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इकाई योजना का अर्थ
इकाई योजना का अर्थ (Unit Planning of Meaning) — अपने सामान्य अर्थ में इकाई योजना वह योजना निर्माण है जिसमें पाठ्यक्रम सम्बन्धी सत्र में किए जाने वाले कार्य को अध्यापक छोटी-छोटी परंतु सार्थक इकाईयों में विभक्त कर देता है।
इकाई योजना की परिभाषा
इन इकाईयों को विभिन्न विचारकों ने विभिन्न प्रकार से परिभाषित किया है-
(1) डॉ. विबासि के अनुसार – “इकाई किसी एक केन्द्रीभूत समस्या अथवा प्रयोजन के चतुर्दिक संगठित क्रियाकलापों व अधिगत सामग्री का योग है । यह विद्यार्थी टीम द्वारा शिक्षक के नेतृत्व में विकसित की जाती है।”
(2) कार्टर वी. गुड के अनुसार – ” इकाई से तात्पर्य किसी एक केन्द्रीभूत समस्या या प्रयोजन के इर्द-गिर्द संगठित उन विभिन्न क्रियाकलापों, अनुभवों तथा अधिगम सामग्री से है जिसे शिक्षक के नेतृत्व में विद्यार्थियों के एक टीम विशेष के सहयोग द्वारा प्रकार में लाया जाता है।”
इकाई की प्रमुख विशेषतायें (Main Characteristics of Unit)
उपरोक्त परिभाषाओं के आधार पर यह कहा जा सकता है कि इकाई में निम्न विशेषतायें होती हैं-
(1) केन्द्रभूत समस्या (Central Problem) – इकाई की विषय-वस्तु का ताना-बाना किसी केन्द्रीभूत समस्या अथवा प्रयोजन के चतुर्दिक बना होता है ।
(2) विषय वस्तु व अधिगम अनुभव (Subject Matter and Learning Experiences)— इकाई में ऐसी अर्थयुक्त तथा भली प्रकार परस्पर सम्बन्धित एवं समस्त प्रकार से पूर्ण ऐसी विषय-वस्तु या अधिगम अनुभवों का समावेश होता है, जो वांछित शिक्षण अधिगम उद्देश्यों की प्राप्ति भली प्रकार करा सके।
(3) विद्यार्थी सहयोग (Student’s Cooperated) — इकाई निर्माण कार्य में विद्यार्थियों द्वारा शिक्षक के साथ सहयोग अनिवार्य है।
(4) निरंतरता व विस्तृतता युक्त विषय वस्तु (Subject Matter Full of Continuity and Expansion)— इकाई विशेष में निहित विषय वस्तु में ऐसी निरंतरता तथा विस्तृतता होना, जिसके माध्यम से पाठ्यक्रम सम्बन्धी किसी विशेष ज्ञान क्षेत्र, प्रकरण या समस्या विशेष को भली प्रकार जानने तथा समझने में उचित सहायता प्राप्त हो।
(5) पाठ्यक्रम (Syllabus) – एक इकाई निर्धारित पाठ्यक्रम की स्वयं में सभी तरह से पूर्ण उस भागांश का प्रतिनिधित्व करती है जिसके माध्यम से उपयुक्त तथा सार्थक शैक्षिक अनुभव प्रदान किया जाना सम्भव है।
उपरोक्त विवरण के आधार पर यह कहा जा सकता है कि इकाई विषय विशेष के लिए निर्धारित पाठ्यचर्या का स्वयं में पूर्ण ऐसा सार्थक भागांश है जो किसी एक समस्या या प्रयोजन से जुड़े रहकर विषय के शिक्षण अधिगम के लिए निर्धारित उद्देश्यों की पूर्ति में उपयुक्त सहायता प्रदान करता है।
इकाई योजना (Unit Plan)
किसी कक्षा विशेष के लिए निर्धारित विषय विशेष के पाठ्यक्रम को एक सत्र में भली प्रकार पढ़ाने की दृष्टि से कुछ सार्थक एवं स्वयं में पूर्णभागांशों में विभक्त कर लिया जाता है। ये भागांश इकाई कहलाते हैं । तदुपरांत इन इकाईयों में संग्रहित विषय-वस्तु तथा अधिगम अनुभवों का सर्वाधिक उचित रूप में शिक्षण अधिगम करने हेतु नियोजन कार्य किया जाता है। इसका उद्देश्य वांछित शिक्षण-अधिगम उद्देश्यों की प्राप्ति श्रेष्ठम ढंग से करना होता है। यह नियोजन कार्य ही इकाई योजना कहलाती है।
