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टिप्पणी से आप क्या समझते हैं?
हिन्दी में टिप्पणी शब्द का प्रयोग अँगरेजी शब्द ‘Noting’ के हिन्दी पर्यायरूप में किया जाता है। प्रत्येक कार्यालय या विभाग में उसके कार्य से सम्बन्धित अनेक प्रकार के पत्र आते हैं। जैसे ही किसी कार्यालय में कोई पत्र प्राप्त होता है वैसे ही कार्यवाही का एक सिलसिला शुरू हो जाता है। यह सिलसिला तब तक चलता रहता है जब तक अन्तिम निपटारा नहीं हो जाता। पत्र आदि के निपटाने के लिए समय-समय पर जो अभियुक्तियाँ लिखी जाती हैं, उन्हें टिप्पणी कहते हैं। इस प्रकार टिप्पण के प्रक्रिया है और टिप्पणी उसका प्रतिफलित रूप है। सेन्ट्रल सेक्रेटरिएट मैल्सुअल आफ आफिस प्रोसीजर में टिप्पणी की व्याख्या करते हुए कहा गया है-“टिप्पणी वे अभियुक्तियाँ हैं जो किसी विभागाधीन कागज के सम्बन्ध में लिखी जाती हैं
जिससे उनके निस्तारण में सहूलियत हो सके।” उत्तर प्रदेश सरकार की हिन्दी निर्देशिका के अनुसार- “टिप्पणी का उद्देश्य उन बातों को जिन पर निर्णय करना होता है, स्पष्ट रूप से तथा तर्कानुसारेण प्रस्तुत करना है। साथ ही वह उन बातोंकी ओर भी संकेत करता है जिनके आधार पर उसका निर्णय संभवतः लिया जा सकता है।”
टिप्पण— लेखन– किसी भी विचाराधीन पत्र या आवेदन पत्र के निष्पादन को सरल बनाने के लिए जो टिप्पणियाँ सरकारी कार्यालयों में लिपिकों, सहायकों तथा कार्यालय अधिकारी द्वारा लिखी जाती हैं, उन्हें टिप्पण कहते हैं। इन टिप्पणों में तीन बातें रहती हैं- 1. उस पत्र से पूर्व के पत्र आदि का सारांश, 2. जिस प्रश्न पर निर्णय किया जाता है, उसका विवरण या विश्लेषण और 3. उस सम्बन्ध में क्या कार्रवाई की जाय, इस विषय में सुझाव और क्या आदेश दिये जायँ, इस विषय में भी सुझावों का उल्लेख।
टिप्पण-लेखन के सामान्य सिद्धान्त
1. टिप्पण बहुत लम्बा या विस्तृत नहीं होना चाहिए। उसे यथासम्भव संक्षिप्त और सुस्पष्ट होना चाहिए।
2. कोई भी टिप्पण मूलपत्र पर नहीं लिखा जाना चाहिए। उसके लिए कोई अन्य कागज का प्रयोग करना चाहिए।
3. टिप्पण में यदि किसी पत्र का खण्डन करना हो, तो वह बहुत ही शिष्ट और संयत भाषा में किया जाना चाहिए और किसी भी दशा में किसी प्रकार का व्यक्तिगत आरोप या आक्षेप नहीं किया जाना चाहिए।
4. यदि एक ही मामले में कई बातों पर अलग-अलग आदेश लिये जाने की आवश्यकता हो तो उनमें से हर बात पर अलग-अलग टिप्पण लिखना चाहिए।
5. टिप्पण लिखने के बाद लिपिक या सहायक को नीचे बाईं ओर अपना हस्ताक्षर करना चाहिए।
दाईं ओर का स्थान उच्च अधिकारियों के हस्ताक्षर के लिए छोड़ देना चाहिए। 6. कार्यालय की ओर से लिखे जा रहे टिप्पण में उन सभी बातों या तथ्यों का सही-सही उल्लेख होना चाहिए जो उस पत्रावली के निस्तारण के लिए आवश्यक हों।
7. यथासम्भव एक विषय पर कार्यालय की ओर से एक ही टिप्पण लिखा जाना चाहिए।
8. जहाँ तक सम्भव हो, टिप्पण इस ढंग से लिखा जाना चाहिए कि पत्रावली में पत्र जिस क्रम में लगे हों, टिप्पण में भी उनका वही क्रम रहे।
9. टिप्पण सदा स्याही से लिखे या टंकित होने चाहिए।
10. टिप्पण में ऐसे शब्दों का प्रयोग कभी नहीं करना चाहिए, जिनके अर्थ समझने में कठिनाई हो।
टिप्पण लेखन का उदाहरण
मैसूर राज्य के एक स्कूल प्रधानाध्यापक ने राज्यसभा सचिवालय के सचिव को पत्र लिखकर दिनांक 20 नवम्बर, 2019 को होने वाले उपवेशन में अध्यापकों के नेतृत्व में 150 छात्रों के साथ उपस्थित होने के लिए प्रवेश पत्रों की व्यवस्था के सन्दर्भ में प्रार्थनापत्र लिखा। उस कार्यालय के लिपिक ने निम्नलिखित टिप्पण लिखा-
प्राप्त पत्र संख्या 10, पृष्ठांक 91
टिप्पण— यह पत्र मराठी विद्यालय, गुलवर्गा, मैसूर राज्य के प्रधानाध्यापक ने भेजा हैं। इसमें प्रार्थना की गयी है कि उक्त विद्यालय के 150 छात्रों तथा 5 अध्यापकों के लिए राज्य सभा के दिनाङ्क 20 नवम्बर, 2019 को होने वाले उपवेशन में उपस्थित होने के लिए आवश्यक प्रवेशपत्रों की व्यवस्था की जाय।
प्रवेशपत्र वितरण सम्बन्धी विनियम-संख्या 12 के अधीन हम उक्त प्रार्थना को स्वीकार कर सकते हैं, किन्तु हमें उक्त विद्यालय के प्रधानाध्यापक को यह सूचित करना होगा कि हमारी दर्शक दीर्घा में स्थान अत्यन्त सीमित है; अतः एक साथ केवल 25 छात्र ही दीर्घा में उपस्थित रह सकेंगे। इसके लिए 25-25 के 6 समूह में विभक्त होकर ही दीर्घा में जाना होगा। हमें प्रार्थी को यह भी सूचित करना होगा कि जिन छात्रों के लिए प्रवेश पत्रों की प्रार्थना की गयी है उनमें से प्रत्येक का नाम, पिता का नाम, स्थायी पता तथा दिल्ली में ठहरने का पता इत्यादि की सूचना प्राप्त होने पर ही प्रवेश पत्र जारी किये जा सकते हैं।
साथ ही, प्रत्येक छात्र के लिए पृथक् प्रवेश-पत्र जारी करने के स्थान पर यदि हम 25-25 समूह के नाम एक-एक प्रवेश पत्र बना दें, तो इससे कार्य में अधिक सुविधा होगी।
आदेशार्थ निवेदित
डी. रा.
30.10.2018
अवर सचिव- मैंने आलेख में कुछ परिवर्तन कर दिये हैं। टंकित आलेख प्रेषित करें।
शिवा सिंह
30.10.2018
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