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औपचारिक शिक्षा से आप क्या समझते हैं?
नियमित शिक्षा को औपचारिक शिक्षा कहा जाता है। जो किसी निर्धारित समय तथा समझ से आरम्भ की जाती है। इस शिक्षा योजना के बारे में छात्र को पहले से ही यह ज्ञात. होता है कि क्या शिक्षा दी जा रही है ? इस शिक्षा के लिये पहले योजना बना ली जाती है तथा शिक्षा के उद्देश्य निर्धारित कर लिये जाते हैं। उद्देश्यों के अनुकूल शिक्षा के लिये पाठ्यक्रम का निर्माण किया जाता है। इस के पाठ्यक्रम की शिक्षा के लिये शिक्षण की विधियों का निर्धारण किया जाता है। नियमित शिक्षा केवल विद्यालय की सीध में ही दी जाती है। इसके अतिरिक्त चर्च, मदरसा, पुस्तकालय, पुस्तकों तथा चित्रों आदि के द्वारा भी शिक्षा दी जा सकती है। इस प्रकार की सभी संस्थाओं का निर्माण समाज करता है। दर्शनों के साथ-साथ शिक्षा के स्वरूपों में भी परिवर्तन होता रहा है। शिक्षा दो महत्त्वपूर्ण तत्त्वों वंशानुक्रम और पर्यावरण की क्रिया-प्रतिक्रिया की उपज है। प्रत्येक छात्र में कुछ क्षमताएँ जन्म से होती हैं। ये क्षमताएँ उसके भौतिक और सामाजिक वातावरण के प्रति अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करती हैं। इस प्रकार ये क्षमताएँ छात्र के व्यक्तित्व के निर्माण में सहायता करती हैं। ये क्षमताएँ ही छात्र को शिक्षित करती हैं। इस प्रकार ये विभिन्न प्रभाव और संस्थाएँ शिक्षा की संस्थाएँ कहलाती हैं। यह छात्र को क्रिया करने का अवसर प्रदान करती हैं। छात्र को अनुभव प्रदान करती हैं। उसके व्यवहार को परिमार्जित करती हैं।
औपचारिक शिक्षा की विशेषताएँ
औपचारिक शिक्षा की विशेषताएँ निम्नलिखित प्रकार हैं-
(1) औपचारिक शिक्षा नियमित होती है।
(2) औपचारिक शिक्षा में पहले योजना बना ली जाती है।
(3) इसमें शिक्षा के उद्देश्य पहले से ही निर्धरित होते हैं।
(4) औपचारिक शिक्षा में उद्देश्यों की प्राप्ति के अनुसार ही पाठ्यक्रम का निर्माण किया जाता है।
(5) औपचारिक शिक्षा शिक्षण संस्थाओं की सीमा में दी जाती है।
(6) इस शिक्षा के निर्धारित पाठ्यक्रम के शिक्षण हेतु शिक्षण विधियाँ निर्धारित होती हैं।
(7) औपचारिक शिक्षा चर्च तथा मदरसा आदि में भी दी जा सकती है।
(8) वे संस्थाएँ जिनका निर्माण समाज करता है। औपचारिक शिक्षा प्रदान करती हैं
(9) औपचारिक शिक्षा का उद्देश्य सामान्य तथा आदर्शात्मक होता है।
(10) यह शिक्षा सामाजिक जीवन की आकांक्षाओं, मान्यताओं, आदर्शों तथा आवश्यकताओं की प्रतीक है।
(11) इस शिक्षा का पाठ्यक्रम व्यापक, बहुद्देशीय एवं जीवन से सम्बद्ध होता है।
(12) यह शिक्षा वर्तमान, अतीत एवं भावी जीवन की तैयारी है।
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