अमेरिकी क्रांति(THE AMERICAN REVOLUTION) : एक दृष्टी में
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अमेरिकी क्रांति(THE AMERICAN REVOLUTION)
- 18वीं शताब्दी की एक और महान क्रांति अमेरिकी क्रांति थी|
- इसके परिणाम महत्वपूर्ण एवं व्यापक थे| इस क्रांति के पश्चात अमेरिका स्वतंत्र हुआ| और आज वह विश्व के सबसे शक्तिशाली धनी और औद्योगिक रूप से उन्नत राष्ट्रों में अग्रणीय है|
अमेरिकी क्रांति के कारण
- प्राचीन औपनिवेशिक पद्धति या व्यापारिक पद्धति दमनकारी थी|
- अमेरिका के औपनिवेशिक राज्य बहुत समय तक यह स्थिति नहीं सह सके | और इनका स्वभाविक परिणाम युद्ध हुआ |
इसके लिए निम्नलिखित कारण जिम्मेदार थे – - इंग्लैंड सरकार द्वारा निम्नलिखित उपनिवेशों के गवर्नर और प्रशासक सामान्यतः सैनिक अधिकारी होते थे|
- अमेरिका में इस्पात और ऊनी वस्त्र का निर्माण सीमित या पूर्णतया बंद था ताकि इस माल से ब्रिटिश निर्माताओं से स्पर्धा ना हो|
- उपनिवेशों की आयात निर्यात और विनिर्माण पर यह सारी प्रतिबंध वहां के लोगों के लिए असहनीय थे |अतः आप निवेशकों के विद्रोह का मुख्य कारण बनने में यह काफी आगे थे|
बोस्टन टी-पार्टी :
- औपनिवेशकों को शांत करने के लिए लार्ड नार्थ ने टाउनसेंड द्वारा लगाए गए| सभी कर चाय के कर को छोड़कर हटा लिए थे|
- अमेरिकियों को सीधे भारत में भी चाय आयात करने की अनुमति थी, जिस पर इंग्लैंड में ड्यूटी नहीं दी जाती थी|
- परंतु अमेरिका में आयातित चाय पर तीन पेन प्रति पौंड के हिसाब से ड्यूटी ली जाती रही |
- यह ड्यूटी लगाने पर भी चाय पहले से सस्ती ही थी|
- वस्तुतः यह ड्यूटी केवल यह बताने के लिए ली जा रही थी की ब्रिटिश सरकार को उपनिवेशों पर टैक्स लगाने का अधिकार है |
- उपनिवेश ब्रिटिश सरकार की चाल को समझ गए|
- वे टैक्स की अपेक्षा ब्रिटिश सरकार के उपनिवेशों पर टैक्स लगाने के अधिकार के विरोधी थे|
- अतः जब 16 दिसंबर 1773 को चाय के जहाज बोस्टन के बंदरगाह पर आकर लगी | तो कुछ और औपनिवेशकों ने रेड इंडियनों के बीच में 340 पेटी चाय समुद्र में फेंक दी|
- इस घटना को बोस्टन टी पार्टी कहते हैं |
अन्य कारण
- 4 जुलाई 1776 ईस्वी को वह ऐतिहासिक ‘स्वातंत्र्य-घोषणा’ की गई जिसके अनुसार 13 उपनिवेशों ने ग्रेट ब्रिटेन की अधीनता समाप्त कर दी|
- इस घोषणा के साथ ही संयुक्त राज्य अमेरिका के इतिहास का श्रीगणेश हुआ|
- यह एक अति महत्वपूर्ण घटना थी | यह घोषणापत्र वर्जीनिया के थॉमस जेफरसन ने तैयार किया था
और कुछ सुधारों के बाद कांग्रेस ने इसे स्वीकार किया था|
- इसने घोषित किया कि “सभी मनुष्य जन्म से समान” है|
