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ई-सिगरेट क्या होता है? क्या यह भारत में वैध है?
ई-सिगरेट क्या होता है? क्या यह भारत में वैध है? for UPSC, State PSC- Currentshub.com पर आपका एक बार फिर से स्वागत है मुझे आशा है आप सभी अच्छे होंगे.क्या है ई-सिगरेट? ई सिगरेट (e-cigarette) सिगार, सिगरेट या पाइप जैसे धूम्रपान वाले तंबाकू उत्पादों का एक विकल्प है, ई-सिगरेट जिसे इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट या वाष्पीकृत सिगरेट भी कहा जाता है एक बैटरी चालित उपकरण है, जो निकोटिन या गैर-निकोटिन के वाष्पीकृत होने वाले घोल की सांस के साथ सेवन की जाने वाली खुराक प्रदान करता है, ई सिगरेट किसी हद तक लंबी ट्यूब के रूप का होता है जबकि बाहरी आकार प्रकार वास्तविक धूम्रपान उत्पादों, जैसे – सिगरेट, सिगार या पाइप जैसे डिजायन किया जाता है।
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ई-सिगरेट का आविष्कार
ई सिगरेट के आविष्कार का श्रेय एक चीनी फार्मासिस्ट होन लिक (Hon Lik) को दिया जाता है, होन लिक द्वारा वर्ष 2003 में ई सिगरेट ईजाद किया गया और उसके अगले वर्ष इसे बाजार में उपलब्ध कराया गया था होन लिक के पिता की मृत्यु फेफड़े के कैंसर से हुई थी इसके बाद उन्होंने एक ऐसे सिगरेट के उत्पाद पर कार्य करना प्रारंभ किया, जो निकोटिन के सेवन का सुरक्षित तरीका हो, ई सिगरेट के आविष्कार के नेपथ्य में यद्यपि यही भावना थी होन लिक की कंपनी गोल्डन ड्रैगन होल्डिंग्स ने 2005-06 में विदेशों में इसकी बिक्री शुरु की और बाद में इसका नाम बदलकर रूयान अर्थात् धूम्रपान जैसा रखा गया यह कई देशों में कानूनी मान्यता प्राप्त है, तो कई देशों में इसे प्रतिंबधित किया गया है।
एक ई-सिगरेट में तीन मुख्य भाग होते हैं –
रिचार्जेबल लिथियम बैटरी
निकोटीन कार्टेज़
वाष्पीकरण चैम्बर (जिसमें एक छोटा सा हीटर होता है, जो बैटरी से एनर्जी पाकर जलता है और निकोटिन को भाप बनाता है. धुआं नहीं भाप)
इनमें और सामान्य सिगरेट्स में सबसे मुख्य अंतर ये होता है कि ई-सिगरेट्स में तंबाकू नहीं होता. यानी लॉजिकल है कि ई-सिगरेट्स से आपको निकोटिन से होने वाले तो सारे नुकसान होंगे लेकिन तंबाकू से होने वाले नुकसान नहीं होंगे.
एंडस और ई-सिगरेट को अक्सर धूम्रपान छोड़ने या तम्बाकू के स्वस्थ विकल्प के रूप में प्रचारित किया जाता रहा है. बेशक इनमें सिगरेट में पाए जाने वाले ‘तार’ जैसे जहरीले बाई-प्रोडक्ट्स नहीं होते लेकिन इस बात के कोई ठोस सबूत नहीं हैं कि ई-सिगरेट धूम्रपान छुड़ावाने में लाभदायक है.
जिस तरह ‘मेरियुआना’ को हानिरहित बताने वाले लोग भी ये ज़रूर मानते हैं कि ये बाकी ड्रग्स का एंट्री गेट होता है, वैसा ही ई-सिगरेट्स के मामले में भी है.
यानी यदि एक वक्त को ई-सिगरेट्स और नॉर्मल सिगरेट की तुलना करने पर ई-सिगरेट्स को कम हानिकारक मान भी लिया जाए तब भी हमको ये बिल्कुल नहीं भूलना चाहिए कि ऐसा केवल उनके केस में है जो पहले से ही सिगरेट पीते आए हैं. जो नहीं पीते उन्हें ई-सिगरेट ‘कूल’ लगती है. और ऐसा विभिन्न सर्वे से पता चलता है कि सिगरेट से ई-सिगरेट में स्विच करने वाले कम हैं और ई-सिगरेट से अपने धूम्रपान का सफ़र शुरू करने वाले लोग अधिक. ई-सिगरेट के हज़ारों फ्लेवर मार्केट में उपलब्ध हैं, जो सिगरेट छुड़ाने के लिए नहीं उसे शुरू करने के लिए प्रेरित करते हैं.
सिगरेट बनाने वाली कंपनिया कई तरह की सरकारी-ग़ैर सरकारी स्वास्थ्य संस्थाओं के अधीन आती हैं और उन्हें, उनके लिए बनाए गए कड़े नियमों का पालन करना भी ज़रूरी होता है, लेकिन ई-सिगरेट को कंट्रोल करने के विषय में संबंधित संस्थान निश्चित नहीं हैं. इसलिए इनकी मनमानी चल सकती है और खतरनाक और ग़ैरकानूनी पदार्थों का उपयोग इनके निर्माण के दौरान संभव है.
