पर्यायवाची (समानार्थी शब्दों का प्रयोग वर्जित है। ऐसा न करने पर पुनरुक्ति दोष आ जाता है।
संक्षेप का उदाहरण-
मूल अवतरण
तेनसिंह का साहस देखकर उनके फ्रांसीसी साहब चकित रह गये। अन्त तक वे बहुत थक गये। यहाँ तक कि उनके पैर की दो उँगलियाँ पूरी तरह से जम गयी थीं। कहा जाता है कि उनकी वीरता देखकर भावुक फ्रेंच साहब इतने जोश में आये कि वे तेन सिंह को हार पहनाना चाहते थे; पर वहाँ पुष्प नहीं थे, इसलिए खाने के लिए जो समोसे रखे थे, उनकी माला पहना दी। उक्त अभियान में दो साहब मारे गये। पर उसी साल जाड़ों में जिस अभियान में तेन सिंह ने भाग लिया, उसमे वे स्वयं मृत्यु के जबड़ों में जाकर लौट आये। वे जार्ज फ्रेई के साथ कोक्तंग शिखर पर चढ़ रहे थे, जो 19,900 फुट ऊँचा था। 1951 के 29 अक्टूबर को जार्ज फ्रेई के साथ जहाँ से वे जा रह थे, वह बहुत ढालवाली जगह थी। कुछ बर्फ जमी थी, पर बहुत पतली। ऊपर एक और पहाई थी, जिस पर ढलान और अधिक थी। फ्रेई आगे-आगे थे। तेन सिंह दस कदम पीछे थे और दूसरा शरपा औदग्वा उनसे भी दस कदम पीछे था। एकाएक फ्रेई का पैर फिसला और वे तेनसिंह की ओर चले। तेनसिंह ने उन्हें बचाने की चेष्टा की, पर स्वयं उनके पैर लड़खड़ा गये। (शब्द-संख्या: 200)
संक्षेपण का प्रारूप
तेनसिंह साहसी और वीर थे। फ्रांसीसी साहब जार्ज फ्रेई उन पर मुग्ध थे। उन्होंने (फ्रेई ने आवेश में उनके गले में समोसे की माला पहना दी। 29 अक्टूबर, 1951 को तेनसिंह फ्रेई और शेरप औदग्वा के साथ 19,900 फुट ऊँचे पहाड़ कोक्तंग के शिखर पर चढ़ ही रहे थे कि फ्रेई का पै अचानक फिसला । तेनसिंह ने उन्हें बचाने की कोशिश की, लेकिन वे स्वयं लड़खड़ा गये।
संक्षेपण
शीर्षक- तेनसिंह का साहस
तेनसिंह के साहस और वीरता पर मुग्ध होकर फ्रांसीसी साहब जार्ज फ्रेई ने भावावेश में उनके गले में समोसे की माला पहना दी। 29 अक्टूबर, 1951 को जबकि तेनसिंह फ्रेई साहब और शेरप औदग्वा के साथ 19,900 फुट ऊँचे पहाड़ कोक्तंग के शिखर पर चढ़ते जा रहे थे, बर्फीली ढलार पर फ्रेई के पैर लड़खड़ा गये ? (शब्द-संख्या: 68
टिप्पणी-
यहाँ सर्वप्रथम मूल अवतरण को दो-तीन बार पढ़ा गया और मूल बातों को समझकर आवश्यक बातों अथवा पंक्तियों को रेखांकित किया गया। इसके पश्चात् मूल अवतरण में प्रयुक्त शब्दों को गिना गया। गणना से पता चला कि इसमें लगभग 200 शब्दों का प्रयोग हुआ है। सबसे पहले भाव संक्षेपण का प्रारूप तैयार कर लिया गया। पुनः तथ्यहीन, अनर्गल, अनावश्यक शब्दों को हटा कर शुद्ध वाक्य-रचना को व्यवस्थित कर लिया गया। अन्त में मूल विषय को लक्ष्य करने वाले भाष के आधार पर एक उपयुक्त शीर्षक चुन लिया गया। फिर प्रयुक्त शब्दों की गणना कर लिख दि गया। इस तरह मूल सन्दर्भ (अवतरण) का भाव संक्षेपण प्रस्तुत हो गया।
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