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तुलनात्मक राजनीति की प्रकृति तथा विषय क्षेत्र
तुलनात्मक राजनीति की प्रकृति को लेकर विद्वानों में विचार-विभेद है। प्रायः इसके प्रकृति सम्बन्धी विचारों को दो प्रमुख धारणाओं में विभक्त किया जा सकता है-
(क) तुलनात्मक राजनीति लम्बात्मक तुलना है- इस विचारधारा के अनुसार तुलनात्मक राजनीति एक ही देश में स्थित विभिन्न स्तरों पर स्थापित सरकारों व उनको प्रभावित करने वाले राजनीतिक व्यवहारों का तुलनात्मक विश्लेषण और अध्ययन है। प्रत्येक राज्य में कई स्तरों पर सरकारें होती है। उन्होंने इन सरकारों को दो प्रकार की बताया है –
(i) सर्वव्यापक या सार्वजनिक या राष्ट्रीय सरकार।
(ii) आंशिक, स्थानीय या व्यक्तिगत सरकार ।
इस विचारधारा के अनुसार तुलनात्मक राजनीति का सम्बन्ध इस प्रकार की एक ही देश में स्थित विभिन्न सरकारों – सर्वव्यापक व आंशिक की आपस में तुलना से है। यद्यपि एक ही देश में सर्वव्यापक या राष्ट्रीय सरकार तो एक ही होती है परन्तु आंशिक सरकारें अनेकों होती है और इसीलिये इनसे सम्बन्धित राजनीतिक प्रक्रियाओं और संस्थाओं की तुलना करके निश्चित निष्कर्ष निकालना सम्भव है। जैसे यदि एकात्मक राज्य है तो उसमें एक राष्ट्रीय सरकार और कई स्थानीय सरकारें. या निगम होंगे। एक ‘लम्बात्मक तुलना’ कहलाता है और तुलनात्मक राजनीति इन्हीं की पारस्परिक तुलना करने से सम्बद्ध शास्त्र है।
तुलानात्मक राजनीति की उपरोक्त परिभाषा उपयुक्त नहीं है। इस परिभाषा का आधार ही तर्क संगत नहीं है क्योंकि राष्ट्रीय सरकार एवं आंशिक सरकारों के बीच दृष्टिगोचर होने वाली समानता सत्य ही है। इन समानताओं की गहराई में असमानतायें ही अधिक दिखाई देंगी और ऊपर से केवल मात्रा का अन्तर दिखाई देगा जो कि वास्तव में एक प्रकार का अन्तर भी प्रतीत होगा।
(ख) तुलनात्मक राजनीति अम्बरान्तीत तुलना है – इस धारणा के अनुसार यह राष्ट्रीय सरकारों का अम्बरान्तीय तुलनात्मक अध्ययन है। आधुनिक राजनीतिशास्त्रियों में से अधिकांशतः इस धारणा से सहमत है क्योंकि तुलनात्मक राजनीति के उद्देश्य की पूर्ति इसी प्रकार की तुलना से होती हैं। ऐसी तुलना का महत्व भी रहता है।
तुलनात्मक राजनीति की इस धारणा की दो सम्भावनायें निम्न प्रकार है
( 1 ) एक देश की राष्ट्रीय सरकारों की ऐतिहासिक तुलना- एक ही देश में विद्यमान राष्ट्रीय सरकारों की ऐतिहासिक तुलना, तुलनात्मक राजनीति में होनी चाहिए। इससे तुलनात्मक राजनीति से विचार का क्षितिज विस्तृत होता हैं। प्रत्येक राज्य की वर्तमान राजनीति और राजनीतिक व्यवहारों का तुलनात्मक विश्लेषण अध्ययन आवश्यक भी है, क्योंकि इसी से वर्तमान राजनीतिक व्यवहार की प्रकृति को समझा जा सकता है।
इस प्रकार तुलनात्मक राजनीति में इतिहास के सन्दर्भ में राष्ट्रीय सरकारों की सम स्तरीय तुलना की जाती है। ऐसी तुलना का अत्यधिक महत्व है परन्तु तुलनात्मक राजनीति में यही पर्याप्त नहीं है, क्योंकि इससे केवल एक राज्य की राष्ट्रीय सरकारों को विभिन्न कालों में समझने में ही सहायता प्राप्त होती है। उस राष्ट्र से भिन्न संस्कृति, सभ्यता व संगठन वाले राज्य की सरकार की प्रकृति व राजनीतिक व्यवहार की गत्यात्मकताओं के स्थान पर केवल संख्यात्मक सतह तक ही सम्भव होती है।
