क्या आप जानते है दितांत पर संकट और नया शीत युद्ध क्या है?Hello दोस्तों आज आप सभी को हम प्रतियोगी परीक्षाओं में हमेशा पूछे जाने वाले टॉपिक आप सभी के लिए शेयर कर रहे हैं| आज हम इन्हीं से सम्बंधित कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न आप सभी के लिए शेयर कर रहे हैं | ये सभी पिछले विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछा जा चका है| दोस्तों आज दितांत पर संकट और नया शीत युद्ध पर हमने आप सभी के लिए यह पोस्ट तैयार किया है | जो छात्र Competitive exams की तैयारी कर रहे हैं उन सभी के लिए हमारा यह पोस्ट बहुत ही Helpful होगा | http://currentshub.com
अनुक्रम (Contents)
दितांत पर संकट और नया शीत युद्ध
- सन् 1979 से वितान पर संकट के बादल मंडराने लगे |
- दितांत भावना को ऐसे झटके लगे कि दितांत की प्रक्रिया क्षतिग्रस्त होती हुई दिखाई देने लगी|
- दितांत युग में शीत युद्ध जैसा व्यवहार दिखाई देने लगा |
- नाटो शक्तिशाली बनाया जाने लगा, शस्त्रों की होड़ तीव्र होती गई गति से प्रारंभ होने लगी और टकराव के विविध केंद्र पुनःउभरने लगे |
- यदि पुर्तगाल, अंगोला, क्यूबा, अफगानिस्तान निशस्त्रीकरण वार्ता आदि घटनाओं को लिया जाए तो सहज में ही कहा जा सकता है कि अभी शीत युद्ध को पूर्णतया दफनाया नहीं जा सका |
1
- 1975 में पुर्तगाल में एक बार फिर ऐसी स्थिति आई गई कि सोवियत समर्थित पुर्तगाली कम्युनिस्ट पार्टी कतिपय सैनिक अधिकारियों के साथ अपनी सांठ-गांठ द्वारा व्यापक बहुमत वाले समाजवादी दल को दरकिनार कर, देश की सत्ता पर कब्जा की थी|
- अमेरिकियों का कहना था कि यह सब सोवियत संघ के बढ़ावे से हो रहा था |
- सोवियत संघ पुर्तगाल में कम्युनिस्ट पार्टी की सत्ता में लाकर पुर्तगाल को ‘नाटो’ से अलग करना चाहता था |
अंगोला से गृह युद्ध
- अंगोला से गृह युद्ध (1975-1976) में सोवियत संघ और क्यूबा ने राष्ट्रवादी एम. पी. एल. ए. का साथ दिया |
- एफ. एम. एल. ए. और यूनिटा की कबायली टुकड़ियों का |
- सोवियत संघ, क्यूबा तथा समाजवादी देश चाहते थे कि सत्ता “अंगोला जन मुक्ति आंदोलन” के हाथों में आए |
- दूसरी और राष्ट्रीय मोर्चा(F.M.L.A.) और यूनिटा की सेनाओं को पश्चिमी शक्तियों से आर्थिक और सैनिक सहायता मिलने लगी |
- केवल अंगोला की समस्या ने ही दितांत में गतिरोध उत्पन्न नहीं किया ,
- बल्कि उगा ओगादान प्रदेश के लिए इथिओपिया और रोमानिया में संघर्ष और दायरे में रूस एवं क्यूबा के हस्तक्षेप तथा हिंद महासागर में डियागो गार्सिया में अमेरिकी नौसैनिक अड्डे की स्थापना ने दितांत को गंभीर धक्का पहुंचाया |
- मई 1978 में वाशिंगटन में हुए नाटो राष्ट्रों के शिखर सम्मेलन की वाणी शीत युद्ध की याद ताजा कर देती है|
- राष्ट्रपति कार्टर ने नाटो की शक्ति बढ़ाने पर जोर दिया |
अन्य
- 1977 के मध्य क्यूबा में सोवियत संघ के सैनिकों की उपस्थिति को लेकर अमेरिका और क्यूबा के बीच गंभीर तनातनी हो गई |
- राष्ट्रपति कार्टर ने कैरेबियन में एक अग्रिम सेना तैनात करने की घोषणा की |
- घोषणा में कहा गया कि क्यूबा में सोवियत सेनाओं की ठीक ठीक संख्या पता लगाने के लिए क्यूबा पर निगाह रखने की, अमेरिकी उपग्रह व्यवस्था को पुनर्गठित किया जाएगा |
