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प्रयोजनमूलक हिन्दी के विषय-क्षेत्र
प्रयोजनमूलक हिन्दी आधुनिक विधा-शाखाओं के अन्तर्गत आने वाली हिन्दी भाषा का एक अत्याधुनिक एवं अपेक्षाकृत गतिशील प्रयुक्तिपरक रूप है। जब इसके विषय-क्षेत्र की बात आती है तो इसके गहन विश्लेषण व अध्ययन में हम पाते हैं कि यह क्षेत्र तथा व्याप्ति की दृष्टि से प्रशासन परिचालन, प्रौद्योगिकी तथा ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्रों तक फैली हुई है। प्रयोजनमूलक हिन्दी की संकल्पना उसके अनुप्रयुक्त रूप को विशिष्ट भाषिक संरचना, भाषिक शब्दावली एवं सामाजिक सन्दर्भों के परिप्रेक्ष्य में वैज्ञानिकता प्रदान करती है। प्रयोजनमूलक हिन्दी भाषा के सभी मानक रूपों को सँजोये हुए रहती है जिसमें स्पष्टता सुनिश्चितता एकरूपता एवं औचित्य का निर्वाह अनिवार्यतः होता है। प्रयोजनमूलक हिन्दी की अपनी विशेष प्रयोजनपरक तकनीकी शब्दावली तथा पदावली होती है। यह प्रयोजनमूलक हिन्दी की सबसे प्रमुख विशेषता होती है। जीवन के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में हिन्दी की विशिष्ट प्रयोजनमूलक शब्दावली तथा पदावली विशिष्ट प्रयोजन के अनुसार अनुपयुक्त होती है। यह सरकारी कार्यालयों, मानविकी, ज्ञान-विज्ञान तथा कम्प्यूटर आदि सभी ज्ञान व विधा-शाखाओं को अभिव्यक्ति प्रदान करती है। प्रयोजनमूलक हिन्दी सम्बन्धित विषय-वस्तु को विशिष्ट तर्क एवं कार्य कारण सम्बन्धी आश्रित नियमों के आधार पर विश्लेषित कर रूपायित करती है। प्रयोजनमूलक हिन्दी में प्रयुक्त ज्ञान मनुष्य के सामाजिक प्रयुक्तिपरक क्रिया-कलापों का कार्य-कारण सम्बन्ध से तर्कसंगत अध्ययन व विश्लेषण किया जाता है।
इस प्रकार स्पष्ट है कि व्यावहारिक हिन्दी की अपेक्षा प्रयोजनमूलक हिन्दी अधिक तर्कसंगत, प्रयोजनीय एवं वैज्ञानिक है। ज्ञान-विज्ञान के उपर्युक्त सभी क्षेत्रों, देश-विदेश की संस्कृति तथा देश के प्रशासन को यथाशीघ्र समुचित ढंग से अभिव्यक्ति देने में एक अनिवार्य तत्त्व के रूप में प्रयोजनमूलक हिन्दी सर्वथा उपयोगी है और उसकी अर्थवत्ता, मूल्यवत्ता तथा व्याप्ति स्वयंसिद्ध है।
भाषा विज्ञान की एक प्रमुख शाखा के रूप में
प्रयोजनमूलक हिन्दी भाषा-विज्ञान की एक अत्याधुनिक बहु-उपयोगी शाखा है। हिन्दी भाषा के लिए प्रयोजनमूलक विश्लेषण उसके प्रयुक्तिप्रेरक अथवा प्रायोगिक पक्ष को स्पष्ट करने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
प्रयोजनमूलक व्यावहारिक या सामान्य शब्द नहीं अपितु एक पारिभाषिक शब्द है जिसका स्पष्ट व भाषाशास्त्रीय दृष्टि से अर्थ है- “एक ऐसी विशिष्ट भाषिक संरचना से युक्त हिन्दी, जिसका प्रयोग किसी विशेष प्रयोजन के लिए किया जाता है।” इसमें परम्परागत साहित्य तथा ज्ञान-विज्ञान एवं प्रशासन आदि के लिए प्रयुक्त साहित्य में अन्तर रखते हुए उनकी प्रयुक्ति के आधार पर जुड़े भाषा-भेदों या भाषा-रूपों को स्पष्टतः पृथक् करना अत्यन्त आवश्यक होता है। ज्ञान-विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों एवं प्रशासन, जनसंचार, विधि, सरकारी कार्यालयों आदि की कार्य विधियों के सूक्ष्मतम अर्थों को व्यापक स्तर पर सामने रखते हैं। हिन्दी भाषा की अन्तर्बाह्य वृत्तियों, प्रयुक्तियों तथा प्रायोगिक स्तरों में परिवर्तन, की आवश्यकता अनुभव की गयी और इसी आवश्यकता की पूर्ति हेतु हिन्दी का नया भाषिक संरचना का रूप उभरकर सामने आया। इसी प्रयुक्तिपरक रूप को प्रयोजनमूलक हिन्दी के नाम से अभिहित किया गया। प्रयोजनमूलक हिन्दी के रूप का आविर्भाव और विकास आधुनिक ज्ञान-विज्ञान की आवश्यकता व्यावहारिक वितरण एवं प्रयोग से माना जा सकता है। अतः प्रयोजनमूलक हिन्दी का प्रयोग समस्त अत्याधुनिक विज्ञानों व तकनीकों के क्षेत्रों के साथ सभी प्रशासनिक-गैर प्रशासनिक कार्यों व कार्यालयों, जनसंचार के माध्यम, विधि-साहित्य, पत्रकारिता, अन्तरिक्ष विज्ञान, कम्प्यूटर तथा समाज व राजनीति के क्षेत्र में भी अपेक्षित है।