उपरोक्त विवरण से यह स्पष्ट है कि जैविक विज्ञानों में इकाई योजना वह कार्य प्रणाली या योजना है, जो किसी एक विशेष इकाई में निहित विषय-वस्तु तथा अधिगम अनुभवों के शिक्षण अधिगम हेतु निर्मित की जाती है तथा जिसमें ऐसे शिक्षण अधिगम के आयोजन के लिए उन समस्त विधियों एवं तकनीकों का वर्णन होता है जिससे इकाई से सम्बन्धित शिक्षण अधिगम उद्देश्यों की पूर्ति हो सके।
जैविक विज्ञानों में इकाईयों की निर्माण प्रक्रिया (Process of Units Formation in Biological Sciences)
जैविक विज्ञानों में इकाई योजना के निर्माण से पूर्ण आवश्यक कदम उठा लिया जाता है। यह कदम है पूरे सत्र में प्रदान किए जाने वाले अधिगम अनुभवों तथा विषय-वस्तु को सार्थक एवं समस्त प्रकार से पूर्ण उचित इकाईयों में विभक्त करना। इन इकाईयों के निर्माण हेतु निम्न पग उठाये जाते हैं-
(i) निर्धारित पाठ्यचर्या में एक विशिष्ट प्रकार का प्रकरण युक्त विभक्तिकरण किया जाता है। अध्यापक उसी विभक्तिकरण के अनुरूप विभिन्न प्रकरणों को विभिन्न इकाई मानकर चल सकता है।
(ii) अध्यापक पाठ्यचर्या में सम्मिलित एक समान प्रकृति तथा शिक्षण अधिगम उद्देश्यों वाले प्रकरणों को एकत्र करके इकाई का निर्माण कर सकता है।
(iii) अध्यापक कतिपय विशेष प्रयोजन के संपादन के संदर्भ में पाठ्यचर्या की विषय सामग्री प्रकरणों का विभाजन कर इकाईयों को निर्मित कर सकता है, उदाहरणार्थ-
(क) जीवन केन्द्रित इकाईयाँ,
(ख) पर्यावरण केन्द्रित इकाईयाँ,
(ग) पशुपक्षी तथा पेड़ पौधे केन्द्रित इकाईयाँ आदि।
विचारकों ने उपरोक्त प्रक्रियाओं का अनुसरण करते हुए जीव विज्ञान शिक्षण हेतु कतिपय इकाईयों का उल्लेख किया, जिसमें प्रमुख निम्न प्रकार हैं-
(i) निकटवर्ती पक्षी गण,
(ii) निकटवर्ती पेड़-पौधे,
(iii) निकटवर्ती कीड़े-मकौड़े,
(iv) हमारे शरीर की प्रणाली,
(v) हमारा शरीर एवं उसकी कार्य-प्रक्रिया,
(vi) वन संपदा और उसका हमारे जीवन में महत्त्व,
(vii) पशु जगत तथा उसके हमारे जीवन में महत्त्व,
(viii) सूक्ष्म जीव और उसका हमारे जीवन में महत्त्व,
(ix) हमारा स्वास्थ्य एवं प्रमुख रोग,
(x) हमारा भोजन,
(xi) प्रदूषण तथा उससे उत्पन्न पारिस्थितिक संकट,
(xii) खाद्य का उत्पादन एवं प्रबंधीकरण,
(xiii) पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति चरण व स्वरूप ।
प्रत्येक अध्यापक के लिए यह आवश्यक है कि वह इकाईयों के निर्माण सम्बन्धी उपरोक्त वृहत क्षेत्र विभाजन की ओर समुचित ध्यान दे। इनके अतिरिक्त जव जैविक विज्ञान अध्यापक किसी कक्षा विशेष की पाठ्यचर्या को उपयुक्त इकाईयों में विभाजित करे तब वह अग्रलिखित बातों को दृष्टिगत रखे-
(i) किसी कक्षा विशेष में जैविक विज्ञानों के अध्यापक को उपलब्ध या प्राप्त होने वाले कुल कार्य दिवस घंटे।
(ii) विशिष्ट प्रयोजन एवं उद्देश्यों की पूर्ति हेतु निर्मित की जाने वाली इकाईयों का पूर्ण एवं सार्थक होना।