( 2 ) समकालीन विश्व में व्याप्त राष्ट्रीय सरकारों की अम्बरान्तीय तुलना- तुलनात्मक राजनीति की प्रकृति के सम्बन्ध में यह विचारधारा व्यापक है तथा वर्तमान में प्रचलित विभिन्न राष्ट्रीय सरकारों का तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत करती है। इसका समर्थन करते हुए जीन ब्लोण्डेल ने लिखा है कि, “हमारे पास तुलनात्मक सरकारों के अध्ययन का केवल एक ही दृष्टिकोण शेष बचता है और वह है समकालीन विश्व की राजनीतिक व्यवस्थाओं से सम्बद्ध राष्ट्रीय सीमाओं के आर-पार अध्ययन करना ।”
इस प्रकार की तुलना में सामान्यीकरण के अतिरिक्त राजनीतिक व्यवहार के सम्बन्ध में ऐसे सिद्धान्तों का प्रतिपादन भी किया जा सकता है तथा राजनीतिक संस्थाओं और व्यवहारों की प्रकृति और कार्य विधि को ज्ञात करना सम्भव है।
तुलनात्मक राजनीति विज्ञान से भिन्न है, वह एक स्वतन्त्र अनुशासन है तथा यह राजनीतिक संस्थाओं से सम्बन्धित राजनीति का अध्ययन है। इसमें राज्य और गैर-शासकीय राजनीति का भी अध्ययन किया जाता है।
तुलनात्मक राजनीति का विषय क्षेत्र
तुलनात्मक राजनीति का विषय क्षेत्र भी विवाद का विषय हैं। यह इंगित करने की आवश्यकता नहीं है कि राजनीति शास्त्र के अध्ययन क्षेत्र का तुलनात्मक राजनीति सबसे अधिक महत्वूपर्ण और विस्तृत अंग है। विद्वानों में इस सम्बन्ध में मत-वैभिन्य है कि राजनीति के किन किन अंगों को तुलनात्मक राजनीति के अन्तर्गत सम्मिलित किया जाये तथा किन-किन अंगों को इसके विषय-क्षेत्र से बाहर रखा जाये। हेरी एक्सटीन ने लिखा है, ” सबसे महत्वपूर्ण तथ्य तुलनात्मक राजनीति के बारे में यह है कि आज यह एक ऐसा विषय है जो अत्यधिक विवादास्पद है, क्योंकि यह संक्रमण की स्थिति में है -एक प्रकार की विश्लेषण शैली से दूसरे प्रकार का विश्लेषण शैली को ओर आ रहा है।
तुलनात्मक राजनीति का क्षेत्र राजनीति के पक्षों की तीन दिशाओं की ओर संकेत करता है राजनीतिक क्रिया-कलाप राजनीतिक प्रक्रिया तथा राजनीतिक सत्ता । राजनीतिक क्रिया-कलाप के प्रयास कहलाते हैं। जिनके द्वारा संघर्ष की स्थितियाँ उत्पन्न की जाती है तथा जनहित एवं सत्ता संघर्ष में भाग लेने वाले व्यक्तियों के हितों को ध्यान में रखते हुये उनका समाधान किया जाता हैं। राजनीतिक प्रक्रिया के अन्तर्गत निर्णय लेने की प्रक्रिया तथा उस प्रक्रिया में भाग लेने वाले समस्त सरकारी एवं गैर-सरकारी अभिकरणों की भूमिका आती है। यह राजनीतिक क्रिया-कलाप की विचारधारा का विस्तार हैं । राजनीतिक सत्ता भी तुलनात्मक राजनीति की विषय-वस्तु है।”सत्ता” सम्पूर्ण राजनीति का केन्द्र बिन्दु है, समस्त राजनीतिक गतिविधियाँ तथा राजनीतिक अधिकरण सत्ता के चारों ओर धूम रहे है। तुलनात्मक राजनीति उन सभी पक्षों एवं पहलुओं का अध्ययन करती है जो सत्ता प्राप्ति के लिए प्रयासरत है। तुलनात्मक राजनीति सत्ता तथा सत्ता से सम्बन्धित राजनीतिक प्रणालियों के वाह्य ढाँचे का समग्र रूप से अध्ययन करती है।
तुलनात्मक राजनीति का क्षेत्र अत्यन्त व्यापक है और दिन-प्रतिदिन या विस्तृत होता जा रहा है। आज केवल विकसित शासन व्यवस्थाओं में ही नहीं अपितु अविकसित राष्ट्रों में भी इसका क्षेत्र विस्तृत हो गया। अनेक वर्ष पूर्व एशिया तथा अफ्रिका के देशों में साम्राज्यवादी प्रभुत्व था। इसलिये राजनीतिशास्त्री इन देशों की शासन व्यवस्थाओं की उपेक्षा करते थे। आज के अधिकांश देश स्वतन्त्र हो गये है। अतः तुलनात्मक राजनीति अपने अध्ययन क्षेत्र में इन राज्यों की भी उपेक्षा नहीं कर सकती। निष्कर्षतः तुलनात्मक राजनीति के अन्तर्गत निम्नलिखित विषयों का अध्ययन किया जाता है।
(क) राजनीतिक पद्धतियों के आधार एवं मान्यताओं का आकलन ।
