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बैंक का अर्थ (Meaning of Bank)
वर्तमान युग में ‘बैंक’ शब्द इतना प्रचलित एवं व्यापक हो गया है। कि इसकी परिभाषा देना व्यर्थ जान पड़ता है। साधारणतः बैंक शब्द की उत्पत्ति फ्रेंच भाषा के Banke शब्द से हुई है जिसे बाद में बदलकर अंग्रेजी भाषा में Bank कहा जाने लगा। सुदृढ़ बैंक व्यवस्था किसी भी देश के विकास के लिये अनिवार्य है। बैंक समाज के प्रमुख अंग और व्यापार के अभिन्न मित्र हैं। बैंक-विहीन अर्थव्यवस्था पिछड़ेपन का परिचायक है। बैंक की विभिन्न सेवाएँ व्यवसाय के लिये वरदान हैं।
भारतीय बैंकिंग अधिनियम कम्पनी 1949 के अनुसार “बैंकिंग व्यवसाय उसे कहते हैं जिसमें जनता को उधार देने अथवा विनियोग के उद्देश्य से जनता का ही धन जमा के रूप में रखा जाये, जो माँग पर चैक द्वारा या अन्य किसी प्रकार के आदेश के अनुसार भुगतान किया जाये।”
उचित परिभाषा–“बैंक एक ऐसी संस्था है जो अपने ग्राहकों के लिये रुपये के लेन-देन सम्बन्धी सभी कार्य करती है।”
आधुनिक युग में व्यापारिक बैंकों के कार्य
आधुनिक बैंक के कार्यों को हम निम्नलिखित तीन वर्गों में विभाजित कर सकते हैं-
(A) प्राथमिक कार्य (Primary Functions)
प्राथमिक कार्य के अन्तर्गत बैंक निम्नलिखित मुख्य कार्य करता है
जमा पर रुपया प्राप्त करना – आधुनिक बैंक का महत्वपूर्ण कार्य जनता का रुपया विभिन्न खातों में जमा करना है। बैंक निम्न प्रकार के खाते खोलकर जनता का रुपया जमा के रूप में आकर्षित करता है
(क) सावधि जमा खाता- इस खाते में एक निश्चित अवधि के लिये रुपया जमा किया जाता है। ब्याज की दर अवधि पर निर्भर करती है। जितनी अधिक अवधि के लिये रुपया जमा किया जाता है, उतना ही अधिक ब्याज़ मिलता है। अवधि के समाप्त होने पर खाते से रुपया निकाला जा सकता है। इस खाते में ब्याज की दर सबसे अधिक होती है। जमाकर्त्ता को बैंक से सावधि का प्रमाण पत्र प्राप्त होता है। बैंक से भुगतान प्राप्त करते समय यह बैंक को ही वापिस करना पड़ता है।
(ख) चालू खाता- इस खाते में रुपया जमा करने वाला व्यक्ति अपनी इच्छा के अनुसार रुपया जमा कर सकता है अथवा रुपया निकाल सकता है। यह खाता विशेष रूप से व्यापारी वर्ग के लिये लाभदायक है। इस खाते पर ब्याज नहीं मिलता, बल्कि खाते में एक निश्चित धनराशि से कम होने पर बैंक व्यापारी से ब्याज वसूल करता है।
(ग) सेविंग बैंक खाता- यह खाता मध्यम श्रेणी के व्यक्तियों की सुविधा के लिये होता है। इसमें जनता अपनी बची हुई छोटी-छोटी रकमें जमा करती रहती हैं। इस खाते में से प्रायः एक सप्ताह में एक या दो बार रुपया निकाला जा सकता है। इसकी ब्याज की दर 3.5% है। इस खाते में अधिक से अधिक 25.000 रु० जमा किये जा सकते हैं। दो व्यक्तियों के द्वारा भी इस खाते को खोला जा सकता है। इस खाते को खोलने पर चैक बुक, जमा की पुस्तक तथा पास बुक आदि बैंक से मिलती हैं। इस खाते में हमेशा 1,000 रु० शेष रहना चाहिये (यह रकम बैंकों में अलग-अलग है)। इस खाते को दो व्यक्ति मिलकर भी खोल सकते हैं।