- कार्टर की इस घोषणा थे क्यूबा और अमेरिका के बीच 1962 जैसा ही गंभीर संकट उत्पन्न हो गया
- और ऐसा प्रतीत हुआ कि यदि युद्ध का विस्फोट नहीं तो शीत युद्ध का विस्पोट अवश्य हो जायेगा |
अन्य
- दिसंबर 1986 में अफगानिस्तान में एक क्रांति हो गई जिसके फलस्वरूप राष्ट्रपति अमीन का तख्ता पलट गया
- और बबराक करमाल नए अफगान राष्ट्रपति बने |
- अफगानिस्तान के इस सत्ता परिवर्तन में सोवियत संघ की भूमिका थी
- और सत्ता परिवर्तन के तुरंत बाद करमाल सरकार ने सोवियत संघ से सैनिक सहायता मांगी |
- जैसे ही अफगानिस्तान में सोवियत सेना पहुंची राष्ट्रपति कार्टर ने इसका प्रबल विरोध किया
- और शीत युद्ध में उग्र रूप धारण कर लिया |
- अमेरिका ने पाकिस्तान को सोवियत खतरे का मुकाबला करने के लिए 20 करोड़ डॉलर के हथियार देने की घोषणा की|
- राष्ट्रपति कार्टर ने अमेरिकी कांग्रेस में “साल्ट-द्वितीय ” पर बहस रुकवा दी |
- उन्होंने सोवियत संघ को अनाज देने के अपने फैसले को बदल दिया |
- शीत युद्ध का पुनः प्रबलता का वास्तविक परिचय जुलाई 1980 में उस समय मिला,
- जबकि मास्को में आयोजित ओलंपिक खेलों का अमेरिका और पश्चिम यूरोप के अनेक देशों द्वारा वास्तविक रुप से बहिष्कार किया गया |
डॉ वेदप्रताप वैदिक लिखते हैं-
“अफगान संकट में एक नए शीत युद्ध को जन्म दिया | दोनों महाशक्तियों के बीच चल रही शस्त्र परिसीमन(साल्ट-२) वार्ता भंग हो गई | पश्चिमी राष्ट्रों सोवियत संघ पर अनेक आर्थिक और राजनीतिक प्रतिबंध लगाने की कोशिश की, अमेरिका ने खाड़ी के देशों हिंद महासागर तथा पाकिस्तान में अपने सैनिक उपस्थिति को बढ़ाना शुरू कर दिया, तीव्रगामी सेना के पहले से तैयार कार्यक्रम में तेजी आ गई | यूरोपीय सरकारे अपने राष्ट्रों की सुरक्षा के लिए अधुनातन परमाणु प्रक्षेपास्त्रों को नए पैमाने पर लगवाने के लिए अधीर हो उठी”
उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट होता है कि दितांत की भावना संकट में भी, सोवियत- अमेरिकी दितांत मनोवृति को गंभीर झटके लगे, हेलसिंकी भावना लुप्त होने लगी और शस्त्रों की होड़ भी शुरू हो गई |
You May Also Like This-
-
Download Important Agriculture notes in Hindi PDF
-
पिछले 4 साल के IAS टॉपर्स की कॉपी देखकर जानिए कोई IAS में क्यों सफल होता है?
-
Arihant Samsamyiki Mahasagar February 2018 Emagazine in Hindi
-
IAS बनना है तो कुछ आदतें बदल लें, जानें क्या हैं वो आदतें
-
Maharani Padmavati क्यों खिलजी की चाहत बनी पद्मावती
-
Success Mirror Magazine February 2018 in Hindi pdf Download
-
Indian Government All Schemes Yojna Details And PDF Notes
अगर आप इसको शेयर करना चाहते हैं आप इसे Facebook WhatsApp पर शेयर कर सकते हैं | दोस्तों आपको हम 100 % सिलेक्शन की जानकारी प्रतिदिन देते रहेंगे| और नौकरी से जुड़ी विभिन्न परीक्षाओं की नोट्स प्रोवाइड कराते रहेंगे |
- Disclaimer:currentshub.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है ,
- तथा इस पर Books/Notes/PDF/and All Material का मालिक नही है,
- न ही बनाया न ही स्कैन किया है |
- हम सिर्फ Internet पर पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है|
- यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे- currentshub@gmail.com