‘प्रयोजनमूलक हिन्दी’ संकल्पना के अन्तर्गत ‘प्रयोजनमूलक’ शब्द अंग्रेजी के फंक्शनल (Functional) के पर्यायवाची शब्द के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। कोश ग्रन्थों के अनुसार, Functional से आशय है— कार्यात्मक क्रियाशील अथवा वृत्तिमूलक। अतः स्पष्ट है कि Functionalशब्द से ‘प्रयोजनमूलक’ या ‘व्यावहारिक’ संकल्पना स्पष्ट नहीं हो पाती है। इसके विपरीत व्यावहारिक, प्रयुक्त, अनुप्रयुक्त अथवा प्रायोगिक प्रकारान्तर से प्रयोजनमूलक संकल्पना का अंग्रेजी शब्द अप्लाइड (Applied) सर्वाधिक स्पष्टतः एवं सटीक बैठता है और ‘प्रयोजनमूलक’ संकल्पना को सार्थकता से रूपायित करता है। अतः प्रयोजनमूलक हिन्दी संकल्पना को अंग्रेजी के Functional Hindi की बजाय Applied Hindi के पर्याय के रूप में ग्रहण किया जाना सर्वथा उचित और अधिक उपयोगी होगा।
‘प्रयोजनमूलक हिन्दी’ भाषाविज्ञान की महत्त्वपूर्ण शाखा अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान के अन्तर्गत एक अत्याधुनिक उप-भाषा के रूप में विकसित हुई है। ‘प्रयोजनमूलक’ एक पारिभाषिक शब्द है जो भाषा की अनुप्रयुक्तता और प्रायोगिकता के निश्चित अर्थ में प्रयुक्त किया गया है।
प्रयोजनमूलक हिन्दी के विषय में ‘प्रयोजन’ विशेषण में ‘मूलक’ उपसर्ग लगने से ‘प्रयोजनमूलक’ पद बना है। ‘प्रयोजन’ से आशय है- उद्देश्य अथवा प्रयोजन। ‘प्रयोजन’ का सम्बन्ध भाषा में उसकी प्रयोजनीयता से सम्बन्ध है तथा ‘मूलक’ उपसर्ग से तात्पर्य है- आधारित! अतः प्रयोजनमूलक भाषा से तात्पर्य हुआ— किसी विशिष्ट उद्देश्य के अनुसार, प्रयुक्त भाषा। इसी सन्दर्भ में प्रयोजनमूलक हिन्दी से आशय हुआ— ऐसी विशिष्ट हिन्दी जिसका प्रयोग किसी विशिष्ट प्रयोजन (उद्देश्य के लिए किया जाता है। प्रयोजनमूलक हिन्दी संकल्पना में प्रयुक्ति के स्तर, विषय-वस्तु, सन्दर्भ आदि के अनुरूप पारिभाषिक शब्दावली तथा विशिष्ट भाषिक संरचना समादृत है।
इस प्रकार ‘प्रयोजनमूलक हिन्दी से आशय है– “हिन्दी का वह, प्रयुक्तिपरक विशिष्ट जो विषयगत, भूमिकागत तथा सन्दर्भगत प्रयोजन के लिए विशिष्ट भाषिक संरचना द्वारा प्रयुक्त किया जाता है और जो सरकारी प्रशासन तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के अनेकविध क्षेत्रों को अभिव्यक्ति प्रदान करने में सक्षम सिद्ध होता है।”
- पत्राचार से आप क्या समझते हैं ? पत्र कितने प्रकार के होते हैं?
- पत्राचार का स्वरूप स्पष्ट करते हुए कार्यालयीय और वाणिज्यिक पत्राचार को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
- प्रयोजनमूलक हिन्दी के प्रमुख तत्त्वों के विषय में बताइए।
- राजभाषा-सम्बन्धी विभिन्न उपबन्धों पर एक टिप्पणी लिखिए।
- हिन्दी की संवैधानिक स्थिति पर सम्यक् प्रकाश डालिए।
- प्रयोजन मूलक हिन्दी का आशय स्पष्ट कीजिए।
- प्रयोजनमूलक हिन्दी के विविध रूप- सर्जनात्मक भाषा, संचार-भाषा, माध्यम भाषा, मातृभाषा, राजभाषा
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