समाजशास्‍त्र / Sociology

बिन्दुरेखीय प्रदर्शन का महत्व, गुण या लाभ या उपयोगिता तथा दोष

बिन्दुरेखीय प्रदर्शन का महत्व
बिन्दुरेखीय प्रदर्शन का महत्व

बिन्दुरेखीय प्रदर्शन का महत्व (Importance of Graphic Presentation of Data)

बिन्दुरेखीय प्रदर्शन का महत्व- प्रायः यह देखने को मिलता है कि अधिकांश सांख्यिकी आंकड़े सामान्य जनता की समझ से बाहर होते हैं क्योंकि वे अत्यधिक विशाल और जटिल होते हैं। समंकों को व्यवस्थित व सुन्दर ढंग से प्रस्तुत करने के लिए इनका वर्गीकरण व सारणीयन किया जाता है किन्तु इनके द्वारा आंकड़ों की विशेषताओं को भली प्रकार प्रदर्शित नहीं किया जा सकता है। ये समंकों को संक्षिप्त करने में समर्थ नहीं होते हैं। अतः इनको सरलता से समझने के लिए रेखाओं व चित्रों का सहारा लिया जाता है। सांख्यिकीय तथ्यों का बिन्दुरेखीय प्रदर्शन इसलिए किया जाता है जिससे कि वे आसानी से समझ में आ सकें। बिन्दुरेख समंकों को प्रस्तुत करते हैं तथा साथ ही साथ चिन्तन व विश के आधार पर उनको संक्षिप्त रूप प्रदान करते हैं। इसके सम्बन्ध आई. आर. वेसेलो ने कहा है कि संख्यात्मक पाठन की सबसे सरल एवं सामान्य विधि बिन्दुरेख है। यह संस्थाओं का चित्र इस प्रकार प्रस्तुत करती है कि नेत्रों को उनके सम्बन्ध में तत्काल पता लग जाता है। संख्याओं को स्पष्ट बनाने में इसका सर्वाधिक महत्व है।”

सांख्यिकी में बिन्दुरेख का बहुत अधिक महत्व है। गणित की दृष्टि से बिन्दुरेख को ‘बीजगणित ज्यामिति की वर्णमाला’ कहा गया है।

स्थान सम्बन्धी मालाओं में विशेषतः चित्र का प्रयोग होता है। काल-मालाओं और आवृत्ति वितरण को प्रकट करने के लिए बिन्दुरेख सर्वोत्तम है। यदि दोनों में से किसी एक का चुनाव करना है चित्रों की अपेक्षा बिन्दुरेख अधिक प्रभावशाली होगी।

बिन्दुरेखीय प्रदर्शन के गुण या लाभ या उपयोगिता

बिन्दुरेखीय प्रदर्शन के प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं

1. आकर्षक व प्रभावशाली- बिन्दुरेख देखने में आकर्षक होते हैं, इन्हें अच्छी प्रकार बनाकर और भी आकर्षक बनाया जा सकता है। कोई भी व्यक्ति इन्हें देखकर प्रभावित हो सकता है। इस सम्बन्ध में एक प्रमुख विद्वान का मत यह है कि – “रेखा का विचरण मस्तिष्क पर प्रभाव डालने में सारणित कथन की अपेक्षा अधिक शक्तिशाली होता है। यह उतनी शीघ्रता से जितनी, आँख कार्य करने की क्षमता रखती है, प्रकट करता है कि क्या हो रहा है और क्या होने वाला है।”

2. सरलता- समकों की राशि विशाल और सुव्यवस्थित होती है जो कि बिन्दुरेख के माध्यम से सरल हो जाती है और जनसामान्य की आसानी से समझ में आती है। इसे समझने के लिए मस्तिष्क पर कोई विशेष जोर नहीं डालना पड़ता है।

3. तुलनात्मक अध्ययन में सरलता- जब दो प्रकार के समकों की तुलना करनी होती है तो बिन्दुरेख के माध्यम से आसानी रहती है। इससे तुलनात्मक अध्ययन तो हो ही जाता है साथ ही साथ दोनों प्रकार के समकों की दिशा का ठीक-ठीक ज्ञान सरलता से हो जाता है। इसके सम्बन्ध में डिकसन हार्टवेल ने कहा है कि – “चार्ट एवं बिन्दुरेख के उदाहरण सांख्यिकी सामग्री एवं प्रवृत्तियों की तुलना को सरलता से स्पष्ट करते हैं।”

4. समय व श्रम की बचत – जब समंकों को बिन्दुरेख द्वारा प्रस्तुत किया जाता है तो समय व श्रम अधिक नहीं लगता है। आंकड़ों का अध्ययन करने वालों के भी समय व श्रम की बचत होती है। उदाहरण तापमान के बिन्दुरेख को देखकर ही क्षणभर में रोगी की दशा में परिवर्तन का अनुमान लगा लिया जाता है।

5. स्थायी प्रभाव – प्रायः हम लोग कुछ समय के पश्चात् संख्या सम्बन्धी सूचनाओं को याद नहीं रख पाते हैं क्योंकि सभी संख्याओं को याद रखना सरल कार्य नहीं है, किन्तु बिन्दुरेखीय प्रभाव को हम जल्दी नहीं भूलते हैं क्योंकि इसका प्रभाव पर्याप्त रूप से स्थायी होता है।

समंकों के बिन्दुरेखीय प्रदर्शन के दोष (Demerits of Graphic Presentation)

समंकों के बिन्दुरेखीय प्रदर्शन के दोष निम्नलिखित हैं-

1. तर्कसंगत न होना- बिन्दुरेख तर्कसंगत नहीं होता है क्योंकि इसका प्रभाव कभी-कभी आंखों तक ही रहता है, अतः यह मस्तिष्क को प्रभावित नहीं करता है।

2. शुद्धता की जाँच न होना- इसमें शुद्धता की जाँच नहीं हो पाती है क्योंकि इसमें गति का प्रदर्शन वक्रों द्वारा होता है किन्तु वास्तविक मूल्य का अनुमान नहीं हो पाता है।

3. दुरुपयोग सम्भव- यदि मापदण्ड में जरा भी परिवर्तन हो जाता है तो वक्र के आकार में – बहुत अधिक अन्तर पड़ जाता है। अतः विभिन्न मानदण्डों के वक्रों के निर्माण में इनका दुरुपयोग सम्भव है।

4. अपर्याप्त सूचना देना- बिन्दुरेख की सहायता से सभी प्रकार की समस्याओं का निदान नहीं किया जा सकता और न ही इनके द्वारा सभी सांख्यिकीय सामग्री को प्रस्तुत किया जा सकता है अतः इनकी सूचनाओं को पर्याप्त नहीं कहा जा सकता है।

5. उद्धरण के रूप में प्रस्तुत किया जाना किसी तथ्य की पुष्टि के लिए बिन्दुरेखों को – उद्धरण के रूप में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता है।

6. केवल प्रवृत्ति का सूचक बिन्दुरेख वास्तविक एवं शत-प्रतिशत शुद्ध परिणाम नहीं दे सकता है। यह केवल किसी सम्बन्धित विषय की प्रवृत्ति को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करता है।

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shubham yadav

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