प्रोजेक्ट सशक्त (Sashakt Project): एनपीए की समस्या से निपटने हेतु ‘सशक्त’ योजना की घोषणा-Hello Friends,currentshub में आपका स्वागत हैं, Competitive exams की तैयारी करने वाले Students के लिए हम इस वेबसाइट के माध्यम से विभिन्न जानकारियां और PDF eBook शेयर करते हैं| आप हमारे इस वेबसाइट के माध्यम से विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए नोट्स और eBook पीडीऍफ़ में डाउनलोड कर सकते हैं| आज हम प्रतियोगी छात्रों के लिए प्रोजेक्ट सशक्त (Sashakt Project) शेयर कर रहें हैं। इस पोस्ट की सबसे खास बात यह है प्रोजेक्ट सशक्त (Sashakt Project) के बारें में जैसे – What is Sashakt Project? और उसके सुझाव के बारे में व्याख्या के साथ बताया गया है । इसमे Sashakt Project से संबधित तथ्य बहुत ही सरल तरीके से व्याख्या के साथ पढने को मिलेगा जो कि आपको आगामी प्रतियोगी परीक्षा काफी साहायक साबित होगी।
अनुक्रम (Contents)
प्रोजेक्ट सशक्त (Sashakt Project)
देश के बैंकिंग सेक्टर की हालत खराब चल रही है, खासकर सरकारी बैंकों की। लगभग सभी छोटे बड़े बैंक एनपीए की बोझ से परेशान हैं। एेसे में केन्द्र सरकार ने बैंकों की इस खराब हालत से निपटने के लिए अब एक नर्इ योजना लेकर आर्इ है। वित्त मंत्री पियूष गोयल ने नई दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक नई परियोजना ‘सशक्त’ की घोषणा की जिसका उद्देश्य बैंकिंग प्रणाली को मजबूत करना है।
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प्रोजेक्ट सशक्त (Sashakt Project) के कुछ मुख्य बिन्दु
- सरकारी बैंकों में गैर-निष्पादनीय परिसंपत्तियों (Non-Performing Assets) की समस्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। 31 मार्च, 2018 तक सरकारी बैंकों का फंसा कर्ज 10 लाख करोड़ रुपये से ऊपर पहुंच गया है। पिछले दिनों बैंकों का हजारों करोड़ रुपये का ऋण लेकर विदेश पलायन कर गए उद्यमी नीरव मोदी और विजय माल्या का मामला मीडिया में अत्यधिक चर्चित रहा।
- हाल ही में जारी हुई भारतीय रिजर्व बैंक की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में सकल गैर-निष्पादनीय परिसंपत्तियों (एनपीए) के मार्च, 2018 के 11.6 प्रतिशत से बढ़कर मार्च, 2019 तक 12.2 प्रतिशत होने की संभावना है। बैंकों के लिए मूल बैंकिंग कार्य के साथ फंसे हुए कर्ज को निकालना मुश्किल हो रहा है।
- हालांकि बैंकों की कार्य करने के तरीके और उनकी वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा समय-समय पर अनेक समितियों का गठन किया जाता रहा है। इसके साथ ही बैंक प्रमुख एवं शीर्ष अधिकारियों की नियुक्ति में पारदर्शिता लाने के लिए बैंक बोर्ड ब्यूरो का गठन किया गया है।
प्रोजेक्ट सशक्त (Sashakt Project) – मुख्य बिन्दु,कार्य प्रणाली एवं गठित समितियाँ
- जून, 2018 में केंद्रीय वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने सरकारी बैंकों में बढ़ती गैर-निष्पादनीय परिसंपत्तियों की समस्या का समाधान सुझाने के लिए पंजाब नेशनल बैंक के अध्यक्ष सुनील मेहता की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया।
- समिति को फंसे हुए ऋण की वापसी के साथ ही ‘बैड बैंक’ (BAD Bank) और ‘संपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी’ (Asset Reconstruction Company) के गठन की व्यावहारिकता पर सिफारिश देना था। समिति को दो सप्ताह में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया।
- 2 जुलाई, 2018 को केंद्रीय वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने सुनील मेहता समिति की 5-स्तरीय रणनीतिक सुझावों को लागू करने की स्वीकृति प्रदान कर दी है।
सुनील मेहता समिति का गठन |
जून 2018 में वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने पंजाब नेशनल बैंक की अगुवाई में समिति का गठन किया गया जिसकी अध्यक्षता सुनील मेहता को सौंपी गई. इस समिति को ‘बैड बैंक’ जैसी संरचना की व्यावहारिकता परखने एवं दो सप्ताह में संपत्ति पुनर्निर्माण कम्पनी के गठन के लिए सिफारिश देने के लिए कहा गया.
