राजनीति विज्ञान (Political Science)

बाजार समाजवाद के कल्याणकारी राज्य प्रतिरूप पर प्रकाश डालिए?

बाजार समाजवाद के कल्याणकारी राज्य प्रतिरूप
बाजार समाजवाद के कल्याणकारी राज्य प्रतिरूप

बाजार समाजवाद के कल्याणकारी राज्य प्रतिरूप

कल्याणकारी राज्य प्रतिरूप कल्याणकारी राज्य का विचार उदारवाद से ही विकसित हुआ है। इसकी उत्पत्ति ब्रिटेन में हुई, और द्वितीय विश्व युद्ध (1939-45) के बाद यह विशेष रूप से लोकप्रिय हुआ है। उन्नीसवीं शताब्दी के उदारवाद के अंतर्गत ‘प्रहरी राज्य’ का समर्थन किया जाता था जिसका मुख्य सरोकार संपत्ति के संरक्षण से था। परंतु जर्मनी में प्रिंस बिस्मार्क (1815 98) के प्रशासन (1871-90) के दौरान सामाजिक बीमे का जो कार्यक्रम अपनाया गया, उसे कल्याणकारी राज्य की स्थापना का आरंभिक प्रयास मान सकते हैं। फिर इंग्लैंड में बीसवें शताब्दी के आरंभ में एच.एच. एस्क्विथ (1852-1928) के प्रशासन (1908-16) के दौरान कल्याणकारी राज्य की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति हुई। उधर द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान ‘शक्तिमूलक राज्य’ का विचार प्रकट हुआ जिसका मुख्य लक्ष्य ‘पूर्ण विजय’ प्राप्त करना था। परंतु इंग्लैंड में कल्याणकारी राज्य का विचार लगातार पनपता रहा जिसे बैवरिज रिपोर्ट (1942) के अंतर्गत विशेष रूप से बढ़ावा दिया गया। कल्याणकारी राज्य का ध्येय अपने सदस्यों के सामान्य हितों को बढ़ावा देना था।

बैवरिज रिपोर्ट के प्रस्तुतकर्ता विलियम बैवरिज ने ‘द पिलर्स ऑफ सिक्यूरिटी’ (सुरक्षा के आधारस्तंभ) (1943) के अंतर्गत यह तर्क दिया कि राज्य का उद्देश्य पांच महा बुराइयों का अंत करना है: अभाव, रोग, अज्ञान, दरिद्रता और बेकारी। इस उद्देश्य से जुड़ जाने पर कल्याणकारी राज्य का विचार अपने पूर्ण उत्कर्ष पर पहुँच गया। उन दिनों यह तर्क दिया जाता था कि भविष्य में बाजार-शक्तियों के मुक्त प्रवर्त्तन के कारण जब व्यक्तियों या परिवारों को बेरोजगारी, बीमारी और बुढ़ापे में वेबसी की हालत का सामना करना पड़ेगा, तब राज्य प्रचलित अर्थ-व्यवस्था में हस्तक्षेप करके इन परिस्थितियों को नियंत्रित करने की कोशिश करेगा। कल्याणकारी राज्य के उदय से पहले ‘सेवाधर्मी राज्य’ की संकल्पना के अंतर्गत केवल स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी सामाजिक सेवाओं पर बल दिया जाता था, परंतु कल्याणकारी राज्य ने सब नागरिकों के लिए बिना किसी भेदभाव के सर्वोत्तम सेवाएं प्रदान करने का लक्ष्य अपने सामने रखा। इसके अलावा, कराधान (Taxation) के माध्यम से संपदा का पुनर्वितरण भी कल्याणकारी राज्य की नीति का हिस्सा बन गया।

यह बात ध्यान देने की है कि ब्रिटने में कल्याणकारी राज्य उदय से पहले सामाजिक सेवाओं के प्रबंध को निर्धन सहायता की व्यवस्था के साथ जोड़ा जाता था। कोई व्यक्ति आत्मसम्मान खोकर ही ऐसी सहायता प्राप्त कर सकता थे। कल्याणकारी राज्य की संकल्पना न इस कलंक को मिटा दिया। इसे परस्पर सहायता और स्वावलंबन की ऐसी प्रणाली के रूप में मान्यता दी गई जिसमें संपूर्ण राष्ट्र की ओर से सब नागरिकों के लिए सम्मानपूर्ण जीवन का उपाय किया गया था। इसमें न्यूनतम बुनियादी सुरक्षा, आवास, रोजगार, रहन-सहन के स्तर और उन्नति के अवसरों की व्यवस्था सम्मिलित थी। कल्याणकारी राज्य का विचार ब्रिटेन के अलावा फ्रांस, इटली, पश्चिमी जर्मनी, स्वीडन, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में विशेष लोकप्रिय रहा। परंतु संयुक्त राज्य अमरीका में इसे विशेष सराहना नहीं मिली। 1970 के दशक में विश्व भर में मुद्रास्फीति के प्रकोप के कारण सार्वजनिक व्यय में कटौती आवश्यक हो गई। इससे राज्य की कल्याणकारी गतिविधियों पर भी प्रभाव पड़ा, और व्यक्तिगत उत्तरदायित्व के विचार को प्रमुखता दी जाने लगी। कुछ भी हो, कल्याणकारी राज्य का प्रतिरूप अर्थ-व्यवस्था में कड़ी प्रतिस्पर्धा को नियंत्रित करके पूंजीवादी व्यवस्था को मृदुल रूप तो देता है, परंतु उसका कोई विकल्प प्रस्तुत नहीं करता।

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shubham yadav

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