(iii) शिक्षण के लिए उपलब्ध कुल समय तथा संसाधनों को दृष्टिगत रख निर्धारित पाठ्यचर्या की विषय-वस्तु तथा अधिगम अनुभवों का उचित विभाजन करना।
(iv) शिक्षण अधिगम के लिए उपलब्ध शिक्षण अधिगम परिस्थितियों तथा संसाधनों के सन्दर्भ में इकाईयों का उपयुक्त होना।
(v) विद्यार्थियों की आयु, रुचि, आवश्यकताओं तथा योग्यताओं के संदर्भ में इकाईयों का उपयोगी होना।
(vi) कक्षा विशेष के जैविक विज्ञानों के शिक्षण अधिगम उद्देश्यों की पूर्ति के सम्बन्ध में इकाईयों का सार्थक होना।
(vii) इकाईयों में निहित विषय-वस्तु तथा अधिगम अनुभवों का परस्पर उपयुक्त सहसम्बन्ध तथा समन्वय होना।
(viii) निर्धारित पाठ्यक्रम पर निर्मित विभिन्न इकाईयों की विषय-वस्तु तथा अधिगम अनुभवों में आवश्यक तारतम्यता तथा निरन्तरता के लिए उपयुक्त सहसम्बन्ध तथा समन्वय की स्थापना करना।
इकाई योजना हेतु अग्रसर होना (Proceding Further in Unit Planning)
निर्धारित पाठ्यक्रम की विषय-वस्तु तथा अधिगम अनुभवों को स्वयं में पूर्ण तथा सार्थक खण्डों में विभाजित करने के बाद योजना के निर्माण के संदर्भ में किए जाने वाले आगामी कार्य की रूप रेखा निम्न प्रकार हो सकती है-
(1) विभाजन (Division) — इकाई विशेष को कुछ उचित उप इकाईयों तथा भागों में विभक्त करते हैं। यह ध्यान रहे कि इन विभक्त उप इकाईयों तथा भागों में विषय-वस्तु तथा अधिगम अनुभवों की उतनी ही मात्रा हो, जिसे 35 या 40 मिनट के पीरियड में सुगमतापूर्वक पढ़ाया जा सके।
(2) उद्देश्य (Objectives) — इकाई तथा उप इकाईयों में विभक्त विषय सामग्री के शिक्षण अधिगम द्वारा किन शिक्षण अधिगम उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सकेगा इसे भी सरल व बोधगम्य शब्दावली में व्यक्त किया जाना चाहिए। इससे यह सुनिश्चित हो सकेगा कि इकाई या उप इकाई विशेष के शिक्षण अधिगम के फलस्वरूप विद्यार्थियों के व्यवहार में किन परिवर्तनों की अपेक्षा की जाती है।
(3) विधि तथा तकनीक सम्बन्धी निर्णय (Decisions Regarding Methods and Techniques)— इस बात का निर्णय लेना कि निर्धारित शिक्षण अधिगम उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु इकाई तथा उप इकाई विशेष अधिगम के लिए कौन सी विधियाँ तथा तकनीकें अपनायी जाएँ तथा किस प्रकार की शिक्षण अधिगम सामग्री और साधनों की सहायता ली जाए।
(4) अन्तःक्रिया (Interaction) – इसमें दो प्रकार के निर्णय लिए जाने चाहिए-
(i) प्रथम, इस बात का निर्णय लेना कि इकाई तथा उप इकाई विशेष की शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में अध्यापक तथा विद्यार्थियों के मध्य किस प्रकार की अंतःक्रिया होगी।
(ii) द्वितीय, अध्यापक व विद्यार्थी अपनी-अपनी भूमिकाएँ किस रूप में निभाएँगे ।
(5) मूल्यांकन (Evaluation) – यह निर्णय लेना कि इकाई तथा उप इकाई विशेष के शिक्षण का अधिगम मूल्यांकन किस प्रकार होगा। इसके लिए एक इकाई परीक्षण का निर्माण पहले से ही करना उपयुक्त है इसके साथ ही निम्न निर्णय भी लिए जाएँ—
(i) यह इकाई परीक्षण कितनी अवधि का होगा,
(ii) यह इकाई परीक्षण कैसे लिया जाएगा।
उदाहरण – उपरोक्त बातों को दृष्टिगत रख जैविक विज्ञानों में इकाई योजना के निर्माण कार्य का एक उदाहरण निम्न प्रकार है—
