अनुक्रम (Contents)
सूचना प्रौद्योगिकी से आप क्या समझते हैं? इसके विकास की विवेचना कीजिए।
अथवा संचार भाषा से आप क्या समझते हैं? इसके स्वरूप की विवेचना कीजिए।
वर्तमान युग में टी०वी० प्रेस, अखबार एवं इंटरनेट ने ही मीडिया का रूप धारण किया है। वास्तव में इसका एक रूप ‘संचार’ ही है। संचार का अर्थ है कि किसी स्वदेश का प्रसारण या फैलाना अर्थात विविध सूचनाओं, समाचारों और विचारों को अनेक माध्यमों, जैसे-टी०वी० प्रेस, अखबार एवं इन्टरनेट से जन-साधारण तक पहुँचाना ही ‘जनसंचार’ है। स्थूल रूप से जनसंचार माध्यमों को तीन रूपों में बाँटा जा सकता है-
1. शब्द संचार माध्यम- समाचार पत्र पत्रिकाएँ एवं पुस्तक।
2. श्रव्य संचार माध्यम- रेडियो, कैसेट एवं टेपरिकार्डर।
3. दृश्य संचार माध्यम- दूरदर्शन, विडियो, कम्प्यूटर एवं फिल्में आदि।
सूचना प्रौद्योगिकी
आधुनिक युग में सूचना प्रौद्योगिकी में क्रान्तिकारी विकास हुआ है। स्वतन्त्रता के पश्चात जनसंचार के विविध साधनों के आविष्कार और प्रसार से सूचना प्रौद्योगिकी में क्रान्ति हुई हैं। किसी भी देश की सूचना प्रौद्योगिकी की उन्नति और विस्तार का प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। और इस प्रभाव के परिणामस्वरूप मानव जीवन की गुणवत्ता पर इसका गहरा असर होता है। वास्तव में आज सूचना प्रौद्योगिकी क्रान्ति ने आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन की नवीन सम्भावनाओं को जन्म दिया है, जिनसे विकसित और विकासशील दोनों ही प्रकार के देश लाभान्वित हुए हैं। सूचना प्रौद्योगिक के क्षेत्र में आज कम्प्यूटर संचार और सॉप्टवेयर उद्योग का अत्यधिक बोलबाला है, क्योंकि इनमें अत्यधिक विकास हुआ है और आज भारत का सॉफ्टवेयर अन्तर्राष्ट्रीय जगत में सबसे ज्यादा पसन्द किया जाता है तथा आज इसका व्यापक विस्तार हुआ है। सन् 2000-01 में कुल उत्पादन 8.3 लाख डालर और निर्यात 6.2 अरब डालर तक पहुँच गया है। सरकार ने सूचना प्रौद्योगिक (I.T.) के अन्तर्गत भारतीय सॉफ्टवेयर उद्योग के लिए सन् 2008 तक 50 अरब डालर के निर्यातक का लक्ष्य रखा है। भारत में आई, टी० सॉफ्टवेयर तथा सेवा उद्योग का कुल घरेलू उत्पाद में लगभग 2 प्रतिशत का योगदान है।
भारतीय आई०टी० के अन्तर्गत भारतीय सॉफ्टवेयर प्रोफेसनल्स ने विश्व बाजार में आज अपनी ब्राण्ड छवि बना ली है। आज विश्व की 1000 कम्पनियों में से 260 बड़ी कम्पनियों को भारतीय साफ्टवेयर फार्चुन उनकी आवश्यकता की पूर्ति करता है। भारत में साफ्टवेयर उद्योग ने उत्कृष्ट गुणवत्ता उपलब्ध कराने के लिए अपना विशेष स्थान बना लिया है। आज अनेक भारतीय साफ्टवेयर कम्पनियों को अन्तर्राष्ट्रीय गुणवत्ता के प्रमाण-पत्र प्राप्त हो चुके हैं।
आज भारतीय सॉफ्टवेयर उद्योग की क्रान्तिकारी वृद्धि हो रही है। यह उद्योग कर्मचारियों के सहयोग से सॉफ्टवेयर विकास एकीकरण से आई०टी० व्यापार परामर्श तक पहुँच गया है। आज भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बेतहाशा वृद्धि हुई है। भारतीय आई० टी० उद्योग की इस वृद्धि के मुख्य चालक के रूप में भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित सेवा क्षेत्र का विस्तार हुआ है। सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित उद्योग में वर्तमान में 70 हजार लोग कार्यरत हैं तथा कुल आई० टी० सॉफ्टवेयर तथा सेवा उद्योग के राजस्व में इसका हिस्सा 10.6% है।
