इतिहास

मुगल साम्राज्य का पतन|मुगल साम्राज्य के पतन के कारण|अंतिम मुगल बादशाह

मुगल साम्राज्य का पतन|मुगल साम्राज्य के पतन के कारण|अंतिम मुगल बादशाह
मुगल साम्राज्य का पतन|मुगल साम्राज्य के पतन के कारण|अंतिम मुगल बादशाह

इंग्लैंड की क्रांति(रक्तहीन क्रांति) के कारण,महत्व/ परिणाम(Opens in a new browser tab)

इंग्लैंड की क्रांति के कारण|गौरवशाली क्रांति|1688 की गौरवपूर्ण क्रांति|कारण, परिणाम(Opens in a new browser tab)

मुगल साम्राज्य का पतन|मुगल साम्राज्य के पतन के कारण|अंतिम मुगल बादशाह

मुगल साम्राज्य का पतन|मुगल साम्राज्य के पतन के कारण|अंतिम मुगल बादशाह– हेलो दोस्तों आप सब छात्रों के समक्ष “मुग़ल साम्राज्य का पतन,अंतिम मुगल बादशाह,बंदा बहादुर,बहादुरशाह प्रथम,सैय्यद बन्धु (अब्दुल्ला खां + हुसैन अली खां),उत्तर मुगल साम्राज्य के पतन के कारण,”इत्यादि के बारे में बतायेंगे. जो छात्र SSC, PCS, IAS, UPSC, UPPPCS, Civil Services  या अन्य Competitive Exams की तैयारी कर रहे है है उनके लिए ये ‘ मुगल साम्राज्य का पतन|मुगल साम्राज्य के पतन के कारण|अंतिम मुगल बादशाह पढना काफी लाभदायक साबित होगा. 

मुग़ल साम्राज्य का पतन

  • औरंगजेब की मृत्यु के समय मुगल साम्राज्य में कुल 21 प्रांत थे। अफगानिस्तान में काबुल उत्तर भारत में 14 प्रांत और दक्षिण भारत में 6 प्रांत थे।
  • स्पष्टीकरण : औरंगजेब के शासनकाल में सूबो की संख्या 20 थी इसका प्रमाण डॉ. हरिशचंद्र वर्मा डॉ. एल. पी. शर्मा ने किया है किंतु, दत्ता राय चौधरी एवं मजूमदार व बी. के. अग्निहोत्री  ने औरंगजेब के शासनकाल में सूबो की संख्या 21 (14 सूबे उत्तर भारत, 6 सूबे दक्षिण भारत, 1 सूबा अफगानिस्तान) बतायी गयी है। औरंगजेब द्वारा शम्भाजी से जीते गये क्षेत्र का उल्लेख किया गया है।
  • औरंगजेब के कुल 5 पुत्र थे। 1. मुहम्मद सुल्तान, 2. मुहम्मद अकबर, 3, मुहम्मद मुअज्जम, 4. मुहम्मद आजम, 5. काम बख्श।
  • इसमें 2 पुत्रों मुहम्मद सुल्तान व मुहम्मद अकबर की मृत्यु औरंगजेब के जीवन में निधन हो गया था।
  • औरंगजेब का निधन 3 मार्च, 1707 ई. को अहमदनगर में हुआ था।
  • औरंगजेब के निधन के बाद 63 वर्षीय पुत्र मुहम्मद मुअज्जम ने शाहआलम की उपाधि धारण कर लाहौर के उत्तर स्थित शाहदौला पुल पर मई 1707 ई. को बहादुर शाह प्रथम नाम से सम्राट घोषित हुआ।


