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जल प्रदूषण,कारण, प्रभाव और नियंत्रण के उपाय Essay on Water Pollution

Dear Friends आपका currentshub.com पर फिर से स्वागत है, आज की हमारी इस पोस्ट में जल प्रदूषण,कारण, प्रभाव और नियंत्रण के उपाय Essay on Water Pollution, इत्यादि के बारे में विस्तार बतायेगे जो कि आपको आने वाले सभी प्रकार के Competitive Exams में काम आयेंगी !

जल प्रदूषण,कारण, प्रभाव और नियंत्रण के उपाय

जल प्रदूषण,कारण, प्रभाव और नियंत्रण के उपाय

जल प्रदूषण,कारण, प्रभाव और नियंत्रण के उपाय Essay on Water Pollution

जल प्रदूषण

नगरीय क्षेत्रों से मल(सीवेज) भारी मात्रा में कूड़ा-कचरा औद्योगिक कचरा प्रदूषित अपशिष्ट जल, रासायनिक अवशेष भारी धातुएँ धूल आदि बहते जल अथवा झीलों में विसर्जित कर दिया जाता है। जलाशयों तथा नदियों में पहुँचकर विषाक्त रासायनिक तत्व जल में रहने वाले जीवों को नष्ट करते हैं। सर्वाधिक जल प्रदूषक उद्योग चमड़ा लुग्दी व कागज वस्त्र तथा रासायन हैं।

जल प्रदूषण के कारण

आधुनिक कृषि में विभिन्न प्रकार के रासायनिक पदार्थों का उपयोग होता है। जैसे अकार्बनिक उर्वरक कीटनाशक, खरपतवार नाशक आदि जल में घुलने वाले सभी रसायन जल के माध्यम से जमीन में श्रावित होते हुए भू-जल तक पहुँच जाते हैं। तीर्थ यात्रा धार्मिक मेले पर्यटन आदि सांस्कृतिक गतिविधियां भी जल प्रदूषण का कारण हैं। धरातलीय जल के सभी स्रोत दूषित हो चुके हैं। और मानव उपयोग के योग्य नहीं हैं।

  1. औद्योगीकरण के परिणामस्वरूप आज कारखानों की संख्या में वृद्धि हुई है लेकिन इन कारखानों को लगाने से पूर्व इनके अवशिष्ट पदार्थों को नदियों, नहरों, तालाबों आदि किसी अन्य स्रोतों में बहा दिया जाता है जिससे जल में रहने, वाले जीव-जन्तुओं व पौधों पर तो बुरा प्रभाव पड़ता ही है साथ ही जल पीने योग्य नहीं रहता और प्रदूषित हो जाता है।
  2.  जनसंख्या वृद्धि से मलमूत्र हटाने की एक गम्भीर समस्या का समाधान नासमझी में यह किया गया कि मल-मूत्र को आज नदियों व नहरों आदि में बहा दिया जाता है, यही मूत्र व मल हमारे जल स्रोतों को दूषित कर रहे हैं।
  3. जब जल में परमाणु परीक्षण किये जाते हैं तो जल में इनके नाभिकीय कण मिल जाते हैं और ये जल को दूषित करते हैं।
  4. गाँव में लोगों के तालाबों, नहरों में नहाने, कपड़े धोने, पशुओं को नहलाने बर्तन साफ करने आदि से भी ये जल स्रोत दूषित होते हैं।
  5. कुछ नगरों में जो कि नदी के किनारे बसे हैं वहाँ पर व्यक्ति के मरने के बाद उसका शव पानी में बहा दिया जाता है। इस शव के सड़ने व गलने से पानी में जीवाणुओं की संख्या में वृद्धि होती है, जल सड़ाँध देता है और जल प्रदूषित होता है।

जल प्रदूषण के प्रभाव

1.समुद्रों में होने परमाणु परीक्षण से जल में नाभिकीय कण मिलते हैं जो कि समुद्री जीवों व वनस्पतियों को नष्ट करते हैं और समुद्र के पर्यावरण सन्तुलन को बिगाड़ देते हैं।
2.प्रदूषित जल पीने से मानव में हैजा, पेचिस, क्षय, उदर सम्बन्धी आदि रोग उपन्न होते हैं।
दूषित जल के साथ ही फीताकृमि, गोलाकृमि आदि मानव शरीर में पहुँचते हैं जिससे व्यक्ति रोगग्रस्त होता है।
4. जल में कारखानों से मिलने वाले अवशिष्ट पदार्थ, गर्म जल, जल स्रोत को दूषित करने के साथ-साथ वहाँ के वातावरण को भी गर्म करते हैं जिससे वहाँ की वनस्पति व जन्तुओं की संख्या कम होगी और जलीय पर्यावरण असन्तुलित हो जायेगा।
5. स्वच्छ जल जो कि सभी सजीवों को अति आवश्यक मात्रा  में चाहिए, इसकी कमी हो जायेगी।

जल प्रदूषण विभिन्न प्रकार की जल जनित बिमारियों का एक प्रमुख श्रोत है। प्रदूषित जल के उपयोग के कारण प्रायः दस्त(डायरिया) आंतों में क्रिमि हेपेटाइटिस जैसी बिमारियाँ होती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिर्पोट दर्शाति है कि भारत में लगभग एक चौथाई संचारी रोग जल प्रदूषण के कारण होते हैं।

जल प्रदूषण नियंत्रण के उपाय

जल प्रदूषण की भयावह स्थिति व परिणामों को देखते हुए यह आवश्यक है कि इसके नियंत्रण के निम्नांकित उपाय आवश्यक हैं।

1. नगरों की गन्दगी को सीधे आसपास के जल श्रोतों में नहीं मिलने देना चाहिए।
2. सीवेज का जल नदियों में नहीं डाला जाना चाहिये।
3. औद्योगिक क्षेत्रों के अपशिष्ट को जल श्रोत में नहीं डाला जाना चाहिए।
4. कूड़ा करकट/नगरीय अपशिष्ट निपाटन की उचित व्यवस्था की जानी चाहिए।
5. शौचायलों की उत्तम व्यवस्था सरकारी प्रयासों से की जानी चाहिए।
6. औद्योगिक क्षेत्रों, कारखानों, शहारों के वाहित जल को नदियों में छोड़ने से पूर्व कृत्रिम तालाबों में रासायनिक विधि से उपचारित करना चाहिए।
7. खेतों में रासायनिक उर्वरकों के स्थान पर जैविक खादों का ही प्रयोग किया जाना चाहिए। क्योंकि रसायनिक खादों में मिले रसायन खेतों से जल के माध्यम से जल स्रोतों में मिलकर उसे प्रदूसित करते हैं।

भारत में जल प्रदूषण नियंत्रण हेतु “प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रणअधिनियम 1974” पारित किया गया तथा यह इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

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