भारत में घरेलू हिंसा की स्थिति (भारत में घरेलू हिंसा विकराल रूप धारण करती जा रही है)
भारतीय समाज में अनेकों प्रकार की सामाजिक समस्यायें पायी जाती हैं, जिनमें घरेलू (पारिवारिक) हिंसा भी एक प्रमुख है। पहले भारतीय समाज में इतनी घरेलू हिंसायें नहीं होती थी क्योंकि पहले के समय में लोगों में आपस में परिवार के प्रति प्रेम व स्नेह की भावना अधिक होती थी, जबकि आज स्थिति बिल्कुल विपरीत है। आज भाई-भाई का बाप-बेटे का, पति-पत्नी का तथा मां-बेटे का शत्रु बनता जा रहा है। आज यह देखने को मिलता है कि परिवार का कोई भी सदस्य अपने परिवार में अपने से बड़े की कोई बात सुनना नहीं चाहता है और उसे यदि कोई अनुचित बात कह देता है, तो या तो वह उसका तुरन्त जवाब दे देता है या फिर अपने मन में द्वेष की भावना बना लेता है जोकि आपसी झगड़ों का कारण बन जाती है। ये छोटे-छोटे झगड़े हिंसा का रूप धारण कर लेते हैं जोकि एक दिन इतना बड़ा रूप धारण कर लेते हैं कि कभी-कभी तो इन हिसाओं में पारिवारिक सदस्यों की जाने चली जाती हैं। आये दिन समाचार पत्रों में इस प्रकार की हिसाओं के उदाहरण पढ़ने को मिलते हैं। जैसे जमीन के कारण भाई ने भाई को काट डाला, पिता द्वारा रुपये न देने पर बेटे ने बाप को गोली मार दी, पत्नी के किसी अन्य से अवैध सम्बन्ध होने पर पति ने जान से मार दिया या पत्नी ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपने पति को जहर देकर मार दिया।
इस प्रकार अनेकों कारण ऐसे हैं जोकि घरेलू हिंसाओं को जन्म देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और इन्हीं के कारण ये हिंसाये निरन्तर होती रहती हैं। वास्तव में घरेलू हिंसा में यह बात मुख्य रूप से दिखाई देती है कि इसका मुख्य रूप से शिकार महिलायें ही होती हैं। इस पर विचार करने पर यह तथ्य सामने आया कि अधिकांश पारिवारिक दायित्व महिलाओं को ही पूरे करने होते हैं। जिनमें किसी भी प्रकार की त्रुटि होने पर वाद-विवाद होने लगता है जोकि बढ़कर हिंसा का रूप धारण कर लेता है। पहले यदि बाप-बेटे को या पति-पत्नी को पीटता था तो बेटा या पत्नी उसे चुपचाप सहन कर लेती थी, किन्तु आज ऐसा नहीं है। आज यदि बाप बेटे को पीटता है तो बेटा जवाब देने में पीछे नहीं रहता है। इसी प्रकार पति संगठन द्वारा पत्नी को पीटे जाने पर पत्नी भी पीछे नहीं रहती है। पहले महिला अपने पति को परमेश्वर मानकर उसकी पूजा करती थी और उनके द्वारा किये गये किसी भी कार्य, भले ही वह अनैतिक हो, उसका प्रतिरोध नहीं करती थी। किन्तु आज की स्त्री, अपने आप को पुरुषों से किसी मायने में कम नहीं समझती है। यदि पति एक गलती करता है तो वह दो करने को तैयार रहती है। यही कारण है कि आज पहले की अपेक्षा घरेलू हिंसायें बढ़ने लगी हैं।
निष्कर्षतः यह कहा जा सकता है कि भारत में घरेलू हिंसाओं में काफी वृद्धि हो रही है, जिसका प्रमुख कारण पारिवारिक सामंजस्य न स्थापित होना है।
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