अब थोड़ी और स्टडी करें तो हमें पता चलता है कि ई-सिगरेट में केवल निकोटिन भर ही नहीं होता है. इसमें कैंसर पैदा करने वाले एजेंट भी होते हैं, जैसे फॉर्मेडिहाइड. और निकोटीन अकेले भी कम नुकसान नहीं करती. जो दिल, जिगर, गुर्दे कमोबेश सबके लिए ही नुकसानदायक है.
इस सब के चलते सिंगापुर, सेशल्स और ब्राज़ील जैसे कई देशों में ऑलरेडी ई-सिगरेट बैन है. कनाडा और यूएस जैसे कुछ विकसित देश भी या तो इस पर कड़ी नज़र रखते हैं या इसपर ढेरों कानूनी नियम लादे रखते हैं. विकासशील दुनिया के कई देशों में ई-सिगरेट को नियंत्रित करने के लिए कोई नियम या उपाय नहीं हैं.
डब्ल्यूएचओ ने हाल ही में ई-सिगरेट के रेग्यूलेशन पर एक रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट में, डब्ल्यूएचओ ने ई-सिगरेटों के विभिन्न फ्लेवर्स को बैन करने की मांग की गई है.
जैसा कि पहले भी डिस्कस किया, और डब्ल्यूएचओ भी यही मानती है कि ये ‘फ्लेवर्स’ युवाओं को ई-सिगरेट की ओर चुंबक की तरह आकर्षित करेंगे. 31 मई, 2019 अर्थात् विश्व तम्बाकू दिवस पर राजस्थान में इस पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है।
ई-सिगरेट पर कुछ देशों की कानूनी स्थिति
भारत – भारत में ई सिगरेट की ब्रिकी पर पूर्णरूप से प्रतिबंध लगा दिया गया है, भारत में ई सिगरेट के प्रयोग पर 3 वर्ष तक जेल की सजा व रु 5 लाख तक जुर्माने का प्रावधान है यह प्रतिबंध सितंबर 2019 में लगाया गया है यद्यपि भारत के कई राज्य व केंद्रशासित प्रदेश पहले से ही इसे प्रतिबंधित कर चुके हैंं।
फिनलैंड – जुलाई 2008 से निकोटिनयुक्त कॉट्रेज की बिक्री या ब्रिकी के इरादे से क्रय गैर कानूनी है, निजी उपयोग के लिए विदेशी स्त्रोत से खरीदना अवैध नहीं है।
ऑस्ट्रेलिया – प्रतिस्थापन उपचार को छोड़कर निकोटिन के सभी रूपों और सिगरेट को जहर के रूप की तरह वर्गीकृत किया गया है।
ब्राजील – किसी भी प्रकार के ई सिगरेट की बिक्री, आयात या उसका विज्ञापन निषिद्ध है।
सिंगापुर – निजी खपत के लिए भी ई सिगरेट की बिक्री और आयात गैर कानूनी है।
ब्रिटेन – ब्रिटेन में ई सिगरेट की बिक्री और उपयोग कानूनी है।
चीन – चीन में ई सिगरेट की बिक्री और उपयोग कानूनी है चीन में तंबाकू वाले सिगरेट, ई-सिगरेट से काफी सस्ते हैं, तंबाकू वाले सिगरेट की अपेक्षा बहुत कम चीनी ई-सिगरेट का प्रयोग करते हैं।
दक्षिण कोरिया – दक्षिण कोरिया में ई सिगरेट की बिक्री और उपयोग कानूनी है, इसके बावजूद इसके कम प्रयोग के परिप्रेक्ष्य में इस पर भारी कर अधिरोपित किया गया है।
न्यूजीलैण्ड – न्यूजीलैण्ड में इसे औषधि कानून की आवश्यकताओं के अंतर्गत रखा है, वहां इसकी बिक्री में पंजीकृत दवा के रूप में ही हो सकती है, दवा की दुकानों में फिलहाल इसकी बिक्री की अनुमति दी गई है।
डेनमार्क – औषधीय उत्पादों के रूप में वर्गीकृत, इसके विपणन और बिक्री से पहले खुदरा व्यापारी को अनुमति लेने की आवश्यकता होती है।
नॉर्वे – ई सिगरेट व निकोटिन जिनी उपयोग के लिए सिर्फ अन्य यूरोपीय आर्थिक क्षेत्र (EEA) देश (यथा – ब्रिटेन) से आयातित की जा सकती है।
कनाडा – निकोटिनयुक्त ई सिगरेट के आयात, बिक्री और विज्ञापन पर प्रतिबंध है, बिना निकोटिन के उत्पाद कानूनी है।
नीदरलैंड – ई सिगरेट के इस्तेमाल और बिक्री की अनुमति है, परंतु विज्ञापन पर प्रतिबंध है।
पनामा – आयात, वितरण और बिक्री पर रोग लगी हुई है।
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