आई०टी० उद्योग के अन्तर्गत भारत ने विविध प्रकार की इलेक्ट्रॉनिक्स सामग्रियों का उत्पादन करोड़ों में किया है। इनमें कम्प्यूटर तथा सूचना एवं प्रसारण सम्बन्धी उपकरण प्रमुख हैं। इसके अतिरिक्त उपभोक्ताओं को सेवा प्रदान करने वाले इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुएँ भी अत्यधिक उत्पादित की जाती है। सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र का आज अत्यधिक विस्तार होता जा रहा है। समाज और सामाजिक जीवन में भी इसके द्वारा उत्पादित जनसंचार के उपकरणों और मनोरंजन के साधनों तता सूचनाओं के माध्यमों का आज समाज में व्यापक विस्तार हो चुका है। आज भारतीय समाज का प्रत्येक सदस्य सूचना प्रौद्योगिकी की सेवा का लाभ उठाता है। देश के कोने-कोने में सूचनाओं का प्रसारण विभिन्न माध्यमों से किया जाता है, जिसमें प्रेस, समाचार पत्र-पत्रिकाएँ, रेडियो और टेलीविजन, चलचित्र एवं प्रदर्शनी एवं नवीन इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण, जैसे-कम्प्यूटर स्क्रीन, वीडियो, स्टेलाइन, नेटवर्क, रेडियो आदि की सेवाएँ भारतीय समाज के जन-जन तक आज पहुँचती है और उनका लाभ सम्पूर्ण जन-समुदाय उठाता है।
सूचना-प्रौद्योगिकी का इतना विस्तार हो रहा है कि इसका अपना अलग मंत्रालय है तथा सन् 2000 में सूचना प्रौद्योगिक अधिनियम पारित करके ई० कॉमर्स इन्टरनेट के द्वारा इलेक्ट्रॉनिक व्यवस्था और अर्थव्यवस्था के आवश्यक क्षेत्रों में सूचना प्रौद्योगिकी (I.T.) को तीव्रता से शामिल करने की स्वीकृति सरकार ने दी है। यह अधिनियम इलेक्ट्रॉनिक वाणिज्य और लेन-देन को वह कानूनी ढाँचा प्रदान करता है और इलेक्ट्रॉनिक्स अनुबंधों को मान्यता, कम्प्यूटर अपराधों का निवारण, इलेक्ट्रॉनिक रूप से दस्तावेज दाखिल करना, डिजिटल हस्ताक्षर आदि इसके उद्देश्य है। कानून को अमल में लाने के लिए नियमों को घोषणा कर दी गई है और यह 17 अक्टूबर 2000 से लागू हो गया। प्रमाणीकरण प्राधिकरण के नियंत्रक की नियुक्ति कर दी गई है।
सेमीकंडक्टर इंटीग्रेटिड सर्किट ले-आउट डिजाइन अधिनियम, 2000 सेमीकंडक्टर इंटीग्रेटिड सर्किट ले-आउट डिजाइन की सुरक्षा तथा उससे जुड़े मुद्दों के लिए सरकार ने सेमीकंडक्टर इंटीग्रटिड सर्किट ले-आउट डिजाइन अधिनियम, 2000 बनाया है। इसको लागू करने वाले नियमों का प्रारूप सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के वेब पेज पर डाला गया है।
समुदाय सूचना केन्द्र
सूचना प्रौद्योगिकी मन्त्रालय ने पूर्वोत्तर तथा सिक्किम के 486 ब्लाकों में 220 करोड़ रुपये की लागत से समुदाय सूचना केन्द्र कम्युनिटी इन्फारमेशन सेंटर (सी० आई० सी०) स्थापित करने की परियोजना आरम्भ की है, ताकि क्षेत्र का सामाजिक-आर्थिक विकास हो, ब्लाक स्तर पर सम्पर्कता हो। यह परियोजना दो साल में पूरी हो जायेगी इस योजना के अन्तर्गत वी-सैट का इस्तेमाल सम्पर्कता के लिए किया जा रहा है। 30 ब्लाकों में पायलट परियोजना पूरी हो गई है।
