अनुक्रम (Contents)
महादेवी के गीतों की विशेषताएँ
हिन्दी में गीतिकाव्य की परम्परा बहुत पुरानी है और इसका सीधा सम्बन्ध संस्कृत के गीतिकाव्य से है। गीत मानव की अन्तरंग की अनुभूतियों को प्रकट करने का सर्वाधिक उपयुक्त माध्यम होता है। इसमें सहृदयों के मनोवेग मधुर स्वरों में अधरों पर उतरते हैं। हिन्दी में विद्यापति से लेकर कबीर, सूर, तुलसी, मीरा आदि के काव्य गीतिकाव्य की निधि हैं। आधुनिककालीन कविता में छायावादी काव्यांदोलन में गीतों की अपूर्व सर्जना हुई है। यद्यपि प्रसाद, निराला और पंत ने बहुत से गीत लिखे, पर महादेवी जी की उपलब्धियाँ इस मामले में सर्वाधिक है। इसका कारण है कि प्रेम और विरह की भावना उनमें बहुत सघन है, जो उन्हें गीतों की सृष्टि में अनुकूलता प्रदान करती है।
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने हिन्दी साहित्य के इतिहास में लिखा है, “गीत लिखने में जैसी सफलता महादेवी जी को मिली वैसी और किसी को नहीं।” उनका सारा काव्य ही गीतिकाव्य है। उनका अनुभूति-लोक कदाचित् इसी काव्य रूप से सर्वाधिक तादात्म्य स्थापित कर पाता है। अपने गीतिकाव्यों में कहीं भूमिका में उन्होंने लिखा है, “सुख-दुःख की भावावेशमयी अवस्था है का गिने-चुने शब्दों में स्वर-साधना का उपयुक्त चित्रण कर देना ही गीत है।” काव्य-चेतना में निरन्तर सान्द्र अनुभूतियों का लय होते रहना ही गीतों की अजस्र सृष्टि का मार्ग प्रशस्त करता है। नीरजा, नीहारिका, सांध्यगीत आदि सभी रचनाएँ गीतिशिल्प में आद्यान्त ढली हैं।
गीतिकाव्य के निम्नलिखित तत्त्व बताये गये हैं- (1) आत्माभिव्यक्ति, (2) संगीत और लय, (3) भावुकता, (4) संक्षिप्तता, (5) कल्पनाशीलता, (6) समग्र अनुभूति ।
इनका विशद रूप में वर्णन इस प्रकार है-
1. आत्माभिव्यक्ति- गीतों के वर्ण्यविषय में चाहे अपनी अनुभूतियाँ या परिस्थितियाँ हों, चाहे किसी अन्य की, पर उन्हें गीतिबद्ध करते समय कवि उन्हें भलीभाँति आत्मकथा का स्वरूप प्रदान करता है, जो इसकी कल्पना नहीं करते उनका गीत उतना प्रभावशाली नहीं होता। महादेवी का व्यक्तिगत जीवन धार्मिक अनुभूतियों से भरा हुआ वेदना की गहरी अभिव्यक्ति का जी न था। छायावादी कवियों में आत्मानुभूति का इतना विस्तार कदाचित् ही किसी कवि की रचना में आया हो, जितना महादेवी की रचनाओं में है। कवयित्री ने स्वयं को ‘नीर भरी दुःख की बदली’ कहा है-
“मैं नीर भरी दुःख की बदली
विस्तृत जग का कोना-कोना मेरा न कभी अपना होना,
उमड़ी कल थी मिट आज चली। “
2. संगीत और लय- गीत की चरितार्थता संगीत में है और वह संगीत लयबद्धता के उत्कर्ष मेरे हृदय में है। महादेवी जी ने राग-रागिनियों पर आधारित गीत-रचना जान बूझकर तो नहीं की, पर उसमें न जाने कितने राग सहज गति से समाविष्ट हो गये हैं। कुछ गीत तो ऐसे हैं, जिनकी लय मन को बहुत ही अभिभूत करने वाली है। जैसे- ‘चुभते ही तेरा अरुण बान’, ‘कौन तुम में’, ‘सब बुझे दीपक जला लूँ’, ‘सहज है कितना सबेरा’ आदि। आत्माभिव्यक्ति की जो गहराई उनके काव्य में है, उसके कारण उसके अर्थ में भी लय और एक प्रवाहमय ध्वनि- सौन्दर्य है।
3. भावुकता- महादेवी का हृदय-लोक बड़ा भावाकुल है। जीवन का प्रत्येक क्षण उनके लिए भावाकुलता का संदेश लेकर आता है। यह भावाकुलता उनके काव्य में प्राण-तत्त्व है, जो हर गीत की पंक्ति में पायी जाती है, जैसे
“विरह का जलजात, जीवन विरह का जलजात!