(ख) मानव स्वभाव, व्यवहार तथा वाह्य परिस्थितियों का अध्ययन।
(ग) पश्चिमी गुट, गुट निरपेक्ष तथा साम्यवादी राष्ट्रों की राजनीतिक संस्थाओं का तुलनात्मक अध्ययन।
(घ) राजनीतिक संरचनाओं के साथ-साथ अराजनीतिक संरचनाओं और उनके प्रभावों का मूल्यांकन।
कई राजनीतिकशास्त्रियों ने संविधान, हित-समूह, राजनीतिक दल, कार्यपालिका, विधायिका तथा विधायी व्यवहार, निर्वाचन एवं मतव्यवहार, कानूनी पद्धतियाँ, लोक प्रशासन तथा राजनीतिक परिवर्तन एवं आधुनिकीकरण को तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन-क्षेत्र के अन्तर्गत सम्मिलित किया हैं मेक्रीडीज एवं वार्ड ने कहा है कि तुलनात्मक राजनीति के अन्तर्गत दो बातें मुख्य – एक व्यवहार का विश्लेषण एवं अध्ययन, दूसरे प्रशासनिक प्रक्रियाओं का अध्ययन और स्पष्टीकरण।
ये दोनों एक-दूसरे से सम्बन्धित हैं। व्यवहार से हमारा निष्कर्ष उन सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, मनोवैज्ञानिक तथा ऐतिहासिक कारकों से हैं जिनके अन्तर्गत सरकार कार्य करती है। प्रशासनिक कार्यो से हमारा निष्कर्ष उन विशिष्ट राजनीतिक संस्थाओं व संरचनाओं से है जिनके द्वारा निर्णय लिये जाते है और उन्हें कार्यान्वित भी किया जाता है। इनमें विशेष रूप से कार्यपालिका, न्यायपालिका, विधायिका, राजनीतिक दल तथा असैनिक सेवायें आती है।
तुलनात्मक राजनीति के क्षेत्र में सम्बन्ध में दो मुख्य दृष्टिकोण हैं- (i) कानूनी या संस्थागत दृष्टिकोण, (ii) व्यवहारवादी दृष्टिकोण। संस्थागत या कानूनी दृष्टिकोण तुलनात्मक राजनीति में केवल संविधान द्वारा स्थापित सरकारी संरचनाओं तथा संविधान द्वारा नियत किये गये राजनीतिक व्यवहारों का ही अध्ययन करते है। इस दृष्टिकोण के अनुसार राष्ट्रीय सरकार के ढाँचे, उनके अधिकार तथा संविधान द्वारा नियत उनके कार्यकलाप का अध्ययन ही तुलनात्मक राजनीति का आधारभूत व मौलिक दृष्टिकोण है तथा तुलनात्मक राजनीति में राष्ट्रीय संस्थाओं व गैर राज्यीय संस्थाओं एवं निकायों के राजनीतिक व्यवहार से सम्बन्धित समस्त तथ्यों को एकत्रित कर विभिन्न राजनीतिक व्यवस्थाओं के सन्दर्भ में तुलनात्मक अध्ययन करते है। तुलनात्मक राजनीति का उद्देश्य राज्यों की सरकारी व संस्थाओं के कार्य तथा उनकी कार्य पद्धतियो का तुलनात्मक अध्ययन करना तथा राजनीतिक व्यवस्था को गत्यात्मक को सिद्धान्त रूप में समझना है।
तुलनात्मक राजनीति के विषय-क्षेत्र के सम्बन्ध में दूसरा मत वैभिन्य मानकों (Norms) तथा व्यवहार (Behaviour) के सम्बन्ध का है। सामान्यतया मानकों की अभिव्यक्ति कानून, प्रक्रियाओं और नियमों से होती है। कभी-कभी राजनीतिक व्यवहार इन कानूनों से प्रतिकूल भी हो जाता है। इन्ही परिस्थितियों के कारण तुलनात्मक अध्ययन में जटिलता आती है। तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन में इस बात को भी देखना आवश्यक हो जाता है कि राजनीतिक व्यवहार मानकों के अनुकूल है अथवा नहीं?ब्लॉटडेल ने कहा है कि, “आधारभूत दृष्टि से तुलनात्मक राजनीति का सम्बन्ध सरकार की संरचना से होना चाहिए। साथ ही, उनका सम्बन्ध व्यवहार के स्फटित मानकों व आचरणों से होना चाहिये क्योंकि वे सरकार को जीवित संरचना के अभिन्न अंग है।”
तुलनात्मक राजनीति का अध्ययन कानून निर्माण तथा कानून-प्रयोग तक ही सीमित नहीं है। वरन् राजनैतिक दल, दबाव समूह तथा राजनीतिक व्यवस्था के अंग एवं उनके क्रिया कलाप भी उसके क्षेत्र के विषय है।
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