प्रसार शिक्षण में नमूना, प्रतिमान तथा प्रदर्श
प्रसार शिक्षण के अन्तर्गत लोगों को अनेक प्रकार से परिणाम, नमूना, प्रतिमान आदि दिखाकर बेहतर कार्य-निष्पादन के निमित्त आकर्षित एवं उत्प्रेरित किया जाता है। भ्रमण के माध्यम से लोग उन्नत पद्धतियों का अवलोकन करते हैं। किन्तु भ्रमण एक खर्चीली शिक्षण पद्धति है तथा हर व्यक्ति की पहुँच के बाहर है। उन्नत पद्धति से पैदा किए गए अनाज, बीज आदि के नमूने लाकर . प्रसारकर्त्ता अपने क्षेत्र के लोगों को दिखा सकता है। इसके लिए पौधे का कुछ भाग (जड़, तना, लगे हुए दाने) लाकर किसी गमले या घेरे गए स्थान पर लगाना चाहिए। इससे लोग पौधे की ऊँचाई, तनों का स्वस्थ आकार, तनों में लगी हुई बालियाँ, जड़ की स्थिति आदि देख सकते हैं। नमूना प्राप्त करने के लिए प्रसारकर्ता को प्रयत्नशील होना चाहिए। उसे पहले से आस-पास के क्षेत्रों में घूमकर अच्छी फसल पर दृष्टि रखनी चाहिए। हो सके तो गाँव के एक-दो किसानों को भी ले जाकर इन्हें दिखाना चाहिए जिससे अन्य लोगों को नमूना दिखाते समय वे लोग प्रसारकर्ता की सहायता कर सकें।
सब्जी की क्यारियाँ, रसोई उद्यान, घास आदि के प्रतिमान कार्ड बोर्ड या प्लाई बोर्ड पर बनाकर लोगों को दिखाए जा सकते हैं। इसके लिए मिट्टी, धागे, पतले तार, रंगीन कागज, लकड़ी के टुकड़े, तिनके आदि का प्रयोग किया जा सकता है। प्रतिमान के माध्यम से कृषि यंत्र, आदर्श घर, गोबर गैस संयंत्र, सौर ऊर्जा का उपयोग, आदर्श कुआँ, सुलभ शौचालय आदि भी प्रदर्शित किए जा सकते हैं।
प्रतिमान या नमूना प्रदर्शित करते समय साथ में कुछ लिखित संदेश भी रखें जो प्रदर्श की व्याख्या करते हों । नमूना, प्रतिमान या प्रदर्श केवल उत्प्रेरण में सहायक हो सकते हैं। वास्तविक प्रदर्शन तो वास्तविक खेत पर जाकर या यंत्रों को काम करता हुआ दिखाकर ही सम्भव है। वास्तविक रूप के द्वारा ही सही शिक्षण दिया जा सकता है।
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