अर्थशास्त्र (Economics)

भारत की नयी औद्योगिक नीति 1991 | नयी औद्योगिक नीति 1991 की प्रमुख विशेषताएँ

भारत की नयी औद्योगिक नीति 1991
भारत की नयी औद्योगिक नीति 1991

भारत की नयी औद्योगिक नीति 1991

स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् केन्द्रीय उद्योग मन्त्री डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भारत की प्रथम औद्योगिक नीति 6 अप्रैल 1948 को घोषित की। प्रथम औद्योगिक नीति हैरोड डोमर मॉडल पर आधारित थी। प्रथम औद्योगिक नीति में उद्योगों को तीन वर्गों में बाँटा गया था। प्रथम औद्योगिक नीति में अपनाया गया अर्थ व्यवस्था का प्रकार मिश्रित था। समाजवादी रूप से समाज की स्थापना के लिये केन्द्र सरकार ने द्वितीय औद्योगिक नीति की घोषणा 30 अप्रैल 1956 को की। भारत की द्वितीय औद्योगिक नीति नेहरू महालनोविस मॉडल पर आधारित थी। द्वितीय औद्योगिक नीति को भारतीय औद्योगिक नीति का मैग्नाकार्टा भी कहते हैं। द्वितीय औद्योगिक नीति में बिग पुश-हाई ग्रोथ की रणनीति अपनायी गयी थी। नयी औद्योगिक नीति जिसमें उदारीकरण के अनुरूप अनेक उदारवादी कदम उठाये गये थे 24 जुलाई 1991 को घोषित की गयी।

नयी औद्योगिक नीति 1991 की प्रमुख विशेषताएँ

नयी औद्योगिक नीति 1991 की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं

(1) लाइसेंसिंग व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया।

(2) आरक्षित उद्योगों को निजी क्षेत्रों के लिये खोल दिया गया।

(3) एकाधिकार और प्रतिबन्धात्मक व्यापार व्यवहार अधिनियम के अधीन उद्योगों की परिसम्पत्ति सीमा को समाप्त कर दिया गया है।

(4) औद्योगिक लाइसेंसिंग नीति के अन्तर्गत 18 उद्योगों को छोड़कर अन्य को लाइसेंस निःशुल्क कर दिया गया था। वर्तमान में इनकी संख्या 6 है जिनमें शराब, सिगरेट, खतरनाक रसायन, सुरक्षा के सामान, औद्योगिक विस्फोटक और औषधि सम्मिलित हैं।

(5) इस नीति के अन्तर्गत आरक्षित उद्योगों की संख्या घटाकर 8 कर दी गयी। वर्तमान में इनकी संख्या 4 है। इनमें अस्त्र-शस्त्र, जलयान, परमाणु ऊर्जा, परमाणवीय खनिज और रेल परिवहन आते हैं।

(6) यह निश्चय किया गया कि सार्वजनिक क्षेत्रों को स्वायत्तता प्रदान करने के लिये सरकारी अंशों के एक भाग को म्यूचुअल फंडों, वित्तीय संस्थाओं, आम जनता या उद्योगों में कार्यरत श्रमिकों को बेच दिया जायेगा। इससे सार्वजनिक उद्योगों के लिये पूँजी की उपलब्धता बढ़ जायेगी।

(7) एकाधिकार एवं प्रतिबन्धित व्यापार व्यवहार अधिनियम के अन्तर्गत आने वाली कम्पनियों की परिसम्पत्ति सीमा को समाप्त करके नयी नीति के माध्यम से कम्पनियों को विस्तार करने, नयी फर्मों की स्थापना करने और किसी अन्य कम्पनी के साथ विलयन या अधीनीकरण की प्रक्रिया में सरकार से पूर्वानुमति की छूट प्रदान की गयी है।

(8) इस नीति के अन्तर्गत घोषित नयी स्थान निर्धारण नीति के अन्तर्गत कहा गया है कि आरक्षित उद्योगों को छोड़कर किसी अन्य उद्योग को यदि 10 लाख से अधिक आबादी वाले नगर में की जा रही है तथा वह प्रदूषण जनित उद्योग है तो उसकी स्थापना शहर से 25 किमी. दूर की जायेगी।

(9) विदेशी निवेश तथा विदेशी प्रौद्योगिकी सम्बन्धी नीतियों में उच्च तकनीक वाले तथा निर्यातोन्मुखी उद्योगों में 51 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति दी गयी थीं जिसे अब बढ़ाकर 100 प्रतिशत कर दिया गया है। इन उद्योगों में खनन, धातुकर्म, सूचना प्रौद्योगिकी, खाद्य संसाधन और उपभोक्ता, मनोरंजन उद्योग आदि सम्मिलित हैं।

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shubham yadav

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