(1) विषय- जैविक विज्ञान
(2) कक्षा- VII
(3) इकाई का नाम- मानव शरीर के विभिन्न संस्थान
(4) उप इकाईयाँ (i) शरीर के संस्थानों का अर्थ,
(ii) पाचन संस्थान,
(iii) रक्त परिभ्रमण संस्थान,
(iv) श्वसन संस्थान,
(v) स्नायु संस्थान,
(vi) उत्सर्जन संस्थान ।
इकाई योजना के सोपान (Stages)
‘मानव शरीर के विभिन्न संस्थान’ नामक इकाई की विषय-वस्तु का उपरोक्त 6 उप इकाईयों में विभाजन करने के उपरांत इकाई योजना निर्माण हेतु आगे के सोपानों पर निम्न प्रकार अग्रसर होते हैं-
(1) उद्देश्य (Objectives) — सर्वप्रथम शिक्षण अधिगम उद्देश्यों का निर्माण करना।
(2) विधि, प्रविधि (Methods and Techniques) – तत्पश्चात् उपइकाईयों के शिक्षण अधिगम हेतु उपयुक्त विधियों, प्रविधियों, शिक्षण सहायक सामग्री तथा शिक्षण अधिगम गतिविधियों के सम्बन्ध में निर्णय लेना।
(3) मूल्यांकन (Evaluation) – तत्पश्चात् शिक्षण अधिगम परिणामों के मूल्यांकन तकनीकों तथा प्रविधियों के बारे में निर्णय लेना ।
(4) पुनरावृत्ति (Revision) – पुनरावृत्ति अभ्यास तथा ड्रिल कार्यों द्वारा जो कुछ पढ़ा- पढ़ाया गया है उसे ठीक तरह मस्तिष्क में बिठाने और उसका उपयोग करने के सम्बन्ध में विचार करना।
इकाई योजना की सावधानियाँ (Precautions)
योजना निर्माण में निम्न सावधानियाँ बरतनी चाहिए-
(i) पाठ्यक्रम की एक इकाई को उसकी ऐसी विभिन्न उप इकाईयों में विभाजित करना, जिनमें से प्रत्येक को 350-40 मिनट के पीरियड में पढ़ाया जा सके।
(ii) पूरी इकाई के शिक्षण को 6-7 पीरियड में सीमित करना।
(iii) तत्पश्चात् एक पीरियड को इकाई परीक्षण हेतु रिजर्व रखना।
(iv) तदुपरांत आवश्यकतानुसार अभ्यास कार्य या उपचारात्मक शिक्षण हेतु 1-2 पीरियड अतिरिक्त पीरियड या समय लेने की गुंजाइश रखना।
(v) यह ध्यान रखना कि निम्न कार्यों के लिए शिक्षक को अतिरिक्त समय का उपयोग करना होगा—
(क) इकाई परीक्षण का निर्माण करना,
(ख) इकाई योजना को तैयार करना,
(ग) विद्यार्थियों की विभिन्न प्रकार की कमजोरी तथा कठिनाईयों को निदान करना,
(घ) उनका विश्लेषण करके उचित उपचारात्मक शिक्षण का प्रबंध करना।
जैविक विज्ञान अध्यापक उपरोक्त प्रक्रिया का अनुसरण कर अन्य कक्षाओं के पाठ्यक्रम से सम्बन्धित पाठ्यवस्तु तथा अधिगम अनुभवों के उचित शिक्षण अधिगम के लिए उनको उपयुक्त तथा सार्थक इकाईयों में विभाजित कर आवश्यक इकाई योजनाओं का निर्माण कर सकता है।
इकाई योजना : महत्त्व एवं उपयोगिता (Unit Planning : Significance and Utility)
विज्ञान शिक्षण में इकाई योजना का महत्त्व निम्न प्रकार है-
(1) उत्तरदायित्व पूर्ति (Fulfilment of Responsiblity) — इकाई योजना में विज्ञान शिक्षण के लिए सम्पूर्ण सत्र में उपलब्ध समय को दृष्टिगत रख निर्धारित पाठ्यक्रम की विषय सामग्री को इस तरह से उचित इकाईयों में विभक्त करते हैं जिससे कि पाठ्यक्रम के शिक्षण अधिगम को उपलब्ध समय में ही उपयुक्त प्रकार से पूरा किया जा सके। इस तरह शिक्षकों का अपना उत्तरदायित्व निभाने में इकाई योजना बड़ी सीमा तक सहायक है।
