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निबन्ध का अर्थ एवं परिभाषा ( Nibandh in Hindi )
निबन्ध का अर्थ एवं परिभाषा- निबन्ध हिन्दी गद्य साहित्य की प्रमुख रचनात्मक विधा है, इसका उपयोग लिखित अभिव्यक्ति के लिए होता है।
हिन्दी में निबन्ध शब्द का निर्माण नि + बन्ध के संयोग से हुआ है, जिसका आशय है-सम्यक् रूप से नियमों से बँधा या कसा हुआ। किसी विषय-वस्तु से सम्बन्धित विचारों का ऐसा सुगठित एवं क्रमबद्ध प्रस्तुतीकरण, जिससे उस विषय-वस्तु की विस्तृत या संक्षिप्त, किन्तु सारगर्भित जानकारी मिलती है, ‘निबन्ध’ कहलाता है।’
हिन्दी के सुप्रसिद्ध समीक्षक आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने निबन्ध को ‘गद्य की कसौटी’ माना है। निबन्ध लेखन के लिए एक विशिष्ट रचनात्मक अभिव्यक्ति-कौशल की आवश्यकता होती है, जिसके अन्तर्गत लेखक के दृष्टिकोण तथा उसकी भाषा-शैली का विशेष महत्त्व है।
निबन्ध के अंग
भूमिका या प्रस्तावना
इसके अन्तर्गत निबन्ध की विषय-वस्तु का परिचय दिया जाता है। यह निबन्ध का प्रारम्भिक भाग होता है। वास्तव में, प्रस्तावना पाठक को निबन्ध की मुख्य विषय-वस्तु से जोड़ती है।
मध्य भाग अथवा विषय विस्तार
यह निबन्ध का मध्य भाग होता है। यही निबन्ध का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भाग भी होता है, क्योंकि निबन्ध की प्रभाव क्षमता इसी भाग की सफल एवं सोद्देश्यपूर्ण प्रस्तुति पर निर्भर होती है।
उपसंहार
यह निबन्ध का अन्तिम भाग होता है, इसमें निबन्ध की समस्त पूर्व विवेचित सामग्री का सार या निष्कर्ष प्रस्तुत किया जाता है।
निबन्ध के प्रकार
वर्णनात्मक निबन्ध
वर्णनात्मक निबन्धों में वर्णित विषय के प्रत्येक बिन्दु का बड़ी सूक्ष्मतापूर्वक वर्णन किया जाता है। इन निबन्धों में ‘वर्णन’ की प्रधानता रहती है। इन्हें विवरणात्मक निबन्ध भी कहते हैं; जैसे-मेरे सपनों का भारत, यात्रा-वृत्तान्त, भारत की ऋतुएँ, भारतीय त्योहार-होली, दीवाली, दशहरा आदि।
विचारात्मक निबन्ध
कुछ विषय ऐसे हैं, जिन पर हम अपने विचार इस प्रकार प्रकट करते हैं कि वे विषय मानव समाज के लिए लाभकारी हैं या हानिकारक। इनमें विचारों की प्रधानता होने के कारण ऐसे निबन्ध विचारात्मक निबन्ध कहलाते हैं; जैसे-नारी की सामाजिक स्थिति, शिक्षा का गिरता स्तर, सार्वजनिक जीवन में हिंसा आदि।
भावात्मक निबन्ध
भावात्मक निबन्धों में भाव को प्रधानता दी जाती है। भाव का सम्बन्ध हृदय से है, इसलिए लेखक अपने भावुक मन से मनचाही अभिव्यक्ति प्रस्तुत करने के लिए स्वतन्त्र होता है; जैसे-भारत माता ग्रामवासिनी, मेरा प्रिय कवि, दया धर्म का मूल है, मित्रता आदि निबन्ध!
व्याख्यात्मक/विश्लेषणात्मक निबन्ध
इस प्रकार के निबन्धों के अन्तर्गत आने वाले विषयों में कार्य-कारण का सम्बन्ध दिखाकर एक घटना के पश्चात् क्रमशः दूसरी एवं तीसरी घटना का विवरण प्रस्तुत किया जाता है। इनमें क्रम की श्रृंखला कहीं भी टूटने नहीं दी जाती है। इनमें पौराणिक, ऐतिहासिक, धार्मिक कथाओं और गाथाओं व तथ्यों पर आधारित घटनाओं आदि का समावेश रहता है। जैसे अर्थव्यवस्था, अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध आदि से सम्बन्धित निबन्ध
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