अंतिम मुगल बादशाह

  • अबु ज़फर सिराजुद्दीन मुहम्मद बहादुर शाह जफर देश के मध्यकाल में शासन
    करने वाले अंतिम मुगल बादशाह थे, लेकिन इतिहास में उन्हें प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के एक ऐसे नायक के रूप में याद किया जाता है जो राष्ट्रीय एकता के प्रतीक बने। उन्होंने देश में प्रथम बार पर गाय वध पर प्रतिबंध लगा कर हिंदू-भाईचारे को स्थापित किये थे।
  • बहादुर शाह जफर का जन्म 24 अक्टूबर, 1775 ई. को हुआ था। अपने पिता अकबर शाह द्वितीय की मृत्यु के बाद 28 सितंबर, 1838 ई. को दिल्ली के बादशाह बने। उनकी मां लालबाई हिन्दू परिवार से थी। विद्रोही सैनिकों और राजा महाराजाओं ने उन्हें हिन्दुस्तान का बादशाह घोषित कर दिया गया।
  • संग्राम के लिए निश्चित तिथि से पहले ही मेरठ छावनी के सैनिकों ने कारतूस में सुअर व गाय की चर्बी होने पर विद्रोह प्रारंभ कर दिया था।
  • बागी सैनिक विद्रोह के लिए निश्चित 10 मई, 1857 ई. से पहले ही अपने बंदी साथियों को छुड़ाकर मेरठ छावनी से भाग निकले। विद्रोही सैनिकों ने दिल्ली पहुंचकर बहादुर शाह जफर को सम्राट घोषित कर दिया।

बहादुरशाह प्रथम (शाह आलम-1) (1707-12ई.) 

  • उपाधि : शाहे-बेखबर (खाफी खां द्वारा प्रदत्त)
  • बहादुर शाह प्रथम (सबसे वृद्ध मुग़ल शासक) उत्तरवर्ती मुग़लों में प्रथम व  अंतिम शासक था जिसने वास्तविक सत्ता का उपयोग किया।
  • बहादुरशाह ने गुरुगोविन्द सिंह के साथ संधि कर और एक बड़ा मनसब देकर विद्रोही सिक्खों के साथ मेल-मिलाप करने की कोशिश की, परन्तु जब गुरु गोविंद सिंह की मृत्यु के बाद बंदा बहादुर के नेतृत्व में उन्होंने बगावत का झण्डा पंजाब में बुलंद किया तब बादशाह ने स्वयं विद्रोहियों के खिलाफ अभियान का नेतृत्व किया।
  • बहादुरशाह ने बुंदेला सरदार छत्रसाल से मेल-मिलाप कर लिया। छत्रसाल निष्ठावान सामंत बना रहा। बहादुरशाह ने जाट सरकार चूड़ामन से भी दोस्ती कर ली। चूडामन ने बंदा बहादुर के खिलाफ अभियान में बादशाह का साथ दिया।
  • बहादुरशाह के दरबार में 1711 ई. एक डच प्रतिनिधि शिष्ट मण्डल जोसुआ केटेलार के नेतृत्व में गया । इस शिष्टमण्डल का दरबार में जोरदार स्वागत किया गया। इस स्वागत में एक पुर्तगाली स्त्री “जुलियाना” की महत्वपूर्ण भूमिका थी। इसे बीबीफिदवा उपाधियां दी गई थीं।
  • दुर्भाग्यवश 1712 ई. में उसकी मृत्यु ने साम्राज्य को एक बार फिर गृह-युद्ध में  फंसा दिया। इसी गृहयुद्ध के कारण उसका शव 10 सप्ताह बाद दिल्ली में दफनाया न जा सका। इतिहासकार खफी खां ओवन सिडनी ने लिखा है- मुगल सम्राटों में बहादुरशाह अन्तिम सम्राट था जिसके सम्बन्ध में कुछ अच्छे शब्द कहे जा सकते हैं।
  • उत्तराधिकार का युद्ध हुआ, जिसमें उसका एक कम योग्य पुत्र जहांदारशाह विजयी रहा, क्योंकि उसे उस समय के सबसे शक्तिशाली सामंत जुल्फिकार खां का समर्थन मिला था।