इस योजना के जरिए सरकार उन 95 प्रतिशत लोगों तक पहुँचना चाहती है, जोकि डिजिटल संसार से अलग हैं। स्वास्थ्य, शिक्षा, ई-गवर्नेस, डेटा सम्प्रेषण, दस्तावेज तैयार करने, राष्ट्रीय आपदाओं के प्रबंधन के लिए सम्पर्कता, विपत्ति प्रबंधन आदि में आई०टी० के उपयोग को बढ़ावा दिया जायेगा। इन केन्द्रों से स्वास्थ्य, ऊर्जा, जल, शिक्षा, साक्षरता तथा गरीबी की समस्याओं से उभरने में मदद मिल सकती है।
आई०टी० मन्त्रियों का राष्ट्रीय सम्मेलन
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 15 जुलाई, 2000 को दिल्ली में विभिन्न राज्यों के आई०टी० मन्त्रियों का पहला सम्मेलन आयोजित किया, ताकि सूचना प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए सामान्य कार्य योजना तैयार की जा सके। प्रधानमन्त्री ने सम्मेलन का उद्घाटन किया, जिसमें अनेक मुख्यमंत्रियों ने हिस्सा लिया। सम्मेलन में निम्न निर्णयों की घोषणा की गई – 1. राष्ट्रीय लम्बी दूरी के संचार-नेशनल लोग डिस्टेंस आपरेशन एन० एल० डी०ओ० को बिल्कुल नियन्त्रण मुक्त करना, 2. इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडरों (आई० एस०पी०) के लिए समुद्रगत ऑप्टिकल फाइबर सम्पर्कता के एकाधिकार को मुक्त करना 3. सूचना प्रौद्योगिकी में मानव संसाधन विकास के लिए कार्यबल का गठन|
इन फैसलों से देश में दूरसंचार और सूचना प्रौद्योगिकी शिक्षा के लिए ढाँचागत सुविधाएँ। सुदृढ़ होगी। बातचीत के बाद सम्मेलन ने भारत में आई०टी० को बढ़ावा देने के लिए कार्य योजना को एकमत से स्वीकार कर दिया।
सूचना प्रौद्योगिकी का सामाजिक विस्तार
सूचना प्रौद्योगिकी ने जन-जन के लिए समाज के लोगों के लिए सेवाएँ और सुविधाओं के विस्तार के लिए सूचना प्रौद्योगिकी के सामाजिक विस्तार के हेतु कार्य योजना के निर्माण और उसके क्रियान्वयन के लिए कार्य समूह का गठन किया। कार्य समूह न अपने प्रतिवेदन में सन् 2008 तक 10 करोड़ इन्टरनेट कनेक्शन का लक्ष्य रखा और देश में 10 लाख इन्टरनेट समर्थित साइबर कैफे स्थापित करने की बात कही है। कार्य समूह का मुख्य सुझाव इस प्रकार है-
1. पाँच वर्षों के भीतर 60,000 विद्यालयों में आई० टी० सुविधाएँ स्थापित करना,
2. वेब-आधारित नागरिकोन्मुखी सरकारी सेवाएँ,
3. आई0 टी0 सुविधाओं और सेवाओं को लगाने के लिए लाइसेस तथा नियंत्रण समाप्त,
4. इंटरनेट पर भारतीय भाषाओं वाली सामग्री को बढ़ावा देना,
5. आई० टी० यात्राओं और अन्य कार्यक्रमों के जरिए जन-जागरण अभियान चलाना,
6. पाँच वर्षों के लिए आई०टी० मिशन गठित करना, जोकि रिपोर्ट में की गई सिफारिशों को अमल में लायेगा,
7. सरकारों भर्ती के लिए सूचना प्रौद्योगिकी की जानकारी आवश्यक बनाना,
8. सरकार में 5 प्रतिशत बजट को आई०टी० के काम के लिए तय करना,
9. ग्रामीण कलाकारों और उद्यमियों की मदद के लिए राज्य सरकार के पोर्टल,
10. एक स्थान पर सरकारी सूचना सेवाओं के लिए इंटरनेट पोर्टल,
11. इंटरनेट पर समस्त सरकारी सूचना मुहैया कराना;
12. इंटरनेट पर सभी प्रकार का सरकारी भुगतान तथा
13. सार्वजनिक परीक्षाओं के परिणाम इंटरनेट पर उपलब्ध कराना।