वेदना में जन्म करुणा में मिला आवास
अश्रु चुनता दिवस इसका अश्रु चुनती रात ।”
4. कल्पनाशीलता- कवयित्री ने भावों को प्रकट करते समय बड़ी प्रेरक और मोहक कल्पनाओं से काम लिया है। गीतों में कल्पनाशीलता एवं रचनाकर्म की विशेषता होती है। वह वर्ण्य – विषय को तथ्य से दूर ले जाने के लिए नहीं, अतिरंजना करने के लिए नहीं, अपितु भावों को तीव्र, प्रभावी और बोधगम्य बनाने के लिए होती है। कल्पना का रमणीय रूप छायावाद की मुख्य विशेषताओं में से है। महादेवी का गीत-सौन्दर्य एक ओर तो छायावादी काव्यशिल्प से भी जुड़ता है और दूसरी ओर हमारी आन्तरिक वेदनाओं में भी स्थापित होता है। एक गीत में कल्पना तत्त्व देखें-
“प्रिय इन नयनों का अश्रु नीर, दुःख से आविल, सुख से पंकिल,
बुद-बुद से स्वप्नों से कोमल, बहता है युग-युग से अधीर।”
5. संक्षिप्तता- प्रभावशाली मुक्तक काव्य के लिए विषय की कमी नहीं है। प्रश्न केवल अनुभूति का है, संक्षिप्तता में कथित शब्दयोजना उसमें गौण डालती है। महादेवी में विषय की संक्षिप्तता तो नहीं है, क्योंकि वेदना और पीड़ा की आर्थिक स्थितियों को बार-बार अनेक प्रकार से प्रस्तुत किया है। नमूने के लिए दो पंक्तियाँ दर्शनीय हैं जिनमें अर्थ-भाव कितने अधिक भरे हैं-
“जो तुम हो सके लीला कमल यह आज
खिल उठे निरुपम तुम्हारी देख स्मित का प्रात
जीवन विरह का जलजात !”
6. प्रणयानुभूति – गीति-काव्य की समूची परम्परा देखने से यही लगता है कि जहाँ भी वह श्रेष्ठता को पा सका है, वहाँ प्रेमानुभूति का उसमें प्रचुर समावेश है। कवयित्री के विरह-विराग में सदैव उसी अखण्ड प्रेमानुभूति का योग दिखायी देता है। वह सदैव प्रिय ही के आगमन की कामना करती है, अन्यथा उसी अभाव की वेदना से नाता जोड़े रहना ही उन्हें अत्यन्त प्रिय है
“जो तुम आ जाते एक बार,/कितनी करुणा के संदेश,
पथ में बिछ जाते वन-पराग ।
गाता प्राणों का तार-तार, / अनुराग भरा उन्माद राग,
महादेवी जी ने अपने गीतों की सृष्टि में प्रकृति का सतत् स्मरण किया है- ‘धीरे-धीरे उतर क्षितिज से आ वसन्त रजनी’ आदि पंक्तियाँ इसका प्रमाण हैं। आँसू, दीप, वर्तिका, मोम, आरती, सिकता रेख, पथ, निर्वाण, निशा, उषा, किरण आदि का प्रतीकात्मक प्रयोग उनकी रचनाओं में प्राप्त होता है। उनका गीत-शिल्प आधुनिक हिन्दी कविता में असाधारण है।
अन्त में, महादेवी जी के गीतों की सफलता के बारे में प्रसिद्ध समीक्षक डॉ० नगेन्द्र का विचार उल्लेखनीय है, “प्रचलित लोकगीतों की गति, लय में मूल्य काव्य-सामग्री भरकर महादेवी जी ने खड़ी बोली कविता में गीत के माध्यम को अमर कर दिया है।”
- महादेवी वर्मा के काव्य के वस्तु एवं शिल्प की सोदाहरण विवेचना कीजिए ।
- वेदना की कवयित्री के रूप में महादेवी वर्मा के काव्य की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए ।
- महादेवी वर्मा की काव्यगत विशेषताएँ- भावपक्षीय विशेषताएँ तथा कलापक्षीय विशेषताएँ
You May Also Like This
- कविवर सुमित्रानन्दन पन्त का जीवन परिचय, कृतियाँ/रचनाएँ, भाषा-शैली, हिन्दी साहित्य में स्थान
- कविवर बिहारी का जीवन परिचय, कृतियाँ/रचनाएँ, भाषा-शैली, हिन्दी साहित्य में स्थान
- रसखान का जीवन परिचय, कृतियाँ/रचनाएँ, भाषा-शैली, हिन्दी साहित्य में स्थान
- गोस्वामी तुलसीदास का जीवन परिचय, कृतियाँ/रचनाएँ, भाषा-शैली, हिन्दी साहित्य में स्थान
- सूरदास का जीवन परिचय, कृतियाँ/रचनाएँ, भाषा-शैली, हिन्दी साहित्य में स्थान
- जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय, रचनाएँ, भाषा-शैली, हिन्दी साहित्य में स्थान
- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल- जीवन-परिचय, साहित्यिक परिचय, रचनाएँ
- सूरदास जी की जीवनी और साहित्यिक परिचय
- तुलसीदास का साहित्यिक परिचय
- भक्तिकाव्य की प्रमुख प्रवृत्तियां | भक्तिकाल की प्रमुख विशेषताएं
- सूरदास जी की जीवनी और साहित्यिक परिचय (Surdas biography in Hindi)
अगर आप इसको शेयर करना चाहते हैं |आप इसे Facebook, WhatsApp पर शेयर कर सकते हैं | दोस्तों आपको हम 100 % सिलेक्शन की जानकारी प्रतिदिन देते रहेंगे | और नौकरी से जुड़ी विभिन्न परीक्षाओं की नोट्स प्रोवाइड कराते रहेंगे |