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राजनीतिक दृष्टिकोण से निर्देशन की आवश्यकता बताइए।

राजनीतिक दृष्टिकोण से निर्देशन की आवश्यकता
राजनीतिक दृष्टिकोण से निर्देशन की आवश्यकता

राजनीतिक दृष्टिकोण से निर्देशन की आवश्यकता

आज देश में सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक क्षेत्र में राजनीति का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है। परन्तु फिर भी इस प्रभाव का ज्ञान समाज को कराना आवश्यक है।

विद्यालय, समाज, समुदाय आदि की स्थितियों पर राजनीति आजकल इस कदर हावी है कि कोई भी राजनीति के बिना अछूता नहीं है। अतः ऐसी परिस्थितियों में सही दिशा में कार्य करने के लिए राजनीतिक दृष्टिकोण से भी निर्देशन की महती आवश्यकता है। इसके लिए निम्नलिखित कारण उत्तरदायी हैं-

1. प्रजातान्त्रिक मूल्यों के विकास के लिए निर्देशन की आवश्यकता- हमारा देश एक प्रजातान्त्रिक देश है। प्रजातन्त्र में हर व्यक्ति का अपना एक अलग महत्त्व होता है। प्रजातन्त्र के स्थायित्व के लिए आवश्यक है कि हम लोगों को प्रजातन्त्र के गुणों से अवगत कराएँ। प्रत्येक व्यक्ति को उसके अधिकार व कर्त्तव्यों का ज्ञान कराएँ जिससे उन्हें प्राप्त करने और निर्वाह करने के लिए वे तत्पर रहें। इसके लिए हमें अपनी शिक्षा प्रणाली को इस प्रकार से नियोजित करना होगा जिससे छात्रों में प्रजातन्त्रीय मूल्यों का विकास हो सके। इन मूल्यों में हमारे अधिकार व कर्त्तव्य भी सम्मिलित हैं।

प्रजातन्त्र की सफलता निर्भर करती है हमारे द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों पर। अगर हम सही अधिकार व कर्त्तव्यों का सही तरीके से निर्वाह करेंगे तभी देश में रचनात्मक कार्यों में प्रगति हो सकेगी। देश की शासन व्यवस्था भी ठीक से चल सकेगी। योग्य प्रतिनिधियों के चयन में हमें यह ध्यान देना होगा कि कौन व्यक्ति निष्पक्ष भाव से, स्वार्थ रहित भावनाओं से कार्य कर सकेगा अगर हम स्वार्थी, अदूरदर्शी, अविवेकशील व्यक्ति को चुनते हैं, तो उससे देश की प्रगति और सुरक्षा के लिए गम्भीर खतरा पैदा हो जायेगा। अतः यह आवश्यक है कि हम अधिकार और कर्त्तव्यों के प्रति सजग रहकर ही प्रजातन्त्र की सफलता में वृद्धि कर सकते हैं। इन मूल्यों की शिक्षा निर्देशन द्वारा आसानी से दी जा सकती है।

2. देश की सुरक्षा के लिए निर्देशन की आवश्यकता- आज हमारे देश में अनेक आतंकवादी गुटों और साम्प्रदायिक शक्तियों द्वारा अस्थिरता फैलाने के लिए कुत्सित प्रयास किए जा रहे हैं। विदेशों के कुछ विघटनकारी तत्त्व हमारे देश में कश्मीर ही नहीं अन्य प्रान्तों में भी अस्थिरता फैलाना चाह रहे हैं जिससे देश की आन्तरिक स्थिति दिन-प्रतिदिन विस्फोटक होती जा रही है। देश में साम्प्रदायिक दंगे, अराजकतावादी तत्त्व और आतंकवाद सिर उठा रहा है। इससे यह स्पष्ट होता है कि देश की सुरक्षा को गम्भीर खतरा है। इस खतरे से निपटने के लिए यह आवश्यक है कि लोगों में देश की रक्षा की भावना का विकास आवश्यक है। इसके लिए आवश्यक है कि देश की प्रशासकीय एवं सैन्य सेवाओं में केवल योग्य एवं निष्ठावान व्यक्तियों का ही चयन किया जाए। ऐसे व्यक्तियों को निर्देशन सेवा की बहुत आवश्यकता है।

3. राष्ट्रीय एकता की भावना उत्पन्न करने के लिए निर्देशन की आवश्यकता – राष्ट्र के विकास के लिए यह आवश्यक है कि उसकी प्रजा समृद्ध व खुशहाल हो और यह तभी सम्भव है जबकि राष्ट्र की प्रत्येक इकाई प्रगति करे चाहे वह कोई व्यक्ति हो, समुदाय हो या समाज हो, इसके लिए आवश्यक है कि लोगों में राष्ट्रीयता की भावना का विकास किया जाए जिससे राष्ट्रीय अखण्डता, लोगों में राष्ट्रीय जागृति और राष्ट्र प्रेम पैदा हो सके और तभी हम राष्ट्र के प्रति कर्त्तव्यनिष्ठ नागरिकों का निर्माण कर सकते हैं। इसके लिए यह आवश्यक है कि हम राष्ट्र के नागरिकों में जाति, धर्म और क्षेत्रवाद की परिधि से ऊपर उठकर कार्य करने की प्रेरणा दें। उन्हें राष्ट्रीय अखण्डता को नुकसान पहुँचाने वाली प्रवृत्तियों का ज्ञान कराएँ और उन विभिन्न धर्मों के महापुरुषों के जीवन के बारे में बताएँ जिन्होंने राष्ट्रीय एकता की भावना के प्रसार के लिए कार्य किए हैं। विशेषकर वर्तमान में हम देख रहे हैं कि कश्मीर, गुजरात, महाराष्ट्र आदि प्रान्तों में जो जाति, धर्म और सम्प्रदायों के झगड़े हो रहे हैं उन्हें शान्त करने के लिए लोगों को निर्देशन सेवा की बहुत ही आवश्यकता है। तभी हम राष्ट्रीय एकता स्थापित कर सकते हैं।

4. अन्तर्राष्ट्रीयता की भावना के विकास के लिए निर्देशन की आवश्यकता – आज के इस वैज्ञानिक युग में एक से दूसरे, दूसरे से तीसरे देश के बीच अब उतनी दूरी नहीं रह गई है जितनी कि प्राचीन काल में थी । भौगोलिक दृष्टि से तो एक-दूसरे देश के बीच दूरी हो सकती है परन्तु दूर रहकर भी अब वे बहुत पास हो गए हैं। आज प्रत्येक देश एक-दूसरे पर निर्भर है चाहे वह छोटा हो या बड़ा हो एक-दूसरे के बिना कोई भी देश प्रगति की कल्पना नहीं कर सकता है।

आज प्रत्येक देश आर्थिक, राजनैतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक आदि विविध क्षेत्रों में एक-दूसरे पर किसी न किसी रूप में आश्रित है। ऐसी परिस्थितियों में यह आवश्यक है कि लोगों में अन्तर्राष्ट्रीयता की भावना का विकास किया जाए जिससे विश्व में शान्ति, स्थायित्व, सुव्यवस्था व विकास के सभी मार्ग खुल जायें। यह सब विभिन्न स्तरों पर निर्देशन सेवाओं द्वारा ही सम्भव है तभी हम मानवता को विनाश से बचा पाएँगे।

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shubham yadav

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