बंदा बहादुर

  • बंदा बहादुर डोगरा राजपूत थे। इनका जन्म 16 अक्टूबर, 1670 ई. को पूंछ जिले के राजौरी गांव में हुआ था। इनके बचपन का नाम लक्षमण देव था।
  • 1708 ई. में नांदेड़ (महाराष्ट्र) नामक स्थल पर बंदा बहादुर की मुलाकात गुरु गोबिंद सिंह से हुई यही पर गुरु गोविंद सिंह ने उन्हें अपना बंदा (सेवक) बनाया तथा उत्तर भारत में खालसा पंथ के शत्रुओं से बदला लेने का आदेश दिया.
  • बंदा बहादुर की सबसे महत्वपूर्ण विजय 1710 ई. में सरहिंद की विजय थी इस युद्ध में मुगल गवर्नर वजीर खां मारा गया।
  • बंदा बहादुर को उनके शिष्य सच्च सम्राट कहते थे।
  •  बंदा बहादुर ने हिमालय की श्रेणियों में स्थित मुखलिस गढ़ के किले की मरम्मत
    करायी तथा उसका नाम लौहगढ़ रखा था। इन्होंने जमींदारी प्रथा व जजियाकर वसूली का अंत कर दिया था फर्रुखसियर के समय में 1716 ई. में बंदा बहादुर को दिल्ली में फांसी दे दी गयी थी। 

सैय्यद बन्धु (अब्दुल्ला खां + हुसैन अली खां)

  • राजा बनाने वाले (King Maker) के नाम से विख्यात ।
  • 1713 ई. में फर्रूखसियर की ओर से उत्तराधिकार युद्ध में भाग लेकर उसे विजयी बनाया।
  • फर्रुखसियर ने सैय्यद हसन अली)अब्दुल्ला खां) को अपना वजीर बनाया तथा अब्दुल्ला खां को बहादुर, यमीन-उद-दौला, यार-ए-सफदार की उपाधि दी।
  • छोटे भाई हुसैन अली खां को मीर बख्शी नियुक्त कर अमीर-उल-उमा, बहादुर फिरोज जंग, उमादुलमुल्क की उपाधि फर्रुखसियर ने प्रदान की। 

उत्तर मुगल साम्राज्य के पतन के कारण

  1. जागीरदारी व्यवस्था का संकट
  2. स्थिर केंद्रीय प्रशासन का अभाव
  3. औरंगजेब की धार्मिक असहिष्णुता की नीति
  4. दक्कन सैन्य अभियानों में अधिक धन व्यय
  5. अयोग्य उत्तराधिकारी
  6. विदेशी आक्रमण
  7. सैनिक दुर्बलताएं
  8. दरबार में गुणों का उदय

जहांदार शाह (1712-13 ई.

  • जहांदार शाह तिमुरी वंश का प्रथम अयोग्य शासक था। इसे लम्पट मूर्ख कहा जाता था।
  •  इसके शासन काल में प्रशासन वस्तुतः जुल्फिकार खां के हाथों में थो, जो वजीर बन गया था। जुल्फिकार खां के पिता असद खां को वकील नियुक्त किया गया। ये दोनों बाप-बेटे ईरानी अमीरों के नेता थे।
  •  जुल्फिकार खां ने भारतीय असंतुष्ट वर्ग को संतुष्ट करने का प्रयास किया। उसने जयसिंह को मालवा का सूबेदार नियुक्त किया तथा “मिर्जा राजा” की पदवी दी। मारवाड़ के अजीत सिंह को “महाराजा” की पदवी दी गई और गुजरात का सूबेदार नियुक्त किया गया। जहांदार के समय में जजिया कर समाप्त कर दिया गया। मराठा शासक को दक्कन की चौथसरदेशमुखी इस शर्त पर दी गई कि उनकी वसूली मुगल अधिकारी करेंगे और फिर मराठा अधिकारियों को दे देंगे।
  • जुल्फिकार खां ने चूड़ामन जाट और छत्रसाल बुंदेला के साथ भी मेल-मिलाप कर लिया। केवल बंदा और सिक्खों के प्रति उसने दमन की पुरानी नीति जारी रखी.
  • जहांदारशाह लालकुंवरी नामक वेश्या से प्रेम करता था। उसने उसके रिश्तेदारों को उच्च पदों पर नियुक्त किया। जहांदार के भतीजे फर्रुखसियर ने सम्राट् के पद का दावा किया और उसकी सहायता सैयद बंधओं ने की थी। आगरा में जहांदार के साथ 1713 ई. में युद्ध हुआ। जहांदार पराजित हुआ और बाद में उसकी हत्या कर दी गई।

फर्रुखसियर (1713-19 ई.)

