पृथ्वी किस प्रकार गति करती है ? मानव जीवन पर पृथ्वी के प्रभाव
पृथ्वी का चुम्बकीय प्रभाव मानव के साथ-साथ अन्य सभी जीव जन्तुओं को सूर्य के हानिकारक विकिरण से सुरक्षा प्रदान करता है। पृथ्वी की दैनिक एवं वार्षिक गति के कारण ही दिन-रात होते हैं और इसकी गति के फलस्वरूप ही ऋतुएँ परिवर्तित होती हैं। पृथ्वी की गति के इन प्रभावों को निम्नलिखित प्रकार से समझा जा सकता है-
1. दिन-रात का होना (Existance of day and night)- पृथ्वी अपनी धुरी या अक्ष पर घूमती है और 24 घण्टे में एक चक्कर पूरा कर लेती है। इस प्रकार अक्ष के चारों ओर घूमने के कारण पृथ्वी का आधा भाग सदैव सूर्य के सामने रहता है। पृथ्वी का जो भाग सूर्य के सामने रहता है, वहाँ सूर्य के प्रकाश के कारण दिन रहता है। शेष आधे भाग में सूर्य का प्रकाश न पहुँचने के कारण अँधेरा रहता है जिसे रात कहते हैं।
2. ऋतुओं का होना (Existance of seasons) – पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा 23.5 कोण पर झुकी हुई स्थिति में करती है। सूर्य की परिक्रमा करने तथा अपनी धुरी पर झुकी हुई स्थिति में होने के कारण ही पृथ्वी पर अनेक प्रकार की ऋतुएँ होती हैं।
पृथ्वी एक वर्ष में सूर्य की परिक्रमा सम्पन्न करती है और इस अवधि में मुख्यत: चार ऋतुएँ होती हैं- बसन्त, ग्रीष्म, शिशिर और हेमन्त। तिथि के हिसाब से ये ऋतुएँ क्रमश: 21 मार्च, 21 जून, 23 सितम्बर और 22 दिसम्बर से प्रारम्भ होती हैं।
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