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निर्धनता का समाज पर प्रभाव अथवा परिणाम (Impact of Poverty on Society)
निर्धनता के समाज पर पड़ने वाले प्रभावों को निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है –
1. शारीरिक प्रभाव
निर्धनता का शारीरिक प्रभाव यह पड़ता है कि यह अनेकों रोगों को जन्म – देती है। क्षय रोग को निर्धनता की ही बीमारी माना गया है। निर्धनता में रोग की अधिकता के कारण निर्धनता क्षय रोग का सह-सम्बन्ध बताया जाता है।
2. मानसिक प्रभाव
निर्धनता छूत और कुपोषण को जन्म देती है जोकि मानसिक स्थिति को प्रभावित करती है। राबर्ट्स ने अनेकों गरीब बच्चों का मानसिक परीक्षण किया तो उनका बौद्धिक स्तर निम्न पाया। जिसका मुख्य दायित्व निर्धनता पर जाता है। मस्तिष्क का सुजाक तथा छूत के रोगों के बीच घनिष्ठ सम्बन्ध है और बीमारी का निर्धनता से।
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3. सामाजिक प्रभाव
निर्धनता व्यक्ति की सामाजिक पद व प्रतिष्ठा को भी हानि पहुँचाती है। इस प्रकार निर्धनता व्यक्ति पर सामाजिक प्रभाव भी डालती है।
4. अपराधों में वृद्धि
निर्धनता एक अभिशाप है जोकि अपराधों में वृद्धि करती है। सामान्यतः जब कोई व्यक्ति ईमानदारी से धन नहीं कमा पाता है तो वह अपराध करने लगता है क्योंकि कोई भी व्यक्ति अपने परिवार को कष्ट में नहीं रख सकता है जिसका निवारण करने के लिए उसकी प्रवृत्ति आपराधिक हो जाती है।
5. भिक्षावृत्ति
निर्धनता भिक्षावृत्ति के लिए भी उत्तरदायी है क्योंकि गरीब लोगों के पास पर्याप्त साधन नहीं होते हैं, व्यावसायिक प्रशिक्षण और शिक्षा का अभाव होता है। शारीरिक शक्ति के अभाव में ये लोग कठिन परिश्रम नहीं कर पाते हैं। इस प्रकार के लोग अपना जीवनयापन भिक्षावृत्ति द्वारा ही करते हैं।
6. चरित्र का पतन
निर्धनता चरित्र का भी पतन करती है। निर्धनता के कारण जब परिवार की आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं हो पाती हैं तब घर की स्त्रियों को भी जीविका की खोज में बाहर निकलना पड़ता है। बहुत से व्यक्ति उनकी मजबूरी का लाभ उठाकर उनको अनैतिक कार्यों को करने पर मजबूर कर देते हैं। इस प्रकार काफी स्त्रियाँ वेश्यावृत्ति में लिप्त हो जाती हैं।
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