दूरसंचार के क्षेत्र में भी व्यापक विस्तार किया गया है- इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडरों आई० एस० पी० को देश में अन्तर्राष्ट्रीय गेट-वे तथा पनडुब्बी लैंडिग केन्द्र बनाने की अनुमति दे दी गयी हैं। आई० एस० पी० विदेशी उपग्रहों से बैंडविड्थ भी किराए पर ले सकते हैं। इससे देश ने इंटरनेट बैंडविडथ की उपलब्धता बेहतर होगी और इंटरनेट सुविधाओं का विस्तार होगा। राष्ट्रीय लम्बी दूरी और आई० एस०डी० दूरसंचार सेवाएँ खोल दी गई है। देश में फाइबर आप्टिकल केबिले बिछाई जा रही हैं। मार्च 2002 में बी०एस०एन०एल० का एकाधिकार समाप्त हो जायेगा।
भारत के साफ्टवेयर टेक्नालॉजी पार्क
भारत में साफ्टवेयर प्रौद्योगिकी पार्क देश भर में 18 केन्द्रों में स्थित हैं— पुणे, बंगलौर, भुवनेश्वर, हैदराबाद, नोएडा, गांधीनगर, तिरुवनंतपुरम, मोहाली (चडीगढ़), जयपुर, कोलकाता, मुंबई, चेन्नई, मैसूर, कोयंबतूर, विजाग, गुवाहाटी, इन्दौर और श्रीनगर 1 ये पार्क साफ्टवेयर निर्यातकों को उच्च गति डेटा संचार सुविधाओं के साथ-साथ एक ही स्थान पर सम्पर्क उपलब्ध कराते हैं। एस०टी०पी० आई ने सिलिकॉन वैली (अमेरिका) में भी व्यापार सहयोग केन्द्र खोला है। पार्कों का निर्यात राजस्व हर वर्ष 100 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि दर्ज कर रहा है। इन इकाइयों ने वर्ष 2000-01 में 20,000 करोड़ रुपये का साफ्टवेयर निर्यात किया। पार्को में 6,400 से ज्यादा इकाइयाँ पंजीकृत हैं।
राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र
राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र-नेशनल इनफारमैटिकल सेंटर (एन0आई0सी0) केन्द्र सरकार के विभागों, राज्य सरकार के विभागों, जिला प्रसासनों (540 जिलों) तथा राज्य सरकार द्वारा गठित नये जिलों को कम्प्यूटर सहयोग देता है। एन० आई० सी० ने उपग्रह-आधारित कम्प्यूटर संचार नेटवर्क स्थापित किया है, जिससे ई-मेल, इंटरनेट, फाइल ट्रॉसफर, राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय डेटा स्रोतों तक पहुँच (जीव-चिकित्सा, भूमि रिकार्ड आदि सहित), इलेक्ट्रॉनिक डेटा इंटरचेंज (ई0डी0आई), वीडियो कॉफ्रेंसिंग सुविधाएँ आदि उपलब्ध कराई जाती हैं। एन० आई० सी० ने केन्द्रीय सरकार के विभागों तथा राज्य सरकार के सचिवालयों में लोकल एरिया नेटवर्क स्थापित किए हैं। एन0आई0सी0 सरकारी कर्मचारियों को नियमित रूप से प्रशिक्षण दे रही है, ताकि वे कम्प्यूटरीकृत एम0आई0एस0 और डेटाबेसों का इस्तेमाल कर सके। एन० आई० सी० ने सर्वोच्च न्यायालय, 18 उच्च न्यायालयों तथा देश के 430 निम्न न्यायालयों को कम्प्यूटरीकृत कर दिया है, ताकि कामकाज ठीक से हो, केस दायर करने वालों को पारदर्शिता मिले और कानूनी डेटाबेस तैयार हो ।
एन०आई०सी० भारत सरकार के विभिन्न हिस्सों की वर्ल्डवाइड वेब पर उपस्थित सुनिश्चित कर रहा है। केन्द्रीय मंत्रालयों/विभागों, संस्थानों तथा राज्य सरकारों / केन्द्रशासित प्रशासनों के लिए 270 बेवसाइट विकसित किए हैं और अथवा वेब सर्वरों पर होस्ट किया है। एन0आई0 सी० ने हाल ही में अपने वेबसाइट पर विभिन्न परीक्षाओं के नतीजे प्रदर्शित किए।
ई-गवर्नेस केन्द्र
