भूगोल / Geography

निश्चयवाद और संभववाद के बीच अंतर स्पष्ट कीजिए?

निश्चयवाद और संभववाद के बीच अंतर

निश्चयवाद और संभववाद के बीच अंतर स्पष्ट कीजिए?… Nishchayvad Aur Sambhavvad Ke Beech Antar Spasht Kijiye

निश्चयवाद और संभववाद के बीच अंतर

निश्चयवाद और संभववाद के बीच अंतर

निश्चयवाद का उदगम एवं विकास-

सर्वप्रथम नीग्रो रोमनकाल में उदय हुआ जिसमें अरस्तु मुख्य समर्थक थे तथा भूगोल के पिता हिकेटियस भूगोल शब्द के जनक इरेटोस्थनीज एवं हिप्पाकिस जैसे विद्वान रहे है। इनका नीतिवाद भौगोलिक नीतिवाद है जिसमें मानव को प्रकृति का दास माना गया है प्रकृति को सर्वोपरि तथा मानव की आर्थिक सास्कृतिक परिदृश्य को प्रकृति का उत्पादय माना है।
पूर्व आधुनिककाल में नीतिवाद का स्वरुप बदला जिसमें हम्बोल्ट एंव रिटर ने पारिस्थितिकी नीतिवाद को संकल्पित किया जिसमे मानव एंव प्रकृतिक को अन्नयोश्रित बताया तथा प्रकृति को मानव से अलग तथा प्रकृतिक से स्वतंत्र कोई स्वेच्छिक इकाई नही है।
चार्ल्स डार्विन वैज्ञानिक निश्चयवाद के समर्थक थे जिन्होने प्रत्यक्षवाद को समर्पित किया एंव ईन्द्रीयजन्य ज्ञान को वास्तविक ज्ञान माना है।
जर्मनी में सामाजिक डार्विनवाद की सकल्पना रेटजेल ने प्रतिपादित की जिसमें उन्होने कहा कि स्थान स्वय में एक जीवित ईकाई होती है जिसे लेबसरामे की संकल्पना कहा गया है।
रेटजेल ने अपनी पुस्तक एन्थ्रोपोज्योग्राफी के प्रथम खंड में जिस निश्चयवाद को समर्पित किया है, वह नवीन निश्चयवाद कहलाया है। रेटजेल की परम शिष्या चर्चिल सैप्तुल अमेरिका से 15 वर्षो तक रेटजेल के साथ रही तथा पंरतु जब रेटजेल ने द्वितीय खंड का सृजन किया, जो मानववादी दृष्टिकोण से ओत-प्रोत था इसके विरोध में सैप्पुल अमेरिका लौट गई एंव नीतिवाद के दृढ़ एवं कठोरतम शाखा पर्यावरणवाद अथवा पर्यावरणीय नीतिवाद की स्थापना की।
सैप्पुल ने पर्यावरणवाद के बारे में लिखा कि मानव प्रकृति के धुल का कण है। प्रकृति ने सभी जगह समस्याएँ दी है, पंरतु मॉ की तरह उसके सामाधान के बारे में भी बताया है जैसे- मनुष्य यदि तट पर पैदा हुआ है तो उसकी भुजा एंव वक्ष विकास सुदृढ़ किया ताकि नौकायन कर सके।
सैम्पुल के पर्यावरणवाद के प्रमुख समर्थक हंटिगंटन रहै है जिन्होने जलवायु एंव सभ्यता नामक पुस्तक प्रतिपादित की जिसमें उन्होने लिखा की जलवायु में परिवर्तन इतिहास में स्पंदन उत्पन्न करता है इस प्रकार प्रथम विश्व युद्ध के अंत तक पर्यावरणीय नीतिवाद प्रबल रहा पंरतु प्रौद्योगिकीकरण एंव वैज्ञानिक विकास ने संभववाद की धारा को सशक्त किया है।

निश्चयवाद की अवधारणा की विशेषताएँ

इस अवधारणा के अनुसार मनुष्य के द्वारा किए गए क्रियाकलाप प्रकृति द्वारा निर्धारित तथा नियंत्रित होते हैं।

प्रकृति की सीमाओं के अंदर मनुष्य रहता है।

मनुष्य के विकास में निम्न प्रौद्योगिकी का प्रयोग होता है और मनुष्य अपनी आदिम अवस्था में रहते हैं।

आज भी आदिवासी जंगलों में प्रकृति प्रदत्त चीजों पर निर्भर हैं।

सम्भववाद (Possibilism)

इसका उदय प्लेटो की विचारधारा से मिलता है, तथा रेटजेल ने अपनी पुस्तक ऐन्थ्रोपोज्याग्राफी के खंड दूसरे में संभववाद के मतो को व्यक्त किया। जिसके बाद में फ्रास के विद्वान ब्लाश ने संभववादी सिद्धांत के रुप में प्रतिपादित किया।
संभववाद शब्द की रचना ला फ्रैब्रे ने की तथा कहा की  “कही भी आवश्यकताएँ नही है, परंतु सर्वत्र संभावनाएँ” है। 

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