- वर्ष 1775 ईस्वी में लेक्सिंगटन में प्रारंभ हुआ यह युद्ध 8 वर्ष तक चलता रहा|
- 1775 में अंग्रेजों ने औपनिवेशको पर आक्रमण करने की संयुक्त योजना बनाई|
- 1781 ईस्वी में ब्रिटिश सेनापति कार्नवालिस ने चार्ल्स टाउन और अन्य कई स्थानों पर अधिकार कर लिया|
- परंतु इसके बाद शीघ्र ही समुद्र पर फ्रांसीसी बेड़े तथा थल पर वाशिंगटन ने उसकी नाकाबंदी कर दी | अंततः उसे आत्मसमर्पण करना पड़ा |
- अब ब्रिटेन के अधिकार में केवल न्यूयॉर्क बचा|
पेरिस की संधि (1783)
- 30 सितंबर 1783 ईस्वी में पेरिस की संधि में अमेरिकी स्वतंत्र युद्ध की इतिश्री हुई| इस संधि की मुख्य धारणाएं निम्नलिखित थी-
1- इंग्लैंड में 13 उपनिवेशों( संयुक्त राज्य अमेरिका ) स्वतंत्रता को मान्यता प्रदान की| - मिसीसिपी नदी को उनकी पश्चिमी सीमा रेखा मान लिया गया,| जबकि ‘ग्रेट लेक’ उनकी उत्तरी सीमा रेखा निश्चित हुई |
२- अमेरिका में केवल कनाडा, नोवा, स्कोशिया और न्यूफाउंडलैंड के प्रदेश ही अंग्रेजों के पास रह गए|
३- फ्रांस को पश्चिमी द्वीप समूह सेंट जूसिया और टोबैगो तथा अफ्रीका में स्थित सेनेगल और गौरी के प्रदेश मिले| - भारत में स्थित फ्रांसीसी बस्तीयां माहे, पांडिचेरी और चंद्रनगर भी उन्हें वापस मिल गए|
- इसके अतिरिक्त न्यूफ़ाउंडलैंड की मछली की व्यापार में भाग लेने का पूर्ण अधिकार मिला|
४- स्पेन को अंग्रेजों से मीनारका और फ्लोरिडा मिले|
५- हॉलैंड के साथ पुर्नस्थिति के मौलिक सिद्धांत को स्वीकार किया गया | एक दूसरे के विजित किए हुए प्रदेश वापस कर दिए गए|
अमेरिका क्रांति के परिणाम तथा महत्व
- अमेरिकी बस्तियों की इस सफ़ल विद्रोह का एक इंग्लैंड पर और सारे संसार पर विशेष प्रभाव पड़ा|
- मानव जाति के राजनीतिक जीवन को बदलने में एक महत्वपूर्ण साधन सिद्ध हुआ|
- उसने इंग्लैंड के इतिहास को प्रभावित किया|
- इंग्लैंड पर प्रभाव- यद्यपि अमेरिकी बस्तियों के हाथ से निकल जाने की कुछ समय के लिए ‘अंग्रेजों की मांन को धक्का लगा| परंतु अंत में यह क्रांति उनके लिए लाभदायक सिद्ध हुई|
- उन्होंने अपनी निर्बलताओ और कमियों को दूर किया और इनके सुधार करने में जुट गए|
- उनकी आंतरिक तथा विदेशी नीति में कई परिवर्तन किए गए|
जॉर्ज द्वितीय के स्वेच्छाचारी शासन का अंत
- ऐसा अनुभव किया गया कि अमेरिकी युद्ध में हुई |
- पर पराजय तथा महान हानि का कारण जॉर्ज तृतीय की मूर्खता और उसके मंत्रियों की अयोग्यता थी |
- 1783 ईस्वी तक जॉर्ज तृतीयका स्वेच्छाचारी रूप से शासन करने का प्रयोग पुर्णतः असफल सिद्ध हो गया|
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