(घ) घरेलू बचत खाता- बच्चों में मितव्ययिता की भावना जागृत करने के लिये बैंक इस खाते की व्यवस्था करते हैं। इस खाते के लिये कुछ बैंक गोलक इत्यादि देते हैं।
(ङ) आवृर्ति जमा खाता- इस खाते में एक निश्चित धनराशि एक निश्चित समय तक जमा करते रहते हैं। इसमें ब्याज सहित मूल्य वापिस मिलता है। इसमें ब्याज की कोई निश्चित दर नहीं होती है।
(B) रुपया उधार देना
बैंक निम्नलिखित ढंगों से जनता को रुपया उधार देता है-
(क) अधिविकर्ष (Overdraft) के रूप में ऋण देना- जब बैंक किसी व्यक्ति को उसके चालू खाते में जमा धनराशि से अधिक उधार दे देता है, तो वह अधिक धनराशि अधिविकर्ष कहलाती है। उस पर बैंक व्यापारी अथवा खाताकर्ता से ब्याज लेता है।
(ख) नकद साख- व्यापारी बैंक में अपनी आवश्यकतानुसार रकम उधार लेने का समझौता कर लेते हैं। यह रकम उस व्यापारी के खाते में जमा कर दी जाती है। व्यापारी समय पर आवश्यकतानुसार खाते में से रकम निकाल लेता है और निकाली हुई रकम पर ब्याज देना पड़ता है।
(ग) साधारण ऋण- जब ऋण एक पूर्व निश्चित अवधि के लिये दिया जाता है उसे अग्रिम या साधारण ऋण कहते हैं। ये ऋण जमानत पर दिये जाते हैं।
(घ) विनिमय विपत्रों को भुनाना- विनिमय विपत्रों तथा व्यापारिक बिलों को भुनाकर व्यापारियों को अल्पकालीन ऋण देते हैं।
(C) एजेन्सी के रूप में कार्य
बैंक एजेण्ट के रूप में निम्नलिखित कार्य करता है-
(क) बिल, हुण्डी तथा चैक आदि का रुपया वसूल करना।
(ख) बिल व हुण्डियाँ भुनाना।
(ग) बीमा किश्त चुकाना तथा ब्याज व लाभांश वसूल करना।
(घ) आर्थिक सम्मति देना!
(D) सामान्य उपयोगिता सम्बन्धी कार्य
उपरोक्त कार्यों के अतिरिक्त बैंक बहुत से कार्य करते हैं जिन्हें सामान्य उपयोगिता सम्बन्धी कार्य कहा जाता है। ये कार्य निम्नलिखित होते हैं, जैसे
(क) बैंक नोट प्रकाशित करना तथा जारी करना।
(ख) साख प्रमाण-पत्रों तथा अन्य साख पत्रों को जारी करना।
(ग) विदेशी विनिमय पत्रों का क्रय-विक्रय करना।
(घ) बहुमूल्य वस्तुओं को सुरक्षा में रखना।
(E) आधुनिक युग में बैंकों का महत्व
आधुनिक युग में बैंक समाज के वित्त तथा साख संगठन का एक महत्त्वपूर्ण साधन हैं। ये समाज-सेवक के रूप में समाज के सदस्यों में बचत की आदत का निर्माण करते हैं। यह इधर-उधर बिखरे हुये धन को एकत्रित करता है, देश में साख आदि का सृजन करता है। बैंक आज के युग में अच्छे वाणिज्य तथा व्यापारिक सलाहकार के रूप में कार्य करता है। इस प्रकार बैंक का महत्त्व व्यापारिक और सामाजिक क्षेत्र में बराबर का है। इसके द्वारा देश की आय में भी वृद्धि हुई है।
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