समाजशास्‍त्र / Sociology

बाल भगोड़ापन | Juvenile Truancy in Hindi

बाल भगोड़ापन
बाल भगोड़ापन

बाल भगोड़ापन (Juvenile Truancy) पर टिप्पणी कीजिए।

आज हमारे देश में विभिन्न प्रकार के अपराध जन्म ले रहे हैं। जिनमें से बाल अपराध का स्थान आज बहुत अधिक ऊपर उठता जा रहा है, बाल अपराध उत्पन्न होने के निम्नलिखित कारण हैं जो इस प्रकार हैं-

1. भगोड़ापन- भगोड़ापन एन्सी ( Truancy) का हिन्दी रूपान्तरण है जो ट्रुएन्सी (Truancy) भगोड़ा बना है। इस शब्द का प्रयोग बालकों के लिए किया जाता है जब कोई बालक स्कूल से बिना किसी सूचना के भाग जाता है तो उसे भगोड़ापन कहते हैं।

फेयरचाइल्ड के अनुसार, “यह बालक का वह अपराध है जो स्वयं उसे स्कूल से बिना स्वीकृत अनुमति के अनुपस्थित रखता है।”

इस प्रकार के बच्चे स्कूल से भागने के आदी होते हैं। जब बालक स्कूल की बिना आज्ञा के भाग जाते हैं और साथ ही वह घर लौटकर नहीं जाता है तो उसे कुअवसर प्राप्त होते हैं, जो अपराध करने को प्रेरित करते हैं।

2. आवारापन- आवारापन अंग्रेजी के वैगरेन्सी (Vegrancy) शब्द का हिन्दी रूपान्तरण है। यह शब्द वैगरेण्ट से बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है – आवारा ।

फेयरचाइल्ड के शब्दों में, “आवारा अप्रतिबन्धित यात्रा करने वाला एक व्यक्ति है।’ आवारापन में समाज में वह व्यक्ति होता है जो परित्यक्त हो क्योंकि इससे समाज को निरन्तर खतरा बना रहता है। 7. इसका कारण यह है कि उसका घर पड़ोस तथा समुदाय में कोई लगाव नहीं होता है और उसके बारे में ऐसा समझा जाता है कि वह आगे चलकर अपराधी होगा।

आवारापन को स्पष्ट करते हुए इसकी परिभाषाओं को कई रूपों में स्पष्ट किया गया है, जो निम्न हैं –

“जब बच्चे बिना किसी उद्देश्य के इधर-उधर घूमते रहते हैं तो उनके इस व्यवहार को आवारापन कहा जाता है।”

आवारापन का तात्पर्य उस असली व्यक्ति से लगाया जाता है जो एक स्थान से दूसरे स्थान को बिना किसी उद्देश्य के घूमता रहता है जिसके पास आमदनी का कोई साधन नहीं है और वह किसी प्रकार का कार्य नहीं करता, उसे आवारापन की श्रेणी में रखा जाता है।

3. चरित्रता- बालकों के समाज-विरोधी व्यवहार का अर्थ है व्यक्तित्व में होने वाले – असामंजस्य। अपराध का अर्थ है समाज की रूढ़ियों व कानून की उपेक्षा । वह असामंजस्य तभी हो सकता है जब चरित्र में किसी प्रकार की गड़बड़ी हो। चरित्र में असामंजस्य होने से व्यक्ति के दृष्टिकोणों, हितों व सामाजिक मूल्यों में गतिरोध पैदा होता है जो अपराधों को जन्म देता है। –

4. पूर्व अपराधी – अपराधी होने से पहले कभी-कभी उन बालकों में, जो आगे चलकर अपराधी हो जाते हैं, कुछ विशेष लक्षण पाए जाते हैं। कुछ ऐसे भी बाल अपराधी होते हैं जो न कभी आवारा थे और न ही भगोड़ा। ये बालक कुछ विशेष परिस्थितयों के दबाव में आकर अपराध की ओर अग्रसर हो जाते हैं।

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shubham yadav

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