फ्रांस की राज्यक्रांति(THE FRENCH REVOLUTION) : एक दृटि में
फ्रांस की राज्यक्रांति
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फ्रांस की राज्यक्रांति(THE FRENCH REVOLUTION)
- 14 जुलाई 1789 बास्तील के किले पर उत्तेजित फ्रांसीसियों द्वारा किए गए आक्रमण के साथ ही फ्रांसीसी राज्य क्रांति आरंभ हो गई |
उस समय लुई सोलहवां फ्रांस का राजा था
टुलेरिज राजमहल- जहां राजा रहता था -
क्रांति का स्वरूप
: फ्रांसीसी kranti स्वेच्छाचारिता या एकतंत्र और कुलीनतंत्र के विरुद्ध फ्रांसीसी जनता का विद्रोह था |
- जिस प्रकार धर्म सुधार आंदोलन रोमन कैथोलिक चर्च के अत्याचार के विरुद्ध विद्रोह था |
- उसी प्रकार फ्रांस की राज्यक्रांति सक्षम तथा कुलीनतंत्र के विरुद्ध विद्रोह था|
क्रांति के कारण
- लुई सोलहवां सदाचारी एवं अच्छी प्रकृति कथा कहां होने के बावजूद भी अपने सामंतों और अपनी रानी मेरी आंत्वानेत के बस में था |
- उसने अपने योग्य मंत्री टर्गोट (तुर्गों) को 1776 ईस्वी में बर्खास्त कर दिया क्योंकि उसने प्रशासन में सुधार करने तथा सामंतों की शक्ति पर प्रतिबंध लगाने का यत्न किया था |
- इस प्रकार लुई 15th एवं 16th अक्षम और व्यर्थ सिद्ध हुए तथा वे अपने भ्रष्ट मंत्रियों एवं चापलूस और स्वार्थी सामंतों के बस में थे |
- 18 वीं सदी में फ्रांस में लोगों की कोई प्रतिनिधि सभा नहीं थी |
- प्रांत का शिक्षित वर्ग इस दोष को अनुभव करता था और अपने देश की इस राजनीतिक ढांचे से असंतुष्ट था|
- फ्रांस में अधिकांश भूमि के मालिक सामंत एवं ऊचे पादरी थे जो संख्या में थोड़े होने पर भी विशेष सामाजिक एवं राजनीतिक अधिकारों का उपयोग करते थे |
- चर्च एक निकम्मा परंतु धनी संस्थान बन गया था |
- फ्रांस के समूचे भू भाग का पांचवा भाग चर्च की संपत्ति था और शेष भाग की उपज का दसवां भाग भी चर्च का ही होता था|
- फ्रांसीसियों ने अमेरिकी स्वतंत्रय युद्ध में भी भाग लिया क्योंकि इंग्लैंड से उसकी पुरानी शत्रुता थी |
- प्रांत के सामंत वर्ग स्थिति एवं व्यवस्था में किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं चाहते थे क्योंकि वह सुविधाभोगी वर्ग थे |
क्रांति के परिणाम
- सामंतवाद को समाप्त कर दिया गया| यूरोप में यह व्यवस्था हजार वर्षों से चली आ रही थी |
- इसमें कुलीनों के विशेषाधिकार समाप्त हो गए और कर की सामान व्यवस्था स्थापित हुई |
- क्रांति के दिनों में फ्रांस का रोमन कैथोलिक चर्च निष्क्रिय कर दिया गया|
- उसकी जगह पर राजू द्वारा संपोषित समर्पित धर्मनिरपेक्ष सामाजिक एजेंसियों की स्थापना हुई थी|
- नेपोलियन सत्ता में आया तो नेपोलियन के कानून चलाए गए थे|
- इन कानूनों की बहुत सी बातें लंबे समय तक चलन में बनी रही|
- उनमें से कुछ तो आज भी बरकरार है|
- फ्रांस की क्रांति में राष्ट्र शब्द का आधुनिक अर्थ स्पष्ट किया|
- राष्ट्र केवल उस प्रदेश को नहीं कहते जहां वहां के लोग रहते हैं बल्कि स्वयं उन लोगों को ही कहते हैं|
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फ्रांस के लोग
- अब फ्रांस केवल वह देश-प्रदेश नहीं रहा जिसे लोग फ्रांस के नाम से जानते थे बल्कि फ्रांस का अर्थ ‘फ्रांस के लोग‘ समझा जाने लगा|
- संप्रभुता संपन्न होने के विचार के कारण ही फ्रांस की सैनिक शक्ति प्रबल हो सकी|
- और संपूर्ण राष्ट्र सेना के साथ संगठित हो गया जिसके सैनिक क्रांतिदर्शी नागरिक थे |
- जैकोबिन संविधान के अंतर्गत समस्त लोगों को मताधिकार और विद्रोह करने का अधिकार दिया गया|
- नेपोलियन की हार के बाद फ्रांस का पुराना शासक राजघराना फिर राजगद्दी पा गया|
- यद्यपि कुछ ही वर्षों बाद 1830 ईस्वी में फिर एक क्रांति हुई|
- 1848 ईस्वी में राजतंत्र को फिर उखाड़ फेंका गया हालांकि वह जल्दी ही फिर शक्ति संपन्न हो गया|
- अंत में 1871 ईसवी में गणतंत्र की पुनः स्थापना हुई |
- मतदान एक प्रतिनिधि चुनने के अधिकारों से जनसाधारण की सभी समस्याओं का हल नहीं निकला|
- किसानों को भूमि मिल गई किंतु मजदूरों और कारीगरों की क्रांति के मुख्य संचालक वही थे |
- शीघ्र ही फ्रांस उन देशों में से एक हो गया | जिसमें जिनमें सामाजिक समानता एवं समाजवाद के विचारों ने पहली बार एक नए किस्म की राजनीतिक आंदोलन को उठाया|