राजनीति विज्ञान (Political Science)

संघात्मक शासन व्यवस्था की विशेषताएँ क्या हैं? इसके गुण व दोष लिखिए।

संघात्मक शासन व्यवस्था की विशेषताएँ क्या हैं?
संघात्मक शासन व्यवस्था की विशेषताएँ क्या हैं?

संघात्मक शासन व्यवस्था की विशेषताएँ क्या हैं?

संघात्मक शासन प्रणाली जिस राज्य में केन्द्र सरकार के अतिरिक्त विभिन्न प्रान्तों की भी अपनी अलग सरकार हो, वहाँ की शासन व्यवस्था संघात्मक कहलाती है। केन्द्र और प्रान्तों की सरकार की शक्तियों का विभाजन लिखित संविधान द्वारा कर दिया जाता है और संविधान द्वारा प्राप्त शक्तियों का प्रयोग वे अपने-अपने क्षेत्रों में स्वतन्त्रतापूर्वक करते हैं—

‘संघ’ शब्द की उत्पत्ति अंग्रेजी के ‘फेडरेशन’ शब्द से हुई है, जो लेटिन शब्द, ‘फोडस’ (Foedos) से बना है। ‘फोडस’ का अर्थ होता है— सन्धि अथवा समझौता। जब दो या अधिक राज्य परस्पर समझौता करके नये राज्य की स्थापना करते हैं तब उसे संघ कहते हैं।”

डायसी के शब्दों में—“संघवाद एक राजनीतिक समझौता है, जिसके अनुसार राज्य के अधिकारों को सुनिश्चित करने के साथ-साथ सारे राष्ट्र की एकता को भी सुनिश्चित किया जाता है।”

गार्नर के अनुसार, “संघ एक ऐसी प्रणाली है, जिसमें केन्द्रीय तथा स्थानीय सरकारें एक ही प्रभुत्व शक्ति के अधीन होती है। ये सरकारें अपने-अपने क्षेत्र में, जैसा संविधान निश्चित करता है, सर्वोच्च होती है।”

संघात्मक शासन की विशेषताएँ या गुण

1. लिखित संविधान

लिखित संविधान का होना संघात्मक शासन की आवश्यक शर्तें हैं लिखित संविधान द्वारा ही केन्द्र तथा प्रान्तीय सरकारों के अधिकार क्षेत्र निश्चित किये जाते हैं।

2. संविधान का सर्वोच्च होना

संघीय शासन के अन्तर्गत संविधान को सर्वोच्चता प्रदान की जाती हैं केन्द्र सरकार तथा प्रान्तीय सरकारों की शक्ति का स्रोत संविधान ही होता है।

3. शक्तियों का विभाजन

इस शासन प्रणाली में केन्द्रीय और प्रान्तीय संघीय सरकार के मध्य शक्तियों का बँटवारा कर दिया जाता है। कुछ शक्तियाँ केन्द्र को तथा कुछ शक्तियाँ राज्यों को सौंप दी जाती है और अपने-अपने क्षेत्रों में वे इन शक्तियों का उपयोग स्वतन्त्रतापूर्वक कर सकते हैं।

4. स्वतन्त्र तथा शक्तिशाली न्यायपालिका

संघात्मक व्यवस्था में एक स्वतन्त्र और संशक्त न्यायपालिका का होना अनिवार्य प्रान्तीय व केन्द्रीय सरकार के विवादों को निष्पेक्ष रहकर सुलझाने के लिए इसकी आवश्यकता होती है।

5. दोहरी नागरिकता

संघात्मक शासन प्रणाली की एक और विशेषता दोहरी नागरिकता है। इस व्यवस्था के अन्तर्गत वहाँ के नागरिकों को राष्ट्रीय नागरिकता के साथ-साथ प्रान्तीय नागरिकता भी प्रदान की जाती है। रूस, अमेरिका तथा स्विट्जरलैण्ड में नागरिकों को दोहरी नागरिकता प्राप्त है, किन्तु यह संघात्मक शासन का आवश्यक तत्व नहीं है।

6. स्थानीय शासन का विकास

इस पद्धति में स्थानीय स्वायत्त शासन का विकास अधिक सम्भव है। शासन का भार नागरिकों को प्राप्त रहता है।

7. प्रजातांत्रिक प्रणाली

यह प्रजातांत्रिक पद्धति है। अधिकतर कार्य और शक्तियों का एक स्थान पर एकीकरण नहीं वरन् कई स्थानों पर विकेन्द्रीकरण होता है। यह इसका आवश्यक लक्षण है। जनता इसके प्रति इच्छा भी रखने लगती हैं।

8. कुशल शासन

केन्द्र का कार्य और राज्य के सबल होने के कारण अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्रों में प्रतिष्ठा बढ़ जाती है।

संघात्मक शासन के दोष

संघात्मक शासन के दोष (Demerits) निम्नलिखित हैं-

1. संघर्ष की सम्भावना

केन्द्र तथा राज्यों में संघर्ष की सम्भवना अधिक रहती है। दोनों आपस में अधिकार छीनने लगते हैं। इस स्थिति में राज्य के अधिकार पर प्रश्न चिह्न (?) लग सकता है।

2. शासन की दुर्बलता

शासन सभी जगह पर विकेन्द्रीकरण भावना का काम करती है। इससे शासन कठोर और अकुशल हो सकता है, संगठित, अनुशासनपूर्ण और ठीक नहीं रह पाता।

3. गृह युद्ध की सम्भावना

कभी-कभी इकाई अपने को स्वतन्त्र और सम्प्रभु राज्य घोषित करने के लिए प्रयास करने लगते हैं इससे गृह युद्ध की सम्भावना बढ़ जाती है।

4. राष्ट्रीय स्वार्थपूर्ति नहीं

सब इकाइयाँ अपने स्थानीय या प्रान्तीय स्वार्थ पूर्ति के लिए प्रयास करते हैं। राष्ट्रीय स्वार्थ और कल्याण की पूर्ति का प्रयास उनसे नहीं हो पाता, इससे राष्ट्रीय कल्याण गौण हो जाता है।

5. राष्ट्रीय एकता पर आघात

इस पद्धति में राष्ट्रीय एकता पर भी आघात हो सकता है। अनेको सरकार अनेको कानून, नयी नागरिकता तथा कई भाषा के कारण राष्ट्रीय एकता की भावना जाती रहती है।

6. योजनाओं की विफलता

अनेकों सरकार होने से एक प्रकार की आर्थिक योजना के आधार पर सारे देश का विकास करना कठिन हो जाता है। यदि एक योजना लागू भी हो तो उसकी सफलता की आशा कम होती है।

7. खर्चीला शासन

दो प्रकार के शासन होने के कारण खर्चा अधिक होता है। दो प्रकार के मंत्री राज्य तथा केन्द्र के दो विधानमंडल दो न्यायालय और दो प्रकार के कर्मचारी के कारण शासन को कार्य के लिए दो वक्त खर्चा करना पड़ता है।

8. अनुत्तरदायी शासन

दो प्रकार का शासन होने के कारण अनुत्तरदायी होता है। केन्द्रीय सरकार अपना उत्तरदायित्व राज्य सरकार पर तथा राज्य सरकार अपना उत्तरदायित्व केन्द्र सरकार पर थोप देना चाहती है परिणामस्वरूप सम्पूर्ण शासन ही अनुत्तरदायी हो जाता है।

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shubham yadav

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