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समाजमिति का महत्त्व(Importance of Sociometry)
समाजमिति द्वारा अनेक गुणात्मक तथ्यों का अध्ययन सम्भव है और इनको संख्यात्मक रूप दिया जा सकता है। जहाँ संख्यात्मक पद्धति असफल रहती है वहाँ समाजमिति सहायता करती है। इतना अवश्य कहा जा सकता है कि यह विधि कष्टसाध्य है।
समाजशास्त्रीय अनुसंधान में समाजमिति का महत्त्व निम्नलिखित है-
(1) समाजमिति प्रणाली किसी भी समस्या के कारणों का पता लगाने में उपयोगी है।
(2) सदस्यों के मध्य पाये जाने वाले सम्बन्धों का पता लगाने में सक्षम विधि है।
(3) इस विधि द्वारा एक-दूसरे की प्राथमिकताओं का ज्ञान आसानी से हो सकता है।
(4) समाजमिति द्वारा सांस्कृतिक समृद्धि, यथार्थ आमदनी, सामाजिक क्रियाओं में सहभागिता की जानकारी प्राप्त हो जाती है।
(5) पैमाना आदर्श प्रतिरूपों पर आधारित होने से माप उपयुक्त एवं उचित होती है।
निर्धारण मापनी का महत्त्व (Importance of Sociometry)
रेटिंग स्केल के विषय में डॉ० डब्ल्यू० राइटस्टोन ने लिखा है, “कम निर्धारण मापनी कुछ चुने हुए शब्दों, वाक्यांशों, वाक्यों अथवा अनुच्छेदों की एक सूची है, जिसके आगे निरीक्षक मूल्यों के किसी वस्तुनिष्ठ मान के आधार पर एक मूल्य अथवा क्रम अंकित करता है।” शिक्षक के मूल्यांकन के संदर्भ में उसकी निष्पत्तियों, गुणों, विशेषताओं के आधार पर सारणी में दिए गए मानदण्डों को दृष्टि में रखते हुए शिक्षक की रेटिंग की जाती है।
सामान्यतः रेटिंग की पाँच श्रेणियाँ हैं, जिनके लिए संख्यात्मक मान / मूल्य निर्धारित होते हैं। मानदण्ड के अनुसार, मूल्यांकन करने वाले की समिति जैसी होती है, उस श्रेणी के नीचे वह सही का निशान लगाकर उसकी राय / मत को प्रकट करता है। इसके बाद उन समस्त सही निशानों के योग को ज्ञात कर लेते हैं। फिर प्रत्येक श्रेणी के लिए निश्चित अंकों को सही वाले निशानों के योग से गुणा करके योग ज्ञात कर लिया जाता है। इस तरह जिस श्रेणी के अंकों का योग सबसे अधिक होता है, शिक्षक को वही श्रेणी संस्तुत कर दी जाती है। यह विधि श्रेष्ठ मानी गई है, क्योंकि इस विधि द्वारा किए गये मूल्यांकन में वैधता और वस्तुनिष्ठता दोनों की प्रधानता पाई जाती है।
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