  • फर्रुखसियर को अपनी जीत सैयद बंधुओं अब्दुल्ला खां और हुसैन अली
    खां वाराहा के कारण मिली। अब्दुल्ला खां को वजीर का पद एवं कुतुबुल मुल्क की उपाधि तथा हुसैन अली को अमीर-उल-उमरा तथा मीरबख्शी का पद मिला
  • सैयद हुसैन अली ने 1719 ई. में पेशवा बालाजी विश्वनाथ से दिल्ली की सन्धि करके मराठों से सैन्य सहायता लेकर फर्रुखशियर को अपदस्थ कर अंधा बना दिया तथा 10 दिन बाद उसकी हत्या कर दी गई। मुगल साम्राज्य के इतिहास में किसी अमीर द्वारा किसी मुगल बादशाह की हत्या का यह प्रथम उदाहरण था। फर्रुखसियर को घृणित कायर सम्राट कहा गया था।


रफी-उद-दरजात (28 फरवरी से 4 जून 1719 ई.)

यह सबसे कम समय तक शासन करने वाला मुगल शासक था।

रफी-उद्-दौला (6 जून से 17 सितम्बर, 1719 ई.)


रफी-उद्-दरजात की मृत्यु के बाद सैयद बंधुओं ने इसे गद्दी पर बिठाया। इसने शाहजहां द्वितीय की उपाधि धारण किया, यह दूसरा शासक कम समय तक शासन किया। सितंबर 1719 ई. में इसकी बीमारी के कारण मृत्यु हो गयी|


मोहम्मद शाह (रौशन अख्तर 1719 ई. से 1748 ई.)

                    मोहम्मद शाह (रौशन अख्तर)

 रंगीला की उपाधि

  • नादिरशाह (फारस के शासक) का 1739 ई. में आक्रमण
  • सैय्यद बंधुओं का अंत
  • तख्ते-तउस (मयूर सिंहासन) पर बैठने वाला अंतिम शासक
  • इसी के काल में स्वतंत्र राज्यों की नींव पड़ी
  • हैदराबाद के स्वतंत्र राज्य-निजामुलमुल्क
  • अवध के स्वतंत्र राज्य-सआदत खां
  • बंगाल के स्वतंत्र क्षेत्र-अलीवर्दी खां

यह बहादुर शाह के सबसे छोटे बेटे जहानशाह का पुत्र था। अत्यधिक विलासितापूर्ण जीवन व्यतीत करने के कारण इसे रंगीला की उपाधि मिली थी। इसके काल में सैय्य बंधुओं का अंत हुआ।
मुहम्मद शाह के काल में ही निजामुलमुल्क ने हैदराबाद राज्य की नींव रखी थी। सआदत खां ने अवध में अपने राज्य को स्वतंत्र कर लिया। इसी तरह बंगाल, बिहार और उड़ीसा भी स्वतंत्र हो गए। राजपूताना क्षेत्र भी इसी के काल में प्रायः स्वतंत्र हो गया। फारस के शासक नादिरशाह ने 1739 ई. में मुहम्मद शाह के समय में ही दिल्ली पर आक्रमण किया।

अहमदशाह (1748 ई. से 1754 ई.)

  • मुहम्मदशाह की मृत्यु के पश्चात उसका एकमात्र पुत्र अहमदशाह गद्दी पर बैठ अहमदशाह का जन्म उधमबाई नर्तकी से हुआ था, जिसके साथ मुहम्मदशाह ने विवाह कर लिया था।
  • इसी के काल में 1748 ई. में अहमदशाह अब्दाली ने भारत पर आक्रमण किया।
  • अहमदशाह का प्रिय हिजड़ा जाबिद खां था जिसे नवाब बहादुर की उपाधि प्रदान की गयी थी।

    आलमगीर द्वितीय (1754 ई. से 1758 ई.)