विश्व की अर्थव्यवस्थाओं ने आर्थिक गतिविधियों को तेज करने, प्रभावी प्रशासन देने तथा मानव संसाधन विकास में सूचना प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार किया है। ई-गवर्नेस के बढ़: महत्व के कारण मंत्रालय ने अपनी नयी दिल्ली की इलेक्ट्रॉनिक्स निकेतन इमारत में सेंटर फार ई-गवर्नेस (सी0ई०जी) स्थापित किया। इस केन्द्र में अनेक ई०गवर्नेस उपयोगों और समाधानों को दर्शाया गया है, जिन पर अमल हो चुका है। साथ ही तकनीकी परामर्श, प्रस्ताव का सबूत और तकनीकी प्रजेटेशन जैसी सेवाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं।
केन्द्र में देश-विदेश की अग्रणी कम्पनियों, तकनीकी संस्थानों तथा व्यापारिक सहयोगियों की मदद ली जायेगी और विशेष जरूरतों को पूरा करने के लिए परियोजनाएं शुरू की जायेंगी। यह केन्द्र में इस प्रकार के संस्थानों से मजबूत सम्पर्क स्थापित करने के प्रयास करेगा, ताकि निरंतर तालमेल और हिस्सेदारी से विश्व के बेहतरीन तरीकों को अपनाया जा सके। केन्द्र में सी0डैक, सी0एम0सी0 एन०आई०सी०, माइक्रोसॉफ्ट, ओरेकल तथा आईक्यू वर्चुअल अपने काम का प्रदर्शन कर रहे हैं। ई०गवर्नेस को बढ़ावा देने के लिए जिसको 20 लाख अमेरिकी डालर के निवेश में सेंटर ऑफ एशियन प्री-एमिनेस स्थापित करेगा।
मीडिया लैब एशिया
अमेरिका के मेसेच्यूसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी के साथ मिलकर मीडिया लैब एशिया स्थापित करने के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गयी है। यह आई०टी० के क्षेत्र में भविष्य की प्रौद्योगिकियों के विकास पर ध्यान देगी, जैसे इंटरनेट तथा मल्टीमीडिया। यह अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के विचारों तथा उद्यमशीलता को बढ़ावा देगी, भारतीय सन्दर्भ में समस्याओं के समाधान के वास्ते भविष्य की प्रौद्योगिकियों पर ध्यान देगी और विद्यार्थियों, शिक्षकों, उद्यमियों, उद्योग तथा उपभोक्ताओं के लिए एक साथ सृजनात्मक माहौल में काम करने के लिए वातावरण तैयार करेगी।
भारतीय भाषाओं के लिए प्रौद्योगिकी विकास
भारतीय भाषाओं के लिए प्रौद्योगिकी विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत भारतीय भाषाओं के प्रोसेसिंग टूल्स, ह्यूमन इंटरफेस सिस्टम, ट्रॉसपोर्ट स्पोर्ट स्टिम, कोरपोरा तथा लेक्सीकल संसाधनों के विकास के लिए अनेक प्रयास किए गये। भारतीय भाषाओं में सूचनाओं के प्रसंस्करण के लिए देश में शैक्षिक और अनुसंधान व विकास संस्थानों में एक परियोजना चलाई जा रही है। इसका उद्देश्य समाज में सूचना प्रौद्योगिकी की पहुँच बढ़ाना, भारतीय भाषाओं में आई० टी० के वितरण को बेहतर करने के लिए बेवसाइटों पर भारतीय भाषाओं में जानकारी उपलब्ध कराना तथा भाषा इंजीनियरिंग के प्रौद्योगिकी-बहुल क्षेत्रों में अनुसंधान है।
उपरोक्त विवेचना से स्पष्ट है कि भारत में सूचना प्रौद्योगिकी का क्रान्तिकारी विस्तार नवीन सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 के पारित लाने के पश्चात निरन्तर हो रहा है। आज देश के कोने-कोने में सूचना प्रौद्योगिकी का विकास और विस्तार हो चुका है तथा भारतवासी इससे अत्यधिक लाभान्वित हो रहे है और देश की अर्थव्यवस्था में भी इससे सुधार हो रहा है।
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