(2) लाभकारी (Beneficial) – इकाई योजना में निर्मित समस्त पाठ्य इकाईयाँ स्वयं में पूर्ण तथा सार्थक होती हैं। पाठ्यक्रम सम्बन्धी समस्त प्रकार की पाठ्य वस्तु तथा अधिगम अनुभवों को इस तरह की पाठ्य इकाईयों में विभाजित कर शिक्षण प्रदान करना विद्यार्थियों के लिए शैक्षणिक तथा मनोवैज्ञानिक दोनों ही दृष्टि से लाभकारी पाया गया है।
(3) सफलता की अपेक्षाएँ अधिक (More Expectations of Success) — इकाई योजना में सर्वप्रथम इकाई शिक्षण के उद्देश्यों को भली-भाँति निश्चित किया जाता है। तदुपरांत, उनके व्यवहार अन्य शब्दावली में अभिव्यक्त किया जाता है। इसके परिणामस्वरूप विद्यार्थियों और अध्यापक दोनों को अपने-अपने उत्तरदायित्वों एवं लक्ष्यों का स्पष्ट ज्ञान हो जाता है। परिणामतः इकाई के शिक्षण एवं अधिगम में अभीष्ट सफलता की अधिक अपेक्षाएँ होती हैं।
(4) उद्देश्य प्राप्ति में सहायता (Help in the Achievement of Objectives)— इकाई योजना में विभिन्न उप इकाईयों के शिक्षण अधिगम हेतु निम्न पर भली-भाँति विचार कर लिया जाता है— (i) विधियाँ, (ii) तकनीक, (iii) व्यूह रचना, (iv) शिक्षण सहायक सामग्री।
परिणामतः अध्यापक को इन सभी का पूर्व ज्ञान हो जाता है। इस पूर्व ज्ञान से इनका समुचित उपयोग करना सम्भव होता है। यह शिक्षण अधिगम उद्देश्यों की प्राप्ति में सहायक है।
(5) मानसिक व व्यावसायिक रूप से तैयार (Mentally and Commercially Prepared)— इकाई योजना द्वारा शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को उपयुक्त प्रकार से व्यवस्थित एवं संगठित करने में सहायता प्राप्त होती है। अध्यापक को यह विदित रहता है कि उसे एक इकाई तथा उसकी उप इकाईयों में निहित विषय सामग्री के शिक्षण अधिगम हेतु कैसे कार्य तथा क्रियाकलाप करने चाहिए। यही ज्ञान उसे एक अध्यापक के नाते अपने सभी उत्तरदायित्वों की निर्वाह हेतु मानसिक तथा व्यावसायिक रूप से तैयार रखने में सहायता प्रदान करता है।
(6) प्रक्रिया को रोचक व प्रभावपूर्ण बनाना (Making the Process Interesting and Effective) — इकाई योजना में निम्न कार्य होता है—
(i) पढ़ाई जाने वाली विषय-वस्तु का उचित एवं सार्थक इकाईयों एवं उप-इकाईयों में विभाजन,
(ii) उनके शिक्षण अधिगम हेतु सभी आवश्यक क्रियाओं एवं संसाधनों का पूरा नियोजन ।
इसके परिणामस्वरूप शिक्षण अधिगम प्रक्रिया रोचक, प्रभावपूर्ण और सारयुक्त बन जाती है तथा कक्षा में अनुशासनहीनता की समस्या उत्पन्न नहीं होती है।
(7) सतत् मूल्यांकन (Continuous Evaluation)
(i) इकाई योजना में निर्धारित शिक्षण अधिगम उद्देश्यों के परिप्रेक्ष्य में एक उपयुक्त इकाई परीक्षण के निर्माण का प्रावधान रहता है।
(ii) उपरोक्त परीक्षण इकाई के शिक्षण अधिगम परिणामों का मूल्यांकन करने में सहायक होते हैं।
उपरोक्त प्रकार से होने वाले शिक्षण अधिगम का सतत मूल्यांकन करते रहने में इकाई योजना सहायक है।
(8) कठिनाइयों का ज्ञान व उपचार ( Finding out Difficulties and their Remedy) — इकाई योजना में निम्न कार्य सम्पन्न होता है—
(i) विद्यार्थियों की अधिगम कठिनाइयों, कमजोरियों तथा अक्षमताओं का निदान।
(ii) उनके निवारण हेतु उपचारात्मक शिक्षण के नियोजन का प्रावधान।