    इसका नाम अजीजुद्दीन था। इसके काल में अब्दाली दिल्ली पर आक्रमण किया। पानीपत के तृतीय युद्ध के समय यह मुगल सम्राट था।
    दिल्ली में इमादुलमुल्क ने कामबख्श के पौत्र मुही-उल-मिल्लत को शाहजहां-III के नाम से राज सिंहासन पर बैठा दिया। इस प्रकार आलमगीर द्वितीय की मृत्यु के पश्चात् मुगल साम्राज्य में दो बादशाह दो अलग-अलग स्थानों पर शासन किया।

शाहआलम द्वितीय (1959 ई. से 1806 ई.)

  • इसका नाम अलीगौहर था। इसके समय में पानीपत का तृतीय युद्ध (1761 ई. में) तथा बक्सर का युद्ध (1764 ई.) हुआ, शाहआलम द्वितीय ने ही लार्ड क्लाइव को बंगाल, बिहार एवं उड़ीसा की दीवानी प्रदान की थी। 1765 ई. से 1772 ई. तक यह अंग्रेजों के संरक्षण में इलाहाबाद में रहा।
  • 1772 में मराठों के संरक्षण में दिल्ली पहुंचा था 1803 ई. तक उनका संरक्षण स्वीकार किया। गुलाम कादिर ने 1788 ई. में शाहआलम- II को अन्धा बना दिया।
  • 1803 ई. में अंग्रेज़ सेनापति लेक ने दौलत राव सिंधिया को पराजित किया तथा शाहआलम द्वितीय ने अंग्रेजों का संरक्षण स्वीकार कर लिया। इस तरह दिल्ली पर अंग्रेजों का अधिकार हो गया था मुगल सम्राट अंग्रेजों के पेंशनभोक्ता बन गए।
  • शाह आलम-II एक अन्धा शासक के रूप में राज्य किया व 1806 ई. में मृत्यु हो गई। 1806 ई. में शाहआलम द्वितीय की हत्या हो गई।

प्रमुख जनजातीय विद्रोह
द्वितीय विश्व युद्ध क्यों हुआ था, इसके कारण व परिणाम
प्र

थम विश्व युद्ध के कारण,परिणाम,युद्ध का प्रभाव,प्रथम विश्व युद्ध और भारत

पुनर्जागरण का अर्थ और पुनर्जागरण के कारण

1917 की रूसी क्रांति

अमेरिकी क्रांति के कारण

पुनर्जागरण काल प्रश्नोत्तरी

दोस्तों Currentshub.com के माध्यम से आप सभी प्रतियोगी छात्र नित्य दिन Current Affairs Magazine, GK/GS Study Material और नए Sarkari Naukri की Syllabus की जानकारी आप इस Website से प्राप्त कर सकते है. आप सभी छात्रों से हमारी गुजारिश है की आप Daily Visit करे ताकि आप अपने आगामी Sarkari Exam की तैयारी और सरल तरीके से कर सके.

दोस्तों अगर आपको किसी भी प्रकार का सवाल है या ebook की आपको आवश्यकता है तो आप निचे comment कर सकते है. आपको किसी परीक्षा की जानकारी चाहिए या किसी भी प्रकार का हेल्प चाहिए तो आप comment कर सकते है. हमारा post अगर आपको पसंद आया हो तो अपने दोस्तों के साथ share करे और उनकी सहायता करे.

You May Also Like This

अगर आप इसको शेयर करना चाहते हैं |आप इसे Facebook, WhatsApp पर शेयर कर सकते हैं | दोस्तों आपको हम 100 % सिलेक्शन की जानकारी प्रतिदिन देते रहेंगे | और नौकरी से जुड़ी विभिन्न परीक्षाओं की नोट्स प्रोवाइड कराते रहेंगे |

Disclaimer: currentshub.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है ,तथा इस पर Books/Notes/PDF/and All Material का मालिक नही है, न ही बनाया न ही स्कैन किया है |हम सिर्फ Internet पर पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है| यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे- currentshub@gmail.com

About the author

shubham yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

Leave a Comment