इस समिति में स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के चेयरमैन रजनीश कुमार, बैंक ऑफ़ बड़ोदा के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी पी एस जयकुमार तथा एसबीआई के उप प्रबंध निदेशक सी वेंकट नागेश्वर शामिल थे. |
समिति के सुझाव
- ‘प्रोजेक्ट सशक्त’ नामक शीर्षक से तैयार इस रिपोर्ट में तनाव-ग्रस्त बैंकिंग प्रणाली से उबरने की रणनीतियों की अनुशंसा की गई है। समिति के पांच रणनीतिक सुझाव —- सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्योग (एसएमई) आधारित, बैंक केंद्रित संकल्प सुझाव, एसेट मैनेजमेंट कंपनी/अल्टरनेट इनवेस्टमेंट फंड केंद्रित सुझाव, एनसीएलटी/आईबीसी आधारित सुझाव, परिसंपत्तियों के लेन-देन के प्लेटफॉर्म पर आधारित हैं।
- ‘सशक्त रिपोर्ट’ में बैंकिंग प्रणाली में सुधार के साथ ही नए रोजगार सृजन और सरकारी बैंकों की साख में वृद्धि के लिए उपाय बताए गए हैं। बैकों की हालत सुधारने के लिए सरकार की कवायद, वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने उठाया ये कदम | इसके साथ ही सरकारी बैंकों के फंसे कर्ज के निपटारे हेतु दिशा-निर्देश सुझाए गए हैं-
- 50 करोड़ रुपये से कम की गैर–निष्पादनीय परिसंपत्ति (एनपीए) पर संकल्प-50 करोड़ रुपये से कम की गैर-निष्पादनीय परिसंपत्तियों पर सरकारी बैंकों को ‘केंद्रीय ऊर्ध्वाधर (Focused Vertical) बनाना होगा, जिसके माध्यम से 90 दिनों के भीतर ऐसी परिसंपत्तियों के समाधान के लिए एक संचालन समिति का गठन किया जाएगा।
- 50 करोड़ रुपये से 500 करोड़ की गैर–निष्पादनीय परिसंपत्तियों पर संकल्प-समिति ने 50 करोड़ रुपये से लेकर 500 करोड़ रुपये तक के फंसे कर्ज की वापसी हेतु बैंक की अगुवाई में संकल्प प्रस्ताव (Bank Lead Resolution Approach) लाने का सुझाव दिया है। इस तरह के संकल्प प्रस्ताव को 180 दिनों में लागू करने के लिए एक स्वतंत्र स्क्रीनिंग समिति के गठन का प्रावधान है। यदि 180 दिनों में कोई कार्यवाही नहीं हो पाती है, तब इस फंसे कर्ज की समस्या के समाधान के लिए ‘नेशनल लॉ कंपनी ट्रिब्यूनल’ के समक्ष रखा जाएगा।
- 500 करोड़ रुपये से ऊपर के फंसे कर्ज पर संकल्प– रिपोर्ट के अनुसार, 500 करोड़ रुपये से ऊपर के फंसे कर्जों का निपटारा ‘संपत्ति प्रबंधन कंपनी’ (Asset Management Company) या ‘वैकल्पिक निवेश कोष’ (Alternate Investment Fund) के माध्यम से किया जाएगा। गौरतलब है कि समिति ने 500 करोड़ रुपये से ऊपर के फंसे हुए ऋण/कर्ज के निपटारे के लिए राष्ट्रीय ‘संपत्ति प्रबंधन कंपनी’ के गठन का सुझाव दिया है।
संपत्ति प्रबंधन कंपनी (Assets Management Company)
- सुनील मेहता समिति ने ‘नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट फंड’ (NIIF) की तरह ही बैंकों, विदेशी निवेशकों और आधारभूत ढांचा कोष की भागीदारी से ‘एसेट मैनेजमेंट कंपनी’ के गठन का सुझाव दिया है। यह कंपनी एनपीए खातों की पहचान कर, उनकी कीमतों का निर्धारण करेगी। इसके उपरांत खातों से संबंधित परिसंपत्तियों को समय-समय पर रणनीतिक खरीददारों को बेचने का कार्य भी कंपनी करेगी।
समिति के द्वारा किये गये कार्य का निष्कर्ष
- प्रोजेक्ट सशक्त’ के सुझाव/सिफारिशें तनावग्रस्त परिसंपत्तियों को दुबारा बाजार व्यवस्था से जोड़ने में मदद करेंगे। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य सरकारी बैंकों की क्रेडिट क्षमता, क्रेडिट संस्कृति और क्रेडिट पोर्टफोलियो को मजबूत करने के साथ बढ़ती हुई गैर-निष्पादनीय परिसंपत्तियों (एनपीए) की समस्या का समाधान करना है।
प्रोजेक्ट सशक्त (Sashakt Project) लाभ
इस योजना का लाभ यह होगा कि इन ग्राहकों से ऋण वसूलने का झंझट बैंकों पर नहीं रहेगा. गोयल ने बताया कि एएमसी पूरी तरह से बाजार आधारित होंगे और देश में एक से ज्यादा एएमसी का गठन हो सकता है. इसमें देसी-विदेशी कंपनियां भी शामिल हो सकती हैं. यह प्रावधान किया जा रहा है कि एएमसी 60 दिनों के भीतर एनपीए का निपटारा करेंगे.
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